अनजानी भूल में चूत चुदवा बैठी

हैल्लो दोस्तों, में आज आप सभी के चाहने वालों को अपने जीवन की एक सच्ची घटना सुनाने जा रही हूँ जिसमे मुझे एक अंजान लड़के ने मेरे घर में मुझे जमकर चोदा। दोस्तों वो रविवार की सुबह थी और सवेरे 6 बजे उठकर में जल्दी जल्दी घर का सारा काम खत्म कर रही थी और आज में मन ही मन बहुत ही खुश थी, क्योंकि पूरे दो साल के बाद मेरे पति दुबई से पूरे एक महीने की छुट्टियाँ लेकर मेरे पास आने वाले थे और वो बुधवार के दिन आने वाले थे, इसलिए उसके पहले ही मुझे पूरे घर को सजाना सवांरना था।

फिर मेरा सुबह का सारा काम ख़त्म होते ही में सीधा बाथरूम में नहाने चली गयी और फिर गाना गुनगुनाते हुए में बड़ी खुश होकर नहा रही थी कि तभी अचानक से मुझे याद आ गया कि मेरे पति को शावर लेना बहुत ही पसंद है और इसलिए में शावर को चालू करने लगी, लेकिन शायद ज़्यादा दिनों से बंद रहने की वजह से वो शुरू नहीं हो पाया। फिर में जल्दि से नहाकर बाहर आ गई और उसके बाद मैंने अंकल को फोन किया। हमारी कॉलोनी में मेरे घर में अकेली ही रहा करती थी, मेरे पति दुबई में एक स्पेयरपार्ट्स के शोरुम में मैनेजर की नौकरी करते थे। हमारी शादी को करीब सवा दो साल हो चुके थे, लेकिन फॅमिली प्लॅनिंग की वजह से हम दोनों की अभी तक कोई संतान नहीं थी, हमारे घर वाले दूसरे शहर में रहते है और यहाँ पर मेरे पति के चले जाने के बाद उनके दूर के रिश्तेदार मतलब एक अंकल मेरा हमेशा ध्यान रखते थे। वो दिन में एक बार तो ज़रूर मुझे फोन करते थे। फिर हैल्लो की आवाज़ सुनते ही में होश में आ गई और मैंने तब उन्हे बताया कि बाथरूम का शावर खराब हो गया है प्लीज़ जल्दी से आप किसी को भेज दो जो इसको ठीक कर दे।

फिर उन्होंने कहा कि अरे आज तो रविवार है, फिर भी में एक बार कोशिश करता हूँ अगर कोई मिलता है तो में वो काम करवा दूंगा। तो मैंने कहा कि ठीक है धन्यवाद और मैंने फोन रख दिया, उसके बाद में अपना काम करने के लिए किचन में चली गयी। आज मुझे गरमी कुछ ज़्यादा ही लग रही थी इसलिए में वापस अपने बेडरूम में चली गयी और वहां पर जाकर मैंने अपनी सलवार कमीज़ को उतार दिया उसके बाद अपनी ब्रा भी उतारकर फेंक दी और अब मैंने एक कॉटन की हल्के गुलाबी रंग की मेक्सी को निकालकर पहन लिया। उसके बाद ऐसे ही कांच में अपने आप को देखा में उस मेक्सी में बहुत ही मादक और मनमोहक लग रही थी। मेरे गदराए हुए बदन का हर एक अंग उससे नजर आ रहा था, जिसकी वजह से में दिखने में बड़ी ही सेक्सी नजर आ रही थी। फिर में अपने को निहारकर रसोई की तरफ चल पड़ी और तभी इतने में दरवाजे पर लगी घंटी बजी, उसकी आवाज सुनकर मैंने जाकर दरवाजा खोल दिया।

अब मैंने देखा कि मेरे सामने दरवाजे पर एक 25-26 साल का हट्टाकट्टा युवक अपने एक हाथ में बेग लेकर खड़ा हुआ था, दोस्तों उसकी शक्ल सूरत से तो वो मुझे प्लमबर नहीं लग रहा था और मेरे उससे पूछने से पहले ही उसने मुझसे कहा कि मेडम मेरा नाम संजय है और मुझे आपके अंकल ने बाथरूम से शावर को बदलने के लिए यहाँ पर भेजा है। अब मैंने उसकी पूरा बात को सुनकर उससे अंदर आने के लिए कहा और फिर उसके अंदर आते ही दरवाजे को वापस बंद कर दिया और फिर वो मेरे पीछे पीछे बाथरूम में आ गया। तब मैंने उसको शावर दिखाया और उसने शावर को चालू करके देखा और बोला कि मेडम यह खराब हो चुका है इसलिए इसको बदलना पड़ेगा। फिर मैंने उससे कहा कि हाँ ठीक है आप ऐसा ही करो तो वो मुझसे कहने लगा कि मेडम वैसे में आपके अंकल के पास काम करता हूँ और आज कोई भी प्लमबर नहीं आया इसलिए साहब ने मुझे आपके घर बेग लेकर भेज दिया और वैसे में इस काम में नया हूँ और इस समय मेरे साथ में कोई हेल्पर भी नहीं है, इसलिए प्लीज़ आप मेरी थोड़ी सी मदद करना।

फिर मैंने उससे कहा कि हाँ ठीक है आप बता दो मुझे क्या करना पड़ेगा? तब उसने कहा कि में वक्त आने पर बता दूंगा और उसने अपना बेग खोला और उसमें से पाना निकाला और शावर को खोल लिया देखकर पता चला कि वो तो ठीक ही था, वो मुझसे बोला कि मेडम शायद इसका वाल्व खराब हुआ होगा? मैंने कहा कि मुझे क्या पता खोलकर देख लो और फिर वो वाल्व निकालने लगा, लेकिन इतने में वाल्व निकलकर नीचे गिर गया और तेज गती से बाहर आता हुआ पानी हम दोनों पर गिरने लगा। अब में चिल्लाई अरे यह क्या किया तुमने देखो मेरे ऊपर पानी गिर रहा है? जल्दी से इसको बंद करो और तब संजय मुझसे बोला कि मेडम आप उसके मुहं पर हाथ रख दो नहीं तो ऐसे ही पूरा पानी बहकर हमें गीला करता रहेगा। फिर मैंने तुंरत अपने एक हाथ को रखकर पानी का बहना बंद किया, लेकिन मैंने देखा कि में अब तक पूरी तरह से भीग चुकी थी और वो उस समय मेरे पीछे खड़े होकर वाल्व को ठीक करने की कोशिश करता रहा। उसकी तरफ मेरी पीठ थी और मेरे कूल्हे ठीक उसके सामने थे। फिर मैंने जब पीछे मुड़कर देखा तो वो मेरे कूल्हों को ही ज्यादा देख रहा था। में पूरी तरह से भीग चुकी थी इसलिए मेरे कपड़े मेरे गोरे बदन से एकदम चिपक चुके थे और अंदर का सब कुछ साफ साफ नजर आ रहा था। फिर कुछ देर बाद मैंने अपना एक हाथ वहां से हटा लिया और देखा कि उसकी पेंट में उभार आ रहा था। थोड़ा सा मुड़ने के बाद उसको मेरे बूब्स भी दिखने लगे थे जो कि पानी में भीगे हुए थे, मैंने उससे कहा कि प्लीज थोड़ा जल्दी करो ना, तो वो घबराकर बोला जी मेडम में नया हूँ ना इसलिए इतना समय लग रहा है।

फिर उसके मुहं से यह जवाब सुनकर मुझे उस पर दया आ गई और दो मिनट के बाद उसने वाल्व को अपने एक हाथ में लेकर उसको दोबारा से लगाने के लिए अपने हाथ को आगे बढ़ा दिया। तब गलती से उसके हाथ का स्पर्श मेरे बूब्स को हुआ और में उसकी वजह से एकदम सिहर गई, क्योंकि पूरे दो साल में किसी ने मुझे छुआ भी नहीं था, लेकिन में चुप रही और मेरे अंदर ऐसे झटके लगने लगे जैसे मुझे करंट लग गया हो। दोस्तों वो बार बार वैसे ही कोशिश करता और वो वाल्व उसके हाथ से फिसल जाता और उतनी ही बार वो मेरे बूब्स से खेलता और हर में उसके हाथ को अपने बूब्स की गोलाइयों पर महसूस करके मेरे अंदर कुछ कुछ होने लगता। फिर अचानक से उसको ध्यान आया कि उसने वाल्व के ऊपर टेप नहीं लगाई तो जैसे ही उसने टेप को अपने बेग से निकालने के लिए वो झुका तो उसकी नाक मेरे कुल्हे से टकरा गई, दोस्तों मुझे गुस्सा भी आ रहा था और थोड़ा अच्छा भी लग रहा था। फिर उसने टेप को निकालकर लगाना शुरू किया इसलिए वो थोड़ा सा आगे आ गया था, जिसकी वजह से उसके लंड से मेरे कूल्हों को छूते ही में मस्त हो गयी और मेरी उस खामोशी को मेरी रज़ामंदी समझकर वो थोड़ा सा और आगे आ गया और अब उसने अपने लंड को मेरी गांड की दरार में घुसा दिया।

दोस्तों में उसकी पेंट के ऊपर ही उसके पूरे तनकर खड़े लंड को बड़े आराम से महसूस करने लगी थी, जिसकी वजह से में मन ही मन बड़ी उत्साहित हो रही थी, लेकिन अब में थोड़ा सा सोचने पर मजबूर हो चुकी थी कि जो यह सब हम दोनों के बीच चल रहा है वो सही है या गलत, कहीं में जोश में आकर अपने होश ना खो बैठूं जिसकी वजह से मुझे बाद में इसका पछतावा महसूस हो? तभी इतने में उसने पीछे से अपने हाथ को आगे बढ़ा दिया और फिर मुझे उस जगह से हाथ हटाने के लिए कहा और मेरे हाथ हटाते ही बड़ी तेज स्पीड से पानी बहने लगा जो हम दोनों के ऊपर आ रहा था, जिसकी वजह से हम दोनों पूरी तरह से भीग चुके थे और पानी गिरते ही में थोड़ा सा पीछे हटाने लगी और उस वजह से में संजय के लंड से जा चिपकी। अब उसने वाल्व को लगाने के बाद मुझे एक बार फिर से वाल्व को पकड़कर रखने के लिए कहा और वो पाने को घूमाने लगा और उस पाने को घुमाते समय उसकी कोहनी लगातार मेरे बूब्स से टकरा रही थी, जिसकी वजह से मुझे अब बड़ा आनंद आने लगा था, इसलिए मैंने अपनी दोनों आखों को बंद कर लिया और उसका लंड भी पूरी तरह से उठकर खड़ा था।

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दोस्तों में पिछले दो साल से चुदी नहीं थी, इसलिए में उसके साथ यह सब करके पागल सी हो गयी थी। दोस्तों संजय ने वाल्व को पहले कभी फिट नहीं किया था, वो इस काम में बिल्कुल अनाड़ी था इसलिए उसको इतना समय और मुझे उसके साथ रहकर इतनी परेशानी उठानी पड़ी, लेकिन फिर मुझे पता ही नहीं चला कि वो कब मेरे पास सटकर खड़ा हो गया और उसका लंड मेरी जांघो को छू रहा था। अब मैंने उससे बहुत धीरे से पूछा कि काम अब खत्म हुआ क्या? तब वो बोला कि आप खुद ही देख लो, मैंने देखा कि काम हो चुका था। फिर उसने मुझसे बोला कि आप इसको चालू करके भी एक बार देख लो, तब मैंने उसके कहने पर चालू किया तो पानी का फव्वारा गिरते ही में जानबूझ कर पीछे हट गई और संजय के लंड को चिपक गयी। में अब तक पूरी तरह से गरम हो चुकी थी, इसलिए में अब सब कुछ भूलकर उससे चुदने के लिए बिल्कुल तैयार थी और मेरे मन की बात को चेहरे से पढ़कर इस बार संजय ने झट से मेरी कमर पर अपने एक हाथ को रख दिया और मैंने उससे कहा कि इसको बंद करो। फिर उसने पीछे से ही अपने एक हाथ को आगे बढ़ाकर उसको बंद करना शुरू किया और उसके ऐसा करने से मेरे दोनों बूब्स मसले जा रहे थे, इसलिए उसके गरम खड़े लंड का वो एहसास और मेरे बूब्स पर उसके हाथ का स्पर्श बूब्स का मसला जाना मुझे जन्नत का सुख दे रहा था, जिसकी वजह से में अब जोश में आकर धीरे से अपना एक हाथ पीछे ले जाकर उसके लंड को टटोलने लगी।
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फिर उसने एक ही झटके में अपनी पेंट की चेन को खोलकर अंडरवियर से अपने लंड को आज़ाद कर दिया और अब वो पहले से ज्यादा तेजी से मेरे बूब्स को मसलता जा रहा था, जिसकी वजह से अब मेरे मुहं से हल्की आवाज़े निकल रही थी। अब वो पीछे से ही मेरे गालों को चूमने लगा था और इतनी देर से इतना सब होने की वजह से में बहुत ही ज़्यादा उत्तेजित हो चुकी थी। मुझे एक पल भी रुकना बड़ा मुश्किल हो रहा था। तो मैंने धीरे से उसके कान में कहा कि चलो बाहर चलते है, मैंने इतना ही कहा था कि वो मेरा एक हाथ पकड़कर मुझे बाहर लेकर आ गया और बाहर आते ही उसने मेरी मेक्सी को उतारना शुरू किया। मेक्सी के खुल जाने के बाद मेरे गोरे गोरे पैर दिखते ही वो मस्त हो गया और वो तुरंत ज़मीन पर बैठ गया और मेरी पेंटी को उतारने लगा। अब मेरी साँसे धीरे धीरे तेज़ होती जा रही थी वो मेरी पेंटी को उतारते ही देखकर बोला वाह क्या मस्त द्रश्य है? वो बड़े प्यार से मेरी पावरोटी की तरह फूली हुई चूत को देख रहा था और फिर उसने मेरी चूत को चूम लिया तो अंजाने में मेरे मुहं से ऊऊआआअ निकल गया और अब वो उठने लगा, लेकिन उठते समय वो मेरी मेक्सी को भी ऊपर सरकाता जा रहा था। उसके ऐसा करने की वजह से में तो जैसे पागल हो रही थी, मानो जैसे आज ही मेरी सुहागरात का काम चल रहा हो।

अब उसने धीरे धीरे ऊपर लाते हुए मेरे सर के ऊपर से मेक्सी को उतारकर फेंक दिया था, जिसकी वजह से अब में संजय के सामने पूरी नंगी थी, वो मेरे बड़े आकार के दोनों मुलायम बूब्स को अपने दोनों हाथों से बारी बारी से मसल रहा था। अब में भी उसकी पेंट के अंदर से निकले हुए उसके लंड को अपने हाथ में पकड़कर उससे खेलने लगी और उसी समय उसने अपनी शर्ट को उतार दिया और अपनी पेंट को भी झट से अंडरवियर के साथ ही निकालकर फेंक दिया, जिसकी वजह से अब हम दोनों एक दूसरे के सामने पूरे नंगे हो गये थे। फिर उसने एक बार फिर से मुझे कसकर पकड़ लिया और वो मेरी गांड को दबोचने लगा, जिसकी वजह से में सातवें आसमान पर पहुंच चुकी थी और उस समय उसका लंड मेरी नाभि को छू रहा था और वो अपने होंठो से मेरे नरम गुलाबी रसभरे होंठो को चूम रहा था। उस समय में बिल्कुल भी अपने होश में नहीं थी, इसलिए उसी हालत में वो मुझे सरकाते हुए बेड की तरफ ले गया और मुझे बेड पर गिरा दिया तो गिरने की वजह से मेरे दोनों पैर ऊपर हो गए।

फिर उसने एक ही झटके में मेरे दोनों पैरों को पकड़ लिया और अब वो मेरी चूत के बालों पर हाथ घुमा रहा था और बोला कि वाह तुम्हारी झांटे कितनी मुलायम है और वैसे मुझे झांटों वाली चूत बहुत पसंद है। फिर मैंने सिर्फ़ उससे हाँ कहा और फिर उसने अपना लंड एक हाथ में लेकर मेरी चूत पर रगड़ना शुरू किया, जिसकी वजह से मेरी चूत पनिया गयी और में मानो एक भूखी शेरनी की तरह उसके लंड को देखे जा रही थी। मैंने उससे कहा कि अब तुम इसको अंदर डाल दो ना। फिर वो मुस्कुराते हुए बोला कि मेडम पहले आपको मेरा लंड चूसना होगा। उसके मुहं से यह बात सुनकर मैंने कुछ भी नहीं सोचा और में उठकर उसके पैरों के पास जाकर अपने घुटनों के बल बैठ गई और उसके लंड को चूमने लगी, उसके बाद उसका लंड अपने एक हाथ में लेकर उसको अपनी जीभ से चाटना शुरू किया, जिसकी वजह से वो मज़े लेते हुए अपनी दोनों आखों को बंद करके अपने मुहं को छत की तरफ करके बड़बड़ाने लगा ऊफ्फ्फ आह्ह्ह हाए मेडम आप बहुत अच्छी हो और आपके बूब्स भी बहुत सुंदर आकार में बड़े है, मैंने इतने बड़े बूब्स पहले कभी नहीं देखे और आपके गोरे गोरे पैर तो बिल्कुल कयामत है और आपकी झांटे तो बहुत ज्यादा मुलायम है और आपकी चूत तो एकदम कुंवारी लग रही है।

अब उसके मुहं से अपनी इतनी तारीफ को सुनकर में और भी मदहोश हो गयी इसलिए में उसके लंड पर अपनी जीभ को ज़ोर से घुमाने लगी थी। में उस समय सातवें आसमान पर गोते लगा रही थी और मेरी चूत ने बहुत सारा पानी बाहर फेंकना शुरू किया। मेरा पानी मेरी गरम चूत से बाहर निकलकर मेरी जांघो से बह रहा था और इतनी ज्यादा उत्तेजना में अपने जीवन में पहली बार महसूस कर रही थी। सेक्स में इतना मज़ा मुझे उस दिन पहली बार आया था। दोस्तों मैंने देखा कि संजय तो अब जैसे पागलों की तरह बड़बड़ाता जा रहा था ऊफ्फ्फ हाँ चूसो मेडम, ज़ोर से चूसो आज इस लंड का सारा रस चूसकर आप बाहर निकाल दो, मुझे उसके बोलने से और भी जोश आ रहा था और उसके लंड को कुछ देर चूसते चूसते अचानक उसका लंड मेरे मुहं में फूलने लगा और मेरे कुछ भी समझने से पहले ही उसके लंड ने मेरे मुहं में थूकना शुरू किया।

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फिर मैंने एक ज़ोर के झटके से उसका लंड बाहर निकालकर उसका पानी अपने मुहं से बाहर थूक दिया, लेकिन उसका स्वाद मेरे मुहं में बस गया और मुझे वो थोड़ा अच्छा भी लगा, लेकिन में अब उसके झड़े हुए लंड को देखकर बिल्कुल निराश हो गयी, क्योंकि मेरी चूत में लंड लेने की खुजली हो रही थी। फिर उसने मेरे चेहरे को देखकर मेरे मन की यह जानते हुए मुझसे बोला कि मेडम आप बस इस लंड को लगातार चूसती रहो, देखना अभी कुछ देर में ही यह मेरा लंड एक बार फिर से खेलने के लिए तैयार हो जाएगा। फिर में इसी आस में उसका मुरझाया हुआ लंड अब भी ज़ोर से चूसे जा रही थी और फिर करीब दस मिनट की चुसाई के बाद वो अब तनने लगा था। में लंड को चूसते चूसते उसके अंडकोष को भी सहलाए जा रही थी और उसके लंड पर बहुत सारे घुंघराले बाल थे। में जोश में आकर लगातार उसको सहलाए जा रही थी और उसके लंड को चूस रही थी कि वो देखते ही देखते पूरी तरह से एकदम तैयार होकर खड़ा हो चुका था, जिसकी वजह से मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। में मन ही मन बड़ी खुश हुई। फिर उसने मुझे उठाकर बेड पर लेटा दिया और उसके बाद मेरी चूत का एक जोरदार चुंबन ले लिया।

फिर उसने अपनी उंगलियों से मेरी झांटो को सहलाते हुए साइड में किया, जिसकी वजह से अब उसको मेरी कामुक चूत के गुलाबी होंठ नज़र आने लगे थे। अब उसने मेरी चूत के होंठो को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया, जिसकी वजह से में सिहर उठी और कहने लगी ओहह हाँ संजय ऐसे ही तुम चूसो मेरी चूत को, मुझे बहुत मज़ा आ रहा है। फिर उसी समय मेरी चूत ने पानी फेंकना शुरू किया और में जन्नत का असली मज़ा लूट रही थी और वो मेरी चूत का पानी चाट चाटकर साफ कर रहा था। फिर उसने अपनी जीभ को मेरी चूत के अंदर डाल दिया और वो पहले से भी ज्यादा ज़ोर ज़ोर से चाटने लगा और अपने एक हाथ से वो मेरी निप्पल को घुंडी की तरह घुमा रहा था। मेरे बूब्स पहले से ही बिल्कुल कड़क हो चुके थे। फिर मैंने उससे कहा कि प्लीज अब बस भी करो और जल्दी से मुझे चोदो मुझसे अब रहा नहीं जा रहा है, वो यह बात सुनकर उठकर खड़ा हो गया और मेरी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा। में अब मन ही मन में सोचने लगी कि क्या यह वही लंड है जो अभी बीस मिनट पहले एकदम मुरझाया हुआ था? फिर अपने लंड के टोपे को मेरी चूत पर घिसने के बाद उसने धीरे से एक धक्का मारा, जिसकी वजह से उसका लंड थोड़ा सा अंदर चला गया, वो मेरे पेट पर हाथ घुमाते घुमाते मेरे बूब्स की तरफ जा रहा था जिसकी वजह से मुझे गुदगुदी हो रही थी और में अपनी चूत में उसके लंड को महसूस कर रही थी।

फिर तभी अचानक से उसने एक करारा धक्का मार दिया, जिसकी वजह से अब उसका लंड मेरी चूत को चीरता फाड़ता हुआ अंदर पहुंच गया। मुझे उसकी वो ठोकर मेरी बच्चेदानी में भी महसूस हुई और दर्द की वजह से मेरे मुहं से चीख निकल पड़ी मानो जैसे मेरी चूत फट गयी और मुझे ऐसा इतना तेज दर्द हुआ कि मेरी आखों से आसू निकल गये। फिर वो मेरे ऊपर लेटकर मुझे चूमने लगा, जिसकी वजह से मेरा दर्द कम होने लगा था और उसके बाद उसने धीरे धीरे धक्के देकर मुझे चोदना शुरू किया। पूरे दो साल के बाद कोई लंड अपनी चूत में पाकर में बहुत खुश थी, इसलिए में भी अपनी गांड को उछालकर उसका साथ देने लगी और फिर मेरे मुहं से आवाज़े निकलने लगी उफ्फ्फ आह्ह्ह हाँ संजू मेरी जान ज़ोर से चोदो आज तुम मेरी चूत को, इसकी प्यास को बुझा दो आह्ह्ह ऊऊह्ह्ह चोदो ज़ोर से पूरा डाल दो अंदर अपना मोटा लंड और वो जोश में आकर मुझे तेज़ी से धक्के देकर चोदने लगा। उसका लंबा मोटा लंड बड़ी तेज़ी से मेरी चूत की दीवारों पर टकराते हुए लगातार अंदर बाहर हो रहा था और वो धक्के देते हुए अपने दोनों हाथों से मेरे बूब्स को मसल रहा था। मेरे बड़े आकार के बूब्स उसके हाथों में समा भी नहीं रहे थे।

अब मैंने उससे कहा कि तेज स्पीड से चोदो ना, तुमने धक्के क्यों कम कर दिए? वो जवाब दे रहा था मेडम आप बिल्कुल भी चिंत मत करो, आज में आपकी बहुत जमकर चुदाई करूंगा और आज में आपकी पूरी तसल्ली होने तक चोदता ही रहूँगा, मेडम यह लंड आपके लिए ही है। दोस्तों में पहले ही पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी और अब पूरी तरह जोश में भी आ गई। मैंने उससे कहा कि मेरे पति ने भी मुझे इतना चुदाई का मज़ा नहीं दिया। वैसे चुदाई करने में वो भी कम नहीं है, लेकिन चुदाई करते समय वो बिल्कुल भी बात नहीं करते और अब मुझे संजू की बातें सुनना बड़ा अच्छा लग रहा था। मेरी चूत ने उसके लंड पर पानी बरसाना शुरू किया और में चरमसीमा पर पहुंच चुकी थी। उसी समय मैंने महसूस किया कि उसके लंड का टोपा मेरी चूत के अंदर फूल रहा है। इस बार में समझ गयी कि वो झड़ने वाला है और एक झटके से मैंने उसको अपने से अलग कर दिया, जिसकी वजह से उसका लंड बाहर आ गया और पूरा पानी मेरे पेट पर गिर गया।

फिर उसने मुझसे पूछा कि अचानक से आपको क्या हो गया? मैंने चादर से उसके वीर्य को साफ करते हुए कहा कि संजू में इसमें सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने पति का ही वीर्य लूँगी। अब वो मेरी बात को सुनकर हंसने लगा और बोला कि कोई बात नहीं है मेडम, मुझे उस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता, तभी में उठकर बाथरूम में चली गयी और अच्छी तरह से साफ होकर वापस बाहर आ गई, मेरे बाद वो भी बाथरूम में गया और फ्रेश होकर बाहर आ गया और तब तक मैंने कपड़े पहन लिए थे वो बाहर आकर मुस्कुराते हुए अंदाज़ में मुझसे पूछने लगा कि मेडम आपका नाम क्या है? मैंने उसको बता दिया कि मेरा नाम ज्योति है और फिर मैंने उसको अपने पर्स में हाथ डालकर 500 रूपये का एक नोट थमा दिया, जिसको उसने लेने से मना किया और वो हंसते हुए मुझसे बोला कि मेडम मुझे मेरे आज के काम का मेहनताना पहले ही मिल गया है, क्या में फिर कभी आपसे मिलने यहाँ पर आ सकता हूँ। मैंने अपनी गर्दन को हिलाते हुए कहा कि नहीं, संजू आज जो भी हमारे बीच हुआ है वो सब अनजाने में हो गया। यह मेरी बहुत बड़ी भूल है तुम प्लीज़ इसका जिक्र कभी किसी से मत करना वरना मेरी बड़ी मदनामी होगी। फिर इस बात पर वो बोला कि मेडम आप मेरी तरफ से बिल्कुल बेफ़िक्र रहिए, यह बात में किसि को नहीं बताऊंगा और मुझसे इतना बोलकर वो बाय कहकर अपना बेग उठाकर मेरे घर से बाहर निकल गया। अब में पीछे से जाकर उसको देखती ही रह गयी और वो चला गया दोबारा कभी नहीं आया ।।



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