एक अजनबी अंकल संग जवानी की कहानी

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जैसे आप सब लोग जानते ही हैं कि मेरा नाम नीतू पाटिल है, मैं महाराष्ट्र की रहने वाली हूँ, मेरी उम्र 24, हाइट 5’4″, साइज 32-28-36 है, मेरा रंग गोरा है और दिखने में बहुत सुन्दर हूँ, मैं हमेशा ट्रेंडी और अट्रक्टिव रहती हूँ.

यह कहानी तब की है जब मैं बोर्ड के एग्जाम की पढ़ाई कर रही थी। तब इंटरनेट ने अपने पैर फैलाने शुरू कर दिए थे और मुझे भी अपना अलग मोबाइल मिला था।

तब इंटरनेट पर चैट रूम बहुत मशहूर हुआ करते थे। मैं भी याहू इंडियन चैट रूम में अनजान लोगों के साथ चैट करती थी।

उनमें से एक थे रघु अंकल, जो तब 52 साल के थे। रघु अंकल मुझसे बहुत अच्छे से चैट करते, और मेरे सारे प्रोब्लम्स में मेरी मदद करते। पर हमने कभी भी सेक्सी या गंदी चैटिंग नहीं की।
वो मेरे लिए गूगल की तरह थे। मैं उनको मेरी हर प्रॉब्लम बताती थी और अंकल मुझे सलाह देते थे, एग्जाम के स्ट्रेस को कम करने में उन्होंने मेरी काफी मदद की। वे शादीशुदा थे और उनका 25 साल का लड़का था और 19 साल की लड़की, उनका खुद का बिज़नेस था।

एक दिन उन्होंने मुझसे मिलने की बात की तो मैंने डरते हुए झट से मना कर दिया।
पर दूसरे दिन उन्होंने मुझे बहुत प्यार से और होशयारी से समझाया और मैंने हाँ कर दिया। उन्होंने मेरे स्कूल के बाद मुझसे मिलने का प्लान बनाया कि वे मेरे स्कूल के पास अपनी कार में रुकेंगे और मेरे आते ही हम कार से ड्राइव पर चले जायेंगे।
मैंने भी हाँ कर दी।

तब हमारे स्कूल का यूनिफार्म सफेद शर्ट, लाल और सफेद चेक्स की स्कर्ट थी जो कि घुटनों से दो इंच नीचे तक थी। मेरे बालों की दो चोटिया बंधती थी।
जब मिलने का दिन आया तब मैं बहुत नर्वस थी, मैंने अपने स्कूल फ्रेंड्स को भी कुछ नहीं बताया था। पता नहीं वे सब क्या सोचती… शायद मुझे जाने के लिए मना भी कर सकती थी।

मैंने सुबह ही मम्मी को ‘स्कूल के बाद एक्स्ट्रा क्लास है’ बता दिया था, बोर्ड एग्जाम है तो उनको भी कोई शक नहीं हुआ।
रघु अंकल ने मुझे पहले ही कार नंबर, रंग बता दिया था जिससे मुझे ढूंढने में आसानी होगी।

स्कूल खत्म होने के बाद मैं पास के बस स्टॉप पर पहुँची जहाँ रघु अंकल पहले से ही पहुँचे हुए थे। मैंने जल्द ही उनकी लाल रंग की कार ढूंढ ली। मैंने उनकी फोटो देखी हुई थी पर मैंने अब तक अपनी कोई भी फ़ोटो उनको नहीं दिखाई थी तो उनको बिल्कुल भी पता नहीं था कि मैं कैसी दिखती थी।

मैंने गाड़ी का दरवाजा खोल कर उनको ‘हाई…’ बोला और गाड़ी में बैठ गई।

उन्होंने मुझे सिर्फ एक नजर में देखा और कार चलाने लगे। हम शहर में ही घूम रहे थे, नॉर्मल बातें हो रही थी। उन्होंने गाड़ी एक रेस्टोरेन्ट के पास रोकी, वहाँ हमने खाना खाया और बहुत सारी बातें की।
मुझे अब उनकी कंपनी अच्छी लगने लगी थी।

हमारा मिलना ऐसे ही चलता रहा, हम हफ्ते में दो तीन बार मिलते। अंकल हर बार मेरे लिए महंगे गिफ्ट्स जैसे, परफ्यूम्स इयरिंग्स और घड़ियाँ ले कर आते। इससे हमारे बीच लगाव और बढ़ गया और मैं उन पर और ज्यादा भरोसा करने लगी और उनसे और ज्यादा खुलने लगी।

एक दिन हमने स्नैक्स खरीदे और ड्राइव करते हुए शहर से थोड़ी दूर एक बड़े तालाब के पास गए। बहुत ही सुंदर जगह थी। तालाब के नजदीक से रोड थी, एक साइड से पानी का व्यू था तो दूसरी तरफ बड़े पेड़ और हरियाली थी।
हमने कार एक शांत जगह रोकी और खाना खाया। मैं तो उस शांत और सुंदर वातावरण में खो गयी थी।

थोड़ी देर रुकने के बाद हम वापस जाने लगे। रघु अंकल गाड़ी चला रहे थे, उन्होंने मुझे उनके कंधों पर सोने को कहा। मैं भी बहुत अच्छे मूड में थी तो मैं उनके कंधे पर सर रख कर सो गई। वहाँ बहुत ही कम ट्रैफिक था क्योंकि वीकेंड थे।

वो एक हाथ मेरे कंधों पर रखकर मुझसे बाते कर रहे थे। जब मैंने कुछ जवाब देने के लिए अपना सिर उठाया तो उन्होंने मेरे गाल पर एक हल्की की किस की।
मैं उनकी हरकत से शर्मा गयी।

फिर उन्होंने मुझे किस मांगी, मैंने ना… ना करते हुए उनके ग़ालों पर हल्की सी किस कर दी।
फिर हम वापस चले आये।

उसके बाद किस लेना रूटीन बन गया था। मुझे भी अब उनका स्पर्श अच्छा लगले लगा था। एक बार हम ऐसे ही शहर के बाहर तालाब के पास घूम रहे थे। रघु अंकल ने अचानक ही मुझे पास खींचा और मेरे ग़ालों पर किस किया। मैंने भी उन्हें नहीं रोका, मैं भी उस वक्त बहुत खुश थी क्यों कि उन्होंने मुझे बहुत ही अच्छी इयरिंग ला कर दी थी।

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धीरे धीरे उनका स्पर्श और कंपनी मुझे बहुत अच्छी लगने लगी थी। मैं तो अब स्कूल बंक कर के उनके साथ घूमने जाने लगी।

एक बार हम फिर से उस तालाब के पास गाड़ी में बैठे थे। उनकी कार को काले रंग के ग्लास लगे थे। मैं उनके सीने पर सर रख कर सोई हुई थी, अंकल उंगली से मेरे कंधों को सहला रहे थे। उन्होंने हाथों से मेरा सर उठाया और मेरे ग़ाल पर किस किया। उनका हल्का किस अब और भी गहरा होता गया। उन्होंने अपना हाथ मेरी कमर पर ले जाते हुए धीरे धीरे नीचे जाते हुए मेरी गर्दन पर किस करने लगे।

मेरी गर्दन और कंधे मेरे बहुत ही सेंसेटीव और कामुक अंग हैं। उनके किस से मेरे ऊपरी हिस्से में कामुक लहरें बहने लगी। मेरा खुद पर से नियंत्रण छूट गया और मैंने खुद को रघु अंकल को समर्पित कर दिया।
उन्होंने अपना दाहिना हाथ मेरी स्कर्ट के इलास्टिक के अंदर घुसाया, फिर पैंटी को उठाते हुए अपना हाथ मेरी चुत के ऊपर ले गए।

पहली बार मेरे निचले हिस्से में कामुक लहरें बहने लगी। मैंने अपने पैर फैलाकर जैसे उनको मेरी चुत से खेलने की इजाजत ही दी थी लेकिन अंकल मेरी चुत को सिर्फ प्यार से सहला रहे थे। उन्होंने अपनी उंगलियाँ अंदर डालने की कोशिश भी नहीं की।

बीच में उन्होंने मेरी शर्ट के दो बटन खोल दिए और मेरे स्तन का जितना हिस्सा ब्रा के बाहर था उसको चूमने चाटने लगे। ऐसा लगभग पंद्रह मिनट तक चला, फिर धीरे से वो पीछे हटे। उन्होंने प्यार से मेरे गाल पर किस किया पर हम वापस शहर की तरफ निकल पड़े।

वापस आते वक्त मैं उनसे टेडी बियर की तरह चिपकी हुई थी। वे जानबूझ कर मेरी अंदर की इच्छा को जागृत कर के मुझे तड़पता छोड़ रहे थे, वे मुझसे पहल करवाना चाहते थे।
उस रात मुझे बिल्कुल भी नींद नहीं आई।

उस पूरे हफ्ते रघु अंकल जानबूझकर मेरे रिक्वेस्ट करने पर भी मुझसे नहीं मिले। आखिरकार अगले हफ्ते जब मिले तो मुझे कंट्रोल करना बहुत मुश्किल हो रहा था। मैं शहर के बाहर निकलने से पहले ही उनसे लिपट गयी और उनके ग़ालों पर किस करने लगी; वे मुझे दूर धकेलने लगे। मुझे इस बात का बहुत बुरा लगा और मैं नाराज हो कर शांत बैठ गई।

तो उन्होंने मुझे पास खींचा और अपना बायाँ हाथ मेरी स्कर्ट के अंदर डाल दिया। पर अंकल ज्यादा कुछ नहीं कर पा रहे थे क्योंकि रोड पर ट्रैफिक बहुत थी और उनको हर बार गियर चेंज करना पड़ता था।

जब हम तालाब के पास पहुँचे उन्होंने गाड़ी दूर एक बड़े पेड़ के पीछे पार्क की। मैंने तब तक मेरी शर्ट के सारे बटन खोल दिये और पैंटी को पूरा निकाल दिया। मैं नहीं चाहती थी कि इस बार भी अंकल मुझे तड़पता छोड़ दें।

उन्होंने अपनी टी शर्ट उतार दी, मैंने पहली बार अंकल के चौड़े सीने को देखा; उनके सीने के आधे बाल भी सफेद हो गए थे।
उन्होंने सीट को पीछे की तरफ किया और मुझे अपने शरीर पर खींचा। मैं उनकी गोद में उनके तरफ मुँह कर के बैठ गई। उन्होंने अपने हाथों को मेरी पीठ पर ले जाते हुए मेरी ब्रा का हुक निकाल दिया और ब्रा को खींच कर पीछे की सीट पर फेंक दिया। उनकी गोद में नंगी बैठते हुए मुझे बहुत शर्म आ रही थी।

उन्होंने मुझे अपनी तरफ खींचा और जोर से जकड़ लिया; मेरे स्तन उनके सीने में दब गए। मेरे स्तनों पे उनके सीने के मर्दाना स्पर्श होते ही उत्तेजना में मेरे मुख से सिसकारी निकल गयी। उन्होंने मुझे अपनी बांहों में जकड़े रखा और मेरी कमर को सहलाने लगे, मेरे गालों, गर्दन पर किस करने लगे।
मेरा अपने पर से कंट्रोल छूट रहा था, मैं अब जोरों से सिसकारियाँ लेने लगी थी।

थोड़ी देर बाद उन्होंने अपनी किस रोक दी और मुझे पीछे की सीट पर जाने को बोला। हम दोनों पीछे की सीट पर आ गए।
उन्होंने मुझे सीट पर लिटाया मेरा सर हैंड रेस्ट पर रखा एक पैर को उठा कर सीट के बैक रेस्ट के ऊपर रख दिया तो दूसरे को सीट के नीचे कर दिया।

रघु अंकल ने मेरी आंखों में देखा और एक उंगली मेरी चुत में घुसा दी।
मेरे मुँह से ‘आआह…’ निकली।
वे अब अपनी उंगली धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगे। फिर धीरे धीरे वे मेरी चुत में गोल गोल घुमाने लगे वो भी बिना आंखों का संपर्क तोड़े।

मैं अपने होंठ दांतों तले दबाकर सिसकारियाँ ले रही थी ‘ ओहहह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह… आहहह…’

फिर उन्होंने नीचे झुकते हुए मेरी चुत को चाटा, मैं तो उत्तेजना के मारे उछल पड़ी। उनकी जीभ मेरी चुत को ऊपर से नीचे तक चाट रही थी। फिर उन्होंने अपनी जीभ मेरी चुत के अंदर डाल कर अंदर बाहर करने लगे, मेरी चुत की पंखुड़ियों को अपने होठों में पकड़कर चूसने लगे।
मैं कामुकता के आगोश में अपना सिर इधर उधर पटकने लगी और हाथों से उनके सिर को पकड़कर अपनी चुत पर दबाने लगी।

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फिर मेरा बदन अकड़ने लगा, मेरे अंदर एक तूफान बनने लगा। मैं झड़ने के करीब आ गयी थी।
थोड़ी ही देर के बाद मैंने अपनी कमर उठायी और उनके मुँह पर झड़ने लगी; रघु अंकल के साथ मेरा पहला ओरल ओर्गेस्म एन्जॉय करते हुए मैं वहीं सो गई।

रघु अंकल भी चूस चूस कर मेरा सारा रस गटक गए।

फिर रघु अंकल ने अपनी पैंट का हुक खोला और उसको नीचे खींच दिया। उनके लंड ने पहले से ही उनकी बॉक्सर में तंबू बना दिया था। फिर उन्होंने बॉक्सर की इलास्टिक में हाथ डालते हुए नीचे खींचा उनका लंड उछलते हुए उनके पेट पे जाकर टकराया।
उन्होंने अपने लंड की चमड़ी पीछे खींची और अपने लंड के टोपे को मेरी चुत के होठों पर रगड़ने लगे; वे ऐसा मुझे तड़पाने के लिए कर रहे थे।

“रघु अंकल… आहहहह… मत तड़पाओ ना… आज मुझे अपनी बना आआआ…”
मेरी बात पूरी होने से पहले ही रघु अंकल ने अपने मूसल को मेरी चुत में एक ही झटके में आधा पेल दिया।

मेरी आंखों में आंसू आने लगे, मुझे बहुत तेज दर्द हो रहा था, फिर उन्होंने नीचे झुक कर मेरे निप्पल को अपने मुंह में ले लिया और चुस चुस कर के चूसने लगे।
जैसे जैसे मेरा दर्द कम हुआ, मैं उनके बालों में हाथ डाल कर उन्हें सहलाने लगी।

मेरा रिस्पांस मिलते ही वो धीरे धीरे कमर हिलाने लगे; हर धक्के के साथ उनका लंड धीरे धीरे अंदर बाहर होने लगा।

थोड़ी देर बाद मेरा दर्द भी कम होने लगा तो मैं भी नीचे से कमर उठाकर उनका साथ देने लगी। रघु अंकल बीच में ही अपनी स्पीड तेज कर देते फिर नार्मल स्पीड में चोदते। बीच में वे अपना लंड मेरी चुत में से निकाल लेते और एक ही बार में पूरा पेल देते।
उनकी सभी हरकतें मेरी चुत में सुनामी लहरें पैदा कर रही थी।

पन्द्रह बीस मिनट के बाद उन्होंने अपनी रफ्तार तेज कर दी। दो मिनट राजधानी एक्सप्रेस की स्पीड से चोदने के बाद उनका बदन पूरा अकड़ गया और एक तेज गरम धार मेरी बच्चेदानी को भिगोने लगी। फिर दूसरी फिर तीसरी, उस गर्माहट से मेरी चुत ने बांध छोड़ दिया और मेरी चुत सिकुड़ने लगी, उनके लंड को भींच कर उस पर अपने काम रस की बारिश करने लगी।

हम दोनों पांच मिनट वहीं अपनी बाहों में एक दूजे को पकड़ते हुए ऑर्गेज्म एन्जॉय कर रहे थे।

फिर अंकल मेरे ऊपर से हटे, अपनी पैंट और टी शर्ट पहनकर गाड़ी के बाहर खड़े हुए।
मैंने भी अपनी ब्रा पहन ली, फिर शर्ट; फिर आगे की सीट के नीचे पड़ी अपनी पैंटी पहन ली।

उसके बाद भी हफ्ते में दो बार मैं आधा स्कूल बंक कर के उनके साथ तालाब के पास चली जाती थी। गाड़ी चलाते वक्त मैं उनके लंड पर मुठ मारती तो कभी चूसती। अंकल भी गाड़ी चलाते हुए मेरी ब्रा और शर्ट उतार देते और जानबूझ कर मेरे साइड की विंडो खोल देते ताकि रास्ते पर खड़े लोग मुझे नंगी देख सके।

कभी कभी तो अकेला आदमी देख कर अंकल जानबूझ कर रास्ता पूछने के बहाने गाड़ी रोक देते।
बहुत बार वह आदमी आश्चर्य से मुझे घूरता रहता, वो सोचता होगा कि बाप बेटी सेक्स कर रहे हैं.
एक दो लोगों ने तो अंदर हाथ डाल कर मेरे स्तनों को भी मसला था।
मुझे भी यह सब बहुत कामुकता पूर्ण लगता।

एग्जाम नजदीक आने के बाद हमें रुकना पड़ा।

एग्जाम के बाद तो जैसे हमारा रूटीन का काम हो गया; मैं घर से रोज सुबह ‘फ्रेंड के यहाँ जा रही हूँ’ कह कर घर से निकल जाती। फिर मैं और रघु अंकल कभी कभी उनके फार्म हाउस चले जाते तो कभी कभी शहर के बाहर होटल में रूम बुक कर लेते। पूरे दिन मस्ती से चुदाई करने के बाद शाम तक अंकल मुझे मेरे घर के समीप छोड़ देते।

रिजल्ट आने के बाद मुझे कॉलेज में दूसरे शहर में एडमिशन मिल गया और मैं दूसरे शहर में चली गयी। छुट्टियों में हम मिलने का प्लान बनाते पर कभी मिलना नहीं होता।
फिर अंकल ने मुझे बताया कि उनकी बीवी को उनके और उनके आफिस के स्टाफ की लेडी के अफेयर के बारे में पता चल गया था और उसकी वजह से उनकी लाइफ में बहुत परेशानी हो गई थी। उसके बाद हम फिर कभी नहीं मिले।



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