आफरीन की मस्त चुदाई-2

अब तक आपने पढ़ा..
आफरीन और मैं एक-दूसरे को चूमने लगे थे..
अब आगे..

चूमा चाटी करते करते मैंने उसे बिस्तर पर गिरा दिया.. और मैंने उसे उल्टा लिटा दिया, उसकी पीठ पर कुर्ते के ऊपर से ही चूमने लगा।
वो पागल होती जा रही थी।

कुछ मिनट ये सब चलने के बाद मैंने उसके मम्मों को पकड़ लिया।
इस बार उसने मुझे नहीं रोका और मेरा साथ देने लगी, उसके मुँह से सेक्सी आवाजें आ रही थीं ‘ओह.. आहह.. उउम्म्म्म.. अह.. सैंडी लव मी..’

मैं उसे नंगी करने लगा
मैंने उसका कुरता उतारना शुरू किया जिसमें उसने मेरा पूरा साथ दिया।

अब वो सिर्फ़ गुलाबी ब्रा और काली सलवार में मेरे सामने थी।
मैं भी सब कुछ भूल चुका था और पागलों की तरह उसे प्यार कर रहा था।

अब मैंने उसके मम्मों को ब्रा के ऊपर से ही चूसना शुरू कर दिया।
वो और पागल हो गई.. मेरा सर पकड़ कर अपने मम्मों पर दबाने लगी।

मैंने उसकी गर्दन पर किस करना शुरू कर दिया और अपने दोनों हाथों को उसके पीछे ले जाकर उसकी ब्रा के हुक को खोलने लगा.. पर वो मुझसे खुल नहीं रही थी।
इस मामले में मैं थोड़ा नया खिलाड़ी था।

वो फिर से हँसने लगी और खुद ही ब्रा उतार दी।

मेरी आँखों में रोशनी सी आ गई.. उसके सुडौल मम्मों को देख कर मेरा बुरा हाल हो गया था। वो क्या कयामत माल लग रही थी।

मैंने देर ना करते हुए उसके मम्मों को मुँह में ले लिया.. और ज़ोर-ज़ोर से उन्हें एक-एक करके चूसने लगा।
वो भी मेरा साथ बराबर दे रही थी..

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उसने हाथों के इशारे से मुझे भी शर्ट उतारने को कहा।
मैंने शर्ट उतार दी।

अब हम दोनों एक-दूसरे को जंगलियों की तरह चूम रहे थे, पूरे कमरे में आवाजें गूँज रही थीं उम्म्म.. म्म्म्मच.. आहह.. आआहह..

चूत में उंगली
मैंने धीरे से एक हाथ उसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत पर रख दिया।
वो एकदम भट्टी की तरह गर्म हो रही थी, मैं अपनी उंगलियां चलाने लगा।

कुछ देर में उसने भी मेरे लंड पर हाथ रख दिया.. जो कि पहले से ही टाइट था और अब और टाइट हो गया था।

मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था.. मैंने उसकी सलवार के अन्दर हाथ डाल कर उसकी चूत को पहली बार छुआ.. बड़ा ही मज़ा आ रहा था, उसकी चूत पानी छोड़ चुकी थी।

मेरा हाथ सही से अपना काम नहीं कर पा रहा था तो मैंने उसका नाड़ा खोलना शुरू किया और नाड़ा खुलते ही उसकी सलवार नीचे करने लगा.. जिसमें उसने भी मेरा साथ दिया।

उसने अपनी मस्त सी गाण्ड उठा कर सलवार को अलग कर दिया, अब वो सिर्फ़ पैन्टी में मेरे सामने थी, वो भी गुलाबी रंग की थी और उसकी चूत गर्म हो कर फूल गई थी।

मैंने फिर से उसकी पैन्टी में हाथ डाला और चूत में उंगली डाल कर उससे खेलने लगा।
वो कभी मेरे सर के बालों को पकड़ती.. कभी मेरी पीठ पर अपने नाख़ून चुभा देती.. पर मेरा ध्यान सिर्फ़ उसकी चूत पर था।

मैंने धीरे से उसकी पैन्टी को उतार दिया।
अब मैं उसकी चूत को देख सकता था… कमरे की रोशनी में एकदम क्लीन शेव.. गुलाबी से दो होंठ चिपके थे।

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चूत का स्वाद
मेरा मन उसे चूमने का था.. तो मैं नीचे की ओर झुका।
वो बोली- यह क्या कर रहे हो?
मैंने उससे कहा- यार मत रोको मुझे.. मैं एक बार इसे किस करना चाहता हूँ।
उसने कहा- पर जल्दी करना.. मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता।

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