अनिल भैया मुझे उपर रूम तक लेकर आए, और मेरे कपड़े दे कर नीचे चले गये. लगभग एक घंटे बाद मुझे किसी लड़की के चीखने की आवाज़ आई तो मैं रूम का गाते ओपन करने गया. मैने देखा मेरे रूम का गाते बाहर से लॉक था. फिर थोड़ी देर में आवाज़ कम हो गयी. इसलिए मैं भी सो गया.
नेक्स्ट मॉर्निंग:-
मैं बेड पर सो रहा था. मैने ओन्ली वाइट पाजामा पहना हुआ था. तभी 8 बजे अचानक गाते खुला. कुलदीप मेरे रूम में आए.
कुलदीप: फ़ारूक़ जल्दी उठ, पंगा हो गया.
मैं अचानक से उठा तो देखा कुलदीप ओन्ली ब्लॅक अंडरवेर में मेरे सामने खड़ा था, जिसमे उसका लंड का उभार नज़र आ रहा था. कुलदीप तोड़ा सावला, मस्क्युलर, हेरी बॉडी, 5.9 फीट हाइट, 33 आगे, बॉडी तो अनिल भैया से अची बनाई हुई थी. तभी नीचे से अनिल भैया की आवाज़ आई-
अनिल: क्या हुआ, जल्दी उठा उसे. साथ चलेगा वो.
हम दोनो अनिल भैया को देखने नीचे आए, तो देखा वो एक सेक्सी हॉट लड़की को कुछ पैसे दे रहे थे. अनिल भैया भी ब्लू नॉर्मल अंडरवेर में थे. भैया का जिस्म शेव्ड था, पुर शरीर पर कही भी बाल नही थे.
अनिल: फ़ारूक़ यार जल्दी कपड़े पहन, टॉ जी ने सब को बुलाया है. पता नही क्या हो गया बहुत गुस्से में है वो.
कुलदीप: यार रात का पता चल गया तो हम सब तो गये.
मैं बहुत दर्र गया था. मॅन में सोच रहा था की यहा क्यूँ आया. हम जल्दी-जल्दी कार से टॉ जी के पास गये. वाहा देखा टॉ जी ने सब को रात वाली हवेली में बुलाया था. थोड़ी देर बाद टॉ जी आए, और उनके साथ वीरेंदर उनका चमचा.
वीरेंदर: रात की पार्टी सब को याद तो होगी ही? रात में मलिक को एक लोंड़िया मज़े दे रही थी याद है?
सब ज़ोर से बोले: हा उसे कैसे भूल सकते है. क्या कड़क माल थी वो.
टॉ जी (गुस्से में): हा वही कड़क लोंड़िया. जब मैं बिस्तर पर आया, तब वो नही थी कोई और थी मेरे बिस्तर पर. अब ये बताओ मदारचोड़ो,
तुम में से किसकी इतनी हिम्मत हो गयी लोंड़िया की छूट बिना छोड़े मेरे बिस्तर से भागने की? बोलो हरंखोरों! बोलो!
वीरेंदर: कल छ्होटे साहब की बारात है. परसो मॉर्निंग से पहले मलिक को वो लोंड़िया चाहिए. जो लेकर आएगा मलिक ने उसके लिए कुछ ख़ास सोचा है. अब जाओ यहा से, और ये बात घर की औरतों तक नही जानी चाहिए समझे की नही?
सभी लोग ये बात सुन कर उस लोंड़िया को खोजने में लग गये. लेकिन उनको क्या पता की वो तो लोंड़िया थी ही नही, वो तो लोंदा है जिस पर मालिक का दिल आ गया था. कुलदीप भैया ने मेरा हाथ ज़ोर से पकड़ा और कार में बिता कर फुल स्पीड से खेत वाली हवेली ले आया.
मैं (घबराते हुए): भैया मुझे घर जाना है. प्लीज़ ये सबसे मुझे डोर रखो प्लीज़.
अनिल: रुक यार कुछ सोचने दे, रोना बंद कर. रात में तूने कपड़े कहा खोले थे? पहले तो वो खेत से निकाल कर कही डोर फेंक कर आता हू.
ये बोल कर अनिल भैया कार से बाहर जेया कर कपड़े फेंकने चले गये. मैं उपर रूम में चला जेया रहा था, की तभी पीछे से कुलदीप ने बहुत तेज़ आवाज़ में बोला-
कुलदीप: और नाच गांद हिला-हिला कर सेयेल. पता नही ऐसा क्या देख लिया टॉ जी ने तेरे बदन में?
ये बोलते-बोलते वो मेरे पीछे-पीछे आने लगे. मैं बहुत दर्र गया था, इसलिए मैं रूम में चला गया. उन्होने मुझे पीछे से पकड़ लिया, और मेरा कुर्ता पीछे से पकड़ कर फाड़ दिया.
मैं: ये क्या कर रहे हो? मुझे जाने दो.
कुलदीप: बहुत गर्मी है ना तेरे अंदर, रुक अभी निकालता हू.
ये बोलते ही उन्होने एक लंबा सा किस मेरे लिप्स पर दे दिया, और पीछे से मेरी गांद दबाने लगे. मेरे मूह में अपनी जीभ डाल-डाल कर मेरा मूह छोड़ते-छोड़ते भैया ने अपनी पंत उतार दी. कुलदीप मेरे बाल पकड़ कर, मुझे नीचे अपने लोड के पास मेरा मूह करके बॉल्स को मेरे मूह पर, तो कभी अपने लोड को मेरी मूह पर मार रहे थे.
उनका लोड्ा 7 इंच का था, लेकिन मोटा बहुत था. लोड पर नास्से बहुत फूली हुई थी. कुलदीप ने लोड के आस-पास एक-दूं क्लीन शेव कर रखी थी. मेरा मूह खोल कर पूरा लोड्ा मेरे मूह में ही डाल दिया, और बहुत गुस्से में मेरे मूह की चुदाई करने लगे. मेरा मूह कुलदीप के प्रेकुं से पूरा गीला हो गया था. प्रेकुं बाहर भी निकल रहा था.
कुलदीप: टॉ जी के लंड की सवारी करते टाइम ही समझ गया था मैं तो, की तुझे लोड लेना पसंद है साली.
ये बात सुन कर मैं सोचने लगा की हा मुझे रात में मज़े तो बहुत आ रहे थे. ये सोचते-सोचते मैं अपने लंड को भी पाजामे से बाहर निकाल कर कब हिलने लगा, मुझे पता ही नही चला.
कुलदीप: अछा सेयेल, अब तुझे भी मज़े आ रहे है. रुक अब और मज़े देता हू.
कुलदीप ने मुझे कंधे पर उठा कर बिस्तर पर फेंक दिया, और एक-दूं से मेरे सारे कपड़े फाड़ दिए.
कुलदीप: बीसी गांद है तो मस्त तेरी. रात वाली रांड़ भी शर्मा जाए तेरे बदन को देख कर. मोटी-मोटी गांद, मोटे-मोटे रसीले चुचे, मस्त बदन है साली तेरा.
कुलदीप मेरे मोटे-मोटे चुचे मसल-मसल कर चूसने लगा. मेरा तो खुद पर जैसे कोई कंट्रोल ही नही रहा. ये सब मेरे लिए चरमसुख पाने जैसा था. कुलदीप बहुत ज़ोर-ज़ोर से चुचो को चूज़ जेया रहा था. फिर वो अपने लोड को मेरे मोटे-मोटे चुचो के बीच लगा कर मेरे मूह में झटके देने लगा.
कुलदीप: और मज़े लेगी मेरी रांड़, बोल अपने मालिक को?
मैं: हा मुझे और मज़े चाहिए.
कुलदीप: मेरा लोड्ा पसंद था तो क्यूँ नाटक कर रही थी साली? चल अब गांद रेडी कर ले, आज फाड़ दूँगा. भोंसड़ी की साली.
कुलदीप अपनी पंत से कॉंडम निकाल कर लोड पर लगा कर बाथरूम में साबुन से मेरी गांद चिकनी करने लगा. उसने मुझे डॉगी स्टाइल में, मेरे दोनो हाथो को पीछे से पकड़ लिया, और एक तेज़ झटके के साथ अपना टोपा मेरी गांद में डाल दिया.
कुलदीप: आअहह मॅर गया मैं, बाहर निकालो प्लीज़.
कुलदीप ने टोपा बिना बाहर निकाले ही मेरे मूह में अपनी अंडरवेर घुसा दी, और मेरे मूह को हाथ से पकड़ कर एक झटका और मारा. इससे पूरा लोड्ा मेरी गांद में गया. मेरी तो दर्द से हालत ही खराब होने लगी. कुलदीप बहुत तेज़-तेज़ झटकों से गांद फाड़ चुदाई कर रहा था.
मेरी आँखों से आँसू रुक ही नही रहे थे. बेडशीट पर भी खून गिर रहा था. अब समझ आया रात में क्यूँ लड़की चिल्ला रही थी. साला छोड़ता ही ऐसे था.
कुलदीप: रंडी क्या मस्त टाइट गांद है तेरी. पूरा लोड्ा कस्स रखा है.
10 मिनिट तेज़-तेज़ झटकों के बाद कुलदीप ने लोड्ा बाहर निकाल कर खून सॉफ करा, और मेरी गांद को बातरूम में ले जेया कर सॉफ करने लगा. मैं अभी भी रो रहा था.
मैं: प्लीज़ जाने दो, गांद में मत डालो प्लीज़.
कुलदीप कॉंडम निकाल कर बोला-
कुलदीप: कोई नही चूस ले. वैसे भी जो दर्द होना था वो हो गया.
मैं बातरूम में ही लोड्ा चूसने लगा
कुलदीप: आआ ह्म क्या मस्त चूस्टा है यार. टॉ जी क्या, कोई भी तुझे देख कर कंट्रोल कर ही नही सकता. सला अनिल ही चूतिया है, जो अभी तक तेरी गांद नही ली.
तभी बातरूम के बाहर से आवाज़ आई: तो अब कों सी देर हो गयी है?
अनिल भैया बाहर नंगे खड़े थे, और अपना 7 लिंच लंबा, और मोटा लंड हिला रहे थे. दोनो दोस्तों का लंड एक-दूं सेम सा था. मैने फर्स्ट टाइम अनकट लंड देखे थे, वो भी 2-2. भैया को ऐसे देख कर मैं तो पागल ही हो गया, और भाग कर भैया को किस करने लगा.
2 मिनिट किस करने के बाद भैया सोफे पर बैठ गये. मैं उनका लोड्ा चूसने लगा, और कुलदीप मौके का फ़ायदा लेते हुए मेरी गांद में फिर से लोड्ा गुसा कर मुझे छोड़ने लगा. मेरी आवाज़ भी निकल नही पा रही थी. दोनो एक-दूसरे को ताली मार कर हासणे लगे.
अनिल: साला आज आया है हाथ में भोंसड़ी का. घर पर कभी मौका देता ही नही था, इसलिए गाओं लेकर आया था सेयेल को (भैया कॉंडम लगते हुए बोले).
मैं: आप बोलते तो क्या घर माना करता क्या?
ये बोलते ही मैने कुलदीप का लोड्ा बाहर निकाल कर भैया के लोड पर बैठ गया.
कुलदीप: ये गॉल्ट बात है. सला होने ही वाला था मेरा.
अब मेरी गांद बहुत खुल गयी थी. दर्द तो अभी भी था, लेकिन पहले से कम. दोनो ने बारी-बारी मेरी गांद मार कर सारा माल कॉंडम में ही निकाल दिया. गांद मारने के बाद अनिल भैया ने मुझे डॉगी स्टाइल में बना कर मेरा होल देखा. फिर सारा कॉंडम का माल मेरी गांद में डाल दिया
कुलदीप: साली की गांद को गुफा बना दिया है.
दोनो फिरसे हासणे लगे. हम तीनो ऐसे ही सो गये. दोपहर के 1 बजे हम तीनो रेडी हो कर शादी वाले घर पहुँच गये. अनिल और कुलदीप फंक्षन का काम करवाने में लग गये. मैं फ्री बैठा हुआ था. तभी वीरेंदर मेरे पास आया.
वीरेंदर: सब किसी ना किसी काम में बिज़ी है. तू एक काम कर, अगर मालिक को कुछ ज़रूरत हो तो देख लेना. मैं मार्केट जेया रहा हू.
मैने “ओके” बोल दिया. उसके बाद टॉ जी जो भी काम बता रहे थे, वो मैं कर देता था. अगले दिन बारात थी, तब तक टॉ जी और मेरी अची बात-चीत होने लग गयी थी. सब पता नही टॉ जी से क्यूँ डरते थे? वैसे वो इंसान बहुत आचे थे. रात में अनिल भैया मुझे अपने घर ले आए, अपने रूम में. भैया की वाइफ अपनी मा के यहा गयी हुई थी.
अनिल भैया: फ़ारूक़ यार बहुत गर्मी हो रही है. चल नहाते है.
मैं: एक साथ?
अनिल: यार मॉर्निंग में तेरी गांद मारने के बाद सला बार-बार गांद लेने का मॅन कर रहा है. फिर कल मौका मिले या नही.
मुझे दर्द तो अभी भी था. लेकिन मेरे अंदर की औरत रेडी थी. मैने जल्दी से रूम का लॉक लगाया, और हम कपड़े उतार कर बातरूम में शवर के नीचे एक-दूसरे को किस करने लगे.
अनिल भैया बहुत थके हुए थे, इसलिए वो टाइम वेस्ट ना करते हुए डाइरेक्ट आक्षन में थे. उन्होने मुझे बातरूम के फ्लोर पर लिटा कर, मेरी लेग्स उपर करके, सीधा गांद में अपना लोड्ा डाल दिया.
मैं: आहह आराम से डालो भैया. मॉर्निंग का दर्द अभी भी है.
भैया धीरे-धीरे झटके देने लगे. 5 मिनिट तक धीरे-धीरे करते हुए अचानक भैया ने फोन में सॉंग ओं कर दिया फुल वॉल्यूम में, जिससे मेरी आवाज़ बाहर ना जेया सके. फिर एक ज़ोर का झकते के साथ चुदाई बहुत तेज़ करने लग गये. कुछ देर बाद मेरी गांद इतनी हार्ड चुदाई से सुन्न हो गयी. अब मुझे कोई दर्द फील नही हो रहा था.
मैं: आआ ह्म, और तेज़ करो भैया.
भैया मेरे उपर पानी डालते-डालते मेरी गांद में लोड्ा इतना जल्दी-जल्दी अंदर-बाहर कर रहे थे, की मैं पूरा मदहोश हो गया था.
अनिल: फ़ारूक़ मेरी जान, सबसे पहले तेरी गांद मैं लेना चाहता था. तूने कुलदीप को मौका दे दिया. टॉ जी जब तेरे मज़े ले रहे अब भी बीसी. मैने तो डोर से तेरा बदन देख कर ही अपना माल निकाल दिया था.
मैं: इतना प्यार करते हो आप?
अनिल: तू है ही इतना गोरा और कमसिन, काली जैसा. मैं क्या, कोई भी तुझे छोड़े बिना नही रह सकता. तुझे कितने सालों से छोड़ना चाहता था. आज मौका मिला है, वो भी 2-2 बार. लोवे योउ जान.
हम दोनो किस करने लगे. दोनो पुर मूड में थे. अब अनिल मेरा लोड्ा अपने हाथ से उपर-नीचे करने लगा. ये चुदाई मुझे अंदर तक फील हो रही थी. अनिल ने मुझे खड़ा किया, और शवर के नीचे मेरी गांद मरने लागा. उसका लोड्ा और शवर का पानी दोनो मेरी गांद पर आ रहे थे. चुदाई से पानी उछाल-उछाल कर पच-पच की आवाज़ से पूरा बातरूम गूँज रहा था.
अनिल के लंड ने तो जैसे आज सुरंग ही बना दी थी. मुझे भी बहुत मज़े आ रहे थे. मैं अपना लोड्ा हिलने लगा. मेरा माल बातरूम की दीवार पर गिर गया, और 5 मिनिट बाद अनिल का माल मेरी गांद में ही गिर गया.
मेरी गांद अंदर तक गरम-गरम लावे से भर गयी. भैया के गरम-गरम माल से जैसे मेरी गांद की सूजन को राहत ही मिल गयी थी. फिर भैया ने मुझे दर्द की दवाई दी. हम दोनो बहुत तक गये थे, की बेड पर जाते ही नींद आ गयी.