ज़ोया चुदी अपने अब्बू से

चाहीे अपने मोहल्ले मेी हो या स्कूल मेी फ़ातिमा और ज़ोया दोनो एक दूसरी की बेस्टफ्र्ीएंड थी बाकी लड़कियो से बात होती थी. लेकिन ख़ास वाली बाते सिर्फ़ ये दोनो आपस मेी ही होती थी. इन दोनो की दोस्ती कब आके बद्ध गयी पता न्ही लगा.

एक तरफ जगह कल एग्ज़ॅम था वही शाम को फ़ातिमा और ज़ोया दोनो लेज़्बीयन सेक्स मेी डुब्बी हुए थी. रिज़ल्ट ये हुआ की दोनो फैल हो गयी. जैसे तैसे स्कूल ख़तम हुआ और कॉलेज मेी अड्मिशन हुआ और वाहा भी दोनो की रंगलीलया जारी रही. दोनो को एक दुरसे से सेक्स करने मज़ा आ रहा था और उन दोनो को बस जैसे एक दूसरे मेी ही अपना फ्यूचर दिख रहा था.

ऐसे ही काई महीने बीट जाते है और ज़ोया काफ़ी ताकि ताकि सी लगती है. और ज़ोया का ताकपन फ़ातिमा से देखा नही जाता और उससे पूछ लेती है-

फ़ातिमा :- ज़ोया! तू मुझे कुछ छुपा रही है.

ज़ोया :- अरे मेरी जान तेरे से, क्या कुछ छुपौँगी…?

फ़ातिमा :- तू बहोट ताकि ताकि सी लगती है, तेरी अम्मी ज़्यादा काम करवाती है क्या घर का?

ज़ोया ( तोड़ा शर्मा के) :- हन काम तो बहोट करना पढ़ता है, लेकिन काम करवाने वाली अम्मी न्ही है.

फ़ातिमा :- फिर कों है जो तेरे से इतना काम करवाता है?

ज़ोया ( तोड़ा और लज्जा के) :- अरे वो अब्बू का करती हू.

फ़ातिमा :- ऐसा क्या काम करती है, अब्बू का जो इतना थक्क जाती है?

ज़ोया :- जबसे से अम्मी नाना के घर गयी है तबसे जो अम्मी अब्बू के लिए करती है, वो मैं करती हू..

फ़ातिमा :- अछा, तेरी अम्मी तो तेरे अब्बू को छूट भी देती, तो क्या तू भी देती है पागल..?

ज़ोया ( शर्मा के अपना मूह छिपा लेती है) :- अब्बू माँगते है, तो उनको माना न्ही किया जाता यार..

ये सुनकर फ़ातिमा के कान के पर्दे जेसे फट गये हो.

फ़ातिमा :- साली, सच बोल!

ज़ोया :- फ़ातिमा, जान अभी मुझे पता है लंड से चूड़ने मेी जो मज़ा है और अपन दो के सेक्स करने मेी कभी न्ही आ सकता.

फ़ातिमा :- साली ये कब की बात है?

ज़ोया :- रोज़ रात की..

फ़ातिमा :- और कितने दिन हो गये?

ज़ोया :- 1 महीना हो गया है.

तभी ज़ोया अपना बाग खोल कर उसमे से कॉंडम का पूरा डब्बा निकल कर फ़ातिमा को दिखती है और कहती है-

ज़ोया :- देख इसमे बस एक कॉंडम बचा है और आज रात मेी ख़तम और जाएगा, घर जाते टाइम कॉंडम का पॅकेट न्ही कारीदना है यार.

फ़ातिमा :- साली, तू अंकल से 1 महीने से सेक्स कर रही है और तू मुझे अभी बता रही है कामिनी साली!!

ज़ोया :- पता है, कल अब्बू मेरी गंद मेी लंड गुसाए हुए थे और मैं रोटिया सेक रही थी, तभी अम्मी का फोन आया और अम्मी ने बोला-

अम्मी :- ज़ोया बेटी, यहा 1 महीना और लगेगा तब तक अपने अब्बू और घर का ख़याल रखना.

ज़ोया :- अब्बू ने जेसे ही ये खबर सुन्नी, अब्बू ज़ोर ज़ोर से मेरी गंद मारने लगे और कॉंडम को फाड़ते हुए अपने लंड का माल मेरी गंद मेी ही गिरा दिए.

फ़ातिमा :- साली,ये बात पहले क्यू नही बताई??

ज़ोया :- यार मुझे शर्म आ रही थी और मेी तोड़ा घबरा भी रही थी.

फ़ातिमा :- और अभी क्या हुआ जो इतना शर्मा शर्मा के बताए जा रही है जो!

ज़ोया :- 1 महीने से चुड रही हू, गबराहट और दर सब ख़तम हो गया अब.

फ़ातिमा :- साली असली मज़े तो तू ले रही है ज़िंदगी के, ये बता तेरे अब्बू मे ऐसा क्या किया और जो तू चूड़ने के लिए राज़ी हो गयी?

ज़ोया :- अरे फ़ातिमा जान, वो पल मे कभी न्ही भूल सकती हू.

फ़ातिमा :- अछा ज़रा बता तो मैं भी तो सुनू.

ज़ोया :- अम्मी के जाने की कुशी मेी अब्बू ने उस दिन इतनी पी इतनी पी की अपने पैरो पर तक खड़े न्ही हो पा रहे थे. तभी उनको बातरूम आया और जैसे बातरूम के गाते तक पहुचे वही गिर पढ़े. मैं जाके उठाई और बातरूम के अंदर ले गयी.. और अब्बू बोले-

अब्बू :- नड्डा खोल के लंड भी निकल ही दे.

ज़ोया :- मैं घबराते हुए अपना हंत उनके लंड पर राक दी. लेकिन जेसे ही उनके लंड को अपने हंतो मे सही से पकड़ कर बाहर निकल. तब तक खड़ा हो गया था

तभी अब्बू ने अपना हाथ मेरे हाथ के उपर से पकड़ कर मूतने लगे.

ज़ोया :- फ़ातिमा जान यार, एक तो उनका लंड खड़ा उपर से उनके लंड से निकलती मट की गरम घारा, बिल्कुल झरना जैसा लग रहा था यार…

फ़ातिमा :- उसके बाद??

ज़ोया :- अरे जैसे उनकी लंड की धारा बंद हुए, अब्बू ने वही खड़े खड़े मूठ मारने लगे. पता न्ही दारू मे क्या ताक़त थी. 20 मिंट तक मूठ मरने के बाद जाके उनका लंड झारा. लेकिन उसके बाद मेरी कलाया दर्द करने लगी.

अब्बू :- ज़ोया पता है तेरी अम्मी तेरे नाना के घर क्यू गयी है??

ज़ोया :- नही पता अब्बू…

अब्बू :- वो बहनचोड़ है ना..

ज़ोया :- कों अब्बू?

अब्बू :- तेरा मामू, साला बहनचोड़! उसी से छुड़वाने गयी है तेरी अम्मी.

फ़ातिमा :- क्या है सही मेी तेरी अम्मी इसलिए गयी थी??

ज़ोया :- पता नही यार अब्बू बोलते गये मेी बस सुनती गयी, क्या पता क्या सच है.

फ़ातिमा :- उसके बाद क्या हुआ?

ज़ोया :- अब्बू ने मेरी गर्दन पकड़ी और वही मुझे बिता कर मेरे मूह मेी लंड डाल कर मेरी मूह के चुदाई करने लगे.

फ़ातिमा :- वाह साली वाह!!!

ज़ोया :- उसके बाद अब्बू मुझे अपनी गोध मेी उठा कर अपने कमरे मे ले जाकर पहले तो मेरे पूरे कपड़े उतारे फिर अपने और मेरी छूट मेी अपनी जीब लगाए छाते जेया रहे थे.

फ़ातिमा :- अरे वाह, अब तो साली मेरी छूट भी गीली हुए जा रही है.

ज़ोया :- लेकिन जेसे ही अपने लंड का टोप्पा मेरी छूट मेी गुसाया वैसे निकल लिया.

फ़ातिमा :- ऐसा क्यू किया तेरे अब्बू ने??

ज़ोया :- अब्बू बोले-

अब्बू :- नही ज़ोया, तेरी छूट मेी कोई दाग न्ही लगना चाहिए इसलिए बिना कॉंडम पहने मैं ये लंड तेरी छूट मेी नही डाल सकता.

फ़ातिमा :- वाह बहनचोड़ सही आदमी है तेरा अब्बू तो.

ज़ोया :- हन, उसके बाद रात भर मेरी छूट छाती और सुबा होते ही कॉंडम का पूरा डब्बा ले आए और वो दिन है और आज का दिन है,.जिस रफ़्तार मेी पहले दिन मेरी सील थोड़ी थी. आज भी उससी स्पीड से मेरी छूट की गजराइयो मेी चलते चले जाते है.

ज़ोया :- एक बात तो बताना ही भूल गयी..

फ़ातिमा :- क्या..?

ज़ोया :- जबसे मेरी और अब्बू की चुदाई चालू हुए है अब्बू मुझे अम्मी की कपड़ो मे ही छोड़ते है. हर एक चीज़ अम्मी की पनटी, ब्रा सूट साकवर सब कुछ. कभी कभी तो मैं टक्क जाती हू लेकिन अब्बू तो थकने का नाम ही नही लेते.

ज़ोया :- वैसे वो आज रात वाला प्रोग्राम तोड़ा कॅन्सल करते है ना, वो अब्बू और मैं तोड़ा बाहर निगटौट का प्लान है.

फ़ातिमा :- जा साली जा..

घर आकर फ़ातिमा के दिमाग़ मे बस ज़ोया की कही बाते ही दिमाग़ मेी घुमा जा रही थी. और वही बाते सोच सोच कर फ़ातिमा की छूट भी गरम सी हो गयी. जिसके फ़ातिमा अपने कमरे मेी गयी और वही पनटी के अंदर हंत डाल कर उंगली डाल कर शांत होने लगी. लेकिन फ़ातिमा के दिमाग़ मेी ये बात उतार ही नही रही थी.. की ज़ोया के अब्बू ने ज़ोया से सेक्स करने के लिया ज़ोया को मनाया कैसे?

एक बार तो फ़ातिमा का मॅन हुआ की सिड्डा उससे पूछ लू. लेकिन तभी उसके मॅन मे ख़याल आया कही ज़ोया को यह ना लगे की वो इश्स मामले मेी उससे पीछे है और वो अपने अब्बू को राज़ी न्ही कर सकती. इसलिए फ़ातिमा ने सोचा अगर ज़ोया का अब्बू ज़ोया को छोड़ने के लिए राज़ी कर सकता है, तो वो भी अपनी अब्बू को अट्रॅक्ट कर सकती है.

(तो बे कंटिन्यूड)

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