Young Girl Usha Ki Chudai Kahani

थोरि देर के रमेश अपनि सस को बिसतर पर लिता कर उसकि चूत से अपना मुनह लगा दिया और अपने जीव से उसकि चूत को चतना शुरु कर दिया। चूत मे जैसे हि रमेश का जीव घुसा तो रजनि जी अपनि कमर उचकते हुए बोलि, “उम्मम्म, अह्हह, ऊइ मा, रजा अभि चोरो ना कयु तदपते हो, मैं जाल रहि हुन, तुमहरा लुनद मुझे चुसना है। तुमहरा लुनद तो घोदे जैसे है, मुझे दर लाग रहा है जब तुम अनदेर मेरे चूत मैं दलोगे तो चूत फात जयीगि, मेरि चूत का बहूत चोता है और जयदा चुदि भि नही है। आज तुम पहली बर मेरि चूत मे अपन लुनद दलने जा रहे हो। अरम अरम से दलना और बरे पयर से मेरि चूत को चोदन”

तब रमेश ने अपना लुनद अपनि सस कि चूत के बरबर लगते हुए बोला, “कोइ बत नहि मजी, अपकि चूत को जो भि कमि पहले थी अब उसको मैं पुरा करुनगा। मैं अब रोज़ अपकि और अपकि बेति को एक हि बिसतर पर लिता कर अपनलोगोन कि चूत चोदुनगा।” एह सुनते हि उशा अपने मुम्मी से बोलि, “मा अब तो तुम खुश हो? अब से रोज़ तुमहरा दमद तुमको और मुझको ननगी करके हुमरि चूत चोदेगा। हन अगर तुम चहो तो तुम अपनि गनद मे भि अपने दमद का लुनद पिलवा सकती हो।” इतना कह कर उशा ने रमेश से बोलि, “मेरे पयरे पति, अब कयोन देर कर रहे हो। जलदी से अपना एह खरा लुनद मेरि मा कि चूत मे पेल दो और उनको तबियत के सथ खूब चोदो। देख नही रहे हो कि मेरि मा तुमहरा लुनद अपनि चूत मे पिलवने के कितनि बेकरर है। लओ मैं हि तुमहरा लुनद पकर कर पनि मा कि चूत मे दल देति हुन,” और उशा ने अपने हथोन से पकर कर रमेश का लुनद उसके सस कि चूत पर लगा दिया। रमेश का लुनद को चूत से लगते हि रजनि जी ने ने अपनि कमर हिलना शुरु कर दिया और रमेश नेब हि अपना कमर हिला कर अपना लुनद अपने सस कि चूत मे दल दिया। रजनि जी कि चूत अपने पति के देहनत के बद से चुदि नही थी और इसलिये बहुत तिघत थी और उसमे अपना लुनद दलने मे रमेश को बहुत मज़ा मिल रहा था। रजनि जी भि अपने दमद का लुनद अपनि चूत मे पेलवा कर सतवेन असमन पर पहुनच गयी थी और वो बरबरा रही थी, “आआअह ऊऊऊह आराम सय दालो यार, मेरि चूत ज़यादा खुलि नहिन है। पलीईएज़ पूरा लुनद मत दलो नहि तो मेरि चुत पथ जयेगि, उहि मा मार गै, ओह, आह, हन, मेरि चूत फर दो, हन, ज़ोर सय, और ज़ोर से, रजा है मथेरचोद रमेश आज मेरि चूत फार दो आआअह आआआह ऊऊऊह ज़ोर सय दलो, और ज़ोर सय दलो, आज जितना ज़यादा मेरि चूत कय साथ खेल सकतय हो खेलो, रजा येह लुनद पूरा मुझय दय दो, मैन इस कय बिना नहिन रेह सकति, पूरा लुन दलो, उम्मम्मम आआह आआआह” “उम्मम्मम आआआआह फ़ुसक मे गूद, उम्मम्मम्म अह अह अह ओह्ह ओह नो। मैं चूत कि खज से मरि जा रही हुन, मुझे जोर जोर से धक्के मर मर कर चोदो।” थोरि देर के बद रजनि जी ने अपने दमद को अपने चरोन हथ और पैर से बनध कर बोलि, “आआअह आआआआआह उम्मम्मम्म, चोदो मुझय ज़ोर सय उम्मम्मम्मम्म, उफ़ मथेरचोद बोहुत मज़ा आ रहा है, पलेअसे रुकना नही, ओह मुझे रगर कर चोदो, ज़ोर सय चोदो, अपना लुनद पूरा मुझ को दे दो, तुम जैसय कहोगे मैन वैसय करूनगि लयकिन मुझय और चोदो, तुम बहुत अस्सह्हा चोदते हो, मुजही आज बोहुत ज़यादा चोदो भेनचोद तुमहरा लुनद तो तुमहरे ससुर से भि बरा है, चोदो मुझय नहिन तो मैन मर जावँगि, अभि तो तुम नय मेरि गानद भि मरनि है।”

थोरि देर तक रजनि जी कि चूत चोदने के बद रमेश ने अपनि सस से पुचा, “मा जी केरि चिदौ आप को कैसि लग रही है?” रजनि अपने दमद कि लुनद के धक्के अपने चूत से खति हुइ बोलि, “मेरे पयरे दमद जी बहुत अस्सह्हा लग रहा है। मुझे तुमहरि चुदै बहुत अस्सह्ही लग रही है। तुम चूत चोदने मे बहुत हि महिर हो। बदाअ मजा आ रहा है मुझे तुमसे चोदवने मेन देअर ऊओह्हह्हह देअर तुम बहुत अच्चहा चोदते हो आआह्हह्हह्ह ऊऊऊह्हह्हह्हह्हह्ह ऊऊओफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़ द्दीआर्रर यौ अरे अन एक्सपेरत। तुमहे मलुम है कि कैसे किसि औरत कि चूत कि चुदै की जति है और तुमहे एह भि मलुम है कि एक औरत को कैसे कैसे सुख दिया जा सकता है। ययून्न ही हान द्दीआर्र यून्न ही चोदो मुझे…बस्स चोदते जाओ मुझे आब्ब कुछ नहिन पुछो आअज जी भार के चोदो मुझे देअर हान देअर जम्म कार चोदै करो मेरि तुम बाहुत अच्चहे हो बास्स ययून हि चोदै करो मेरि…ऊऊह्हह्हह्हह…।। खूब चोदो मुझे…” और रमेश अपनि सस को अपनि पुरि तकत के सथ चोदता रहा।

रमेश अपनि सस कि बत सुन सुन कर बहुत उत्तेजित हो गया और जोर जोर से अपने सस कि चूत मे अपना लुनद पेलने लगा। थोरि देर के बद रमेश को लगा कि अब वो झने वला है तो उसने अपनि सस से बोलि, “ससुमा मैं जादने जर अहा हुन।” तो रजनि जी बोलि, “रजा, पलेअसे मेरि चूत के अनदर हि झरो” और रमेश अपना लुनद पुरा पुरा का अपनि सस कि चूत मे थनस कर लुनद कि पिचकरी चोर दिया। थोरि देर के रजनि जी बिसतर पर उथ खरि हुए और सीधे बथरूम मे जा कर घुस गयी। थोरि देर के बद अपनि चूत धो धा कर रजनि जी फिर से कमरे घुसि और मुसकुरा कर अपने दमद से बोलि, “है! मेरे रजा आज तो तुमने कमल हि कर दिया। तुमतो सिरफ़ एक झरे लेकिन मैं तुमहरी चुदै से तीन बर झरी हुन। इतना जोरदर चुदै मैने कभी नही की। मेरि चूत तो अब दुख रहा है।” तभि उशा, जो कि अपने पति और अपने मा कि चुदै देख रही थी, बोलि, “मा अपने दमद का लुनद अपनि चूत मे पिलवा कर मज़ा अया? मेरि शदे कि पहलि रत तो मैं बिलकुल मर सि गयी थी और अब इस लुनद से बिना चुदवा कर मेरि तो रूत को नीद हि नही आती। मैं रोज़ कम से कम एक बर इस मोता तगरा लुनद से अपनि चूत जरूर चुदवती हुन या अपनि गनद मरवति हून।” तभि रमेश ने अपने सस को अपने बहोन मे भर कर बोला, “माजी, एक बर और हो जये अपकि चूत कि चुदै। मैं जब तब कम से कम दो या तीन बर नही चोद लेता मेरा मन्नही भरता।” रजनि जी बोलि, “अरे थोरा रुको, मेरि चूत तुमहरी चुदै से तो अब तक कल्ला रही है। अब तुम एक बर उशा कि चूत चोद दलो।” “नही माजी, मैं तो इस वकत अपकि चूत या गनद मे अपना पेलना चहता हुन। आपकि लरकी कि चूत तो मैं रोज़ रत को चोदता हुन, मुझे तो इस समय आपकि चूत या गनद चोदने कि इस्सह्हा है।” तब उशा अपने मा से बोलि, “मा चुदवा ना लो और एक बर। अगर चूत बहित कल्ला रही है तो अपने गनद मे ले लो अपने दमद का लुनद। कसम से बहुत मज़ा मिलेगा।” तब रजनि जी बोलि, “तीख है, जब तुम दोनो कि एही इस्सह्हा है, तो सहलो मैं एक बर फिर से चुदवा लेति हुन। लेकिन इस बर मैं गनद मे रमेश का लुनद लेना चहती हुन। और दो मिनुत रुक जओ, मिझे बहुत पयस लगी है मैं अभि पनि पी कर आती हुन।” तब उशा अपने मा से बोलि, “अरे मा रमेश का लुनद बहुत देर से खरा है औरा ब पनि पीने जा रही हो? इनहा बिसतर पर लेतो मैं तुमहरी पयस अपनि मुत से बुझा देति हुन।”

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इतना सुनते हि रजनि जी बोलि, “थीक है ला अपनि मुत हि मुझे पिला मैं पयस से मरि जा रही हुन” और वो बिसतर पर लेत गयी। मा को बिसतर पर लिता देख कर उशा भि बिसतर पर चर गयी और अपने दोनो पैर मा कि सर के दोनो तरह करके बौथ गयी और अपनि चूत रजनि जी के मुनह से भिरा दिया। रजनि जी भि अपनि मुनह खोल दिया। मुनह खुलते हि उशा ने पिशब कि धर अपने मा कि मुनह पर चोर दिया और रजनि जी अपनि बेति कि मुत अबरे चब से पिने लगी। पिशब पुरा होने पर उशा अपने मा के ऊपर से उथ खरि हो गयी और रजनि जी के बगल मे जा कर बैथ गयी। तब रमेह ने अपने सस के बहोन को पकर कर उनको बिसतर पर उलता लेता दिया और उनके कमर को पकर कर उनके चुतर को उपर कर दिया। जैसे रजनि जी घोरि बन कर बिसतर पर असन लिया तो रमेश अपने मुनह से थोरा सा थुक निकल कर अपने सस कि गनद मे लगा दिया और अपना लुनद को अपने हथोन से पकर कर अपनि सस कि गनद कि चेद मे लगा दिया। रजनि जी तब अपनि हथोन से अपनि बेति कि चुनचेओन को मसलते हुए बोलि, “रमेश मेरे रजा, मैने आज तक कभि गनद नहि चुदवया है और मुझको पता है कि गनद मरवने मे पहले बहुत दरद होता है। इसलिया तुम अरम अरम से मेरि गनद मे अपन लुनद दलना। जैसे हि रमेश ने जोर लगा कर अपना लुनद का सुपरा अपनि सस कि गनद मे घुसेरा तो रजनि जी चिल्ला उथि, “आआआह ऊऊऊऊह आआआआह कया कर रहय हो, मैन मर जावँ गि, रजा तुम नय मेरि गानद फर कय रख दोगेय, मैन नय पेहलय कभि गानद नहिन मरवै पलीज़ मेरे लला अहिसता से करो।” अपनि मा को चिल्लते देख उशा ने रमेश से बोलि, “कया कर रहे हो, धिरे धिरे अरम अरम से से पेलो ना अपनि लुनद। देख नही रहे हो मेरि मा मरि जा रही है। मा कोइ भगि थोरि ना जा रही है।” रमेश इतना सुन कर अपनि बिवि से बोलि, “कयोन चिनता कर रही हो। तुमको अपनि बत यद नही। जब मैने पहली बर अपना लुनद तुमहरी गनद मे पेला था तो तुम कितना चिल्लै थी और बद तुमही मुझसे बोल रही थी, और जोर से पेलो, पेलो जितना तकत है फर दो मेरि गनद, मुझको बहुत मज़ा मिल रहा और मैं तो बा ओज़ तुमसे अपनि गनद मे लुनद पिलवौनगी।” उशा अपने पति कि बत सुन कर अपनि मा से बोलि, “मा थोरा सा सबर करो। अभि तुमहरि गनद कि दरद खतम हो जयेगा और तुमको बहुत मज़ा मिलेगा। रमेश जैसा लुनद पेल रहा है उसको पेलने दो।” तब रजनि जी बोलि, “वो तो थीक है, लेकिन अभि तो मेरा गनद फता जर अहा है, और मुझको अब पिशब भि करमा है।” रमेश अपनि सस कि बत सुन कर उशा से बोला, “उशा तुम जलदी से कितचेन मे से एक जुग लेकर आओ और उसको अपनि कि चूत के नीचे पकरो।” उशा जलदी से कितचेन मे से एक जुग उथा कर लयी और उसको अपनि मा कि चूत के नीचे रख कर मा से बोलि, “लो अब मुतो। तुम भि मा एक अजीब हि हो। उधर तुमहरा दमद अपना लुनद तुमहरे गनद मे घुसेर रखा है और तुमको पिशब करनी है।” रजनि जी कुच नहि बोलि और अपने एक हथ से जुग को अपनि चूत के तीक नीचे लकर चर चर करके मूतने लगी। राजनि को वकै हि बहुत पिशब लगी थी कयोनकि जुग करीब करीब पुरा का पुरा भर गया। जब रजनि जी का पिशब रुक गया तो उशा ने जुग हता लिअ और जुग को उथा कर अपने मुनह से लगा कर अपनि माअ कि पिशब पीने लगी। एह देख कर रमेश रजनि जी से बोला, “अरे कया कर रही हो, थोरा मेरे लिये भि चोर देना। मुझको भि अपने सेक्सी सस कि चूत से निकला हुअ मीत पिना है।” उशा तब बोलि, “चिनता मत करो, मैं तुमहरे लिये अधा जुग चोर देती हुन।”

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थोरि देर के बद रजनि जी ने अपने दमद से बोलि, “बेता मैं फिर से तयर हुन, तुम मुझे आज एक रनदी के तरह चोदो। मेरि गनद पहद दो। मैं बहुत हि गरम हो गयी हुन। मेरि गनद भि मेरि चूत कि तरह बिलकुल पयसी है।” “अभि लो मेरि सेक्सी ससुमा, मैं अभि तुमहरा गनद अपने लुनद के चोतोन से फरता हुन” और एह कह कर रमेश ने अपना लुनद फिर से अपने सस कि गनद मे पेल दिया। गनद मे लुनद घुसते हि रजनि जी फिर जोर से चिल्लने लगी, “है! फद दल मेरि गनद फर दला। अरे कोइ मुझे बसहो, मेरि दमद और मेरि बेति दोनो मिल कर मेरि गनद फरवा दला।” तब उशा अपने मा से बोलि, “अरे मा कयोन एक चिनल रनदी कि तरह चिल्ला रही हो, चुप हो जओ और चुप चप अपने दमद से अपनि गनद मे लुनद पिलवओ। थोरि देर के बद तुमको बहुत मज़ा मिलेगा।” अपनि बेति कि बत सुन कर रजनि जी चुप हो गये लेकिन फिर भि उसकि मुनह से तरह तरह कि अवज निकल रही थी। “…।आआह्हह्ह……यययौऊ…।ऊऊउफ़्फ़फ़्फ़फ़…।।ईईईइस्सस्सस्सस्सह्हह्हह…।ऊऊओह्हह्हह्ह…।यययौउ…।।​ऊउफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़……एह…।।लुनद बहुत मोता और लुमबा है। ऊऊऊओम्मम्मम्माआआआह्हह्हह्हह…है! मैं मरि जा रही हुन। ऊऊउह्हह्हह्हह्हह……पलेअस्ससे…।आआआआअ…।ऊऊऊफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़…।धिरे…जरा धिरे पेलो मैं मरि जा रही हुन। अरे बेति, अपने पति से बोल ना कि वो जरा मेरि गनद मे अपना लुनद धेरे धेरे पेले। मुझे तो लग रहा कि मेरि चूत और गनद दोनो एक हो जयेनगे।” थोरि देर के बद रमेश अपना हथ अपने सस के समने ले जकर उनकि चूत को सहलने लगा और फिर अपनि उनगलेओन से उनकि चूत कि घुनदी को पकर कर मसलने लगा। अपनि चूत पर रमेश का हथ परते हि रजनि जी बिलबिला उथी और अपनि कमर हिला हिला कर रमेश के लुनद पर थोकर मरने लगी।

एह देख कर रमेश ने उशा से कह, “देख तेरि रनदि मा कैसे अपनि कमर कमर चला कर मेरे लुनद को अपने गनद मे पिलवा रही है। कया तुमहरि एहि मा अभि थोरि देर पहले अपनि गनद मरवने पर चिल्ला रही थी?” एह सुन कर उशा बोलि, “ओह्ह रमेश! कया बत है! देखो मेरि मा कया मज़े से अपनि गनद से तुमहरा लुनद खा रही है। देखो मेरि मा कैसे गनद मरवा रही है। मरो, मरो रमेश, मेरि मा कि गनद मे अपना लुनद खूब जोर जोर से पेलो। इसकि पुरे बदन मे लुनद के लिये खुजली भरी परि है। चोदो रमेश सलि कि गनद मारो बदि खुजला रहि थि!” रजनि जी अपनि गनद मे दमद का लुनद पिलवा कर सतवे असमन पर थी और बरबरा रही थी, “ओह्हह्ह! देखो उशा मेरि बेति! तुमहरि मा गनद मे लुनद लेकर चुदवा रहि है! तुम आखिर अपने मरद से मेरि चूत, गनद चोदवा हि लि! देखो सला रमेश कैसे चोद रहा है! सला सछा मरद है! दल औत दल रे! चोद ! मेरि गानद मर! मेरे बेति को दिखा! आह्हह ऊह्हह्हह्हह चोद चोद चोद ऐईइ!” रमेश अपनि बिवि और अपनि सस कि बत सुनतन रहा और अपना कमर चला चला कर अपनि सस कि गनद मे अपना लुनद पेलता रहा। थोरि देर तक रजनि जी कि गनद मरने के बद रमेश एक बर जोर से अपना पुरा का पुरा लुनद रजनि जी कि गनद घुसेर दिया और रजनि जी को जोर से अपने हथोन से जकर कर अपना लुनद का पनि अपने सस कि गनद ने चोर दिया। झरने के बद रमेश ने अपना लुनद अपने सस कि गनद

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