Young Girl Usha Ki Chudai Kahani

फिर उशा और रमेश अपने घर आ गये और उनहोने अपने अपने कम पर लग गये। रमेश अब पुरि तरह से दुती करता और रत तो उशा को ननगी करके खूब चोदता था। गोविनदजी भि कभि कभि उशा को मौका देख चोद लेते थे। फिर कुच दिनो के बद उशा और रमेश सथ सथ उशा के मैके पर गये। ससुरल मे रमेश का बहुत अब-भगत हुअ। उशा के जितनेय रिशतेदर थे उन सभि ने रमेश और उशा को खने पर बुलया। रमेश और उशा को मज़े हि मज़े थे। अपने ससुरल पर भि रमेश उशा को रत को दो-तीन दफ़ा जरूर चोदता था और कभि मौका मिल गया तो दिन को उशा को बिसतर पर लेता कर चुदै चलु कर देता था। एक दिन रमेश पस के किसि दुकन परा गया हुअ था। उशा कमरे मे बैथ कर पपेर परह रही थी। एकैक उशा को अपनि मा, रजनि जी जी, कि रोने कि अवज़ सुनै दिया। उशा भग कर अनदर गयि तो देखा कि रजनि जी भगवनजी के फोतो समने खरि खरि रो रही है और भगवनजी से बोल रही है, “भगवन तुमने ये कया किया। तुम मेरे पति इतनी जलदी कयोन उथा लियी और अगर उनको उथा लिये तो मेरी बदन मे इतना गरमी कयोन भर दिया। अब मैं जब जब अपनि लरकि और दमद कि चुदै देखता हुन तो मेरि शरेर मे आग लग जती है। अब कया करून? कोइ रशता तुमही दिखला दो, मैं अपनि गरम शरेर से बहुत परेशन हो गया हून।” उशा समझ गयी कि कया बत है। वो झत अपनि मा के पस जकर मा को अपने बहोन मे भर लिया और पीचे से चुमते हुए बोलि, “मा तुमको इतना दुख है तो मुझसे कयोन नही बोलि?” रजनि जी अपने आपको उशा से चुरते हुए बोलि, “मैं अगर तुझसे बता तो तु कया कर लेति? तुब हि तो मेरि तरह से एक औरत हि है?” “अरे मुझसे से कुच नही होता तो कया तुमहरा दमद तो है? तुमहरा दमद हि तुमको शनत करत” उशा अपनि मा को फिर से पकर कर छुमते हुए बोलि। “कया बोलि तु, अपने दमद से मैं अपनि जिसम कि भुख शनत करवौनगी? तेरा दिमग तो थिक है?” रजनि जी ने अपनि बेति उशा से बोलि। तब उशा अपने हथोन से अपनि मा कि चुनचेओन को पकर कर दबते हुए बोलि, “इसमे कया हुअ? तुम जिसम कि भुख से मरि जा रहि हो, और तुमहरा दमद तुमहरि जिसम कि भुक को मिता सकता है, अगर तुमहरे जगह मैं होति तो मैं अपने दमद के समने खुद लेत जति और उस्से कहती आओ मेरे पयरे दमदजी मेरे पस आओ और मेरि जिसम कि बुझओ।” “चल हत बरि चुद्दकर बन रहि है, मुझे तो एह सोच कर हि शरम आ रही है, कि मैं अपनि दमद के समने ननगी लेत कर अपनि तनग उथौनगी और वो मेरि चूत मे अपना लुनद पेलेग” रजनि जी मुर कर अपनि बेति कि चुनचेओन को मसलते हे बोलि।

तभि रमेश, जो कि बहर गया हुअ था, कमरे मे घुसा और घुसते घुसते हुए उसने अपनि बिवि और सस कि बतोन को सुन लिया। रमेश ने अगे बरह कर अपने सस के समने घुतने के बलबैथ गया और अपनि सस के चुतरोन को अपने हथोन से घेर कर पकरते हुए सस से बोला, “मा आप कयोन चिनता कर रही हैन, मैं हुन ना? मेरे रहते हुए अपको अपनि जिसम कि भुख कि चिनता नही करनी चहिए। अरे वो दमद हि बेकर का है जिसके होते हुए उसकि सस अपनि जिसम कि भुख से पगल हो जये।” “नही, नही, चोरो मुझे। मुझे बहुत शरम लग रही है” रजनि जी ने अपने आप को रमेश से चुरते हुए बोलि। तभि उशा ने आगे बरह कर अपनि मा कि चुनची को पकर कर मसलते हुए उशा अपनि मा से बोलि, “कयोन बेकर का शरम कर रहि हो मा। मन भि जओ अपने दमद कि बत और चुप चप जो होरहा उसे होने दो।” तब थोरि देर चुप रहने के बद रजनि जी अपनि बेति कि तरफ़ देख कर बोलि, “तीख है, जैसे तुम लोगो कि मरज़ी। लेकिन एक बत तुम दोनो कन होल कर सुन लो। मैं अपने दमद के समने बिलकुल ननगी नही हो पौनगी। आगे जैसा तुम लोग चहो।” इतना सुन कर रमेश मुसकुरा कर अपने सस से कह, “अरे ससुमा आप को कुच नही करमा है। जो कुच करमा मैं हि करुनगा, बस आप हुमरा सथ देति जये।”

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फिर रमेश उथ कर खरा हो गया और अपनि सस को अपने दोनो बहोन मे जकर कर चुमने लगा। रजनि जी चुप चप अपने आप को अपने दमद के बहोन मे चोर कर खरी रही। थोरि देर तक अपने सस को चुमने के बद रमेश ने अपने हथोन से अपने सस कि चुनची पकर कर दबने लगा। अपने चुनचेओन पर दमद का हथ परते हि रजनि जी अमरि सुच के बिलबिला उथि और बोलने लगी, “और जोर से दबओ मेरि चुनसेओन को बहुत दिन हो गये किसि ने इस पर हथ नही लगया है। मुज़हे अपने दमद से चुनची मसलवने मे बहुत मज़ा मिल रहा है। और दबओ। आ बेति तुब हि आ मेरे पस और मेरे इन चुनचेओन से खेल।” अब रमेश फिर से अपने सस के पैरोन के पस बैथ गया और उनकि सरी के ऊपेर से हि उनकि चूत को चुमने लगा। रजनि जी अपने चूत के ओपेर अपने दमद के मुनह लगते हि बिलबिला उथि और जोर जोर से सनस लेने लगी। रमेश भि उनकि सरी के ओपेर से हि उनकि चूत को चुमता रहा। थोरि देर के बद रजनि जी से सहा नही गया और खुद हि अपने दमद से बोलि, “अरे अब कितना तरपओगे। तुमहे चूत मे उनगली या जीबन घुसनि है तो थीक तरिके से घुसओ। सरी के ओपेर से कया कर रहे हो?” अपनि सस कि बत सुन कर रमेश बोला, “मैं कया करता, आपने हि कह था आप सरी नही उतरनगे। इसिलिये मैं अपकि सरी के ओपेर से हि अपकि चूत चुम रहा हून।” “वो तो थीक है, लेकिन तुम मेरि सरी उथा कर तो मेरि चूत कि चुम्मा ले सकते हो?” रजनि जी ने अपने दमद से बोलि। अपनि सस कि बत सुनते हि रमेश जलदि से अपनि सस कि सरी को पैरोन के पस से पकर कर ओपेर उथना शुरु कर दिया और जैसे हि सरी रजनि जी कि जनघो तक उथ गया तो रजनि जी मरे शरम के अपना चेहेरा अपने हथोन से दख लिया और अपने दमद से बोलि, “अब बस भि करो, और कितना सरी उथओगे। अब मुझे शरम आ रही है। अब तुम अपना सर उनदर दल कर मेरि चूत को चुम लो।” लेकिन रमेश अपनि सस कि बत को उनसुनि करते हुए रजनि जी कि सरी को उनके कमर तक उथा दिया और उनकि ननगी चूत पर अपना मुनह लगा कर चूत को चुम लिया। थोरि देर तक रजनि जी कि ननगी चूत को चुम कर रमेश अपनि सस कि चूत को गौर से देखने लगा और अपने उनगलेओन से उनकि चूत कि पत्तिओन और सलित से खेलने लगा। रमेश कि हरकतोन से रजनि जी गरमा गयी और उनकि सनस जोर जोर से अने लगि।

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अपनि मा कि हलत देख कर उशा अगे बरह कर अपनि मा कि चुनसेओन से खेलने लगी और धिरे धिरे उनकि बलौसे के बुत्तोन खोलने लगी। रजन ने अपने हथोन से अपने बलौसे को पकरते हुए अपने बेति से पुचने लगी, “कया कर रही हो? मुझे बहुत शरम लग रही है। चोर दे बेति मुझको।“ उशा अपनि कम जरी रखते हुए अपनि मा से बोलि, “अरे मा, जब तुम अपने दमद का मुसत अपने चूत मे पिलवने जा रही हो तो फिर अब शरम कैसा? खोल दे अपने इन कपरोन को और पुरि तरफ़ से ननगी हो कर मेरे पति के लुनद का सुच अपने चूत से लो। चोरो मुझको तुमहरि कपरे खोलने दो।” इतना कह कर उशा ने अपनि कि बलौसे, बरा, सरी और फिर उनकि पेत्तिसोअत भि उतर दिया। अब रजनि जी अपने दमद के समने बिलकुल ननगी खरी थी। रमेश अपने ननगी सस को देखते हि उन पर तुत परा और एक हथ से उनकि चिनचेओन को मलता रहा और दुसरे हथ से उनकि चूत को मसलता रहा। रजनि जी भि गरम हो कर अपने दमद का कुरता और पैज़मा उतर दिया। फिर झुक कर अपने दमद का उनदेरवेअर भि उतर दिया। अबस अस और दमद दोनो एक दुसरे के समने ननगे खरे थे।

जिअसे हि रजनि जी ने रमेश का मोता मसत लुनद को देखी, रजनि जी अपने आप को रोक नही पैए और झुक कर उस मसत लुनद अपने मुनह मे भर कर चुसने लगि। उशा भि चुपचप खरि नही थी। वो अपनि मा के चुतर के तरफ़ बैथ कर उसकि चूत से अपना मुनह लगा दिया और अपनि मा कि चूत को चुसने लगि। रजनि जी अपने दमद का मोता लुनद अपने मुनह मे भर कर चुसने लगी और कभि कभि उसको अपने जीव से चतने लगी। लुनद को चत्ते चत्ते हुए रजनि जी ने अपने दमद से बोलि, “है! रमेश, तुमहरा लुनद तो बहुत मोता और लुमबा है। पता नही उशा पहली बर कैसे इसको अपनि चूत मे लिया होगा। चूत तो बिलकुल फत गयी होगी? मेअर तो मुनह दरद होने लगा इतना मोता लुनद चुसते चुसते। वैसे मुझे पता था कि तुमहरा लुनद इतना शनदर है” “कैसे?” रमेश ने अपने सस कि चुनचेओन को दबते हुए पुचा। तब रजनि जी बोलि, “कैसे कया? तुम जब मेरे घर मे अपने शदि के बद अये थे और रोज दोपहर और रत को उशा को ननगी करके चोदते थे तो मैं खिरकी से झनका करता था और तुमहरी चुदै देखा करता था। उनि दिनो से मैं जनता था कि तुमहरा लुनद कि सिज़े कया है और तुम कैसे चूत चते हो और चोदते हो।” तब रमेश ने अपने सस कि चुनचेओन को मसलते हुए पुचा, “कया माजी, अपके पति यने मेरे ससुरजी का लुनद इतना मोता और लुमबा नही था?” “नही, उशा के पपा का लुनद इतना मोता और लुमबा नही था, और उनमे सेक्स कि भवना बहुत हि कम था। इसलिया वो मुझको हफ़ते मे केबल एक-दो बर हि चोदते थे” रजनि जी ने बोलि।

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