विधवा मौसी की ज़बरदस्त ठुकाई की कहानी

कहानी अब आयेज:-

मैने एक धक्का और दिया जल्दी से, जिससे छूट में लंड पूरा घुसा दिया. मौसी की हालत खराब हो गयी थी. क्यूंकी पहली बार उसने इतना बड़ा लिया था. मैं छूट पर हाथ रख कर सहलाने लगा. तो मुझे गरम पानी जैसा कुछ महसूस हुआ.

मैने उसे नाक पर सूँघा तो वो खून था. मतलब उसकी सील आज आचे से टूटी थी. मैं 5 मिनिट ऐसे ही मौसी को किस करते हुए रुका. फिर मैने मूह हटाया, तो वो बोली-

मौसी: उहह तूने तो आज मेरी जान निकाल दी. कितना बड़ा है तेरा यार. बहुत जल रही है छूट. प्लीज़ धीरे कर ना. मैं तेरी ही हू, कही भाग थोड़ी ना रही हू.

मैं: मेरी रंडी, तू भाग भी नही सकती. भागी तो तेरी गांद मार दूँगा. तुझे मज़ा आ रहा है ना?

मौसी: कही नही भाग रही बाबा. मज़े के साथ दर्द बहुत आ रहा है.

मैं हासणे लगा, और उसके होंठो को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा. वो भी गरम होके मेरे होंठ चूस रही थी. मौसी को अब दर्द कम हुआ. मैने नीचे से धीरे-धीरे धक्के दिए. इससे उसकी हल्की सिसकी निकल रही थी. लेकिन दर्द फिर भी हो रहा था.

मौसी: उहह मा आह आह.

10 मिनिट ऐसे ही मैने धक्के दिए. इससे छूट अब खुल गयी थी. उसे अब लंड लेने में मज़ा आ रहा था. वो अब गरम सिसकियाँ लेने लगी रही.

मौसी: उहह ऑश एस हा बेबी. रोहित बहुत मज़ा आ रहा है अब.

मैने अब थोड़ी स्पीड तेज़ की. मैं पूरा लोड्‍ा बाहर करके एक-दूं से अंदर तक घुसा देता था. जिससे मौसी बेड पर पूरी हिल जाती. हिलने के साथ उसकी गरम दर्द भारी सिसकी निकल जाती.

मौसी: आह आह मा आराम से कर ना. मॅर गयी ऑश, धीरे रोहित. प्लीज़ प्लीज़ आह उफ़फ्फ़ ऑश गोद.

उसकी जितनी गरम सिसकियाँ होती जाती, मैं उतनी स्पीड से छूट में लंड थोक रहा था. मौसी सिसकियाँ लेते हुए भूल गयी की उसका बेटा सो रहा था. वो बस आँखें बंद करके मेरी कमर पकड़ कर लंड से छुड़वा रही थी. उसे बस गरम चुदाई चाहिए थी.

रज़ाई हमारी चुदाई से इधर-उधर सरक जाती. वो रज़ाई को संभाल लेती, और मैं छूट में बिना रुके धक्के दे रहा था. मौसी सिसकियाँ लेते हुए बोली-

मौसी: उहह उम्म्म, क्या मस्त छोड़ रहा है तू. रोहित यार कहा था अब तक? काश तू मुझे पहले मिल जाता. बहुत मज़ा आ रहा है तेरे लंड से चूड़ने में.

मौसी: मैं अब तेरी रंडी बन गयी हू. इस छूट और बदन का मलिक तू है. तू बस मेरा पति बन जेया.

मैं: हा मैं हू अब से तेरा पति साली. तू मेरे रंडी है याद रखना. तू बस मेरे सामने नंगी होगी.

मौसी नीचे से गांद हिला कर मेरा साथ दे रही थी. और मेरे गाल लिप्स को चूस्टे हुए बोली-

मौसी: हा मेरे राजा. अब से ये रेखा आपकी है. आपकी रंडी बन के रहूंगी. प्लीज़ आप मुझे कभी छ्चोढ़ के नही जाओगे. प्रॉमिस करो आप.

मैं छूट में ज़ोर के धक्के लगते हुए और उसके बूब्स मसालते हुए बोला-

मैं: प्रॉमिस मेरी रेखा. तू अब से मेरे नीचे सोएगी.

अब मेरा होने वाला था. मौसी 2 बार पहले ही झाड़ गयी थी. लगभग 25 मिनिट्स की चुदाई के बाद मैने कहा-

मैं: रेखा, आह क्या माल है तू साली. मेरे लंड का रस्स निकाल रही है तेरे गरम छूट.

मौसी: मेरे पातिदेव. आपको मेरे उपर पूरा हक़ है. आप मेरे अंदर निकाल दो. मुझे आपके गरम रस्स को फील करना है. 4 साल से कुछ फील नही हुआ.

मैने 4 से 6 धक्के ज़ोर के लगाए. इससे मौसी की चीख निकल गयी.

मौसी: आह आह मा उहह निकाल दो अंदर.

मैं उसके होंठो को ज़ोर से चूसने लगा, और लंड छूट में अंदर तक दबा दिया. लंड छूट में दबा के वही सारा अमृत निकाल दिया. गरम छूट ने सारा रस्स अंदर ही निगल लिया. मौसी और मैं दोनो पसीने में लथपथ थे. हम दोनो एक-दूसरे को चूमने लगे.

मैं मौसी को चूमते हुए बोला: मेरी जान, तुझे छोड़ने में बहुत मज़ा आया है. देख तेरे छूट सारा रस्स पी गयी.

मौसी: हा तो क्या हुआ? आपके रस्स की ज़रूरत थी इसे मेरे राजा.

बहुत मस्त प्यार करते हो आप. अब आप मेरे रहना हमेशा.

मैं: हा मेरी जान. ई लोवे योउ रेखा. तू आज से मेरी है.

मौसी: ई लोवे योउ सो सो मच. आप भी मेरे हो राजा जी.

उसके चेहरे पर आँसू आने लगे थे. मैने उसे चूमते हुए कहा.

मैं: मेरी बुलबुल तू रो क्यूँ रही है?

मौसी: आपने मुझे इतना प्यार दिया है. मुझे आपसे सक्चा प्यार हो गया है. प्लीज़ मुझे अपने से डोर मत करना. आज पहली बार मुझे लगा है की मेरा भी कोई है.

मौसी: मैं बहुत अकेलापन महसूस करती थी, की दिल की बात किससे काहु. अब आप मिल गये हो, मैं आपसे बहुत प्यार करूँगी.

मैने कहा: मेरी मधु, तू अब मेरी है. तुझे कभी छ्चोढ़ के नही जौंगा. अब मैं ही तेरा पति हू.

ये बोल के मैं मौसी के बूब्स चूसने लगा. मौसी के मुलायम निपल्स को दाँत से काटने लगी. इससे उसके मूह से उहह आह निकल गया. वो बोली-

मौसी: प्लीज़ अब रहने दो. मत करो अब वरना आपके मम्मी पापा को पता चल जाएगा. सुबह होने वाली है अब. बाद में कर लेना. मैं आपकी ही जान हू अब.

मौसी: आपने जिस तरह से मुझे चोदा है. मेरी हालत अब आपका लंड लेने की नही है. मुझे पेट में और छूट में दर्द हो रहा है. प्लीज़ कल कर लेना.

ये बोल के मौसी मेरे होंठो को चूमने लगी. मैने भी अब फोर्स नही किया. क्यूंकी मौसी की छूट फटत गयी थी. वो अब चूड़ने की हालत में नही थी. और अगर मैं अभी छोड़ता तो उसकी और हालत खराब हो जाती. उसका बेटा भी जाग सकता था. मुझे अब मधु से प्यार हो गया था.

3:30 बाज गये थे. मैं अपनी मौसी रेखा के बूब्स में मूह दबा के सो गया. हम दोनो नंगे ही रज़ाई में थे. वो भी मुझसे लिपट कर सोने लगी. फिर 10 मिनिट बाद मौसी मुझे बोली-

मौसी: सुनो जी, अब हम कपड़े पहन लेते है, फिर सो जाएँगे. वरना सुबह हमे नींद में किसी ने इस हालत में देख लिया तो गड़बड़ हो जाएगी.

फिर हम दोनो ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और एक-दूसरे के साथ सो गये. मेरी नींद सुबह के 8 बजे खुली. क्यूंकी मुझे अची नींद आई थी. मैने देखा की मौसी मेरे पास नही थी, और उसका बेटा भी नही था. फिर थोड़ी देर बाद मौसी मेरे कमरे में छाई लेके आई, और मुझे उठाते हुए बोली-

मौसी: श रोहित जी, उठ जाइए सुबह हो गयी है. कितना सोना है आपको?

मैं नींद से उठा कर मौसी मेरे सामने खड़ी थी. उसके हाथ में छाई का कप था, और मुस्कुराते हुए मुझे उठाने लगी. मैने झट से उसका हाथ पकड़ लिया. मौसी ने ये देख कर छाई साइड में रखी और बोली-

मौसी: क्या कर रहे हो आप? उठ जाओ अब. सुबह हो गयी है. कोई देख लेगा. आप बहुत बेशहम हो समझे. चलो छोड़ो मुझे अब.

मैं: मेरी जान, मॉर्निंग किस तो दे-दे मुझे.

मौसी हेस्ट हुए झुकी और अपने होंठ मेरे होंठो पर रख कर मुझे किस किया. मैने झट से उसकी कमर पकड़ी, और बेड पर ले आया. वो एक-दूं से मेरे उपर गिर गयी. मैने जल्दी से मौसी को रज़ाई के अंदर कर लिया. अब मेरी रेखा मौसी मेरे उपर थी. मुझसे छूटने की कोशिश कर रही थी. वो बोली-

मौसी: आप ये क्या कर रहे हो? छ्चोढो ना कोई आ जाएगा.

मैं: चुप-छाप लेती रह. वरना तेरी गांद तोड़ दूँगा.

मौसी के होंठो को मैं अपने होंठो से लगा कर उससे चूमने लगा. मौसी भी मुझे चूमने लगी. उसके मुलायम होंठो का रस्स बहुत ही कामुक था. मौसी मेरे मूह से मेरे थूक को चूसने लगी. मौसी भी किस में मेरा साथ दे रही थी. क्यूंकी उसे पता था मैं उसे जाने नही दूँगा.

मैं एक हाथ से उसकी मुलायम टाइट गांद को दबाने लगा. मौसी मुझे किस करते हुए 5 मिनिट बाद बोली-

मौसी: बस बेबी, प्लीज़ छ्चोढ़ दो. आह उहह धीरे दब्ाओ ना. दर्द होता है. अब जाने भी दो.

मैं: ये जो मेरा लंड है उसे कों ठंडा करेगा?

मौसी: आपका लंड भी ना ग़लत टाइम पर मूड में आ गया है. अब इससे कैसे शांत करू? हम सेक्स नही कर सकते अभी. प्लीज़ अब जाने दो ना.

मैं: रेखा रानी. तेरे इन गुलाबी होंठो से चूस कर इसे शांत कर दे.

ये बोल कर मैं उसके होंठो को चूसने लगा. फिर दोनो हाथ से उसकी टाइट गांद मसालने लगा. मैं गांद को इस तरह से मसल रहा था की रज़ाई में मेरे हाथ चलते हुए मुझे उपर से देखाई दे रहे थे. मौसी सिसकियों के साथ बोली-

मौसी: उहह श आह. प्लीज़ बाबू धीरे करो ना. अछा ठीक है, आप नही मानोगे. आप रात को भी नही माने थे. मुझे जाम के छोड़ा था. अभी तक मुझे छूट में दर्द हो रहा है. जल्दी से चूस्टी हू आपका ये मोटा लंड. बहुत शैतान हो गया है.

मौसी रज़ाई के अंदर ही मेरे बरमूडा को नीचे करने लगी. रेखा मौसी के हाथ में मेरा गरम 7 इंच का लंड आ गया. वो बिना बोले जल्दी से मूह में लेके चूसने लगी. मौसी ने लंड को पूरा मूह में ले लिया था. मेरी सिसकियाँ निकल गयी थी.

मैं: ह श मेरे जान. क्या मस्त लोड्‍ा चूस्टी है तू. और ज़ोर से बेबी.

मौसी अपना मूह लंड में उपर नीचे कर रही थी. इससे रज़ाई उसके मूह के साथ ही उपर-नीचे हो रही थी. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. मौसी को भी लंड चूसने में आनंद आ रहा था.

रेखा मौसी ने लंड को पूरा मूह में भर लिया, और फिर मेरी बॉल्स को सहलाने लगी. इससे मेरी आँख में काम का नशा छा गया. 10 मिनिट तक मौसी ने आचे से लंड को चूसा. फिर वो लंड पकड़ कर मेरी बॉल्स को चाटने लगी.

मेरी मौसी पुर तंन और मॅन से बॉल्स को चाट रही थी. फिर से लंड मूह में लेके चूसने लगी. फिर अचानक से गाते पर आवाज़ आई तो देखा की गाते पर उसका बेटा खड़ा था.

दोस्तों अब कहानी के अगले पार्ट में और भी ज़्यादा मज़ा आएगा. मेरे और मौसी के प्यार की कहानी कहा तक जाएगी देखते रहना. क्यूकी स्टोरी बहुत लंबी है. हमने सेक्स और प्यार में सारी हादे पार की थी. वेट फॉर थे नेक्स्ट पार्ट्स.

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थॅंक्स ड्के.

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