विधवा भाभी ने नौकर को किया सिड्यूस

ही रीडर्स, मैं दिव्या अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आ गयी हू. उमीद है आपने कहानी के पिछले पार्ट को पढ़ा होगा. अगर आपने पिछला पार्ट नही पढ़ा है, तो प्लीज़ उसको ज़रूर पढ़े.

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा, की मेरे हज़्बेंड के देहांत के बाद मैं सेक्स के लिए तड़पने लगी. छूट में उंगली डालने से अब मेरा काम नही चल रहा था. फिर एक दिन जब मैं अपनी सासू मा के साथ टाइया जी के घर गयी, तो वाहा मुझे उनका नौकर सूरज हवस वाली नज़र से देख रहा था.

फिर घर आके मुझे सूरज के ही ख़याल आने लगे. सूरज को इमॅजिन करके मैने अपनी छूट से पानी भी निकाला. अब मैने सोच लिया था, की कैसे भी करके मैं अपनी छूट की आग सूरज से बुझवौनगी. अब आयेज बढ़ते है-

मैने एक आइडिया सोच था. और वो ये था की मैं सूरज को किसी बहाने से अपने घर बुलवौनगी, और यहा बुला कर उसको सिड्यूस करूँगी. मैं उसको इतना गरम कर दूँगी की वो पहल करने के लिए मजबूर हो जाएगा. और अब मैं अपना प्लान शुरू करने वाली थी.

अगले दिन मेरी सासू मा कही जेया रही थी. मैं तभी उनके सामने आके आ आ करने लगी. मेरी आ आ सुन कर सासू मा ने पूछा-

सासू मा: क्या हुआ बेटा? तुम ये आवाज़े क्यूँ निकाल रही हो?

मैं: कुछ नही मम्मी जी, मेरी कमर में बाल पद गया है.

सासू मा: वो कैसे?

मैं: मुझे बेड के नीचे सफाई करनी थी, तो उसको तोड़ा हिलने की कोशिश की थी. बेड तो नही हिला, लेकिन कमर में बाल पद गया.

सासू मा: अर्रे तुम्हे क्या ज़रूरत थी बेड हिलने की. ये तुम्हारा काम थोड़ी है. ये किसी आदमी का काम है.

मैं: मम्मी जी, अब मैं आदमी कहा से लेके अओ?

सासू मा: अर्रे आदमी है तो, अपना सूरज.

मैं: लेकिन सूरज को मैं कैसे बूलौऊ?

सासू मा: मैं फोन करती हू जेठानी जी को, वो अभी भेज देंगी.

मैं: ठीक है मम्मी जी.

फिर सासू मा ने टाई जी को फोन लगाया.

सासू मा: हंजी दीदी कैसे हो?

टाई जी: मैं ठीक हू, तुम बताओ कैसी हो?

सासू मा: मैं भी ठीक हू. सूरज घर पर ही है?

टाई जी: हा, क्यूँ?

सासू मा: वो दिव्या सफाई कर रही थी. कुछ भारी समान इधर-उधर करवाना था. अगर कोई ज़रूरी काम ना कर रहा हो तो आप उसको इधर भेज देंगी थोड़ी देर?

टाई जी: अर्रे ये भी कोई पूछने की बात है. मैं अभी भेज देती हू.

सासू मा: थॅंक योउ दीदी.

फिर सासू मा मुझसे बोली: चल वो आ जाता है थोड़ी देर में. अब तू कुछ भारी मत उठना. और मुझे ज़रा जाना है, तो मैं जेया रही हू.

मैं: ठीक है मम्मी जी.

अब मैं बड़ी उत्सुकता से सूरज का इंतेज़ार कर रही थी. उसके बारे में सोच-सोच के मेरी छूट हल्की-हल्की गीली होनी शुरू हो गयी थी. मैने जल्दी से अंदर जाके अपने कपड़े चेंज कर लिए.

मैने अपने पुराने कपड़े जो थोड़े टाइट हो चुके थे, वो निकाले, और वाइट लेगैंग्स के साथ ब्लॅक कुरती पहन ली. मेरी कुरती का गला डीप था, तो उसमे से मेरी क्लीवेज नज़र आ रही थी. मैने ब्रा टाइट पहनी थी, ताकि मेरी क्लीवेज उभर कर नज़र आए. नीचे झुकने पर तो मेरे बूब्स का बड़ा सेक्सी व्यू बन रहा था.

लेगैंग्स की बात करे तो लेगैंग्स पूरी टाइट थी. उसका कपड़ा कुछ ऐसा था जिसमे से लेग्स की पूरी शेप दिखाई दे रही थी. कुरती थोड़ी उँची भी थी, तो झुकने पर गांद दिखाई देती थी. जिसपे पनटी की शेप को आसानी से देखा जेया सकता था. अब इंतेज़ार था, तो बस सूरज का.

फिर थोड़ी देर बाद बेल बाजी. मेरे जिस्म का रोम-रोम खुश हो गया. मैं जल्दी से दरवाज़ा खोलने के लिए दरवाज़े की तरफ चल पड़ी. लेकिन वाहा पहुँचने से पहले मैं अपनी खुशी को च्छूपाते हुए सीरीयस हो गयी. मैं नही चाहती थी की सूरज को शक हो की मैने उसको क्यूँ बुलाया था.

फिर मैने दरवाज़ा खोला. सूरज मेरे सामने खड़ा था. जवानी और जोश से भरपूर लड़का, जिसपे कोई भी चुदसी भाभी फिदा हो जाए. और जो किसी भी औरत/लड़की की जवानी को मसल कर उसको खा जाए, और चरमसुख देदे. उसने मुझे देख कर कहा-

सूरज: भाभी मुझे आंटी ने भेजा है. उन्होने बोला है आपको कुछ काम है.

मैं: हा-हा सूरज आओ अंदर.

मैं आयेज चल पड़ी, और सूरज मेरे पीछे-पीछे आ रहा था. वो पक्का मेरी गांद देख रहा होगा, क्यूंकी मैं जान-बूझ कर गांद ज़्यादा मटका कर चल रही थी. फिर अंदर हॉल मैं जाके मैने उससे पूछा-

मैं: सूरज छाई लोगे, और नाश्ता वग़ैरा?

सूरज: नही भाभी, मैं बस अभी उधर से नाश्ता करके आया हू.

मैं: चलो ठीक है, फिर मेरे रूम में चलते है.

फिर मैं उसको अपने रूम में ले गयी. रूम में जाके मैने उसको बोला-

मैं: सूरज मुझे इस रूम की सफाई करनी है. तो हमे समान इधर-उधर करना पड़ेगा.

सूरज: आप बताओ भाभी क्या चीज़ किधर करनी है, मैं अभी कर देता हू.

मैं: बस साइड करके सॉफ करना है, और फिर वही पर हर चीज़ सेट कर देनी है. मैं झाड़ू और पोछा लगा दूँगी, और तुम चीज़ो को इधर-उधर करते जाना.

सूरज: ठीक है भाभी.

फिर मैं बातरूम से झाड़ू और पोछा लेके आ गयी. उसके बाद जो खाली जगह थी, वाहा मैं झाड़ू मारने लग गयी. मैं झुक कर झाड़ू मार रही थी, तो मेरे रसीले बूब्स का पूरा नज़ारा दिख रहा था. मैने बीच-बीच में सूरज पर भी नज़र मारी, और हर बार वो मेरे बूब्स को घूर रहा था.

जब भी मैं उसको देखती, वो अपनी नज़र मेरे बूब्स से हटता लेता. फिर जब मैं नीचे देखने लगती, तो वो फिरसे नज़र मेरे बूब्स पर डाल लेता. 2-3 मिनिट ऐसे ही चलता रहा. फिर मैने सूरज को बेड हिलने को कहा. बेड काफ़ी भारी था, तो उससे अकेले से हिल नही रहा था. तो वो बोला-

सूरज: भाभी ये काफ़ी भारी है, आपको भी साथ में आना होगा.

मैं तो यही चाहती थी, उसके करीब आने का मौका. फिर मैं उसके साथ जाके खड़ी हो गयी. इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको कहानी के अगले भाग में पढ़ने को मिलेगा. कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद.

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