वासना भारी मालकिन ने ड्राइवर का लंड चूसा

ही फ्रेंड्स, मैं कल्पना केपर अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आप सब के सामने वापस आ गयी हू. मेरी पिछली कहानी को अपना प्यार देने के लिए आप सब का धन्यवाद. उमीद है की आप इस पार्ट को भी उतना ही प्यार देंगे.

पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा था, की मैं एक केस के सिलसिले में राजस्थान जेया रही थी. मेरे साथ मेरा ड्राइवर पंकज था. फिर रास्ता बंद होने की वजह से हमे होटेल में रुकना पड़ा, जहा पहुँचते हुए हम भीग गये.

फिर वाहा जाके सबसे पहले हम कपड़े बदलने लगे. जब मैं बातरूम में कपड़े बदल रही थी, तो पंकज को देखने लगी. मेरी वासना जाग गयी थी, और उसका लंड देख कर मैं गरम हो गयी थी. अब आयेज-

मेरी नज़र पंकज के चॉक्लेट जैसे लंड पर थी. जांघों को पोंछने के बाद उसने अपना लंड हाथ में लिया. फिर वो उसको टवल से सॉफ करने लग गया. सॉफ करते-करते उसका लंड खड़ा हो गया. अभी आधा ही लंड खड़ा हुआ था, लेकिन काफ़ी लंबा और मोटा लग रहा था.

मेरे हाथ अपने आप ही ब्रा में काससे हुए मेरे बूब्स पर चले गये. मैं अपने बूब्स को दबाने लगी. उधर पंकज का लंड पूरा खड़ा हो चुका था. साइज़ का तो पता नही, लेकिन कोई भी औरत जिस लंड को देख कर खुश हो जाए, वैसा तो था ही उसका लंड.

तभी अचानक उसने दूसरी तरफ मूह कर लिया. इससे मैं तड़प गयी. मुझसे अब और नही रुका जेया रहा था, और मैं दरवाज़ा खोल कर बाहर चली गयी. मेरा दिमाग़ मुझे रोक रहा था, लेकिन मेरा दिल और छूट की गर्मी मुझे आयेज बढ़ने को बोल रहे थे.

फिर मैं पंकज के पास पहुँची, और उसके शोल्डर पे ताप किया. ताप करते ही उसके पीछे देखा, और एक-दूं से मुझे पीछे खड़ा देख कर घबरा गया. उसको समझ नही आया की वो क्या करे, तो उसने जल्दी से हाथ वाले टवल को लपेटा, और कामपति आवाज़ में बोला-

पंकज: मेडम… आप. मैं वो कपड़े अभी बदल रहा था.

मैने उसको स्माइल देके बोला: मैं जानती हू पंकज.

तभी मैने नीचे देखा. वो टवल से अपने लंड को च्छूपा रहा था. फिर मैने दोबारा उसकी आँखों में आँखें डाल कर देखा, और देखते-देखते नीचे घुटनो के बाल बैठ गयी. उसके बाद मैने अपना हाथ उसके हाथ पर रखा, और हाथ पीछे किया.

इससे उसका हाथ लंड से हॅट गया, और उसका लंड मेरे सामने आ गया. इससे पहले वो कुछ बोलता या करता, मैने उसके लंड को अपने हाथ में लिया, और हिलना शुरू कर दिया. मेरी नज़र उसके फेस की तरफ ही थी. तभी वो कुछ बोलने लगा-

पंकज: मेडम…

लेकिन मैने लिप्स पर फिंगर रख कर उसको “ष्ह” कर दिया. फिर मैने अपना मूह आयेज बढ़ाया, और उसके लंड को मूह में डाल लिया. जब मैने उसके लंड को मूह में डाला, तो उसकी आँखें बंद हो गयी, और उसके मूह से आ निकल गयी.

फिर मैने उसके लंड को चूसना शुरू कर दिया. अभी मैने 10-12 बार ही उसके लंड को मूह में अंदर-बाहर किया होगा, की वो अचानक से पीछे हो गया. फिर वो बोला-

पंकज: मेडम ये ठीक नही है. मुझे माफ़ कर दीजिए. मुझे ये होने ही नही देना चाहिए था.

तभी मैने बोला: पंकज इसमे सॉरी वाली कोई बात नही है. मैं ये करना चाहती हू. तुम्हे किसी बात की चिंता करने की कोई ज़रूरत नही है. हमारे बीच जो कुछ होगा, वो इसी रूम में हमेशा-हमेशा के लिए दफ़्न हो जाएगा. यहा से बाहर जाते ही हम पहले जैसे हो जाएँगे. किसी को कुछ पता नही चलेगा.

ये सुन कर पंकज सोच में पद गया. इससे पहले की वो कुछ और बोलता, मैने नीचे बैठ कर फिरसे उसका लंड अपने मूह में डाल लिया. अब मैं ज़ोर-ज़ोर से उसका लंड चूसने लगी, और वो आँखें बंद करके लंड चुसाई का मज़ा लेने लगा.

फिर उसने मेरे सर के पीछे हाथ रख लिया, और नौकर मालकिन का अंतर भूल कर मेरे मूह में धक्के मारने लगा. बड़ा स्वाद आ रहा था मुझे उसका लंड चूस कर. बड़ी देर बाद ये जन्नत मुझे मिली थी.

तभी अचानक से पंकज वाइल्ड हो गया. उसके धक्के इतने ज़ोर के हो गये, की मेरे मूह में पाईं होने लगी. मैने पीछे हटने की कोशिश की, लेकिन उसने मेरे बालों को और कस्स के पकड़ लिया. उसका लंड मेरे गले तक जेया रहा था, और मेरे मूह से थूक झरने की तरह बह रही थी.

फिर कुछ देर बाद उसने मेरे मूह से लंड निकाला, और मुझे खड़ा किया. जैसे ही मैं खड़ी हुई, उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया, और अपने होंठ मेरे होंठो के साथ चिपका दिए. अब मेरा बदन और उसका बदन दोनो चिपके हुए थे. मैं ब्रा और जीन्स में थी, और वो पूरा नंगा था.

वो पागलों की तरह मेरे होंठ चूस रहा था. फिर उसने पीछे से मेरी ब्रा का हुक खोल दिया, और उसको मेरे बूब्स से अलग कर दिया. जैसे ही मेरे बूब्स उसकी छ्चाटी से लगे, मेरे जिस्म में एक करेंट सा दौड़ने लगा. फिर वो किस करते हुए मेरे दोनो बूब्स को दबाने लगा.

वो बड़ी ज़ोर से बूब्स दबा रहा था. ऐसा लग रहा था की वो रफ चुदाई का शौकीन था. 10 मिनिट तक मेरे होंठो का रस्स पीने के बाद उसने मेरे होंठ छ्चोढ़ दिए. फिर वो मेरी गर्दन चूमने लगा, और मेरे बूब्स पर आ गया.

उसने मेरे दोनो बूब्स अपने हाथ में पकड़े, और एक-एक करके मेरे निपल्स चूसने लगा. वो ज़ोर-ज़ोर से मेरे निपल्स चूस रहा था, और बड़े ज़ोर से मेरे बूब्स दबा रहा था. वो अपनी जीभ को मेरे निपल्स के इर्द-गिर्द घुमा रहा था.

उसके ये सब करने से मुझे दर्द भी हो रहा था, और मज़ा भी आ रहा था. मेरी छूट नीचे से धड़ा-धड़ पानी छ्चोढ़ रही थी. मेरे बूब्स चूस-चूस कर लाल करने के बाद उसने मेरे बूब्स छ्चोढे, और मुझे अपनी बाहों में उठा लिया. फिर वो मुझे बेड तक ले गया, और बेड पर रख दिया.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चल जाएगा. अगर आपको यहा तक की कहानी अची लगी हो, तो फीडबॅक देके ज़रूर बताए. कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद.

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