ट्रेन में मिले आदमी ने खूब पेला

हेलो गाइस, कैसे हो आप सब? आशा करता हू की आप सब आचे से होंगे, और सेक्सी कहानियाँ पढ़ कर मज़ा कर रहे होंगे. मेरा नाम राज शर्मा है, और मैं एक गान्डू बॉटम हू. मेरी चिकनी मोटी चुड़क्कड़ गांद है, जिसको देख कर मर्दों के लंड खड़े हो जाते है.

आपको मेरी पहले की स्टोरी में मज़ा आया होगा. ई गेस बहुत लोगों का रेस्पॉन्स आया. बहुत लोगों ने बोला की उन्होने मूठ मारी मेरी स्टोरी पढ़ कर. ये सुन कर मुझे बहुत मज़ा आया. तो आप ऐसे ही स्टोरीस पढ़ कर फीडबॅक ज़रूर दिया करे. जो यहा पर नये है, और पहली बार मेरी स्टोरी पढ़ रहे है, वो मुझे (इंटेस्टाइनल.टूट86@गमाल.कॉम) पर मेसेज करके मेरे साथ मज़े ले सकते हो.

ये स्टोरी में मैं कॉलेज के लिए नयी सिटी जेया रहा था. पढ़िए कैसे मेरी गांद में लोगों ने अपनी हवस को निकाल दिया. कैसे उन लोगों ने मेरी चुदाई करी, और कैसे-कैसे करके छोड़ा. पढ़िए और लंड हिलाए.

मैं नया-नया कॉलेज के लिए दूसरी सिटी जेया रहा था. ट्रेन की टिकेट थी. उस दिन मैं एक्शिटेड था, की नया कॉलेज, नये दोस्त, और क्या पता नये-नये लंड से चूड़ने का मौका मिल जाए. तभी मुझे हवस चढ़ गयी, और मॅन कर रहा था किसी का लंड रंडी की तरह चूसू. पर कोई वैसा था नही.

तो जैसे ही ट्रेन में चढ़ा तो उस समय दिन के 2 बाज रहे थे. मुझे दूसरी सिटी जाने में 2 दिन लगने थे. तो वो 2 दिन मैं कैसे गुज़रुँगा उसके लिए रेडी हो रहा था . अपना समान रख कर मैं सीट पर बैठ गया. और भी पॅसेंजर्स चढ़ रहे थे. मैं चुप छाप उन लोगों को देख रहा था . मेरा लोवर बर्त था.

तभी 1 परिवार आया. उसमे 1 आदमी और उसकी बुदिया मा थी. वो आदमी अपनी मा को ट्रीटमेंट करवाने दूसरी सिटी जेया रहा था. वो मेरे पास वाले बर्त में था. अब ट्रेन ऑलरेडी लाते थी, और और भी लाते होने लगी.

उसकी बुद्धि मा खाना खा कर थोड़ी देर बाद सो गयी. फिर ट्रेन चल पड़ी. शुरू में ट्रेन स्लो थी, फिर आहिस्ते-आहिस्ते तेज़ी पकड़ ली. शाम के 5 बाज रहे थे, और मुझे चेंज करना था. तो मैं अपने सीट के नीचे से अपने बाग से कपड़े निकाल रहा था. मैं झुका हुआ था, तो मेरी मोटी गांद एक-दूं से बाहर निकल आई.

जब मैं घूमा तो देखा वो आदमी मेरी गांद को घूरे जेया रहा था. उसका मूह खुला का खुला था. शायद उसने पहली बार ऐसी चुड़क्कड़ गांद देखी होगी. वो मुझे देख कर पंत अड्जस्ट करने लगा. मैं समझ गया की अब ये हॉर्नी हो गया था. लंड खड़ा हो गया था उसका. फिर मैं गया और टाय्लेट में चेंज करके आया.

मैं जीन्स पंत से एक कॉटन पंत में आ गया. मैं वापस आ कर अपना समान अपने बाग में भर रहा था. उसके बाद मैं फिरसे वही पोज़िशन में झुक कर बाग में समान डाल रहा था. तभी पीछे मेरी गांद पे एक धक्का पड़ा. मैने घूर कर देख तो वो आदमी मेरे पीछे खड़ा था, और मेरी गांद से चिपक कर खड़ा था.

उसका लंड एक-दूं टाइट था, क्यूंकी उसके पंत के उपर से वो मेरी गांद से चिपक कर खड़ा था. मैं फील कर पा रहा था उसका लंड.

वो आदमी: अर्रे तोड़ा साइड दीजिए ना, हमे भी बातरूम जाना है.

मैं: ज़रूर, बस एक मिनिट में हो गया.

मैं भी अपनी गांद उसकी पंत पे चिपका कर रगड़ने लगा. उसका लंड और ज़्यादा टाइट हो रहा था. फिर मैं उठा और उसको देखा. वो अपना होंठ चबा रहा था मुझे देख कर, और मेरी गांद पकड़ लिया हाथ से.

फिर मैने जब उसको जाने का इशारा किया तो वो गांद दबाते हुए टाय्लेट की तरफ चला गया. ये सब हुआ, पर किसी और पॅसेंजर का ध्यान नही गया. फिर थोड़ी देर बाद वो चेंज करके आया, और अपना समान ठीक कर रहा था. ऐसे ही टाइम गुज़र गया.

वो मुझे घूरे जेया रहा था, और ब्लंकेट के अंदर अपना लंड मसल रहा था. मैं भी उसे मज़े देने के लिए उसकी तरफ गांद रख कर बैठा था, की वो और हार्ड हो मुझे देख कर. रात हुई तो सारे पॅसेंजर्स का खाना आ गया था रेलवे पॅंट्री से.

उसकी मा खाना खा कर फिर सो गयी. अब आहिस्ते-आहिस्ते लोग अपने अपने कॉमपार्टमेंट की लाइट्स ऑफ करके सोने जेया रहे थे. मैं टाय्लेट गया तो देखा वो आदमी गाते के पास खड़ा हो कर सिगरेट पी रहा था. मैं चुप-छाप अपनी सीट पे आ गया और सोने लगा.

रात में कुछ आवाज़ लगी. देखा तो वो आदमी अंधेरे में मेरी सीट के सामने खड़े हो कर, लंड बाहर निकाल कर, मेरी गांद को देख कर लंड हिला रहा था. उसने नही देखा की मेरी नींद टूट गयी थी. फिर वो अपना लंड मेरे मूह के पास लाया. मैं सोने की आक्टिंग कर रहा था. अभी मुझे भी हवस चढ़ि हुई थी. मैने उसका लंड पकड़ लिया अपने हाथ से.

जैसे ही मैने उसका लंड पकड़ा, वो दर्र के मारे शॉक हो गया. फिर मैने उसको एक सेडक्टिव स्माइल दी. वो समझ गया की मैं भी मूड में था. फिर मैने उसके लंड को धीरे-धीरे लीक किया. उसके लंड के टोपे को मूह में ले लिया और लॉलिपोप की तरह चूसने लगा. उसे भी मज़ा आने लगा. फिर वो मेरा मूह पकड़ कर मेरा मूह छोड़ने लगा.

वो आदमी: उफफफ्फ़, चूस सेयेल भद्वे, पूरा लंड ले मेरा.

मैं: उम्म उम्म.

वो मेरा मूह छोड़े जेया रहा था. पर सडन्ली किसी के उठने की आवाज़ आई तो वो जल्दी से लंड पंत में डाल लिया, और पीछे हो गया. मैं भी सोने का नाटक करने लगा. थोड़ी देर बाद वो फिर आया, और मुझे इशारो से टाय्लेट की तरफ बुलाया. मैं भी टाय्लेट की तरफ गया तो टाय्लेट के अंदर मुझे खीच लिया.

फिर वो मुझसे चिपक गया, और मेरी गांद को दबाने लग गया. मेरी पंत के अंदर हाथ डाल कर मेरी गांद दबाने लगा. फिर मेरे च्छेद में उगली घुसने लगा.

वो आदमी: उफफफफफ्फ़ क्या गांद है सेयेल. मेरी रंडी बन जा, तुझे दिन-रात छोड़ूँगा.

मैं: आअहह ज़रूर.

वो आदमी: चल लंड चूस मेरा.

मैने झुक कर उसका 6 इंच लंड निकाला, उसपे थूक लगाया, और मूह में लेकर चूसने लगा. फुल रंडियों की तरह चूस रहा था. थूक से लंड पूरा गीला करके चूस रहा था. फिर उसने मेरा सिर पकड़ा, और ज़ोरो से मेरा मूह छोड़ने लगा.

वो आदमी: चूस मदारचोड़, अपने मलिक का लंड चूस.

मैं: उम्म्म्म एम्म स्लर्प स्लर्प स्लूर्प्प.

वो मेरा मूह छोड़े जेया रहा था. उसका लंड नमकीन और मज़ेदार था.

वो आदमी: चल अब उठ, और अपनी गांद दिखा.

मैं उठ कर अपनी पंत को खोल देता हू. मेरी मोटी चिकनी गांद उसके सामने थी.

वो आदमी: उफफफफ्फ़, क्या गांद है यार. इस गांद का तो मैं दीवाना हो गया हू. तू तो सेयेल अची-अची रंडियों को फैल कर देगा. उफफफफफ्फ़! मस्त गांद है तेरी.

वो मेरी गांद में मूह डाल कर रगड़ने लगा. फिर मेरे च्छेद में थूक लगा कर चाटने लगा. उफफफफ्फ़, उसकी जीभ मेरे च्छेद में टिकल कर रही थी. फिर मेरी पूरी गांद चाटने के बाद उसने मेरी गांद के गीले च्छेद में लंड सेट किया, और ज़बरदस्ती घुसा दिया.

उसके थूक से च्छेद एक-दूं स्मूद हो गया की पूरा लंड अंदर घुस गया. मैं दर्द से तोड़ा तडपा, पर फिर मज़ा आने लगा.

वो आदमी: उफफफफ्फ़, क्या टाइट गांद का च्छेद है. पूरा लंड अंदर तक ले सेयेल.

मैं: छोड़ मदारचोड़ छोड़ मूह. अपने लंड की ताक़त दिखा.

वो आदमी: ले रंडी ले अया.

मैं: आ फक एस आहह.

ऐसे ही वो जनवरो की तरह मुझे छोड़े जेया रहा था. मेरी मोटी चुड़क्कड़ गांद को थप्पड़ लगते हुए गांद मारे जेया रहा था. ठप ठप ठप ठप करके आवाज़ आ रही थी. चुदाई में इतना मज़ा आ रहा था की मेरा मूठ निकल गया.

वो तभी नही रुका. फिर मुझे बेसिन के उपर बिता कर नीचे से गांद पकड़ कर छोड़ रहा था. सही में कमाल की ताक़त थी उसके लंड में. एक-दूं रफ चुदाई चल रही थी. फिर उसने मुझे टाय्लेट के उपर घोड़ी बना दिया, और गाली दे-दे कर छोड़ने लगा.

वो आदमी: क्यूँ सेयेल भद्वे, मज़ा आ रहा है? मेरा लंड तेरा गांद का छेड़ बड़ा कर देगा.

मैं (चुदाई के मदहोशी में): आह छोड़-छोड़ कर मेरी गांद फाड़ दे.

वो आदमी: छोड़ रहा हू मेरी छिनाल रंडी.

अब वो नों-स्टॉप छोड़ रहा था. ठप ठप करके आवाज़ आ रही थी. उसका लंड मेरी गांद के च्छेद में अंदर-बाहर हो रहा था. फिर उसका मूठ निकालने वाला था. उसने लंड जैसे ही निकाला उसका सारा मूठ मेरी गांद पे फैल गया.

फिर मैने घूम कर उसका लंड मूह में लिया, और बाकी के मूठ को चूस कर निकाला. फिर कुछ मिनिट उसके लंड को चूस कर छ्चोढ़ दिया.

वो पसीना-पसीना हो गया था. फिर वो मेरा नाम पूछा और मैने अपना नाम राज बताया.

उसका नाम रमेश था. वो अपनी मा को अपने साथ सिटी लेके जेया रहा था. फिर हम लोग कपड़े पहन कर निकल गये. मैं अपनी सीट पर था, और वो अपनी सीट पर. रात भर चुदाई होने की वजह से तक गया था, इसलिए नींद आ गयी और सो गया.

दूसरे दिन सुबा क्या हुआ, ये आपको अगली कहानी में पता चलेगा. अगर आपको ये कहानी में मज़ा आया, और आपने मेरे नाम का लंड हिला कर माल निकाला है, तो मुझे मेसेज करे या मैल करे. ये कहानी बिल्कुल सच है. मेरी चुदाई की जर्नी में और भी लंड मिलेंगे. तो पढ़ते रहिए और लंड हिलाते रहिए.

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