ट्रेन में मा की रंगरलियों की स्टोरी

ही दोस्तों, मैं एक और कहानी के साथ आपके लिए आ गया हू. ये कहानी बहुत ही रोचक और रोमांचक है. कहानी शुरू करने से पहले कुछ बातें, जो मुझे लगता है, मैं अपना समझ के बता रहा हू.

हर घर में लॅडीस होती है, मा होती है, बेहन होती है, भाभी, चाची, मौसी, बुआ, ये होती ही है. और मुझे लगता है की ये हमारी जो मा बहने है, वो घर पे बहुत ही शांति से और एक-दूं सती-सावित्री जैसी रहती है.

लेकिन मैं देखा हू जब भी बाहर जाना होता है, इतना मेकप, साज-धज के जाना, आचे और सेक्सी कपड़े पहनना, पार्टी में जाना, तब तो कोई जवाब ही नही है. लेकिन सोचने वाली बात ये है की, आख़िर ऐसा क्या हो जाता है, की जो हमारी मा बहने घर पे बिल्कुल सिंपल और सती-सावित्री जैसी रहने वाली, आख़िर बाहर जाने की बातें सुन करके इतनी ज़्यादा जोश में क्यूँ आ जाती है?

इसका एक ही जवाब हो सकता है, सब को अपने शरीर का नुमाइश करनी पसंद होती है, ताकि बाहर के लोग उनकी फिगर देख सके. उनकी गांद का साइज़ देखे. उनके बूब्स का साइज़ देखे. और ऐसा की मूह में पानी आ जाए. अब मैं कहानी पे आता हू.

मेरी फॅमिली में मम्मी, पापा, मेरी 4 बहने, 1 मेरा बड़ा भाई, 1 भाभी, और मैं हू. मेरे भैया का शादी नही हुई थी तब की बात है. हम सब लड़की को देखने राजस्थान जाने वाले थे. क्यूंकी भाभी की फॅमिली वही पे रहती है.

ट्रेन की बुकिंग हो गयी, और बिहार से राजस्थान की दूरी ट्रेन से 2 दिन में पूरी होती है. जाने वाले लोगों में मम्मी, पापा, मेरी 4 बहने, भैया, और मैं थे. मेरी 2 बहनो की शादी हो गयी है, तो दोनो जीजू भी थे. टोटल 10 लोगों की टिकेट हुई, और पूरी फॅमिली, राजस्थान जाने के तैयारी में लग गया.

दीदी मम्मी सभी काई दिन से मार्केट कर रही थी. उन लोगों की आखरी दिन तक शॉपिंग चली. आप समझ सकते है लॅडीस की शॉपिंग कभी ख़तम ही नही होती है. हम लोगों की टिकेट 2न्ड क्लास एसी में थी.

शाम में 5 बजे हमारी ट्रेन थी, और हम लोग घर से टाइम्ली निकल पड़े, और स्टेशन पहुँच गये. मेरी मम्मी सारी पहने हुए थी, जिसमे बहुत ही सेक्सी लग रही थी. क्यूंकी उनका फिगर भी बहुत ही सेक्सी है.

बड़े-बड़े चूतड़, और बड़े-बड़े बूब्स जो सॉफ-सॉफ समझ में आता है.

मेरी 4 बहने ऋतु, मानसी, सुष्मिता, और सोनाली जिसमे से ऋतु और मानसी की शादी हो चुकी है. ऋतु दीदी लोंग फ्रॉक सूट पहने हुए थी. मानसी ट्रॅक्सयूट में थी. सुष्मिता जीन्स त-शर्ट, और सोनाली भी जीन्स त-शर्ट पहने हुए थी.

हम सभी ने ट्रेन पकड़ी, और अपने कॅबिन में चले गये. वाहा पहले से ही कुछ लोग बैठे हुए थे. मैं ये बता डू की हमारी सभी की सीट एक जगह नही थी, अलग अलग जगह पे थी. तो सब को अलग-अलग ही बैठना पड़ा. लेकिन बगी एक ही थी. कॅबिन अलग-अलग हो गये थे.

मेरी मम्मी और बड़ी दीदी ऋतु एक जगह बैठ गये. उपर वाली सीट पे ऋतु दीदी अपना सेट कर ली, और नीचे मैं और मम्मी. उनके सामने वाली सीट पे पहले से ही 2 मर्द बैठे हुए थे. उनकी आगे लगभग 45 से 55 के बीच होगी दोनो की.

मैं साइड से उपर चला गया, उसी मम्मी वाले कॅबिन में ही. हमारे ही कॅबिन के बगल में 6 सीट में से 5 हम लोगों की ही थी. तो उसमे 2 जीजू और मेरी 3 बहने बैठ गये. जीजू अपनी दोनो सालियों और मानसी के साथ बैठ गये.

दूसरी जगह पे पापा और भैया बैठ गये. वाहा पे बस हमारी 2 ही सीट्स थी. लेकिन बगी के लास्ट कॅबिन में उनकी सीट्स थी, जो तोड़ा हम लोगों से डोर थी. इसलिए पापा और भैया खुद वाहा चले गये.

हमारा कॅबिन अलग-अलग था. इसलिए ट्रेन पे चढ़ते ही हम सभी ने 7 बजे ही डिन्नर कर लिया. फिर हम अपनी-अपनी सीट पे सभी चले गये. मम्मी अपनी सीट पे नीचे बैठी हुई थी, और जो 2 फौलादी मर्द सामने बैठे हुए थे, वो दोनो नीचे वाले ही बेड पे बैठे थे.

शायद वो दोनो साथ में ही थे. क्यूंकी सब कुछ शेर कर रहे थे खाने वाला समान. दोनो ने मम्मी से बात करना चालू कर दिया, और मम्मी भी मज़े में बात कर रही थी. तब तक मैने देखा की ऋतु दीदी व्हातसपप चला रही थी. वो अपनी सीट का परदा लगा करके अंदर मोबाइल चला रही थी.

वो दोनो आदमी देखे की दीदी परदा लगा ली है, और मैने उपर जेया करके परदा लगा लिया था. तो वो दोनो मम्मी से फ्रॅंक होने लगे. उसमे से एक आदमी जो तोड़ा काला था, वो बोला-

कला आदमी: आप सब कहा जेया रहे हो?

मम्मी: राजस्थान जाना है. और आप?

कला आदमी: हम लोग भी वही पे बिज़्नेस करते है. हम भी राजस्थान ही जाएँगे.

गोरा आदमी: ये सब आपकी फॅमिली है क्या?

मम्मी: हा, ये मेरे बेटा बेटी है. बगल में दामाद है, और लास्ट में मेरे हज़्बेंड और बेटा बैठे है.

तब तक रात के 9 बाज चुके थे, और नवेंबर का समय था. एसी में जेया रहे थे तो तब तक लोग अपने-अपने कंबल और चादर ओढ़ के सोने लगे थे. तभी ऋतु दीदी उपर से बोली-

ऋतु: मम्मी मैं सो रही हू. बहुत तक गई हू सुबह से ट्रॅवेल करते-करते.

मम्मी: ठीक है, सो जाओ तुम. मैं अभी जागी हू. मैं भी जल्दी ही सो जौंगी.

और फिर ऋतु दीदी अपना परदा बंद किया, और चादर तां के सो गयी. वो दोनो आदमी ने मम्मी से खाने को पूछा तो मम्मी बोली-

मम्मी: मैं खा चुकी हू.

फिर भी वो मिठाई लाए थे, बीकानेर की मिठाई. राजस्थान की बहुत फेमस है. तो मम्मी को दिए और पूछे कैसी है.

मम्मी: बहुत ही अची है, थॅंक योउ इसके लिए.

तभी काले आदमी ने देखा, और बोला: आपके तो बच्चे सो गये दोनो.

क्यूंकी मैने भी परदा लगा लिया था. लेकिन मैं जागा हुआ था, और नीचे ही देख रहा था, तोड़ा सा पर्दे की साइड से.

मम्मी बोली: हा तक गये है, इसलिए सो गये.


और अब धीरे-धीरे सारे कॅबिन वाले अपनी लाइट्स बंद करते जेया रहे थे. तभी मुझे मेसेज आया मेरी गफ़ का, और वो पूछने लगी कहा हो. फिर हम दोनो चाटिंग करने लग गये. मुझे चाटिंग करते-करते 10 बाज गये, और मैने पूरा ध्यान चाटिंग पे ही लगाया हुआ था.

फिर मेरी गफ़ बोली: ठीक है, अब तुम भी सो जाओ. 10 बाज गये है. मैं भी जेया रही हू सोने.

फिर मैने मोबाइल रख दिया, और मैं कंबल ओढ़ करके सोया था. फिर मैने तोड़ा सा मूह निकाल के परदा हटा के देखा, तो मैं तो देखता ही रह गया. वो दोनो आदमी मेरी मम्मी की सीट पे आ गये थे, और बीच में मम्मी थी.

वो दोनो उनकी बगल में बैठे हुए अपने शरीर पे चादर डाल के बातें कर रहे थे. मैने ध्यान दे करके अब पूरा फोकस मम्मी पे ही लगाए रखा.

मम्मी: ये नही, आप दोनो जाओ अपनी सीट पे. कोई जाग जाएगा.

कला आदमी: कोई जागा नही है, आप बस शांत रहो.

तभी मैने उनकी हरकत को देखा. तो एक आदमी मों के बूब्स दबा रहा था, और दूसरा चादर के अंदर ही छूट सहला रहा था. ये कैसे हुआ? मम्मी अपने सीट पे कैसे उन दोनो को आने दी? मैने देखा ही नही. मैं अपनी गफ़ की चाटिंग में बिज़ी हो गया था, और तब तक 1 घंटे में ही ये दोनो अपनी सीट से मम्मी की सीट पे आ गये थे.

मम्मी बहुत दर्र रही थी. वो बार-बार उपर देख रही थी मुझे और ऋतु दीदी को. लेकिन उनको हटा भी नही रही थी. तब तक गोरे आदमी ने चादर को हटा दिया, जो मम्मी के शरीर पे मम्मी रखे हुए थी.

मैने देखा की कला आदमी अपना एक हाथ सारी के अंदर डाल के मम्मी की छूट सहला रहा था. सारी ज़्यादा उपर नही थी, बस घुटने तक थी. लेकिन उसका हाथ अंदर घुस के हलचल मचाया हुआ था. सॉफ दिख रहा था की वो अंदर उंगली कर रहा था छूट में.

और दूसरा गोरा आदमी ब्लाउस के उपर के बटन खोल के चूची दबा रहा था मम्मी की.

ये सब देख करके मेरा भी लंड खड़ा हो गया था. क्यूंकी कला आदमी लगातार मम्मी की छूट चुदाई कर रहा था अपनी उंगली से. मैने अपना सिर घुमा के दूसरे कॅबिन की तरफ देखा तो 1 जीजू भी जागे हुए थे. लेकिन मैने उधर से ध्यान हटा के अभी मम्मी पे ध्यान रखा. तभी दोनो मम्मी से बात करते है.

कला आदमी: आप बहुत गरम हो. आपके पति छोड़ते नही है क्या?

मम्मी: वीक में 2 बार ही छोड़ते है. वो भी घर पे रहते है तो. वरना जॉब है, तो ज़्यादातर घर से बाहर ही रहते है.

गोरा आदमी: ये उपर आपकी बेटी भी गड्राई हुई है. कितने साल की है?

मम्मी: 29 साल की है ये, मेरी बेटी.

तभी कला आदमी उठ के चारो तरफ पूरी बगी में घूम लिया, ताकि कोई जागा हुआ तो नही पता चल जाए.

आप ये कहानी देसी कहानी पे पढ़ रहे है. अगर आपको पसंद आती है. या कोई सजेशन्स या अपने विचार देना चाहते हो, तो आप मेरी एमाइल ईद पे ज़रूर मैल करे.

मेरा एमाइल ईद श्रीस्टीसिंघ1559@गमाल.कॉम

आप अपना विचार ज़रूर भेजे. और कहानी कैसी लगी, और इसमे क्या आड किया जेया सकता है, आप ज़रूर बताए.

नेक्स्ट पार्ट में अब यही से आयेज की कहानी लिखी जाएगी. धन्यवाद.

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