ही फ्रेंड्स, मेरा नाम दृष्टि है, और मैं आपके सामने अपनी बाप-बेटी सेक्स कहानी लेके आई हू. मेरी उमर 20 साल है, और मैं कॉलेज में पढ़ती हू. हाइट मेरी 5’4″ है, और फिगर मेरा 34-28-36 है. रंग मेरा गोरा है. दोस्तों अब तो आप समझ गये होंगे, की मैं कितनी हॉट दिखती हू. ये कहानी 6 महीने पुरानी है. तो चलिए शुरू करते है.
मेरी फॅमिली में मेरे अलावा मेरे मम्मी-पापा, और एक छ्होटा भाई है. मेरा भाई अभी 9त क्लास में है. मेरे पापा की दुकान है, और मम्मी हाउसवाइफ है. पापा दिखने में हटते-काटते है, और उनका लंड 7 इंच लंबा, और 3 इंच मोटा है, जो मुझे बाद में पता चला.
कॉलेज में जाने के बाद सहेलियों और उनके बाय्फरेंड्स के सेक्स की बातें सुन कर मेरी छूट की आग भी भड़कने लगी. फिर मुझे पॉर्न देखने की आदत हो गयी, और मैं फिंगरिंग करने लगी. लेकिन इससे मेरी छूट की आग बुझ नही रही थी. फिर मैने भी सोचा की बाय्फ्रेंड बना लू, लेकिन ऐसे ही किसी पे ट्रस्ट कैसे कर सकती थी.
एक दिन मैं पॉर्न देख रही थी, और अचानक मेरा ध्यान दाद-डॉटर पॉर्न वीडियोस पर गया. पहले तो उन वीडियोस को देख कर मैं बहुत हैरान हुई, की ये कैसे हो सकता है. लेकिन फिर मैने सोचा की अगर मेरा बाप मेरी चुदाई करेगा, तो कितना मज़ा आएगा. यही सोच कर मेरी पापा का लंड देखने की इक्चा हुई. पर प्राब्लम ये थी की मैं लंड देखती कैसे?
फिर मैने सोचा की रात को पापा-मम्मी सेक्स तो करते ही होंगे. और ये सोच कर मैं रोज़ रात को उनके रूम के बाहर घूमने लगी, ताकि जब वो सेक्स करे, तो मैं पापा का लंड देख साकु. पहले 2 दिन तो उन्होने कुछ नही किया, लेकिन जब मैं तीसरे दिन उनके रूम के बाहर से गुज़री, तो मुझे अंदर से आवाज़े आ रही थी.
उनकी आवाज़े सुन कर मैं खुश हो गयी. फिर मैं खिड़की से उनके रूम के अंदर देखने लगी. मैने देखा मम्मी घोड़ी बनी हुई थी, और पापा बेड के नीचे खड़े होके मम्मी की छूट चुदाई कर रहे थे. उनका फेस दूसरी तरफ था, तो मुझे पापा की सिर्फ़ गांद दिखाई दे रही थी. मुझे गुस्सा आ रहा था, और मैं सोच रही थी की इतनी मेहनत करने के बाद भी लंड दिखाई नही दे रहा था.
फिर मैने थोड़ी देर और वेट करने का सोचा. कुछ देर बाद पापा ने मम्मी की छूट से लंड निकाला, और घूम गये. तब मुझे अपने पापा का लंड दिखाई दिया. उनका लंड देख कर मेरी आँखें चमक गयी. इतना लंबा और मोटा लंड, एक-दूं पॉर्न वीडियोस के हीरोस जैसा.
पापा का लंड मम्मी की छूट से पानी से गीला हुआ पड़ा था, और कमरे की हल्की रोशनी में चमक रहा था. उनके लंड को देखते ही मेरे मूह में पानी आ गया, और मेरी छूट में खुजली होने लगी. मैने डिसाइड कर लिया, की अब मेरे पापा का लंड ही मेरी छूट फाड़ेगा. फिर मैं अपने रूम में चली गयी, और फिंगरिंग की.
अगली सुबा मैं सोचने लगी की मैं पापा का लंड लूँगी कैसे. क्यूंकी मम्मी हमेशा घर रहती है, और मुझे पापा के साथ अकेले रहने का मौका नही मिलता. फिर मुझे एक केफे पर वो मौका दिखा.
मैं कॉलेज से आ रही थी, और मुझे केफे के बाहर एक बोर्ड लगा नज़र आया. उस बोर्ड पर वेकेन्सीस लिखा था, और अलग-अलग जॉब्स की डीटेल्स थी. उस बोर्ड को देखते ही मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया. वो आइडिया ये था, की अगर मैं कोई जॉब फिल कर डू, तो मुझे एग्ज़ॅम देने जाना पड़ेगा. तब घर वाले मुझे अकेली तो भेजने से रहे, और साथ पापा को जाना पड़ेगा. और तब हमे अकेले में टाइम स्पेंड करने का मौका मिलेगा.
ये सोच कर मैं जल्दी से केफे में गयी, और 2 जॉब्स के फॉर्म फिल करके आई, जिनके एग्ज़ॅम सेंटर्स शहर से बाहर बनने वाले थे. अब बस मैं रोल नंबर का इंतेज़ार कर रही थी. 10 दिन बीट गये, लेकिन अभी तक रोल नंबर नही आया था. इन 10 दीनो में रोज़ रात को मैने पापा को मेरी चुदाई करते इमॅजिन करके फिंगरिंग की थी.
फिर एक दिन मेरा रोल नंबर आ गया, और मैं खुशी से झूम उठी. मैने उसमे देखा की एग्ज़ॅम सेंटर कहा था, तो मेरी खुशी और बढ़ गयी. क्यूंकी एग्ज़ॅम सेंटर दूसरे शहर में था, जो हमारे शहर से 200 केयेम डोर था. फिर मैने घर पर ये बात बताई.
मैने जो सोचा था वहीं हुआ. पापा और मैं एग्ज़ॅम के लिए ट्रेन से जाने वाले थे. और पापा की गैर-हाज़री में मम्मी दुकान पर काम देखने वाली थी. सब कुछ प्लान से हिसाब से जेया रहा था. पापा से चुदाई का सोच कर मेरी तो छूट बार-बार गीली हो रही थी. फिर पापा ने एसी कॉमपार्टमेंट की टिकेट्स बुक की. हमे 3 दिन बाद जाना था, और रात की ट्रेन थी.
अब वो दिन आ गया था जिस दिन मेरा और पापा का मिलन होने वाला था. मैं बहुत खुश थी. सुबा नहाते हुए मैने अपनी अंडरआर्म्स और अपनी छूट के बाल निकाले. मैने छूट को एक-दूं चिकनी कर दिया, ताकि पापा को उसको चाटने, चूसने, और छोड़ने में कोई दिक्कत ना हो. छूट को सॉफ करते-करते मैं हॉर्नी फील करने लगी, तो मैने बातरूम में ही फिंगरिंग कर ली.
फिर शाम हुई, और हम लोग एक बाग में कपड़े लेके स्टेशन के लिए निकल गये. वैसे हमारे पास गाड़ी है, पर फिर भी हम कॅब पर गये, क्यूंकी स्टेशन पर पार्किंग की दिक्कत रहती है.
हमारी ट्रेन रात को चल कर सुबा पहुँचने वाली थी. इसलिए हम लोग रात को नाइट सूट पहन कर ही घर से निकले थे. मैने एक ब्लॅक लेगैंग्स पहनी थी, और साथ में डार्क पिंक त-शर्ट थी. मेरी लेगैंग्स काफ़ी टाइट थी, जिसमे मेरे छूतदों और जांघों की शेप पूरी दिखाई पद रही थी. त-शर्ट थोड़ी लूस थी, जिसमे मेरे बूब्स पहाड़ बनाए हुए थे.
पापा ने कुर्ता पाजामा पहना हुआ था. वो रात को सोते हुए अंडरवेर नही पहनते थे, और हर रोज़ की तरह आज भी नही पहना था. फिर हम ट्रेन में चढ़ गये, और अपने कॉमपार्टमेंट में जाके बैठ गये.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको इस बाप-बेटी सेक्स कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा. अगर आपको ये पार्ट पसंद आया हो, तो कॉमेंट करके फीडबॅक ज़रूर दे.