सर्दी के मौसम में सगे भाई से चुद गयी

मैं कामिनी आप सभी का में स्वागत करती हूँ। पिछले साल की बात है। सर्दियों के दिन चल रहे थे। कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। मैं 18 साल की जवान लड़की हो गयी थी। मेरा भाई आलोक मेरे साथ ही कमरे में सो जाता था। जब से मैंने होश सम्भाला था भाई मेरे साथ ही सोता था। दोस्तों मेरे घर में सिर्फ 4 कमरे थे। एक में मम्मी पापा, दुसरे में दादा जी, तीसरे में चाचा और चाची और चौथे में मैं भाई आलोक के साथ रहती थी। दिसम्बर का महिना चल रहा था। इस बार पता नही हूँ ठंड भी कुछ जादा ही पढ़ रही थी। उपर से हफ्ते हफ्ते बादल में सिर्फ कोहरा और धुध ही रहती थी। मुझे तो इस तरह का मौसम बिलकुल भी पसंद नही था। मुझे तो सिर्फ खिली हुई धूप वाला मौसम पसंद था। पर कुदरत के आगे सब मजबूर थे।
“बेटी कामिनी कमरे में ठंड तो नही लग रही है???” मम्मी ने शाम को पूछा

“लगती है मम्मी। ये कामिनी की बच्ची तो पूरी रजाई अपनी तरफ खींच लेती है और मैं सर्दी से ठिठुरता रहता हूँ” मेरा भाई आलोक बोला
“मम्मी प्लीस!! मेरे लिए एक नई रजाई ला दो” आलोक मम्मी से बोला
शाम को पापा मम्मी बजार गये और एक मोटी रजाई ले आये। उस रात जब मैं अपने भाई के साथ सोयी तो मुझे जरा भी सर्दी नही लगी। क्यूंकि दोस्तों ये रजाई बहुत बड़ी थी। उस रात मुझे मस्त नींद थी। सुबह के 3 बजे के आसपास पारा 0 डिग्री पर पहुच गया था। हवा भी अचानक से और अधिक ठंडी हो गयी थी। मैंने खिड़की से बाहर ताका तो सब तरफ सिर्फ कोहरा ही कोहरा था। मैं वापिस आकर लेट गयी और मजबूरन मुझे खुद को बचाने के लिए आलोक से चिपकना पड़ा। तक जाकर मुझे नींद आई। 1 घंटे बाद मेरे सगे भाई ने मुझे कसके बाहों में भर लिया जैसे मैं उसकी बहन नही गर्लफ्रेंड हूँ। फिर वो मुझे किस करने लगा। मैं तो भोली भाली लड़की थी। सेक्स और चुदाई के बारे में कुछ नही जानती थी। मैंने एक हल्की से गोल्डन कलर की नाईटी पहन रखी थी।

धीरे धीरे आलोक ने मुझे किस करना शुरू कर दिया। मेरे बूब्स को वो नाईटी के उपर से सहलाने लगा। मैं नींद में थी। इस वजह से मैं और जादा उससे चिपक गयी थी। मेरा भाई आलोक आज मुझे चोदना चाहता था। वो मेरी चूत में अपना 7″ का मोटा लंड पेलना चाहता था। और मैं कुछ नही जानती थी। आलोक ने मेरी नाईटी को उपर सरका दिया और मेरी कमर सहलाने लगा। दोस्तों मैं बहुत गोरी और सुंदर लड़की मेरा बदन बहुत गोरा, भरा हुआ और सुडौल। मेरा फिगर कमाल का था। मैं बहुत सेक्सी और हॉट माल लगती थी। 36, 30, 34 का फिगर था मेरा। छरहरा और बिलकुल फिट। मेरे मम्मे बहुत नर्म और रसीले थे। मेरी चूत भी बिलकुल कुवारी और गुलाबी रंग की थी।

धीरे धीरे आलोक मेरी कमर सहला रहा था। फिर अचानाक उसने मेरी पेंटी में हाथ डाल दिया और मेरे गोल मटोल पुट्ठो को सहलाने लगा। मुझे अच्छा लग रहा था। मैं नींद में थी पर मुझे ये अहसास हो रहा था की कोई मेरे गदराये जिस्म से खेल रहा है। आलोक ने काफी देर तक मेरे गोल मटोल पुट्ठो को सहलाया। फिर उसने मेरी चूत को सहलाना शुरू कर दिया। मुझे अच्छा लगने लगा था। पर मेरी आँखें अभी भी बंद थी। मुझे गहरी नींद आ रही थी। अलोक ने अपना बर्मूडा उतार दिया और अंडरवियर भी निकाल दिया। उसका लौड़ा 7″ लम्बा था और काफी मोटा तगड़ा था। वो मेरी चूत में ऊँगली कर रहा था। दोस्तों कुछ देर बाद मेरी नींद टूटने लगी और मैं “…उई. .उई..उई…माँ..ओह्ह्ह्ह माँ..अहह्ह्ह्हह.” की सेक्सी आवाजे निकालने लगी। पर मेरी आँखें अभी भी बंद थी। फिर अलोक और तेज तेज मेरी बुर में ऊँगली करने लगा। उसने कब मेरी पेंटी उतार दी मैं जान नही पाई। मेरा भाई अलोक मेरे उपर आ गया और उसने मेरी चूत पर लंड रख दिया। उसके बाद उसने मेरे मुंह पर हाथ रख दिया और जोर का झटका मेरी चुद्दी में मारा। पहले की धक्के में उसका 7″ मोटा लंड मेरे भोसड़े में किसी पेंचकस की तरह घुस गया। आलोक ने जल्दी से मेरा मुंह दबा दिया था जिससे मैं चिल्ला ना सकूं।

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फिर वो मुझे चोदने लगा। शुरू शुरू में मुझे काफी दर्द हो रहा था। पर आलोक रुका ही नही। वो मुझे चोदता रहा। 15 मिनट बाद मेरा दर्द खत्म हो गया था। फिर आलोक ने अपना हाथ मेरे मुंह से हटा दिया था। वो कितना बड़ा बहनचोद है ये मुझे आज मालुम हुआ। फिर वो मेरे होठो पर किस करने लगा। दोस्तों मुझे भी काफी मजा मिल रहा था। इसलिए मैंने भाई को दोनों बाहों में कसके जकड़ लिया और जल्दी जल्दी चुदाने लगी। मैं अब भी नाईटी पहने हुई थी। आलोक मुझे जल्दी जल्दी चोद रहा था। उपर से उसने रजाई ओढ़ रखी थी। दोस्तों कुछ देर बाद मुझे बहुत जादा मजा मिलने लगा। मैं ” हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ ..ऊँ-ऊँ.ऊँ सी सी सी सी. हा हा हा.. ओ हो हो..” बोलकर चिल्ला रही थी। गर्म गर्म आवाजे निकाल रही थी। मैं आज अपने सगे भाई से चुदा रही थी।

मैं नीचे नजर डाली तो आलोक का ताकतवर लंड मेरे भोसड़े की दीवार, उसके सुरक्षा कवच को भेद चुका था। उसका लंड जल्दी जल्दी मेरी चूत में अंदर बाहर सरक रहा था। मै चुद रही थी। फिर अलोक ने मेरी ढीली नाईटी के गले से मेरे दोनों चूचियों को बाहर निकाल लिया और मुंह में लेकर चूसने लगा। मुझे जन्नत जैसा मिल रहा था। वो मेरे दूध पी पीकर मुझे पेल रहा था। मैं भी कितनी छिनाल बहन थी की अपने सगे भाई से चुदा रही थी। मैं बिलकुल भी शर्म नही कर रही थी। मेरे जिस्म में सेक्स का ज्वालामुखी फट चुका था। मेरी चूत में तो वासना के शोले धधक रहे थे। मेरी चूत किसी भट्टी की तरह गर्म हो गयी थी। बार बार मैं अपनी गांड और कमर हवा में उपर उठा देती थी।

“अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ..अअअअअ..आहा ..हा हा हा… तुम मस्त चुदाई कर रहे हो भाई..करते रहो.रुकना मत.. अहहह्ह्ह्हह.चोदो चोदो मुझे और कसके चोदो भाई” मैं इस तरह से किसी रांड की तरह चिल्ला रही थी और अपने सगे भाई का मनोबल बढ़ा रही थी। फिर आलोक और जोश में आ गया। उसने मेरे दोनों बूब्स को हाथ से पकड़ लिया और कस दिया और जल्दी जल्दी मुझे पेलने लगा। मैं बिस्तर से कुछ इंच उपर उछली जा रही थी। मुझे मैं सेक्स की चरम सीमा को महसूस कर रही थी। 1 मिनट के लिए आलोक रुक गया। उसका मोटा लंड मेरे भोसड़े में घुसा हुआ था। वो 1 मिनट के लिए रुक गया और मेरे होठ फिर से किस करने लगा। मैंने शरारत की और उसके नीचे के होठ को दांत से काट लिया। ऐसा करने से लड़के और जादा सेक्सी हो जाते है। उसके बाद मेरे भाई आलोक ने फिर से मेरे भोसड़े में लंड की सप्लाई शुरू कर दी।

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वो मुझे फिर से पेलने लगा। मैंने भी अपने दोनों पैर खोल दिए थे। आलोक मुझे फटाफट चोद रहा था। मेरे पेट में मरोड़ उठ रही थी। फिर आलोक ने अपनी स्पीड अचानक से बढ़ा दी। और बिजली की रफ्तार से मेरी बुर चोदने लगा। मैंने भी अपने दोनों पैर हवा में उठा दिए। मजबूरन सर्दी के मौसम में भी मुझे रजाई हटानी पढ़ गयी थी। मुझे रजाई के साथ चुदाई ठीक से नही हो पा रही थी। मैंने रजाई को पकड़कर जमीन में फेंक दिया। अब आलोक खुलकर मेरे भोसड़े में बड़े, और गहरे शॉट मार सकता था। मैं फिर से “उ उ उ उ उ..अअअअअ आआआआ. सी सी सी सी… ऊँ-ऊँ.ऊँ..” बोलकर चिल्लाने लगी। फिर आलोक ने ऐसा ही किया। वो जोर जोर से लम्बे शॉट्स मेरी चूत में मारने लगा। जैसे कोई फुटबालर गोल करने की कोशिश कर रहा था। फिर आलोक ने अपना सीधा हाथ मेरे चूत के दाने पर रख दिया और जल्दी जल्दी घिसने और मसलने लगा। अब तो मैं पागल हुई जा रही थी।

“भाई…आआआआआ.औररर..जोररर से चोदोदो दो..सी सी सी..ईई. आज फाड़ के रख दो मेरा भोसड़ा। किसी रंडी की तरह आज तुम मेरी चूत मारो” मैंने कहा और मैं किसी बेहया और बेशर्म लड़की की तरह खुद अपने चूत के दाने को घिसने और मसलने लगी। अलोक मुझे जल्दी जल्दी चोदने लगा। लगा की मुझे टॉयलेट हो जाएगी। फिर मैंने जल्दी से अपने मुंह से कुछ थूक लिया और चूत के दाने पर लगा दिया और जल्दी जल्दी दाने को घिसने लगी। मुझे चरम सुख मिल रहा था। 35 मिनट आलोक ने मुझे चोदा और फिर लंड 1 सेकंड के लिए बाहर निकाल लिया। उसने अपनी हाथ की बीच वाली 2 लम्बी ऊँगली मेरी बुर में डाल दी और जल्दी जल्दी मेरी चूत फेटने लगा। आखिर मेरे सब्र का बाँध टूट गया। मेरी चूत अपना झरना छोड़ने लगी। पिच्च पिच्च पिच्च पिच्च कम से कम 8 10 बार मेरी चूत से पानी निकला जिसमे आलोक का पूरा मुंह भीग गया। फिर उसने लंड मेरे भोसड़े में वापिस सरका दिया और मुझे 10 मिनट और चोदा। दोस्तों सुबह जब मैं उठी तो मैं अपना कुवारापन खो चुकी थी। अपने सगे भाई के साथ मैंने कसके चुदाकर अपनी सील तुडवा ली थी। खून के दाग बेडशीट पर लगे हुए थे। मैं चुद चुकी थी वो भी अपने आगे भाई आलोक से।



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