टीचर ने खुद दिया चुदाई का मौका

मेरा नाम सौरव है, और मैं 1स्ट्रीट एअर का स्टूडेंट हू. मैं जमशेदपुर के एक बड़े कॉलेज में पढ़ रहा हू. मेरे घर वाले काफ़ी खुले विचार वाले है. इसलिए मुझे सेक्स को लेके कभी च्छूपना च्छुपाना नही पड़ा है. मैने अपनी गर्लफ्रेंड को काई बार घर में बुला कर छोड़ा है. लेकिन आज मैं आपको अपनी सबसे मज़ेदार और लंबी चुदाई के बारे में बताने जेया रहा हू.

इस छूट को मारने के लिए मैं बेसब्री से इंतेज़ार कर रहा था. लेकिन ये छूट थी भी करिश्मा माँ की. इसकी छूट ना फाड़ना अससन था ना इसकी प्यास बुझाना. करिश्मा माँ मेरी क्लास की टीचर थी. और कॉलेज में अपने लंबे बालों, गांद, और मोटी-मोटी चूचियों के लिए फेमस थी.

ना जाने कितनी बार लड़कों ने करिश्मा माँ की चुदाई सोच-सोच करके अपना पानी छ्चोढा होगा. लेकिन मैने तान लिया था की मैं पानी करिश्मा माँ की छूट में ही छ्चोधुंगा.

मैं को-एड कॉलेज में था इसलिए मुझे लड़कियों की कमी कभी नही थी. वैसे भी मेरे पापा ने मुझे बहुत कम उमर से जिम की आदत डाल दी थी, तो मेरी अची ख़ासी बॉडी थी. जो किसी भी लड़की को मुझे एक नज़र तो देखने में मजबूर कर ही देती थी. इसलिए काई लड़कियों ने अपनी छूट मुझसे चुड़वणी चाही थी. लेकिन मुझे करिश्मा माँ की ही चूत को छोड़ने की बेसब्री थी.

करिश्मा माँ का फिगर बहुत हॉट था. उनका साइज़ 38″ बूब्स, कमर 34″ और मोटी गांद 48″ की थी. उनके कानो तक ये बात पहुँच चुकी थी, की कॉलेज में लड़कियाँ मेरी दीवानी थी. नज़ाने क्यूँ उन्हे देख कर मुझमे एक अलग सा जोश उठ जया करता था.

मैं जान-बूझ कर किसी ना किसी बहाने से माँ के आस-पास ही रहना चाहता था. इसलिए जब कभी स्टॅफरुम से कुछ लाना होता था, तो माँ मुझे ही भेजती थी. कितनी बार माँ भी मेरे साथ स्टाफ रूम चली जाया करती थी. शायद माँ को भी मैं बाकी लड़कियों जैसा दीवाना कर रहा था.

एक बार की बात है. कुछ लड़के माँ के पीरियड में लंड की ड्रॉयिंग बना रहे थे, जो की करिश्मा माँ ने देख ली. फिर माँ के आने से पहले एक लड़के ने वो पेज फाड़ कर मेरे डेस्क पे फेंक दिया, जो की माँ ने खोल के देखा. पर उन्होने मुझे कुछ नही कहा.

मैने मौन हो कर सोचा आज तो मैं गया, और मेरी कोई ग़लती भी नही. माँ के पास आने की सारी कोशिश मेरी बेकार हो जाएगी मैं तो गया. क्या मुझे कॉलेज से निकाल देंगे वग़ैरा-वग़ैरा. मेरे मॅन में यही सवाल उठ रहे थे.

माँ ने मुझे क्लास ख़तम होने के बाद स्टॅफरुम चलने को कहा, और मेरे पसीने छ्छूट रहे थे, की मुझे उस चीज़ के लिए सज़ा ना हो जो मैने किया ही नही. लेकिन मैं हिम्मत करके अपनी सीट से उठा, और माँ के साथ चल दिया. कॉरिडर में माँ चलते-चलते रुक गयी. मेरे दर्रे हुए चेहरे को देख कर वो मुस्कुराइ. फिर उन्होने जो कहा, वो सुन कर मैं असचर्या में पद गया. उन्होने कहा-

मेडम: ये तुम्हारा काम नही है मैं जानती हू. लेकिन मैने काफ़ी लड़कियों को सुना है तुम्हारी मर्दानगी की तारीफ करते हुए. और मैं ये भी जानती हू की तुम मुझे बहुत पसंद करते हो.

मैं कुछ बोल पौन इसके पहले माँ ने मेरे गाल पे एक किस की, और मेरे हाथ को अपनी गांद पे लगा कर दबाने को कहा. लेकिन तभी रिसेस की बेल बाज गयी, और सब टीचर्स बाहर आने लगे. तब मैं वापस मूड कर क्लासरूम की तरफ चल दिया.

आज जो हुआ मेरे साथ, पुर दिन मैं वो सोचता रहा. की करिश्मा माँ ने किस किया मुझे, और अपनी गांद मसालने का मौका दिया. मेरे लिए बात हाज़ाम कर पाना कठिन था. लेकिन मुझे लग रहा था मेरा मकसद सच होने जेया रहा था. उसके बाद मुझे हर क्लास के बाद माँ स्टॅफरुम ले जाने के बहाने से अपने बारे में तोड़ा-तोड़ा बताती रहती.

लेकिन मैने माँ को गरम नही किया. क्यूंकी वो कॉलेज था, और कोई कभी भी आ जाता, तो हम दोनो की बदनामी होती. माँ को मेरी ये बात अची लगी की मैने कभी खुद को पिघलने नही दिया. लेकिन मैं भी आख़िर इतनी हसीन हवस की प्यासी के सामने कब तक खुद को ठंडा रख पाता?

असल में माँ के पति को गुज़रे कुछ महीने हो गये थे, और तब से माँ की प्यास किसी ने नही बुझाई. लेकिन मुझे ये मौका मिला आन्यूयल फंक्षन वाले दिन. करिश्मा माँ उस दिन नीले राँग की सारी में आई थी, और कसम से पताके की दुकान लग रही थी. उनके हिलने से उनकी चूचियों का हिलना हर कमसिन लंड को खड़ा करने के लिए काफ़ी था.

माँ ने मुझे एक नज़र देखा और फिर हासणे लग गयी. क्यूंकी मुझे पता था की आन्यूयल फंक्षन के चलते पूरा कॉलेज फंक्षन में बिज़ी होगा. मैने तान लिया ये मौका माँ को अपनी रंडी और अपने लंड की दीवानी बनाने का था. माँ ने मुझे अपने पास बुलाया और कुछ देर साथ बैठने को कहा. फिर मैने माँ को कहा-

मैं: माँ सिर दर्द का बहाना करके क्लास में आ जाइए. आपके लिए सर्प्राइज़ है.

माँ समझ गयी और मुस्कुराने लगी. मैं दौड़ कर नीचे गया, और क्लासरूम में माँ का वेट करने लगा. कुछ देर बाद माँ आई. लेकिन स्टाफ के साथ जो उन्हे नीचे तक छ्चोढने आया था, स्टॅफरुम में बिता कर कुछ देर बात करने के बाद वो वापस उपर चला गया. उसके जाने के कुछ देर बाद करिश्मा माँ आई, और क्लासरूम की कुण्डी लगा ली.

बस फिर क्या था. माँ ने मुझे अपने सामने बुलाया, और मुझे उपर से नीचे तक देखने लगी. माँ ने अपने हॅंड बाग में से पर्फ्यूम निकाला और लगा लिया.

फिर उन्होने कहा: ज़रा मेरे गले के पास आ कर बताओ सूंघ कर, की ये स्मेल कैसी है.

मैं माँ के लंबे-लंबे बालों को एक तरफ करते हुए उनके गले के पास गया, तो माँ ने मेरी पंत में हाथ डाल दिया. मुझसे रहा नही गया, और मैं माँ के गले को चूमने लगा. जब तक मैं माँ को गांद से पकड़ कर खुद की तरफ खींचता, तब तक माँ का हाथ मेरे लंड की मालिश कर रहा था.

माँ ने मेरी पंत खोल के निकाल दी. अब माँ अपने हाथो से मेरे लंड को उपर-नीचे कर रही थी. ज़ोर-ज़ोर से करने पे मेरा पहला पानी निकल गया. क्यूंकी मैने मूठ ना मारने की ठानी थी, जब तक मैं करिश्मा माँ की छूट नही मार लेता. माँ की सारी पे सारा पानी छ्चोढने से माँ की सारी गीली हो गयी.

अब तक मैं इतना गरम हो चुका था, की मैने बोला: क्यूँ बे रंडी साली, गीली सारी पहन के जाएगी? मुझे तेरी सारी खोलने दे. आज तुझे अपने लंड पे कुदवौनगा.

ये बोलने के साथ माँ गरम होने लगी, और मेरे लंड पे अपना हाथ रख दिया. अब मेरा लंड उबाले मार रहा था, और माँ की छूट को ठोकने के लिए तैयार था. इधर माँ मेरे लंड को रग़ाद रही थी, और मैं उनकी छूट की तरफ देख रहा था. मैने अपना हाथ सारे के नीचे से ही उनकी टाँगो पे फेरना शुरू कर दिया. फिर नीचे झुक कर उनकी पनटी की खुश्बू लेने लगा.

कसम से ऐसी खुश्बू थी की उनकी छूट का दीवाना बनने में किसी को टाइम ना लगे. मैं उस खुश्बू में इतना मदहोश हो गया की मेरा लंड बड़ा होते चला गया. इतना बड़ा अपने लंड को मैने आज तक नही देखा था. माँ भी मेरे इतने बड़े लंड को देख कर होंठ चबाने लगी.

फिर माँ ने मुझे खड़ा किया, और लीप लॉक कर दिया. उनका एक हाथ मेरे लंड को मसल रहा था, और मेरा एक हाथ अब उनके एक बूब्स पे जेया चुका था.

मौसमी जैसे उनके बूब्स मानो टिप दो तो अभी दूध से नहा लू मैं. हम एक-दूसरे को लीप लॉक कर रहे थे, और एक-दूसरे के लंड और बूब्स दबाने में मगन थे. कुछ देर बाद माँ खाली ब्रा और पनटी में मेरे सामने खड़ी थी. अब उन्होने दोनो हाथ से मेरे लंड को पकड़ा, और अपनी छूट पे रगड़ने लगी.

उनकी सिसकियाँ बंद करने के लिए ताकि कोई हमे सुन ना ले, मुझे उनको चूमते रहना पड़ा. अब माँ घुटनो के बाल झुक चुकी थी. मेरे लंड का सुपरा माँ अपनी थूक से गीला करने लगी थी. माँ की थूक भी ऐसी थी मानो गुलाब को निचोढ़ दिया गया हो. माँ ने थूक से मेरे लंड को पूरी अची तरह से गीला किया.

फिर मैं माँ के बालों को पकड़ के ज़ोर-ज़ोर से लंड उनके मूह के अंदर-बाहर करने लगा. वो इतने मज़े से मेरा लंड खा रही थी, मानो इस लंड की कितने दिन से भूखी थी वो. मैं उनके बाल ज़ोर से काससे, और वो और कस्स कर मूह में लंड अंदर-बाहर करने लगी.

मैं इस हद तक गरम हो चुका था, मानो आज तो माँ की छूट फाड़ने की तान ली थी मैने. माँ अंदर-बाहर मूह में लेने में बिज़ी थी. पूरा दूं लगाने पर भी माँ मेरा लंड पूरा अंदर नही ले पा रही थी. इतना बड़ा लंड आख़िर उन्होने पहले कभी देखा भी नही था.

मेरा लंड 8 इंच का था, जो की माँ की थूक में लथपथ था. माँ उसे चूस-चूस कर और मोटा कर रही थी. मानो मेरे शरीर में करेंट दौड़ रहा था. कुछ और देर चूसने के बाद माँ का मूह दुखने लगा. अब मेरी बारी थी माँ को खुश करने की.

मैने माँ को खड़ा किया, और उनकी गांद पे ज़ोर-ज़ोर से थप्पड़ मारे. उनकी गांद लाल हो गयी थी. अब मैने माँ को गोद में उठाया, और डेस्क पे लिटा दिया. फिर मैने अपनी जीभ माँ की छूट में लगा दी, और माँ की छूट चाटने लगा. माँ ने मेरे मूह को अपनी छूट की तरफ लगाया, और सिसकियाँ लेनी लगी.

उनके मूह से “ऊ आ उम्म हा, मज़ा आ गया राजा छातो मेरी छूट आचे से, मेरा पानी निकालो उम्म आ एस” ये निकल रहा था. मैं भी और ज़ोर से जीभ चलाने लगा. अब माँ एक-दूं गरम हो चुकी थी, और मेरा लंड भी छूट में जाने के लिए तैयार था. मैने बिना देर किए माँ को पूरा का पूरा नंगा कर दिया. उनकी ब्रा और पनटी उतार दी मैने.

अब वो मेरे सामने पूरी नंगी लेती थी, और वो अब मेरी सेक्सी बॉडी को अपने हाथो से टच कर रही थी. माँ वर्जिन नही थी, लेकिन उनकी छूट का च्छेद ज़्यादा बड़ा नही था. और मेरा इतना बड़ा था, की लंड उनकी छूट में जाता तो एक बार तो उन्हे बहुत दर्द होता. इसलिए मैने अपना अंडरवेर उनके मूह में तूस दिया.

फिर मैने उनकी एक टाँग उठा कर अपने कंधे पे रख ली. फिर मैने लंड का टोपा सरकया और छूट पे लंड को रख कर धीरे-धीरे मसालने लगा, ताकि दर्द कम हो. माँ मदहोश हो रही थी. अब मैने धीरे-धीरे लंड को अंदर डालने की कोशिश की, जो की पहले-पहले दिक्कत दे रहा था.

माँ को लंड दर्द दे रहा था. लेकिन धीरे-धीरे थूक लगा कर डालने से कुछ ही देर में लंड आधे से ज़्यादा अंदर चला गया था. माँ ने लेते हुए डेस्क का एक कोना पकड़ लिया, और अब जब की मेरा लंड माँ की छूट में चला गया था, तो पुर मज़े से माँ मुझसे चुदाई करवा रही थी.

माँ की आहें सुन कर मैं और ज़ोर से ढाके मारने लगा, और देखते ही देखते उस रंडी के छूट ने पानी छ्चोढ़ दिया. वो अब मेरी रंडी हो गयी थी करिश्मा रंडी. अब मैने माँ को गोद में उठा लिया था, और दीवार के सहारे लगा कर छोड़ने लगा. माँ ज़ोर-ज़ोर से मेरे लंड पे कूद रही थी, और सिसकियाँ भर रही रही. वो मुझे चूम रही थी.

कुछ ही देर बाद मैं भी झाड़ गया. मैने अपना पानी माँ की छूट में ही छ्चोढ़ दिया. कुछ पानी मैने उनके मूह के अंदर छ्चोढ़ दिया. फिर चुस्वा के लंड अपना सॉफ करवाया और हम दोनो ने एक-दूसरे को कपड़े पहनाए. उसके बाद माँ को कभी कही और जाने की ज़रूरत नही पड़ी.

तो ये थी मेरी करिश्मा माँ के साथ, जो की अब से मेरी रंडी थी, उसके साथ पहली चुदाई. आपको ये कहानी कैसी लगी पढ़ के मुझे ज़रूर बताईएएगा. नेक्स्ट पार्ट में मैं बतौँगा कैसे इस रंडी को मैने नहाते हुए उसके घर में छोड़ा.

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