सुदामा मौसी का चुदाई ज्ञान

Sudama mausi ka chudai gyaan दोस्तों मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी लेकर हाजिर हूँ
बात बहुत पुरानी है लेकिन सच्ची है। क्योंकि जब की यह बात है तब तो शायद हमने यह सोचा भी न हो कि ऐसा माध्यम होगा जिससे मैं इसे बहुत सारे लोग से बाँट सकूँ गा, इसिलए के वल
घटना को जोड़ने के लिए कल्पना का सहारा लूँगा। यही कल्पना इस सच्ची घटना को कहानी के रूप में बदलेगी ! तो प्रिय पाठक अगर यह कहानी आप को पसंद आये तो मुझे
जरूर बताना

हाई स्कू ल की परीक्षा के बाद मैंने जिद पकड़ ली िक अब की बार मुझे चाचा की ससुराल
जाना ही है। वहाँ मुझे बहुत अच्छा लगता था। हाला कि मेरे चाचा की ससुराल
जिसे मैं नाना का गाँव
कहता था बहुत ही छोटा सा गाँव है। मेरे चाचा के कोई औलाद न होने के कारण
चाचा ने मुझे गोद ले
िलया था इस िलए वहाँ भी मेरी आवभगत बिलकुल सगे नाती जैसी होती थी। सुदामा
मौसी जो की
मेरे नाना की सबसे छोटी संतान हैं मुझसे बहुत ही हिली थी । वह नाना की
सबसे छोटी संतान थी
बाकी दोन बेटे जो िक उनसे बहुत बड़े थे पटना और बनारस में अपने परिवार के
साथ रहते थे। बस
कभी-कभार गर्मियों में आ जाते थे। वह लोग बहुत अमीर थे। मेरे नाना भी
अपने गाँव के जमीदार
थे। बहुत सारे खेत थे। बड़ा सा आम का बाग था। तीन-चार पंप थे। ट्रेक्टर था।

सुदामा मौसी मुझे बहुत प्यार करती थी । थी वह मुझसे बस तीन साल बड़ी लेिकन वह
बहुत दबंग लड़की थी जब भी मैं गर्मियों में जाता तो मुझे वहाँ बहुत मजा
आता। आम के बाग की
रखवाली करते और घूमते। गाँव में नाना अकेले ठाकु र थे बाकी अहीर और दूसरी
छोटी जाती के लोग
ही रहते थे। सुदामा मौसी को सभी बीट्टो कहते।

चूँिक इससे पहले मुझे वहाँ गये तीन साल हो गये थे, इसिलए मैं काफी
रोमांिचत था। मैं खुद
अब पहले वाला राज शर्मा नही रह गया था तो वह भला अब पहले जैसी कहाँ होंगी
! वहाँ पहुचकर देखा
तो वह सचमुच मे बदल गई थी । अब वह जवान हो गयी थी । पूरा शरीर भर गया था। पहले वह
घाघरी और चोली पहनती थथी , लेिकन इस बार उन्होने शलवार कमीज पहन रक्खी
थी। मुझे देखते ही
उन्होने मुझे लिपटा लिया हालाँकि यह उनका बस प्यार था, लेिकन मुझे
अजीब-सा लगा। मेरा सीना उनकी
बड़ी छातियो से जब िमला तो मेरी हालत अजीब हो गयी। ऐसा उन्होने पहली बार
ये सब नही िकया था,
बिल्क वह पहले भी ऐसे ही मिलती थी , लेकिन अब हम बदल गये थे। वह बड़ी हो
गई थी और मै जवान
हो रहा था। साथ पढ़ने वाले लड़क के बीच जो जवानी के लक्षण से अनजान होते थे वह भी सब
जानने लगते थे। मेरे अन्दर भी इस उमर् की स्वाभाविक क्रियाए पनप गयी थी ।
बिल्क कुछ अधिक ही
पता चला की बड़े मामा का परिवार भी पटना से आया था सब तो चले गये लेकिन
उनकी बड़ी बेटी नीलम यही रुक गई थी नीलम के बारे मे मैने सुना तो था,
लेिकन देखा तो आँख खुली रह गई ।
वह सुदामा बुआ से एक साल छोटी थी , लेिकन शरीर से पूरी जवान औरत िदखती
थी। सच कहूँ तो मैं
क्या कोई भी उन्ह देखता होगा तो उनकी छातियो पर ही उसका ध्यान जाता होगा।
मने सोचा! जैसे
दो मटके सामने बाँध िदये गये हो। पहली बार वह जब िमली तो उन्होने स्कटर्
और टॉप पहन रक्खी
थी। मैं उन्हे देखकर देखता ही रह गया। उन्ह भी शायद इस बात का अनुमान हो
गया, क्योंकि
उन्होने उसी समय सुदामा मौसी की तरफ देखकर कु छ उनके कान मे कहते हुए
मुस्कु राने लगी । तभी
सुदामा मौसी की चुनरी गिर गयी। मेरे सामने ही। नीलम ने उसे लेकर अपने कधे
पर डाल िलया और
जोर से हँस पड़ी।

शाम तक मैं उनसे भी घुल-िमल गया। रात को खाने मे नानी ने ढेर सारे पकवान बनाये थे।
खाना खाकर हम सग आँगन मे लेटने गये। बहुत देर तक बात होती रही। नीलम दीदी
की चारपाई पर
मैं सुदामा मौसी बैठे। नानी और नौकरानी सुिखया नानी भी वह थी। बात करते
करते नीलम और
सुदामा मौसी दोनो ही मुझे घौल-धप्पे लगाने लगी । बैठे-बैठे जब मैं थक गया
तो मैं उसी चारपायी पर
अधलेटा हो गया। मेरा पैर सुदामा मौसी की कमर से लग गया, न जाने िकस भावना
के तहत मैने वहाँ
से पैर को हटाया नही , बिल्क एकाध बार अँगूठे से उनकी कमर को खोद भी
िदया। दूसरी तरफ नीलम
दीदी भी अधलेटी हुईं तो उनका पैर मेरी दोनो टाँग के बीच मे आ गया। मने
जानबूझकर आगे
खिसक कर अपने लंड से उनके पैर का स्पर्श करा िदया। उन्ह ने पहले तो अपने
पैर को पीछे िकया,
लेिकन िफर आगे कर िदया। उनका पैर रह-रहकर मेरे लिंग से स्पर्श करने लगा,
लेिकन मने अपनी
साँसे रोकरक स्वयं को स्थिर कर िलया , मगर उसके तनाव को भला कै से रोक
सकता था? उस समय
मैं सिर्फ़ पैजामा पहने था। असल मे अभी तक पेंट या पैजाम के नीचे चड्धि
पहनता ही नही था

अपने पैर को एक बार िसमेटकर िफर फै लाया तो उनके पैर का पंजा एकदम से
मेरे तने िलग के ऊपर
आ गया। उन्ह ने हटाया नही । मेरी हालत खराब होने लगी, िफर भी हिम्मत करके मने अपनी
पोजीशन बदली नही । उन्होने सुदामा बुआ से कु छ धीरे से कहा तो वह मेरी
तरफ आ गई और मेरे
बालो मे अँगुिलया डालकर फेरने लगी वो पहले भी ऐसा करती थी, लेिकन इस बार
मेरे अन्दर एक
अजीब सी मदहोशी छाने लगी। मने भी हिम्मत करके एक हाथ उनकी जाँघ पर इस तरह रख िदया
मानो ऐसा अनजाने मे हुआ हो।

दूसरे िदन हम लोग सुबह ही बाग रखवाली के िलए िनकले। मटरू काका जो िक
हमारा ट्रेक्टर
भी चलाते थे उनका परिवार ही बाग की रखवाली करता था, लेिकन अब हम लोग के कारण वह
लोग नही आने वाले थे। यहा अभी आम के पकने मे काफी िदन थे, लेकिन आमियो की
तो देखभाल
करनी थी। बाग मे एक छप्पर था। िजसे लू और हवा से बचने के िलए तीन तरफ से
घेर िदया गया
था। असल बात तो यह थी िक रखवाली तो बस नाम की थी, वरना िकसी की इतनी हिम्मत नही थी
िक बाग की तरफ आँख उठाकर देखे।

सुदामा मौसी घर के काम को समेटकर आने वाली थी , मैं और नीलम दी पहले िनकल गये।
बाग घर से दूर था। सुदामा मौसी हम लोग का खाना लेकर मटरू काका के साथ आने
वाली थी ।
उनको खेत की िसचाई के िलए पंप चलाना था। उनकी पत्नी वहाँ पहले से ही थी ।
गाँव की सीमा से
िनकलते ही नीलम दी ने कहा, ”राज तुम बड़े हो गये हो।”

मैं चुप रहा। उनकी तरफ देखने लगा। और उनके साथ चल रहा था।

उन्होने अचानक मेरे बिल्कुल िनकट आकर हाथ बढ़ाकर मेरे लिंग को पैजाम के
ऊपर से छू ते
हुए कहा, ”बहुत कड़ा रहने लगा है।

मैं तो उनके इस स्पर्श से िसहर सा उठा। जैसे किसी ने करं ट का झटका दे िदया हो।

उन्होने फिर कहा, ”किसी बिल मे गया?”

हालांिक मैं समझ गया कि वह क्या कहना चाह रही थी , लेिकन मैने बुद्धू
बनते हुए कहा, ”मै
समझा नही
आज कलके लड़के बड़े हरामी होते हैं
मेरे जी मे आया की काहु लड़किया लेकिन कहा नही
अभी तक किसी लड़की के किए हो
मैं अंजान बनते हुए बोला क्या
उन्होने मेरे लिंग को छुआ तो वो और कड़ा हो चुका था वो बोली-बुद्धू ना बनाओ

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मैं समझ गया की मेरी चोरी पकड़ी गई है मुझे थोड़ी सी शरम भी आ रही थी फिर
मैने सोचा बेटा तूने अगर की शरम तो फूटेंगे तेरे करम ,, मैं बोला आपका
मतलब चुदाई …अभी नही …. सपने मे तो बहुत बार निकल जाता है
क्या…………..?
बीज ,, हमारे यहाँ जो सपने मे निकलता है उसे बीज कहते है
,, जहाँ से निकलता है वो जगह दिखाओ ” नीलम दीदी ने इधर उधर देखते हुए
कहा ;; यहाँ कोई नही देखेगा

चारो तरफ सुनसान था मई मे तो सुबह से ही गर्मी शुरू हो जाती है
” मुझे शरम आती है ”
”मुझसे क्या शरमाना ‘
कोई जान जाएगा की मैने अपना ये दिखाया है तो मेरी खैर नही ” मैने अपने
लिंग की तरफ इशारा करते हुए कहा
” यह क्या लगा रखा है सॉफ सॉफ इसका नाम क्यो नही लेते ”
”नूनी’
हाय राम तेरे मिन से ये नाम कितना अच्छा लगा ” दिखा ना ”
मैने इधर उधर देख कर शर्त को ऊपर उठाया और पाजामे के नाडे को खोल दिया और
पाजामे को नीचे कर दिया
मेरी खड़ी नूनी सामने आ गई हम चलते रहे वो अजीब निगाहो से मेरी नूनी
देखती रही फिर बोली ” बाल को बनाते नही
”बाल ”
अरे ” झाँत ”
उन्होने मेरी झाँत को पकड़ कर खिच दिया मैं दर्द से सीत्कार उठा ” वह
बोली सच अभी किसी को नही चोदा है ”
”आप तो नीलम दीदी ”
” मन होता है ”
मैने हिम्मत करके कहा ” हाँ ”
” अपनी सुदामा मौसी को छोड़ोगे ”
”हट” कहकर मन मे आया कि कह दूँ तुम चुदवा लो”
” क्या हट ” वह अच्छी नही लगती ?”
मैं चुप ही रहा
” मैं अच्छी लगती हूँ ?”
” हाँ ”
”क्यू”
आप बहुत सुंदर हैं ”
” हट ”
आपकी ये बहुत अच्छी है ” मैने उनकी चुचियो की तरफ इशारा करके कहा
” बहुत बड़ी हैं”
” सुदामा बुआ की ”
”मुझे क्या पता ”
”क्यू उन्हे देख कर आँख बंद कर लेते हो/” मैं चुप रहा
वह मेरी नूनी को पकड़ कर चलाने लगी मुझे लगा की मेरा वीर्य निकल जाएगा
मैने कहा ”अब छोड़िए नही तो निकल जाएगा ”

उन्होने मेरे लंड को छोड़ दिया मैने अपने पाजामे का नाडा बाँध लिया लेकिन शर्ट वैसे ही उपर बँधी रही नूनी तनी हुई दिखाई दे रही थी उनकी चुननी गले मे लिपटी थी चलने मे दोनो चूचियाँ हिल रही थी मुझे लग रहा था की वो कड़ी भी हो गई है ” वह बोली ” पटना मे तो तेरह साल के लड़के लड़किया चुदाई का खेल खेल खेलने लगते हैं ” तुम तो गाँव मे रहते हो यहाँ तो किसी को कही आने जाने की मनाही भी नही है किसी को भी चोद सकते हो”
” कोई तैय्यार नही होती और मुझे डर भी लगता है ”
” मन तो होता है ”ये कह कर वो चुप हो गई मैं नही समझ पाया की वो मेरे
या अपने मन की बात कर रही है हम बाग मे पहुच गये वहाँ छप्पर के नीचे
चारपाई पड़ी हुई थी दो खाद की बोरी के बने बिस्तर थे हम लोगो को देखते ही
मटरू काका की पत्नी खड़ी हो गई और बात करने लगी पता चला की खेत सीचने है
लेकिन बिजली ही नही है मटरू काका देखकर गांजा पीने गये है यह सूचना देकर
वह इधर उधर की बाते करने लगी उनकी मज़े की बाते चल रही थी कि तभी नाना के
साथ सुदामा मौसी आती दिखी नाना आए थे मटरू काका से खेतो की सिंचाई के लिए
बात करने ” लेकिन उन्हे वहाँ न पाकर बहुत नाराज़ हुए और फिर वही हमारे
पास बैठ कर इधर उधर की बाते करने लगे जब मटरू आए तो उन्हे डाँटकर सिंचाई
का ध्यान रखने के लिए हम लोगो का भी ध्यान रखने के लिए कहकर चले गये

नाना के जाते ही बिजली आ गई काकी घर चली गई वह पानी चलाकर गई
” चलो हम लोग भी नहाए ” नीलम दीदी ने कहा”
” घर ही बता देती तो वहाँ से कपड़े लेकर आते ” क्या पहनकर नहाएँगे?”
सुदामा मौसी बोली ”
”चुन्नी तो है”
मेरे पास गमछा है गर्मियो मे मैं अपने साथ हमेशा गमछा रखता था
” टंकी मे मज़ा आता है’ इस बार सुदामा मौसी बोली
हम लोग पंप पर पहुचे तो वहाँ पर मटरू काका थे वह हम लोगो को देखकर खुश हो
गये और बोले ” बिटन हम जेया रहे हैं नशा करने , गये थे मिला ही नही ,
पानी तो खोल ही दिया है , चल रहा है बस हम यू गये और यू आए बाबू साहब से
ना कहना ” वो चले गये

उनके जाते ही मैने सबसे पहले कपड़े निकाले और गमछा पहन कर पानी मे उतर
गया टंकी गहरी थी पानी गले तक था
सुदामा मौसी थोड़ा हिचकिचाई तो नीलम दीदी ने उन्हे उकसाया उन्होने चुन्नी
कमर मे लपेट कर अपनी शलवार उतार दी और जम्पर भी उतार दिया अब उनके शरीर
पर समीज़ रह गई उनकी गोल बड़े आम की तरह छातियों की आक्रति साफ दिख रही
थी उसके नीचे और कुछ भी नही था . नीलम दीदी ने भी वैसा ही किया लेकिन
उनकी पीली रंग की समीज़ के नीचे बनियान थी जो साफ दिख रही थी उनके पानी
मे उतरते ही सब साफ दिखने लगा चुन्नी बार बार उपर आ जाती थी और मेरा गमछा
भी , हम लोग पानी मे खेलने लगे . सुदामा मौसी ने पानी के अंदर नीलम दीदी
की चुन्नी खींच ली . वह तुनकने लगी ”बुआ मैं नंगी हो गई दो ना ”

” चल हट” यह कह कर वो दीवार पर बैठ गई . भीगने के कारण उनकी समीज़ उनकी
चूचियो को ढकने मे नाकाम हो रही थी दोनो चुचिया साफ दिखाने लगी

मैं देखने लगा तो नीलम दीदी बोली ” क्या देख रहे हो राज ?”
हालाँकि मैं ये सब समझ गया कि यह सब ये दोनो जानबूझ कर रही है लेकिन मैने
चोन्कने का नाटक करते हुए कहा ” ”कुछ नही”

तब सुदामा मौसी ने पानी मे उतर कर नीलम दीदी कोपकड़ कर उठा कर दीवार पर
बिठा दिया और उनकी मटके जैसी मस्त चूचियो को पकड़ कर बोली ”ले राज तू भी
पकड़ ”

मैं हिचकिचाया तो मुझे एक हाथ से खिचकर पास कर लिया और मेरा हाथ पकड़ कर
नीलम दी की चुचियो पर रख दिया बोली ” रगड़ दे मेरे लाल करदे इन्हे लाल

नीलम दीदी खिलखिलाने लगी और पानी मे उतर कर सुदामा मौसी को पकड़ कर दीवार
के किनारे सटा कर थोड़ा उपर उठाकर समीज़ को उपर उठा दिया सुदामा मौसी की
नंगी चुचिया मेरे सामने आ गई वह एक हाथ से उनकी चुचिया सहलाने लगी और
दूसरे हाथ से मेरी नूनी को पकड़ कर खींचते हुए बोली ” आ ना मसल अपनी
मौसी की चुचियाँ ”
मेरी नूनी को छोड़कर मेरा हाथ पकड़ कर सुदामा मौसी की नंगी चुचियो पर रख
दिया मैने सोचा अब बहुत हो गया बेटा ”मैं सुदामा मौसी की चुचिया सहलाने
लगा और एक हाथ से नीलम दीदी भी सहलाने लगी .

सुदामा मौसी की आँखे बंद होने लगी वह इस तरह हिल रही थी कि मुझे लगा की
नीलम दीदी पानी के अंदर अपनी दो उंगलिया उनकी योनि मे डालकर हिला रही थी
उन्होने मुझे इशारा किया की मैं सुदामा मौसी की चुचियो को मुँह मे लेकर
चुसू . मैने उन्हे गौर से देखा तो वह तन गई थी और फूल भी गई थी उनके आगे
दाने तन गये थे उनके मुँह से अजीब तरह की आवाज़े भी निकल रही थी मैं एक
चुचि को मुँह मे लेकर चूसने लगा और दूसरी को अपने हाथ से सहलाने लगा .
नीलम दीदी मेरी नूनी को अपने हाथ मे लेकर सहलाने लगी फिर मेरे हाथ को
पकड़ कर अपनी मटकी जैसी चुचियो को मसलवाने लगी और फिर मेरी नूनी को अपने
हाथो से तेज़ी से सहलाने लगी मैं भी सुदामा मौसी की चुचियो को पीते हुए
नीलम दीदी की चुचियो की कपड़े के उपर से ही मसलने लगा बड़ी मस्त चुचिया
थी मन कर रहा था की सुदामा मौसी की चुचियो को खा जाउ और नीलम दीदी की
चुचियो को निचोड़ लूँ . कुछ देर बाद सुदामा मौसी एकाएक सुस्त सी पड़ गई
तो नीलम दीदी ने कहा ” गई”

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फिर नीलम दीदी ने मुझे उठा कर दीवार पा बिठा दिया और मेरा गमछा सामने से
हटा दिया तो मेरी नूनी नंगी हो गई . झान्ट के बाल पानी मे भीगने के कारण
चिपक गये थे अभी मेरी झान्टे बड़ी और घनी नही हुई थी नीलम दीदी ने कहा
”बुआ इसका मुट्ठामार”
” कैसे ”
” तेज़ी से आगे पीछे करके ”
सुदामा मौसी मेरे लंड को हिलाने लगी इसी बीच नीलम दीदी ने अपनी समीज़ और
बॉडी उपर चढ़ा ली और फ़ुटबाल के जैसी उनकी मस्त चुचियाँ भल्ल से बाहर
निकल आई मैं दोनो चुचियो को हाथो मे लेकर दबाने लगा मसलने लगा मेरी नूनी
कड़क होकर उपर उठ गई . सुदामा मौसी अपने हाथ तेज चलाने लगी अंत मे मैने
भल्ल भल्ल कर अपना वीर्य बाहर फॅंक दिया
मेरा वीर्य कुछ पानी मे और कुछ नीलम दीदी के मुँह पर पड़ा मैं सुस्त हो
गया हालाँकि मैने दोस्तो के साथ कई बार हॅंडप्रेक्टिस की थी लेकिन ऐसा
मज़ा पहली बार आया था

” कैसा लगा ” नीलम दी ने पूछा
” स्वर्ग मे पहुँच गया था ” मैने कहा
”अपनी सुदामा मौसी को चोदेगा” नीलम दी ने कहा
मेरे कुछ कहने से पहले ही सुदामा मौसी ने कहा ”हाँ तेरी नीलम दीदी के तो
बुर है ही नही”

मैं जानती हूँ कि मेरी बुर नही चूत है ”मैं दो लोगो से चुद चुकी हूँ बुआ
” लेकिन तुम्हारी तो बुर है ऐसी कच्ची बुर को तो राज शर्मा ही चोदेगा अब
राज ही इसे चूत बनाएगा

” हाई राम तुम्हे दो लोगो ने चोदा है”मैने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा
” लेकिन अभी तो तुम्हारी शादी भी नही हुई है”
” शादी तो तेरी भी नही हुई है फिर तू क्यू अपने लॅंड से भल्ल भल्ल करके
वीर्य फेंक रहा है रे हरामी” मौसी ने दुलार भरे अंदाज मे कहा

” अच्छा अब बाते छोड़ो और दोनो मुझे ठंडा करो ” नीलम दी ने कहा
तब मैं उनकी एक चुचि मुँह मे लेकर चूसने लगा और दूसरी को हाथ मे लेकर
मसलने लगा मौसी शायद पानी के अंदर उनकी चूत मे उंगली डालकर हिलाने लगी
थीं उनकी आँखे बंद होने लगी और वो बाड़-बड़ाने लगी ” हाई राम जी इतना
आनंद तो चुदाई मे भी नही आ रहा था चाचजी तो खाली अंदर डाल कर हिलाते है
बहुत हुआ तो किस हुआ ” हाई राम जी हाई राम” और वह मेरे मुँह को अपनी
चुचियो से हटाकर अपने मुँह के पास ले गई फिर अपनी जीभ मेरे मुँह मे डालकर
चूसने लगी . मैं हाथो से उनकी मखमली चुचियो को सहलाने लगा वह एकाएक ढीली
पड़ती हुई बोली ” मैं गई ”

तीनो ही झड़कर ठंडे होकर एक दूसरे को नोचते दबाते हुए खेलने लगे तभी दूर
से मटरू काका आते दिखे हमने जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहने और उनके आने से
पहले हम तीनो बाग की तरफ चल दिए वह आए तभी शायद बिजली चली गई कुछ देर
प्रतीक्षा की फिर हमारेपास आए हम लोग खाना खा रहे थे वो बोले ” बीट्टो
अब राज बाबू भी है मैं गाँव जा रहा जैसे ही बिजली आ जाएगी मैं आ जाउन्गा
”’ वह चले गये . दोपहरी का सूरज सिर पर आ गया था दूर खेतो मे काम करने
वाले किसान भी आप घरो को चले गये बाग मे पेढो की छाँव से ठंडक थी मुझे
पिशाब लगा तो मैं एक तरफ जाने लगा सुदामा मौसी ने कहा ”’ कहाँ ”
मैने कहा ” पिशाब करने ”
वह बोली” यही कर लो मैं देखूँगी तुम्हारा मूत कितनी दूर जाएगा ”

अब हमारे बीच की शरम लगभग ख़तम हो गई थी मैने कहा ” मैं भी देखूँगा जब
तुम मुतती हो तो कितनी ज़ोर से सीटी बजाती हो ” दोनो खिलखिला कर हँसने
लगी

मैं छप्पर से बाहर आकर मुतने लगा वह दोनो मेरे मुतते हुए लंड को देखने
लगी फिर मैं अंदर आकर चारपाई पर बैठा तो मुझे ज़मीन पर बिस्तर पर बिठा कर
नीलम दीदी ने मेरा पाजामा निकाल दिया और मुझे गीला गमछा पहना दिया मेरा
लंड खुल गया सुदामा मौसी उसे उंगलियो मे फँसाकर छेड़ने लगी दूसरी तरफ
अपनी भारी चुचियो से कपड़ा हटाकर कुतिया की तरह बनकर मेरे मुँह पर चुचियो
को झुलाते हुए रगड़ने लगी कड़े होकर उनके दाने काले जामुन के आकार के हो
गये थे
उनमे रक्त भर गया और वो फूल गई पत्थर की तरह कड़ी हो गई सुदामा मौसी भी
अकड़ने लगी तो नीलम दी ने उन्हे वही लिटाकर उनकी शलवार को पैरो से निकाल
दिया उनकी काली झान्टो से भरी चूत मेरे सामने आ गई उनकी चूत का दाना उभर
कर बाहर निकल आया था दी ने मुझे सहलाने का इशारा किया तो मैं अपनी हथेली
से उनकी चूत का मसाज करने लगा मैं हथेली के निचले हिस्से से चूत को
रगड़ने लगा हथेली को अंदर दबाया तो चूत के अंदर का लाल हिस्सा दिखाई देने
लगा इसी बीच नीलम दी ने उनकी चुचियो को आज़ाद कर दिया और उनकी कड़ी
चुचियो पर अपनी चुचिया रगड़ने लगी

सुदामा मौसी ने नीचे से ही नशीली आवाज़ मे कहा ” राज इसकी बेल की तरह
कड़ी चुचियो को फोड़ डाल ”
” इसकी भंडारे जैसी चूत को रगड़ रगड़ फाड़ दे मैं तो हू ही अपनी चूत
तुझसे चुदवाने के लिए ” नीलम दी ने कहा

मौसी ने नशीली आवाज़ मे कहा ” इसके पॅपीट को फोड़ दे तो मैं मटरू काका
की बेटी की अमरूद जैसी छोटी छोटी चुचियो को तुझसे दबवाने की व्यवस्था कर
दूँगी ”

” मुझे मौसी और दीदी के अलावा किसी और को नही चोदना है ” मैने कहा
” चल तो बता पहले किसको चोदेगा दो लंड का स्वाद ले चुकी चूत या अनतच
कुँवारी चूत को ” नीलम दी ने मस्तानी आवाज़ मे कहा ” चुदासी तो दोनो ही
हो गई हैं ”
मैं मौसी की चूत को अपनी हथेली से रगड़ रहा था वह उत्तेजना मे मुँह से
हों हों की आवाज़ निकाल रही थी एकाएक वह सुस्त पड़ गई इसका मतलब था कि वो
झाड़ गई थी नीलम दी ने फटाफट अपनी शलवार को निकाला और अपनी टाँगो को
फैलाकर मेरे लंड पर अपनी चूत का निशाना बाँध कर बैठ गई . फॅक से मेरा लंड
उनकी चूत मे समा गया और वो मेरे लंड
उछाल कूद करने लगी घापाघाप ऊपर नीचे उठक बैठक करने लगी मेरा तो उत्तेजना
के मारे बुरा हाल था
सुदामा मौसी बाहर जाकर देख आई कही कोई आस पास तो नही आ रहा और फिर हमारे
पास आकर हमारी चुदाई को देखने लगी नीलम दी ने हाफ्ते हुए कहा ” बुआ तुझे
तो मैं राज से कुतिया बनाकर चुदवाउन्गि” ……….



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