ही दोस्तों मैं निकू लेकर आई हू अगली सेक्स कहानी. अभी तक अपने पढ़ा कैसे मैं रंडी खाने से बाहर निकली, और उस आदमी के साथ कुछ दिन बिताए. उसने मुझे मुंबई की टिकेट भी दिलाई, और कुछ पैसे भी. अब आगे-
तो मैं वो पैसे लेकर घर से निकली और एक शॉर्ट ड्रेस लेकर रेलवे स्टेशन पहुचि. फिर ट्रेन का वेट करने लगी. मेरी टिकेट 1स्ट्रीट क्लास एसी की थी. जैसे ही ट्रेन आई, मैं ट्रेन के अंदर अपनी सीट देख रही थी.
मेरे कॉमपार्टमेंट में एक यंग लड़का था, जो दिखने में अछा था. जैसे ही उसने मुझे देखा, तो वो देखता ही रह गया. मुझे बात करने के बाद पता चला उसका नामे मनीष था, और वो देल्ही फॅमिली से मिलने आया था.
ट्रेन चल पड़ी. शाम का वक़्त था, तो ठंडी लग रही थी. मैं चादर ओढ़ कर अपनी सीट पर सो गयी, और वो मोबाइल उसे कर रहा था, और मेरे बूब्स को बीच-बीच में ताड़ रहा था. मैं जानती थी वो मुझे छोड़ना चाहता था. और मैं बस उसको तरसा रही थी, और उसके सामने नींद में हू, ऐसे दिखाते हुए अपने बूब्स बाहर निकाल कर दिखा रही थी.
इससे वो और उत्तेजित हो गया. तभी अचानक त्क आया, और हमारी टिकेट्स चेक करने लगा. पूछने पर पता चला की हमारे कॉमपार्टमेंट में बस हम ही थे आख़िर तक, जिसको सुनने के बाद वो मेरी तरफ शरारत की नज़रों से देखने लगा. मैं फिर से उसको स्माइल दे कर सो गयी.
कुछ देर बाद मैं उठी, और टाय्लेट जाने लगी. मैने देखा तो कॉमपार्टमेंट के सब लोग ज़्यादातर सो रहे थे, और कहीं-कहीं चुदाई चल रही थी. जैसे ही मैने पेशाब करके बाहर आने के लिए दरवाज़ा खोला, तो सामने मनीष खड़ा था.
फिर जैसे ही मैं बाहर जाने लगी, उसने मुझे अंदर दबा दिया, और मूह पर हाथ रख कर अंदर से कुण्डी लगा ली. अब वो मुझे ज़ोरदार किस करने लगा. जैसे-तैसे मैने उसको डोर किया और बोली-
मैं: क्या कर रहे हो? कोई आ जाएगा.
पर उसने नही सुना, और वो फिर से मुझे किस करने लगा, यहाँ-वहाँ छ्छूने लगा, और मुझे पागल करने लगा. मैं अभी मज़े से सिसकारियाँ ले रही थी, पर उसको दिखावे के लिए डोर भी कर रही थी. तभी उसने अपनी पंत उतरी, और मुझे नीचे बिता दिया. फिर उसने अपना तन्ना हुआ लंड मेरे मूह में डाल दिया, और मेरे मूह को छोड़ने लगा.
उसका लंड जैसे ही गीला हुआ, उसने मेरी बॅक अपनी तरफ की, और पनटी बिना निकाले ही उसको तोड़ा साइड करके मेरी छूट में अपना लंड डाल दिया. मैं वॉशबेसिन को पकड़ कर झुक गयी. जैसे उसका लंड अंदर गया, मैं चिल्लाई-
मैं: आहह, आराम से ना सेयेल. सीट पे चलो, वहाः जैसे चाहो छोड़ लेना.
बुत वो नही सुना. फिर उसने एक झटका दिया, और अपना पूरा लंड मेरी छूट में उतार दिया, और मेरे मूह पर हाथ रख लिया. मैं बस दर्द से तड़प उठी, और चिल्लाने लगी. पर वो भी नही कर पाई. मेरी आँखों में आँसू आ गये थे, और मैं बस आ आह आह कर रही थी. 2 मिनिट बाद मेरी छूट गीली होने लगी, और मुझे मज़ा आने लगा.
मैं अब मज़े से उससे चूड़ने लगी. 15 मिनिट वाहा छोड़ने के बाद वो मेरे मूह में झाड़ गया, और मुझे वैसे छ्चोढ़ कर ही चला गया. जैसे ही मैं बाहर निकल रही थी, तभी कोई अंदर आ गया और वो भी मुझे छोड़ने की कोशिश करने लगा.
मैं जानती थी मुझे उससे चूड़ना ही पड़ेगा, और मुझे चूड़ना भी था, क्यूंकी उस आदमी ने मुझे लंड की आदत सी लगा दी थी. बेरेहमी से छोड़ता था रोज़. मैने बिना कुछ बोले उसके लंड को मूह में डाल लिया, और चूसने लगी. वो तो 5 मिनिट में ही मेरे मूह में झाड़ गया, और चला गया. उसके बाद मैं भी कॉमपार्टमेंट मैं आ गयी, और मनीष पर चिल्लाने लगी-
मैं: पागल हो गये थे क्या? उस आदमी ने देख लिया. यहः आने के बाद भी तो छोड़ सकते थे. मैने माना थोड़ी किया था.
ये सुनते ही उसने वापस मुझे जाकड़ लिया, और दीवार से लगा दिया, और मेरे बाल खोलते हुए मुझे किस करने लगा. मैं भी उसका साथ दे रही थी, और उसको पूरा मज़ा दे रही थी. उसके बाद उसने मुझे विंडो पकड़ा कर झुका दिया, और खुली खिड़की में मुझे छोड़ने लगा. मैं बस मज़े से उससे चुड रही थी, और आ आ की सिसकारियाँ लेने लगी.
15 मिनिट ऐसे ही छोड़ने के बाद उसने मुझे विंडो पर खाना खाने के लिए लगी छ्होटी हॅंगिंग टेबल पर बिता कर मेरी छूट में लंड डाला, और मुझे छोड़ने लगा. वो मुझे ज़ोर-ज़ोर से किस करने लगा, और मैं भी. ह उम्म्म उफफफफ्फ़ फक, मैं ऐसे सिसकारियाँ करने लगी, और ऐसे ही वो मुझे 2 घंटे तक छोड़ता रहा.
वो 2 बार मेरे मूह में कम किया. एक बार भी मेरी छूट में पानी नही छ्चोढा, जिससे मुझे शांति मिले. बाद में उसने बताया की कॉंडम नही थे, इसलिए ऐसा किया. फिर मैने उसको अपनी कहानी सुनाई. उसने मुझे एक ऑफर दिया की अगर में यही काम करू, तो वो मुझे हर आदमी से चूड़ने के 10000-20000 देगा.
मैने उसको हा कह दिया. वो एक लॅडीस बार में वेटर का काम करता था, जहा बड़े बिज़्नेसमॅन और पॉलिटीशियन मज़े करने आते थे. वो दूसरे दिन रात को मेरे घर आया, और मुझे बोला-
मनीष: तुम अभी लोनवाला जेया रही हो. 2 रात के लिए 50000 मिलेंगे, और कुछ टिप मिली तो रख लेना.
फिर एक सुव आई, और मुझे उसमे बिता दिया, और वो चला गया. उसके बाद वो सुव मुझे सीधा लोनवाला लेकर गयी. जैसे ही मैं फार्महाउस पहुँचने वाली थी, उससे तोड़ा पहले ही मुझे एक रूम में ले गये, और वाहा मेकप ड्रेस सब दे गये.
वो ड्रेस एक कॉलेज स्टूडेंट की थी, छ्होटी सी फ्रॉक टाइप, जिसे बिना निकाले ही उस आदमी ने मुझे एक छ्होटी लड़की की तरह बहुत बेरेहमी से छोड़ा 2 रात तक. ये सब बंद आँखों से हुआ. मुझे आख़िर तक उस आदमी का चेहरा दिखाई नही दिया. लास्ट में भी जब मेरी आँखें खुली, तो मेरे सामने आदमी तो होता था, बुत उसको हमेश एक मास्क पहनाया होता, जिससे उसको पहचान ना पाए.
उस आदमी ने मुझे 60000 रुपय दिए, जिसमे 10000 एक्सट्रा आस टिप दिए. फिर वो आदमी रूम से बाहर चला गया, जिसके बाद ड्राइवर मुझे वापस मेरे घर छ्चोढ़ कर घर चला गया. फिर मनीष मुझे घर आ कर मिला, और मुझे बताया की उस आदमी को मेरी सर्विस अची लगी थी.
उसके बाद वो ऐसे ही मुझे काई लोगों से चुड़वता था, बुत हर बार जब भी मेरी आँखें खुली थी, तो मुझे छोड़ने वाले आदमी के मूह पर मास्क होता ही था. उसने मुझे काई बार बाहर लोगों से चूड़ने भेजा है अभी तक, जो मैं बाद में बतौँगी. तो अभी चलती हू. इस चुदाई की कहानी के अगले पार्ट में बतौँगी कैसे मैं और मेरी दोस्त ‘रहंीकरॉस्स्द्रेससेर’ मिले, और कैसे हमने साथ क्या-क्या किया. कहानी अची लगे तो रिप्लाइ करना गाबोत्तों600@गमाल.कॉम
पर.