शादी-शुदा नही तो कुँवारी चूत सही

अनुज (ड्रिंक का ज़्यादा असर हो चुका था): रक्षित सिर आप सच में बहुत आचे हो. अगर मैं लड़की होता, तो ज़रूर आपसे शादी कर लेता (सब हासणे लगे).

मेरे सीनियर ने बोला: रक्षित इसको नशा हो गया है. इसको यही सुला दो, और हम चलते है.

मैने ओक कहा और वो सब निकल गये. उनके जाते ही अनुज बेहोशी की हालत में था, तो मैने उसको सहारा दे कर बेडरूम में लिटा दिया. जैसे ही मैने उसको लिटाया, तो उसका फोन जेब से निकल कर बाहर आ गया. मैने सोचा चेक किया जाए इसका और आकृति का कहा तक पहुँच चुका था शादी का प्लान.

फोन पर फिंगर से अनुज का फोन अनलॉक किया और सीधा Wहत्साप्प पर चला गया. उसमे देखा तो आकृति से बहुत बात हो रखी थी. उस छत में मैने देखा आकृति थोड़ी हॉर्नी टाइप की बातों में इंट्रेस्टेड थी, और अनुज उससे शादी के लिए बार-बार पूच रहा था.

मैने अनुज का Wहत्साप्प अपने फोन में ओं कर लिया, और जब-जब किसी का भी मेसेज आता, तो मेरे पास भी नोटिफिकेशन आती (हॅकिंग टाइप चीज़ों में मेरा दिमाग़ बहुत चलता है).एक दिन आकृति का मेसेज

अनुज के पास आया: रक्षित सिर और दक्षिता का कुछ चल रहा है क्या?

अनुज: मुझे पता नही इस बारे में. लेकिन तुमने ये सवाल क्यूँ किया?

आकृति: मुझे लगता है वो उनकी इतनी केर करते है. बात मानते है. दक्षिता से ही बातों में लगे रहते है.

अनुज: मुझे सच में नही पता. अगर कर भी रहे है तो करने दो. वो दोनो ही मॅरीड है. शादी तो करेंगे नही, बस सेक्स ज़रूर हो सकता है.

आकृति: हा सही बोल रहे हो. ये दोनो सेक्स के चक्कर में ही है. क्यूंकी दक्षिता का हज़्बेंड यहा नही रहता. 3 महीने में एक वीक के लिए आता है. दक्षिता को मैने च्चेड़ते हुए पूछा भी था “रातें तो हसीन होंगी”. तो दक्षिता ने उदास मॅन से जवाब दिया था “कहा यार, वो साथ होते नही है, और मॅन को मारना पड़ता है. अगर कोई सही सा मिल जाए तो कुछ सोचा जेया सकता है. क्यूंकी मेरी बॉडी की नीड है, वो फुलफिल ना होने के कारण मैं भी चिड़चिड़ी रहती हू” (ये सब बातें मैं लगातार पढ़ रहा था).

अनुज: जाने दो हुमको क्या? करने दो दोनो को जो कर रहे है.

अब मुझे कुछ ज़्यादा उमीद नज़र आने लगी थी. मैने अब बात आयेज बढ़ने की सोच ली थी.

एक दिन ऑफीस में काम ज़्यादा होने के कारण मैं, दक्षिता और अनुज बैठे थे. रात के करीब 9:30 हो रहे थे.

मैने अनुज को धीरे से बोला: अनुज तुम घर जाओ, अब मैं और दक्षिता है.

फिर अनुज भी हस्स के चला गया. अब ऑफीस में दक्षिता और मैं ही बचे थे.

मे: दक्षिता एक बात मेरे बहुत दीनो से दिल में थी, अगर बुरा ना मानो तो बोल डू?

दक्षिता: मुझे पता है आप क्या बोलना चाहते हो. औरत की नज़र बहुत तेज़ होती है.

मे: तो बताओ मैं क्या बोलने के लिए बोल रहा हू?

दक्षिता: ई लोवे योउ.

मे: दक्षिता सच में यार आपको देखते ही मेरे दिल में पता नही क्या-क्या चलने लगता है. मुझे सच में आपसे प्यार हो गया है.

दक्षिता: आप और मैं तो मॅरीड हो. लेकिन फिर हम दोनो प्यार कैसे कर सकते है?

मे: दक्षिता मॅरीड ज़रूर है, लेकिन प्यार में कोई हर्ज़ नही है. दक्षिता प्लीज़ दिल मत तोड़ना.

दक्षिता: मैं सोच के जवाब दूँगी.

मे: कल तक बता देना. पूरी रात है आपके पास. अगर आपकी हा हो तो कल वही ड्रेस पहन के आना जो इंटरव्यू वाले दिन फेणी थी.

अगले दिन दक्षिता वो ड्रेस पहन के नही आई. मुझे लगा शायद उसकी ना थी. इसलिए मैं पुर दिन बिज़ी रहा, दक्षिता को इग्नोर करके कभी मीटिंग, कभी जाके अपने सीनियर के साथ बैठ गया, और कभी अनुज के साथ. मेरा मॅन बिल्कुल भी अब काम में नही लग रहा था.

फिर शाम हुई तो घर पर वाइफ थी नही. इसलिए मैं भी ऑफीस में लाते तक बैठने की सोच रहा था. इतने में ही अनुज आया और बोला-

अनुज: सिर कल का तो आपने बताया नही.

मैने कोई जवाब नही दिया, और वो चला गया. रात के करीब 10 बजे थे. मुझे भूख भी लग रही थी. अनुज जेया चुका था. आकृति और दक्षिता दोनो ही काम कर रही थी. मैं ऑफीस से निकल रहा था अपनी बिके लेके, इतने में आकृति आई.

आकृति: सिर कुछ बात करनी थी.

मे: हा बोलो ना.

आकृति: सिर आज आपका मूड ऑफ लग रहा है.

मे: हा ऐसा बोल सकती हो. वाइफ है नही घर, तो थोड़ी याद आ रही थी वाइफ और बेटी की.

आकृति: सिर मैं मूड ठीक कर डू अगर आप अग्री हो तो?

मे: कैसे?

आकृति: मैं भी अकेली रहती हू, क्यूँ ना आज साथ में डिन्नर किया जाए?

मे: ठीक है आओ चलते है फिर.

दक्षिता हम दोनो को अकेले में बात करते हुए देख के थोड़ी जेलस फील कर रही थी, जो की मैने विंडो से देखा था. आकृति अंदर गयी, और दक्षिता से दो मिनिट कुछ बात की, और आ गयी. फिर उसको बिके पर बिता के मैं घर ले गया.

मे: आकृति आज तुम मेरी मेहमान हो बताओ क्या खाना ऑर्डर करू.

आकृति: सिर खाना कुछ भी माँगा लो, मुझे सब चलता है. लेकिन मेरा दिल ड्रिंक का कर रहा है. अगर पासिबल हो तो ये ज़रूर कर दो.

मेरे पास पिछली पार्टी की बॉटल रखी थी. खाना ऑर्डर कर दिया मैने. थोड़ी ही देर में खाना भी आ गया, और आकृति बात लेके मेरी वाइफ की निघट्य पहन के सामने आई. मेरा दिमाग़ उसको देख के घूम गया. लेकिन दिल पर काबू किया, और अपने लंड को शांत करने लगा.

उस निघट्य में नीचे उसने ब्रा और पनटी नही पहनी थी, और अपने शरीर को भी टवल से सूखाया नही था, जिसके कारण निघट्य कुछ-कुछ जगह से गीली होके उसकी बॉडी से चिपक रही थी. कसम से क्या बवाल लग रही थी. दिल कर रहा था निघट्य फाड़ कर पहले तो इसके बूब्स को मसल डू. फिर इसके मूह में लंड डाल कर पूरी रात ही चुस्वता राहु.

दिल को समझाते हुए हम दोनो ने दो पेग लिए और खाना स्टार्ट किया. आकृति ने फिरसे एक मोटा-मोटा पेग बनाया खुद के लिए, और मेरे लिए.

इसके आयेज क्या हुआ, वो अगले पार्ट में पढ़िएगा. अपनी फीडबॅक के लिए वॉर्स्तबॉय60@आउटलुक.कॉम पर मैल करे.

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