शादी के बाद ससुराल जाने की कहानी

आज यादव जी आने वाले है मुझे अपने साथ ले जाने के लिए. उन्होने जो सरीया भेजी थी उनमे एक येल्लो कलर की जंदनी भी थी जो वो ढाका से लेके आए थे. उन्होने ख़ास इन्स्ट्रक्षन्स दिया था, की आज मैं वही सारी पहनु. साथ में बहुत सारी ज्यूयेल्री भी.

ऋतु मुझे पार्लर भी ले गयी थी ब्राइडल मेकप के लिए. मैं शरम के मारे सोच रहा था, की ज़मीन फॅट जाए और मैं उसमे समा जौ. लेकिन क्या करता, किस्मत ने मुझे इस मोड़ लाके पटक दिया था.

करीब 11 बजे यादव जी आए. उन्हे देख कर हम चौंक गये. पहचान में ही नही आ रहे थे. एक-दूं से लग रहा था के उनकी आगे 10 साल कम हो गयी हो. सफेद कुर्ते में एक-दूं हीरो जैसे लग रहे थे. कोई भी लड़की उनपे फिदा हो जाए ऐसे लग रहे थे वो. उन्हे देख कर कोई नही कहेगा की उनके 3 बेटे थे, जिनकी शादी भी हो चुकी थी.

खैर, उनके साथ दो लोग और भी थे, जिनके हाथ में फूलों की माला थी. मैं समझ गया था की ये सब क्या हो रहा था. यादव जी मुझे पूरी तरह से अपनी बीवी बना के अपने साथ ले-जाना चाहते थे. उनके जैसे इंसान की बीवी बनना हर लड़की का सपना होगा. लेकिन मैं तो एक लड़का हू वो भी मॅरीड. फिर भी मुझे पता नही क्यूँ बुरा नही लग रहा था.

हो सकता है ये सब पिछले एक महीने की ट्रैनिंग का रिज़ल्ट हो, या फिर कॉलेज के टाइम जब लड़की बनता था उसका ही एफेक्ट हो. मुझे नही पता.

यादव जी मुझे देख कर बोले: अर्रे वाह! मैने कहा था ना की तू मेरी बीवी बनेगी. आज से तू मेरी बीवी है. यादव की बीवी. सोसाइटी में तेरी इतनी इज़्ज़त होगी, की तुझे अंदाज़ा भी नही है. और ऐशो आराम तो है ही. क्या कमाल लग रही है रे तू. वैसे तेरा कोई नया नाम रखा है क्या?

मेरे कुछ कहने से पहले ही ऋतु बोली: सत्या.

यादव जी खुश हो गये और बोले: बहुत सुंदर है. जैसी ये वैसा ही सुंदर इसका नाम भी है. अची लग रही है. बिल्कुल जैसी यादव की बीवी को होना चाहिए. लेकिन कुछ कमी है.

मैं तो शरम के मारे कुछ बोलने के हालत में नही था, तो ऋतु ने पूछा-

ऋतु: क्या कमी है?

यादव जी ने कुछ ना बोल के अपने आदमी की तरफ इशारा किया तो उन्होने अपना पॉकेट से एक मंगल सट्रा और सिंदूर निकाल के दिया.

फिर वो बोले: एक औरत इनके बिना अधूरी है.

ये बोलते ही उन्होने मेरी माँग में सिंदूर लगा दिया, और गले में मंगल सट्रा डाल दिया. मेरे शरम के मारे हाथ पैर जाम चुके थे. ऋतु ने भी कुछ नही कहा. इसके बाद हमने माला पहनाई एक-दूसरे को. इसके बाद हम निकल गये. यादव जी के आदमियों ने मेरा समान ले लिया, जो की यादव जी ने ही भेजा था.

यानी के वो सारी और ज्यूयेल्री, और भी कुछ कपड़े जो ऋतु ने गिफ्ट किए थे. जाते वक़्त मैं ऋतु से गले लग के रो पड़ा, या काहु रो पड़ी. वो भी रोने लगी. फिर हम बाहर आ गये.

बाहर यादव जी की गाड़ी खड़ी थी. काफ़ी बड़ी गाड़ी थी. उनके लोगों ने मेरा समान दिक्क़ी में रखा, और फ्रंट सीट पे बैठ गये. मैं और यादव जी पीछे की सीट में बैठे. ऋतु भी हमारे साथ नीचे आई थी.

मैने उससे आखरी बार अलविदा कहा और कहा की अपना ख़याल रखे. हम दोनो ही रो रहे थे. फिर यादव जी ने गाड़ी स्टार्ट करने को बोला. गाड़ी चलने लगी. मैं मिरर से ऋतु को देखती रही. कैसे मैने अपनी बीवी और अपनी ज़िंदगी को पीछे छ्चोढ़ के जेया रही थी, ये सोच के रो रही थी.

यादव जी ने मेरे कंधे पे अपना हाथ रखा, और मुझे अपनी तरफ खींच लिया. वो ठहरे पहलवान आदमी, उनकी एक खींच से मैं उनके करीब आ गयी.

वो मेरी बॉडी पे अपना हाथ सहला रहे थे. मुझे दर्र और शरम दोनो हो रही थी.

वो बोले: आज से तू मेरी बीवी है. इसका मतलब तू मेरे बिटो की मा, मेरी बहुओ की सास और मेरी मा की बहू है. तुझे पुर मॅन और तंन से मेरी और मेरी मा की सेवा करनी है, और मेरे बच्चो को भी मा का प्यार देना है. और क्यूंकी तू यादव की बीवी है, तो उस हिसाब से ही रहना होगा. हमेशा सारी पहँनी होगी, सोने के वक़्त भी. सर पे हमेशा पल्लू रखना होगा.

मैने हा में सर हिलाया. उन्होने खुश होके मेरे माथे पे किस दिया एक. मैं काँप उठी. फ्रंट सीट पे बैठे हुए आदमी भी हमे रियर व्यू मिरर से देख रहे थे. यादव जी का घर मुंबई सिटी के आउटस्कर्ट्स में था. हमारे घर से करीब 2 घंटे की दूरी पे था.

घर क्या बोलू, वो तो एक बांग्ला था. ऐसे बंगले सिर्फ़ मूवीस में ही देखे थे पहले. गाड़ी फिर बंगले के अंदर घुसी. हर तरफ लोग काम कर रहे थे, और गाड़ी की तरफ देख रहे थे. यादव जी बोले ये सब उनके कर्मचारी थे. जब गाड़ी से हम उतरे तो वो लोग हमारे चारो तरफ आके खड़े हो गये.

फ्रंट सीट पे बैठे हुए आदमी गाड़ी से उतरे और मेरा समान लेके अंदर चले गये. यादव जी भी मुझे अंदर ले गये. गाते पे हमारा स्वागत उनकी मा ने किया और उनके साथ यादव जी की तीनो बहुए भी थी. हमने उनकी मा के पैर च्छुए. इसके बाद बहुओ ने हमारे पैर चू के आशीर्वाद लिया.

फिर यादव जी ने सबसे मेरा इंट्रोडक्षन करवाया. उनकी मा का नाम शांति देवी है. उन्होने मेरी नज़र उतरी और बोली-

मा: आए रे मुन्ना, तेरी बीवी तो बहुत ही सुंदर है.

ये कह के उन्होने मेरे हाथ में 1000 रुपय मूह दिखाई दी. इसके बाद बहुओ से मेरी इंट्रोडक्षन करवाई. बड़ी बहू का नाम था निशा. वो मेरे ही आगे की थी. मनचली बहू थी नेहा और छ्होटी बहू का नाम था रिया. ये दोनो मुझसे छ्होटी थी. बड़ी बहू निशा ने कहा-

निशा: आपका नाम क्या है?

मैं बोली: सत्या.

फिर रिया ने कहा: क्या हम आपको मा कह सकते है?

मैने शरम के मारे कुछ नही कहा. वो मुझे चिढ़ने लगे: ओह हो, नयी दुल्हन शर्मा रही है.

यादव जी फिर बोल उठे: अब बात-चीत हो गयी हो तो अंदर चले?

नेहा ने कहा: जी बापू जी, आइए अंदर.

उनके बेटे रवि, शिवा और देव काम पे गये हुए थे, इसलिए रात में उनसे मेरी मुलाकात हुई. वो तीनो भी मुझसे आगे में बड़े थे. फिर भी उन्होने मेरे पैर च्छुए.रात को बहुए मुझे यादव जी के बेडरूम में ले गयी, जो की फर्स्ट फ्लोर पे था.

उन्होने पूरा कमरा फूलों से सज़ा दिया था. सुहग्रात के लिए तायारी कर रखी थी उन्होने. मुझे बेड पे बिता दिया उन्होने और मेरा सर पल्लू खींच के पूरा धक दिया. फिर बड़ी बहू निशा बोली-

निशा: मा जी, मेरा रूम फर्स्ट फ्लोर पे ही है. 2 कमरा छ्चोढ़ के ही. अगर कुछ चाहिए हो तो मुझे बुला लीजिएगा. मैं आ जवँगी.

फिर छ्होटी बहू रिया अपने शरारती अंदाज़ में बोली: अर्रे दीदी, आज रात आपकी ज़रूरत नही पड़ेगी. आप सो जाइए.

मैं शर्मा गयी. निशा और नेहा अपनी हस्सी रोक के रिया को चुप कराया, और मुझे बेडरूम में रख के चले गये. यादव जी का बेडरूम बहुत बड़ा था. हमारे मुंबई के अपार्टमेंट का आधा होगा इतना बड़ा था. वाहा एक किंग-साइज़ बेड था जहा मैं बैठी हुई थी.

बेड के दोनो तरफ टेबल था, और उनके उपर टेबल लॅंप थे. रूम में एक और टेबल और चेर थी. शायद वो उनका स्टडी टेबल होगा. एक ड्रेसिंग टेबल भी था, जहा पे एक औरत की ज़रूरत का सारा समान था. और एक कपबोर्ड भी था. इसके अलावा बेड के उपर एक बहुत बड़ा फोटो था.

शायद ये उनकी पहली बीवी होगी. मैने फोटो को देखा और हैरान रह गया. मिने पल्लू के आध से मिरर पे अपने आपको देखा और फिर फोटो की तरफ दोबारा देखा. एक-दूं सेम तो सेम. मुझे अब सब समझ में आ गया की क्यूँ यादव जी मुझे अपनी बीवी बनाना चाहते थे.

मैं इस शॉक से बाहर ही आई थी, के बेडरूम की गाते खुलने की आवाज़ आई. मैने देखा तो गाते पे यादव जी खड़े थे. उन्होने एक सफेद कुर्ता पाजामा पहन रखा था. मैं बेड से उतरी और उनके पैर च्छुए.

उन्होने मुझे उठाया और मेरा पल्लू उतरा और मुझे देखने लगे. उन्होने मेरी चीन पे हाथ रख के मेरे फेस को उपर उठाया, और मुझे कहने लगे-

यादव जी: मैने जब तुझे पहली बार देखा था तेरे कॉलेज में, मैं चौंक गया था. तू उस वक़्त मेरी पहली पत्नी माया के जैसी लग रही थी. वो मुझे छ्चोढ़ के 10 साल पहले स्वर्ग चली गयी. मैं उसे बहुत प्यार करता था. इसलिए मैने तुरंत ही तेरे बारे में पता लगाया.

यादव जी: उस दिन मुझे सही मौका मिल ही गया तुझे अपना बनाने का. इसलिए मैने ये प्रपोज़ल दिया था. तू मर्द है या औरत इससे मुझे कोई फराक नही पड़ता. मैं बस तुझे अपना बनाना चाहता हू. तुझे वो प्यार देना चाहता हू जो मैं माया को देना चाहता था, लेकिन दे नही पाया.

ये कह के उन्होने मुझे गले लगा लिया. मैं कुछ बोल नही पा रही थी. एक तरफ तो उनकी स्टोरी में मुझे एमोशनली उनसे अटॅच कर दिया था, और दूसरी तरफ मुझे मेरी पिछली ज़िंदगी और ऋतु के बारे में सोच के मैं दुखी भी हो रही थी. अजीब दुविधा में थी मैं उस वक़्त.

तो बे कंटिन्यूड…

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