ही दोस्तों, मैं आकाश अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आ गया हू. अगर आप लोगों ने अभी तक पिछला पार्ट नही पढ़ा है, तो प्लीज़ पहले उसको ज़रूर पढ़े.
पिछले पार्ट में मैने पढ़ा की मेद्स की प्राब्लम सॉल्व करने के लिए मैने अपनी पुरानी टीचर रिचा मेडम के पास टुटीओन रखी. मेडम की अब शादी हो चुकी थी, और वो बहुत सेक्सी हो गयी थी.
मैं मेडम के बारे में सोच कर मूठ मारने लगा, और उनको छोड़ने के सपने देखने लगा. फिर एक दिन मुझे पता चला की मेडम अपने हज़्बेंड से सॅटिस्फाइड नही थी, और उनका चक्कर किसी सूरज नाम से आदमी के साथ चल रहा था. अब आयेज बढ़ते है.
सूरज वाली बात पता चलने पर मैं समझ गया था की मेरी भी बात बन सकती थी. लेकिन अब सोचना ये था की सब होगा कैसे. लेकिन मैने कोई जल्दी नही की, और सब आराम से करने का सोचा, ताकि कोई गड़बड़ ना हो जाए.
अगले दिन से मैने टुटीओन जाने से पहले अपनी जीन्स के अंदर से अंडरवेर से उतारना शुरू कर दिया. मैं चाहता था की मेडम मेरा लंड देखे, और उनको पता चले की ये लंड भी उनकी प्यास बुझा सकता था.
फिर टुटीओन जेया कर मैं वाहा मेडम को देख कर अपना लंड खड़ा करने लग गया. बीच-बीच में मेडम का ध्यान भी मेरे लंड पर पड़ना शुरू हो गया. धीरे-धीरे मेडम को भी मेरा लंड ताड़ने की आदत लग गयी.
अब वो बार-बार मेरे लंड को देखती की कही खड़ा तो नही. ये रोज़ का काम बन गया था. फिर मैने सोचा की क्यूँ ना आयेज बढ़ा जाए. अब मैं तकरीबन रोज़ उनके बातरूम जाना शुरू कर दिया. वो मेडम और उनके हज़्बेंड का पर्सनल बातरूम था. वाहा मेडम के कपड़े पड़े रहते थे.
कभी-कभी मैं वाहा जल्दी-जल्दी मूठ मार लेता, और सारा माल मेडम के कपड़ों पर डाल कर बाहर आ जाता. अगले दिन वो कपड़े वाहा नही होते थे. लेकिन ये कन्फर्म नही हो पाता था की मेडम ने मेरा माल देखा या नही देखा.
फिर एक दिन कुछ नया हुआ. मेडम वैसे ही बेड पर बैठ कर क्वेस्चन सॉल्व कर रही थी. वो झुक कर नोटबुक पर लिख रही थी, और मैं उनके लटकते हुए रसीले बूब्स देख रहा था. तभी मेडम ने मेरी तरफ देखा, और उनको पता चल गया की मैं क्या देख रहा था. फिर वो बोली-
मेडम: आकाश ध्यान कहा है तुम्हारा.
मैं: आप पर मेडम.
मेडम: मुझ पर नही, पढ़ाई पर ध्यान दो.
मैं: मतलब आप को सुनूँगा तो समझ में आएगा. इसलिए आप पर ध्यान है.
मेडम: तुम सुन कम और देख ज़्यादा रहे हो.
मैं: मेडम खूबसूरत चीज़ को कों नही देखना चाहता?
मेडम: क्या मतलब?
मैं: मतलब आप बहुत ब्यूटिफुल हो.
मेडम: तुम मेरे स्टूडेंट हो आकाश. वैसे भी मैं तुमसे बड़ी हू.
मैं: मेडम ये करने के लिए उमर नही कुछ और बड़ा होना चाहिए.
मेडम: अछा, सिर्फ़ बड़ा होने से कुछ नही होता. लंबा भी चलना चाहिए.
मैं: मेडम अगर चान्स मिला तो सेंचुरी मारे बगैर आउट नही होगा.
मेडम: इतना कॉन्फिडेन्स अपने आप पर.
मैं: मेडम ट्राइ करके देख लो, आप को भी कॉनफिंडेँसे हो जाएगा.
तभी मेडम खड़ी हुई, और दरवाज़े की तरफ जाने लगी. मुझे लगा वो नाराज़ होके बाहर जेया रही थी. मैने उनको सॉरी बोलने की सोची, और खड़ा होके उनको रोकने लगा. लेकिन वो दरवाज़े के पास जाके खुद ही रुक गयी. ये देख कर मैं भी कुछ नही बोला.
फिर उन्होने दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया. मैं वापस अपनी चेर पर बैठ गया. वो मूडी और मेरी तरफ आने लगी. मुझे थोड़ी घबराहट हो रही थी की वो क्या करने वाली थी. वो मेरे पास आई, और घुटनो पर बैठ कर बोली-
मेडम: चल देखते है, कितना दूं है इसमे (लंड की तरफ इशारा करते हुए).
फिर उन्होने मेरी जीन्स के उपर से लंड पर हाथ फेरा. उनका हाथ लगते ही लंड में करेंट सा लगा, और लंड एक-दूं से खड़ा हो गया. मेडम ने मेरी ज़िप खोली, और लंड बाहर निकालने लगी. खड़ा लंड ज़िप से बाहर नही आ रहा था, और मैने जीन्स का बटन खोल कर जीन्स और अंडरवेर दोनो नीचे कर दिए.
अब मेरा लंड उनके सामने खड़ा हुआ. लकड़ी की तरह सख़्त, और हिल रहा था. लंड देख कर उनका चेहरा ऐसे चमक गया, जैसे वो बहुत भूखी हो. उन्होने लंड हाथ में लिया, और उसके टोपे पर जीभ फिराई. लंड इतना हार्ड हो चुका था, की जैसे नास्से फटने वाली हो.
फिर उन्होने लंड मूह में डाल लिया, और उसको चूसना शुरू कर दिया. मेरे मूह से आ निकल गयी उनके मूह की गर्मी को महसूस करके. ऐसा लग रहा था मैं जन्नत में था. मैने सोचा अगर मूह में डाल के इतना मज़ा आ रहा था, तो छूट का मज़ा कितना ज़्यादा होगा.
अब मेडम किसी रंडी की तरह लंड चूस रही थी. मैने फिर मेडम के बाल खोल दिए, और सर पर हाथ रख कर लंड पूरा गले तक घुसेधने लगा. मेडम चोक हो रही थी, लेकिन उनको मज़ा आ रहा था. फिर मैं खड़ा हो गया, और मेडम के सर के पीछे हाथ रख कर कमर हिलनी शुरू की.
अब मैं खुद लंड अंदर-बाहर करके उनके मूह को छोड़ रहा था. मैं इतनी ज़ोर-ज़ोर से लंड अंदर-बाहर कर रहा था की मेडम की आँखों में पानी आ चुका था. उनकी थूक से लंड पूरा गीला हो चुका था. थूक लंड से नीचे टपकनी शुरू हो गयी थी.
तेज़ धक्कों और थूक से गीला होने की वजह से मूह चुदाई में छाप-छाप की हल्की आवाज़ आने लगी थी. इससे पहले मैं लंड निकाल कर आयेज कुछ करता, मेडम की सास ने दरवाज़ा नॉक कर दिया. इससे हम दोनो की फटत गयी. मेडम ने तभी लंड मूह से बाहर निकाला, और शीशे में देख कर अपना फेस और बाल सेट करने लगी.
मैने भी जल्दी से जीन्स उपर चढ़ा ली. फिर मेडम ने दरवाज़ा खोला, और उनकी सास उन्हे नीचे ले गयी. फिर मैं बातरूम गया, और मूठ मार कर अपना माल निकाला. उसके बाद मैं घर वापस आ गया.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा. कहानी पसंद आई हो तो कॉमेंट ज़रूर करे.
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