बेटे ने मा को दूध वाले से चूड़ते देखा

दोस्तों मेरे घर में मा, पापा, मेरा छ्होटा भाई, और मैं हू. ऐसा छ्होटा और सुखी परिवार था हमारा. मेरी मा सुरेखा बहुत ही सुशील और संस्कारी मुझे लगती थी उस दिन तक.

हुआ यू, की पापा का बुकस्टोर है. जब स्कूल्स खुलते है, तभी हमारा धंधा होता है, और बाद में ठंडा-ठंडा रहता है. और उपर से एग्ज़ॅम के महीने बहुत ही कदकी रहती है, क्यूंकी एग्ज़ॅम्स और उसके बाद सब को छुट्टियाँ रहती है. तब कोई दुकान के आस-पास भी नही भटकता.

सो हमारी कदकी चालू रहती है, और सब जगह उधार रहता है. मुझे ये मालूम नही था, की मा कैसे उधार चुकाती थी. क्यूंकी पापा इसमे ध्यान नही देते थे. पेपर वाला, दूध वाला, किराना वाला, सब का हिसाब-किताब मा ही देखती थी. लगभग कुछ का तो 3-4 महीने उधार चलता था.

एक दिन सुबा-सुबा छुट्टी के दिन दूध वाला आया. वो मा को कुछ बोल रहा था, जो मैने सुना नही. जो साल भर कभी एक-दूसरे की शकल भी नही देखते, और वो हमेशा थैली में दूध डाल के चला जाता था, वो अब 2-3 दिन हो गये थे हर रोज़ मा को हाथ में दूध देके जेया रहा था. और उन दोनो के बीच कुछ बात हो रही थी.

मा हमेशा घर में सारी ही पहनती है. मा का अगर कही बाहर घूमने जाना हो, तो ही ब्रा-पनटी पहनने की आदत है. वरना सिर्फ़ उपर से ब्लाउस आंड सारी पहनती थी. क्यूंकी दोपहर को या काम करते हुए पसीना आता था, और ब्लाउस भीग जया करता था पूरा. और फिर उसमे से मा के निपल्स दिखते थे सॉफ-सॉफ.

वो डीप नेक ब्लाउस पहना करती थी. पर कभी ऐसे हुआ नही था की मैने मा की कोई अश्लील हरकत देखी हो. 2-3 दिन दूध वाले से बात करते हुए मैने इतना सुना की मा ने उसको कहा की हम सब लोग कॉलेज होते है, तब दोफर को आ जाना, हिसाब करने को.

मुझे तब भी कुछ नही लगा था. लेकिन उस दिन मेरे पड़ोसी राज की तबीयत अचानक से खराब हो गयी. उसको बुखार और सर दर्द पकड़ा, तो टेचएर ने उसको घर जाने को कहा, और मैने वो चान्स पकड़ा.

मैने बोला: ये मेरे पड़ोस में रहता है. मैं छ्चोढ़ देता हू इसको.

और हम दोनो घर चले गये. मैं उस दिन घर पहुँचा तो दरवाज़ा बंद था. टीवी पर ज़ोर का गाना चल रहा था. मैं दरवाज़ा बजा के तक गया, लेकिन दरवाज़ा नही खुला. मेरे पास एक चाबी थी, जिससे मैने घर खोला.

हमारे घर में सिर्फ़ मैं दरवाज़ा है, बाकी सब पर्दे लगे है दूसरे रूम्स में जाते हुए. तो टीवी चालू था. मैने बाग रखा, और किचन में गया. वाहा कोई नही था. मैं अंदर की तरफ जाने लगा.

फिर जैसे ही मैने परदा सरकया, तो सामने अलमारी के शीशे में जो देखा, वो देख कर मेरे पैरों के नीचे से ज़मीन निकल गयी. मैं वही का वही लोहे जैसा जाम गया. एक मिनिट में ऐसा लगा, की अंदर से आत्मा निकल गयी है.

मैने देखा मा नंगी गद्दे पर दीवार की तरफ घुटनो के बाल पैर फैला के बैठी थी (डॉगी स्टाइल). और वो दूध वाला नंगा मा को पीछे से छोड़ रहा था. मुझे यकीन नही हो रहा था.

मुझे आईने में दोनो की गांद दिख रही थी. वो कमर पकड़ छाप-छाप आवाज़ में मा को पेले जेया रहा था. फिर थोड़ी देर में मा उठ गयी, और उसको बोली-

मा: भैया, ऐसे नही हो रहा मुझसे. सीधे-सीधे करते है ना,

तो वो भी बोला: जी भाभी जी, जैसा आपको पसंद आए.

और तब मैने मा को नंगा देखा. मा एक-दूं कामसुत्रा की देवी लग रही थी. आप सोचो सन्नी लीयोन को दो बच्चे हुए है, तो तोड़ा सा हल्का सा पेट निकला था, नही तो सब एक-दूं पर्फेक्ट था. अगर मेरी मा पॉर्न स्तर होती, तो सन्नी लीयोन को पीछे छ्चोढ़ देती.

मा लेती हुई थी, और वो उठा, और लंड मसलने लगा. उसका काफ़ी बड़ा था. अगर बोलू तो 8 इंच लग रहा था काला-काला सा. वो मा के पैरों के बीच बैठने वाला था.

मा ने उसको बोला: कॉंडम तो लगाओ.

तो वो बोला: आप ही लगाओ, मुझे नही आता. मा उठ के वापस बैठ गयी, और उसके लंड पर कॉंडम लगा के वापस सो गयी. अब मुझे सिर्फ़ उसकी गांद दिख रही थी. वो मा के उपर चढ़ कर मा को पेल रहा था.

मा की भी अभी आवाज़ आनी चालू हो गयी थी अया अयाया की. वो शायद मा के माममे काट रहा था.

फिर मा ने उसको कहा: भैया काटो मत प्लीज़, दर्द होता है, चूसो सिर्फ़.

और अब पच-पच की आवाज़ आने लगी थी रूम में. टीवी की आवाज़ कम पद रही थी उनके सामने. मैं वाहा से बिना हीले पुतले जैसे उन्हे देख रहा था.

अब वो मा को बोला: भाभी जी, आप उपर आ जाओ मैं तक गया.

तो मा हेस्ट हुए बोली: ठीक है.

और फिर मा उसके उपर आई. मुझे मा की गांद दिख रही थी. मा ने अपने बाल बाँधे और लंड लेके उठक-बैठक मारने लगी. मा पूरा लंड अंदर ले रही थी, और सिसक रही थी.

फिर मा बोली: भाभी जी के मज़े है, उनका तो आप पूरा भड़ता बनाते होंगे.

तो वो बोला: कहा, आप जैसी कोई मिल जाती तो बात अलग थी. वो गाओं की अनपड़ है, ज़िंदा लाश की तरह लेती रहती है.

मा बोली: तो यहा जैसे मुझे करते हो, वैसे भाभी को भी किया करो, फिर क्यूँ गरम नही होंगी.

तो वो मा के माममे दबाते हुए बोला: अर्रे छ्चोढिए भाभी जी, आप कहा वो कहा. आपके नाख़ून के बराबर नही वो.

और वो अब नीचे से गांद उठा-उठा के छोड़ने लगा. मा भी जोश में आ गयी थी. मा खुद उसके हाथ को पकड़-पकड़ कर च्चती पर रखवती, और सिसक-सिसक कर चुड रही थी.

मेरी आँखों के सामने मेरी मा का अंत होके एक रंडी का जानम मैने देखा. अब शायद हो गया उनका, तो मा उठ के टवल से छूट सॉफ करने लगी.

वो उसको बोली: कॉंडम बाहर जाके फेंक देना.

और वो कॅरी बाग ढूँढने लगी. मैं वाहा से बाग लेके तुरंत बाहर आ गया, और नीचे बैठ गया. मुझे मेरी आँखों के सामने मा दिख रही थी चूड़ते हुए. बाकी कुछ नही दिख रहा था. ना-जाने कितनी देर मैं ऐसा बैठा था.

मुझे किसी ने हिला के उस सोच में से जगाया. तब मैं होश में आया. फिर मैं उपर गया तो देखा सब नॉर्मल था. मैं शायद 1 घंटा नीचे बैठा था. मम्मी ने सारी पहनी थी, और छाई बना रही थी.

अंदर गया, तो गद्दा भी बाँध के रखा था. मैने गद्दा खोला, और देखा तो उस पर गीले-गीले दाग नही थे. जब मैं बातरूम में हाथ-पावं ढोने गया, तो वाहा गद्दे के उपर बिछाई हुई बेडशीट भिगोइ हुई थी.

क्या करता कुछ समझ नही रहा था. पर पापा से काहु ऐसा बिल्कुल नही लगा. इसलिए मैने इस राज़ को अपने अंदर दबा दिया. लेकिन आयेज क्या-क्या हुआ, ये आपको अगली कहानी में बतौँगा.

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