हेलो दोस्तों, मेरा नाम गौरव है. मेरी उमर 26 साल है. ये मेरी सुहग्रात की कहानी है. मेरी शादी प्रीति नाम की लड़की के साथ हुई. उसकी उमर 24 साल है. मैं शाइ किस्म का इंसान हू, और थोड़ी पुरानी ज़माने वाली सोच है मेरी.
मेरी कभी कोई गर्लफ्रेंड नही थी, और ना कभी मैने कोशिश की. मैने सोच कर रखा था की पहली चुदाई अपनी बीवी की सुहग्रात वेल दिन ही करूँगा. पर हमेशा दर्र लगा रहता की क्या मेरी बीवी वो सब करेगी जो मैं चाहता था? पर जैसे ही मेरी शादी हो गयी, मैने प्रीति को जाना और समझा.
प्रीति को मैने पूछा की वो काम करना चाहती थी या घर पर हाउसवाइफ बन के रहेगी? उसको बाहर की दुनिया से ज़्यादा लगाव नही था, तो उसने कहा की वो घर पर ही रहेगी.
मैने सीधा कह दिया: अगर घर पर हो तो घर ठीक से संभालना होगा, और मेरी सेवा में कोई कमी नही रहनी चाहिए. बाकी जगह मैं से लूँगा, पर सेक्स और सेक्षुयल लाइफ में मुझे कोई नखरे नही चाहिए. मेरी जो जब मर्ज़ी होगी मैं करूँगा, और तो और मुझे संतुष्ट करने को जवाबदारी तुम्हारी.
आख़िर वो रात आ ही गयी जब हम एक होने वाले थे. शादी को दो दिन हो गये थे, और सारे मेहमान चले गये थे. मैं अभी बीवी को अपने फ्लॅट पर लेके चला गया. यहाँ हम दोनो ही रहते थे. देर रात होने को थी. प्रीति तैयार हो कर कमरे में बैठी थी. उसे तैयार होने को मैने ही कहा था.
मैं भी नहा धो कर तैयार हो चुका था. मैं कमरे में दाखिल हुआ. कमरे का दरवाज़ा बंद किया, और उसकी और बढ़ा. वो बेड पर बैठी हुई थी. उसकी आँखें शरम से झुकी हुई थी. मैं उसके पास जाके खड़ा हो गया. वो उठी और बेड से उतार कर मेरे सामने खड़ी ही गयी.
उसने झुक कर मेरे पैर च्छुए. मैने कंधो से पकड़ कर उसे उठाया. आयेज उसे समझ नही आया की क्या करे. इसलिए बाजू में रखा दूध का ग्लास मुझे थमा दिया. पर ज़ालज़्बाज़ी में वो मुझ पर हल्का सा गिर गया. मैं समझ गया की वो दररी हुई थी. मैने उसे शांत किया.
मे: शांत हो जाओ प्रीति. क्या हुआ तुम्हे?
वो कुछ नही बोली.
मे: दररो मत. मैं ऐसा कुछ नही करूँगा जो तुम्हारी मर्ज़ी के खिलाफ हो. तुम रुकना चाहती हो तो हम रुक सकते है. कुछ वक़्त और ले लो.
प्रीति: नही. बात वो नही.
मे: तो?
वो कुछ नही बोली.
मे: तुम मुझसे सब कह सकती हो. आख़िर आज के बाद तुम्हारे लिए मैं और मेरे लिए तुम ही तो हो.
प्रीति: पता नही कुछ समझ नही आ रहा. कभी दर्र लगता है की क्या होगा? आप क्या करोगे? तो कभी चिंता होती है, की क्या मैं आपको संतुष्ट कर पौँगी? तो कभी बहुत शरम भी आती है.
मे: बैठो यहाँ पर.
ये कह के मैने उसे बेड पर बिताया. मैं उसके बाजू में बैठ गया. उसका हाथ मेरे हाथो में लेके कहा-
मे: हमने शादी की है. जैसे मैं घर के बाहर सब काम करता हू, और तक जाता हू. किसी चीज़ की कमी महसूस नही होने देता हू परिवार को. वैसे ही तुम घर की बहू हो. तुम्हे घर तो संभालना तो है ही. पर मुझे भी खुश करना है. मेरी सेक्षुयल ज़रूरतों का ख़याल तुम नही रखोगी तो और कों रखेगा?
मे: मैं तुम्हारे साथ कोई ज़बरदस्ती थोड़ी ना करने वाला हू, जो तुम दर्र रही हो. और अगर कोई चीज़ तुम्हे नही आती, तो धीरे-धीरे सीख जाओगी. और अब शरमाना कैसा? आज की रात मैं तुम्हारी सारी शरम उतार दूँगा. फिर खुद ही सेक्स के मज़े लॉगी तुम.
मेरी बातें सुन के वो और शरमाई. मैने उसका चेहरा अपनी और किया, और एक किस जड़ दिया. करीब 1-2 मिनिट हमारे होंठ एक-दूसरे से चिपके रहे. उसके बाद मैं अपने होंठो से उसके गाल और गर्दन पर चूमने लगा. वो मदहोश होने लगी. मैने अपने दोनो हाथ उसके शरीर पर घूमने शुरू किए. कभी उसके बालों को छ्छूता, तो कभी गालों पर हाथ फेरता, तो कभी पेट पर, और कभी जांघों पर.
कुछ ही देर में मैने उसकी सारी का पल्लू कंधे से नीचे किया, और उसको उपर से कमर तक निहारने लगा. उसने भी आँखें बंद की और अपनी छ्चाटी चौड़ी करके मेरा स्वागत किया. मैने उसके गले पर चूमा, और धीरे से अपना मूह उसके ब्लाउस के उपर से उसके दोनो बूब्स के बीच दबाने की कोशिश की.
वो झट से हाथ बीच में लाई. मैने अपने दोनो हाथो से उसके दोनो हाथ पकड़े, और साइड पर दबा के रखा. वो हल्की सी रुवासि हुई. मैने दोनो बूब्स के बीच में उपरी भाग में चूमा, और अपनी जीभ जहाँ तक अंदर जेया पाई वहाँ तक लेके गया. वो गरम होने लगी थी.
मैं भी हॉर्नी होने लगा था. मैं उठा और उसकी सारी खींचने लगा. धीरे से कमर पर हाथ घुमाया, और उसकी सारी जो ठीक नाभि के नीचे धस्सी हुई थी, उसे बाहर खींचा. उसकी गोरी कमर देख मैं बावरा हो गया, और उसके पेट और कमर पर चूमने और चूसने लगा.
प्रीति भी अपना पेट और कमर मेरे मूह के पास ले आती, और मुझे जोश में लाती. कुछ देर में ही मैं उठा और उसकी सारी निकाल कर ज़मीन पर फेंक दी. वो ब्लाउस पेटिकोट में बहुत सुंदर दिख रही थी. मैने भी अपना शर्ट उतार फेंका और बनियान में आ गया.
मैं उसके उपर किसी जानवर की भाँति चढ़ गया. उसके होंठो को चूसना शुरू किया, और इस बार कब मेरी चुम्मि फ्रेंच किस में बदल गयी, पता ही नही चला. फिर मैने उसे उल्टा किया, और उसका ब्लाउस खोला, और पूरी पीठ को चाटने लगा. फिर उसे मेरी गोद में बिताया. उसके माममे मेरे मूह के ठीक सामने थे.
मैने ब्लाउस उतरा और डोर फेंक दिया. उसके दोनो बूब्स को पहली बार अपने हाथो से पकड़ा. मैने उसके माममे दबाए. पूरी मर्दों वाली ताक़त आज उसके बूब्स पर प्रीति महसूस कर पा रही थी. उसके मूह से चीख तक निकल गयी. मैने ब्रा के उपर से ही उसके बूब्स चूमे.
कुछ देर में मैने उसे खड़ा किया, और मैने भी अपनी बनियान उतार फेंकी. वो ब्रा और पेटिकोट में मेरे सामने खड़ी थी. मैं उपर से नंगा था. उसे करीब खीच कर गले लगाया, आख़िर मेरी बीवी को मर्दाना गर्माहट और खुश्बू जो देनी थी. उसने भी अपने हाथ मेरी छ्चाटी और पीठ पर घुमाए.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. मेरी सुहग्रात की कहानी पर अपनी फीडबॅक जवानिकजोश@आउटलुक.कॉम पर ज़रूर भेजे.