नौकरानी की बुर में लंड

अभि तक मैने चुअ नहि था उसे। उसने फिर आनखेन खोलि और मैने हाथ के इशहरे से उसकि पलकोन को फिर धक दिया। अब मैन आगे बधा, उसके दोनो हथोन को सामने से हता कर अपनि कमर के चरोन तरफ़ घुमया और उसे अपनि बहोन मेन समेता और उसके कानपते होथोन पर अपने होथ रख दिये और चूमता रहा। कस कर चूमा अबकि बार। कया नरम होथ थे मनो शराब के पयले। होथोन को चूसना शुरु किया और उसने भि जवब देना शुरु किया। उसके दोनो हाथ मेरि पीथ पर घुम रहे थे और मैन उसके गुलबि होथोन को खुब चूस चूस कर मज़ा ले रहा था। तभि मुझे महसूस हुअ कि उसकि चुचियन जो कि तन गयी थि, मेरे सिने पर दब रहि हैन। बयेन हाथ से मैन उसकि पीथ को अपनि तरफ़ दबा रहा था, जीभ से उसकि जीभ और होथोन को चूस रहा था, और दयेन हाथ से मैने उसकि सरी के पल्लू को निचे गिरा दिया। दयन हाथ फिर अपने आप उसकि दयीन चुचि पर चला गया। और उसे मैने दबया। है है कया चुचि थि। मलै थि बस मलै। अब लुनद फुनकरे मार रहा था। बये हाथ से मैने उसके चुतर को अपनि तरफ़ दबया और उसे अपने लुनद को मेहसूस करवया। शादि शुदा लदकि को चोदना आसान होता है। कयोनकि उनहे सब कुच आता है। घबराति नहि हैन। बरा तो उसने पेहनि हि नहिन थि, बलौसे के बुत्तोन पिचे थे, मैने अपने दयेन हथोन से उनहे खोल दिया और बलौसे को उतर फेका। चुचियन जैसे कैद थि, उचल कर हाथोन मेन आ गयी।

एकदुम सकथ लेकिन मलै कि तरह पयरि भि। सारि को खोला और उतरा। साया बस अब बचा था। वोह खरि नहि हो पा रहि थि। मैन उसे हलके हलके खिचते हुए अपने बेदरूम मैन ले आया और लिता दिया। अब मैने कहा, “आरति रानि अब तुम आनखेन खोल सकति हो।” “आप बहुत पाजि है सहब”, शरमते हुए उसने आनखेन खोलि और फिर बनद कर लि। मैने झत से अपने कपदे उतरे और ननगा हो गया। लुनद तन कर उचल रहा था। मैने उसका साया जलदि से खोला और खिच कर उतरा। कोइ उनदेरवेअर नहि पेहना था। मैने बात करने के लिये कहा, “ये कया, तुमहरि चूत तो ननगि है। चधि नहि पेहनति।” “नहिन सहब, सिरफ़ महिना मेन पेहनति हून।” और शरमाते हुए कहा, “सहब, परदे खिच कर बनद करो ना। बहुत रोशनि है।” मैने झत से परदोन को बनद किया जिस्से थोदा अनधेरा हो और उसके उपर लेत गया। होथोन को कस कर चूमा, हथोन से चुचियन दबै और एक हाथ को उसके बुर पर फिरया। घुनगरले बाल बहुत अस्सह्हे लग रहे थे चूत पर। फिर थोदा सा निचे आते हुए उसकि चुचि को मुनह मैन ले लिया। अहा, कया रस था। बुस मज़ा बहुत आ रहा था। अपनि एक उनगलि को उसकि चूत के दरार पर फिरया और फिर उसके बुर मेन घुसया। उनगलि ऐसे घुसि जैसे मखन मैन चुरि। गरम और गिलि थि। उसकि सिसकरियन मुझे और भि मसत कर रहि थि। मैने चेरते हुए कहा, “आरति रानि, अब बोलो कया करून ?” “सहब, मत तदपैये, बस अब कर दिजिये।” उसने सिसकरियन लेते हुए कहा। मैने कहा, “ऐसे नहिन, बोलना होगा, मेरि जान।” मुझे अपने करिब खिचते हुए कहा, “सहब, दाल दिजिये ना।” “कया दलून और कहन ?” मैने शररत कि।

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दोसतोन चुदै का मज़ा सुन्ने मेन भि बहुत है। “दाल दिजिये ना अपना येह लौरा मेरि अनदर।” उसने कहा और मेरे होथोन से अपने होथ चिपका लिये। इधर मेरे हाथ उसकि चुचियोन को मसलते हि जा रहे थे। कभि खुब दबते, कभि मसलते, कभि मैन चुचियोन को चूसता कभि उसके होथोन को चूसता। अब मैने केह हि दिया, “हान रानि, अब मेरा येह लुनद तेरि बुर मेन घुसेगा। बोलो चोद दून।” “हान हान, चोदिये सहब, बस चोद दिजिये।” और वोह एकदुम गरम थि। फिर कया था, मैने लुनद उसके बुर पर रखा और घुसा दिया अनदर। एकदुम ऐसे घुसा जैसे बुर मेरे लुनद के लिये हि बना था। दोसतोन, फिर मैने हथोन से उसकि चुचियोन को दबते हुए, होथोन से उसके गाल और होथोन को चूसते हुए, चोदना शुरु किया। बस चोदता हि रहा। ऐसा मन कर रहा था कि चोदता हि रहून। खुब कस कस कर चोदा। बस चोदते चोदते मन हि नहि बहर रहा था। कया चीज़ थि यारोन, बदि मसत थि। उचल उचल चुदवा रहि थि। “सहब, आप बहुत अस्सहा चोद रहे हैन, चोदिया खुब चोदिये, चोदना बनद मत किजिये”, और उसके हाथ मेरि पीथ पर कस रहे थे, तनगे उसने मेरि चुतर पर घुमा रखि थि और चुतर से उचल रहि थि। खुब चुदवा रहि थि। और मैन चोद रहा था। मैन भि केहने से रुक ना सका, “आरति रानि, तेरि चूत तो चोदने के लिये हि बनि है। रानि, कया चूत है। बहुत मज़ा आ रहा है। बोल ना कैसि लग रहि है येह चुदै।” “सहब, रुकिये मत, बस चोदते रहिये, चोदिये चोदिये चोदिये।”

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