अब मैंने संजीदा होते हुए कहा- तो अब तुम कर भी क्या सकती हो? तुम्हारे पिता ने उसके साथ तुम्हारी सगाई भी तय कर दी है।
‘मुझे मालूम है.. मैं अब कुछ नहीं कर सकती हूँ.. पर उससे शादी करने के पहले मैं एक चीज कर सकती हूँ..’
मैं उसकी तरफ आँखें फाड़ कर देख रहा था कि छाया किस चीज के बारे में कहना चाहती थी।
तभी छाया ने मुझसे कहा- अच्छा एक बात बताओ. आज मैंने तुमको नदी किनारे मुझे घूरते हुए देखा था.. तुम उधर क्या कर रहे थे?
‘मैं..? नहीं मैं तो बस दोतों के साथ यूं ही बात कर रहा था।’
‘ओह.. मनोज.. झूट मत बोलो.. तुम क्या मुझे बच्चा समझते हो.. तुम मेरी तरफ टकटकी लगाए हुए देख रहे थे।
मैं सकपकाते हुए बोला- व..वो.. तो मैं..
छाया ने अपने मम्मों को उभारते हुए कहा- ओह.. मनोज.. बताओ न क्या देख रहे थे.. मेरे गीले ब्लाउज को.. तुम जानते हो मेरी छातियाँ अब बहुत बड़ी हो गई हैं। मेरे सारे ब्लाउज अब मुझे छोटे होने लगे हैं। जब मैं नदी के ठन्डे पानी में नहा रही थी तब मेरे निप्पल भी एकदम कड़क होकर तन गए थे।
छाया ने मेरी तरफ लालसा भरी निगाहों से देखा और फिर उसने अपनी दूधघाटी को मुझे दिखाते हुए कहा- मनोज एक बार मेरी शादी हो गई, तो मेरी जिन्दगी की आजादी खत्म हो जाएगी। इसलिए मैं शादी से पहले मैं किसी के साथ कुछ ‘स्पेशल अनुभव’ लेना चाहती हूँ.. और वो तुम हो मनु..’
इतना बोलते हुए छाया ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी उभरी हुई छातियों पर रख दिया।
‘मनोज मुझे यहाँ छू कर देखो..’
मैंने छाया के मम्मों पर हाथ रख दिया।
आह्ह.. कितने मस्त मम्मे थे।
मेरे हाथ के स्पर्श से छाया मस्त हो गई।
‘ओह.. तुम्हारे हाथों के स्पर्श से मुझे बहुत अच्छा लग रहा है मनु.. मैंने आज तक ऐसा महसूस नहीं किया था।’
मुझे लग रहा था कि ये सब गलत है उसकी शादी होने वाली है.. पर उसकी चुदास ने मुझे गरम कर दिया था। मेरा लौड़ा भी खड़ा होने लगा था। उसकी गरम बातों ने मुझे भी कामांध कर दिया था और तभी छाया ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मेरे होंठों से अपने रसीले होंठों को लगा दिया।
बस दोस्तो.. फिर जो हुआ वो एक कुवांरी और सील पैक लौंडिया की चूत चुदाई तक होने वाला था.. जो कि इतना मस्त था कि उसको लिखने से अधिक देखने में आपको मजा देगा।