दोस्तो, आपको याद होगा जब सविता भाभी ने घर के नौकर मनोज से मालिश करवाते हुए चुदवाया था। यह घटना भी उसी चुदाई से जुड़ी हुई है।
मनोज जब नंगा होकर भाभी के ऊपर चढ़ कर उनकी मालिश कर रहा था, तब सविता भाभी को बड़ा मजा आ रहा था।
सविता भाभी पेट के बल नंगी लेटी थीं.. ऊपर से मनोज उनके गोरे और चिकने बदन की मसाज कर रहा था।
भाभी मनोज से कह रही थीं- आह्ह.. मनोज बहुत अच्छा लग रहा है। तुम वास्तव में बहुत अच्छे से जानते हो कि एक महिला को किस तरह से आनन्द दिया जा सकता है। क्या तुम इस काम को शुरूआत से ही कर रहे हो.. और प्लीज़ मुझे बताओ कि तुमने पहले बार किसके साथ सेक्स किया था।
मनोज ने सविता भाभी के चूचों को मसलते हुए कहा- हाँ भाभी जी जरूर.. मैंने पहली बार अपने गाँव में एक लड़की को चोदा था उस वक्त हम दोनों 19 साल के थे। हम दोनों बचपन से दोस्त थे लेकिन उसके पिता ने उसकी शादी गाँव के ही धनी आदमी रामपाल से तय कर दी थी, जिसकी बीवी कुछ दिनों पहले ही मर चुकी थी।
‘हम्म..’ सविता भाभी ने खुद को पलटते हुए कहा और मनोज अब सविता भाभी की विशाल चूचियों से खेलते हुए कहने लगा:
‘भाभी मुझे याद है कि मैंने पहले बार उसकी भरपूर जवानी को देखा था.. जब मैं अपने दोस्तों के साथ गन्नों के खेत में गन्ने चूस रहा था, तभी एक दोस्त ने कहा कि यार इधर गन्ने चूस कर तो बोर हो गए हैं.. चल उधर नदी पर चलते हैं.. जिधर गाँव की सब मस्त औरतें नहाते हुए मजे करती हैं.. उनको चल कर देखते हैं। बस उसकी बात मान कर हम सब दोस्त नदी पर आ गए।
‘फिर..?’
‘फिर.. भाभी उधर मैंने छाया को देखा जो अपनी भरपूर जवान मम्मों को कसे हुए ब्लाउज में फंसाए हुए पानी में नहा रही थी। मैं उसकी मस्त अंगड़ाई लेती जवानी के नशे में खो सा गया। तभी अचानक उसने मुझे देख लिया और आवाज लगा दी।
‘मनोज..’
मेरे सभी दोस्तों ने इधर से वापस चलने को कहा.. मेरा उधर से जाने का बिल्कुल मन नहीं था। मेरे मन में सिर्फ छाया ही बसी थी। परन्तु मजबूरी में मुझे उधर से वापस आना पड़ा।
शाम को जब मैं अपने घर के बाहर बैठा था, उस वक्त छाया ने मेरे करीब आकर मुझे चिढ़ाने के अंदाज में मुझसे कहा- मनुजी..
मैंने उसकी तरफ देखा और कहा- तुम.. तुम इधर क्या कर रही हो.. और मेरा नाम मनोज है, मुझसे मनुजी मत कहा करो।
‘हा हा हा.. ओके मनोज.. मैं तुमसे कुछ बात करना चाहती हूँ.. मगर इधर नहीं.. तुमे साथ पुराने कुँए तक चलो।
मैंने छाया से पूछा- अब बोल भी मेरी माँ..
‘नहीं मनोज तुम मेरे साथ चलो..’
फिर हम दोनों यूं ही टहलते हुए बस्ती से दूर निकल कर एकांत में पुराने कुँए तक आ गए।
छाया ने मुझसे कहा- मनोज मेरे पिता ने मेरी शादी रामपाल के साथ तय कर दी है।
मैंने चुटकी लेटे हुए कहा- ये तो तुम्हारे लिए अच्छा है.. रामपाल एक रईस आदमी है।
छाया गुस्से से बोली- तो तुम कर लो उससे शादी!
‘हा हा हा…’
छाया बहुत गुस्से में बोली- मुझे उस बुड्डे से शादी नहीं करना है.. वो और उसके बच्चे.. मैं ये सब नहीं झेल सकती हूँ.. और..
वो एकदम से अवसाद से भर कर खामोश हो गई।