ससुर बहू का मिलन-2

ससुर बहू का मिलन-1 “हाँ मैं बिलकुल ठीक से हूँ और बहुत झुशी से हूँ पापा. ससुराल वाले मेरा अच्छी तरह से ख़याल रखते हैं.”

मनोरमा ने चहकते हुए कहा.

बेटी की आवाज़ को सुन कर पापा श्रीराम सिंह समझ गए की उनकी बेटी ने ससुराल में अपना जलवा दिख ही दिया है. पर उन्हें इस बात का जरा भी इल्म नहीं था ये जलवा था किस तरह का. वो जानते थे कि मनोरमा खुश है और उनके लिए इतना ही काफी था.

उन्होंने बोला, “मतलब, लगता है पूरा पूरा ख़याल रख रहे हैं ससुराल वाले?”

मनोरमा ने अपना निचला होठ दांत में दबाते हुए बताया, “हाँ पापा, मैंने सोचा भी नहीं था की तीन महीने में ही सभी लोग मेरा इतना ख़याल रखने लगेंगे. ”

श्रीराम सिंह बोले, “बेटे मैं बड़ा खुश हूँ की तू खुश है. अब वही तेरा घर है. तेरी शादी हो गयी, अच्छा घर मिला गया. वहां सबका अच्छे से ख़याल रखना. अब तेरे भाई अमित की शादी हो जाए. बस मैं मुक्त हो जाऊं”

मनोरमा ने कहा, “हां पापा अब अमित की शादी जल्दी कराइए.”

मनोरमा उस समय शीशे के सामने कड़ी थी. उसने खुद को ही अपनी आँख मारते हुए बोला,

“यहाँ मैं सबका ख़याल इतनी अच्छी तरह से रख रही हूँ कि आपकी बहु आपका कभी नहीं रख पाएगी”

श्रीराम सिंह बोले, ” अच्छा बेटे, मेरा काम पर जाने का वक़्त हो गया है, मैं फ़ोन रखता हूँ. खुश रहो”

श्रीराम सिंह ने फ़ोन रखा नहीं था, बल्कि उन्हें रखना पड़ा. क्योंकि गुलाबो जो उनके घर की नौकरानी थी, उनका लंड किसी स्वादिष्ट लेमन चूस की तरह चाट रही थी. जब वो फ़ोन पर थे, गुलाबो घर का काम ख़तम कर के आई, श्रीराम सिह की धोती से उनका लंड निकाला और उसे मुंह में डालकर चुभलाने लगी. लंड चुस्वाने के आन्दतिरेक में अब उनकी आवाज संयत न रहती, इस लिए बेटी का फ़ोन थोडा जल्दी ही काटना पड़ा. बेटी को बोलना पड़ा की काम पर जा रहे हैं, और बेटी को ये बिलकुल अंदाजा नहीं था की उनके पापा कौन से काम पर जा रहे हैं.

“गुलाबो, तेरी मुंह बड़े कमाल का है. चूस इसे जरा जोर से. बड़ा आनंद आवे है मन्ने”

गुलाबो ने लंड को पूरा अपने मुंह में लिए हुए उनसे नज़रें मिलाईं मुस्कराई और जोर से चाटने लगी. श्रीराम सिंह का लंड अब तक पूरे शबाब पर आ चुका था. वो अपनी कुसी से उठे तो उनका लम्बा और मोटा लंड गुलाबो के मुंह से निकल गया. उन्होंने अपनी धोती और कच्छा जल्दी से उतारा और कुरते को निकाल कर फ़ेंक दिया और जा कर बगल में बिछे हुए दीवान पर जा कर लेट गए. गुलाबो अपने घुटनों के बल बैठ कर उनका लंड फिर से चूसने लगी. इस प्रक्रिया में उसकी गांड ऊपर की तरफ उठी हुई थी. वो पूरी तरह से नंगी थी.

वो दोनों इस बात से बिलकुल बेखबर थे की खिड़की पर खड़ा अमित उनके ये सारे कार्य प्रलाप देख रहा है. अमित आज अपनी सुबह की दौड़ से जल्दी घर आया और जब पापा को बात करते सुना तो सोचा की वो भी दीदी से बात कर ले. पर खिड़की से देखा की बात चीत के साथ गुलाबो की उनके पापा के लंड से डायरेक्ट बात चल रही है तो वो वहीँ ठहर गया. ये दृश्य पिछली रात में देखी गयी सनी लोएन्ने की फिल्म से कहीं ज्यादा कामुक था. उसका हाँथ उसके शॉर्ट्स में था और वो पाना लंड धीरे धीरे सहला रहा था. गुलाबो का गदराया बदन वो कई बार देख चूका था. गुलाबो बहार नौकरों के क्वार्टर में खुले में नहाती थी. अमित को उसके बड़े बड़े मम्मे और फेंकी हुई गोल एवं गुन्दाज़ चुतड इतने पसंद थे की उन्हें याद करते ही उसका लंड खड़ा हो जाता था. गुलाबो का पति हरिया श्रीराम सिंह के खेतों का प्रमुख था. वो अन्य नौकरों का सुपरवाइजर था. अमित को ये पता नहीं था की गुलाबो की चुदाई हरिया की पूरी रजामंदी से हो रही है .

अपना लंड चुस्वाते चुस्वाते, श्रीराम की साँसे तेज हो गयी थीं. गुलाबो की चूत में अभी तक वो अपनी तीन उंगलिया दाल चुके थे. चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी. और उन्होंने अपनी उंगलिया निकाली और गुलाबो की उठी हुई गांड पर एक चपत मारी. गुलाबो को इस चपत का इशारा अच्छी तरह पता था. उसने उनके लौंडे को अपने मुंह से अज्जाद किये और फर्श पर कड़ी हो कर झुक कर उसने कुर्सी के दोनों हैंडल पकड़ लिए. उसकी गांड मानो श्रीराम सिहं को आमंत्रण दे रही थी की आइये और मेरी लीजिये. श्रीराम उठ कर उसके पीछे आये और अपने लंड गुलाबो की चूत के मुंह पर टिका दिया. गुलाबो ने अपने गांड को हिला कर मालिक का लंड थोडा अन्दर लिया. लंड का सुपादा पूरा अन्दर जा चूका था. आज गुलाबो की चूत बड़ी कसी कसी लग रही थी. उन्होंने एक धक्का दिया और पूरा का पूरा लंड अन्दर. गुलाबो के मुंह से चीख निकल गयी.

गुलाबो को अपने चूत में श्रीराम सिंह का लौदा कसा और गरम लग रहा था. उसे अभी भी याद है वो दिन जब वो हरिया से ब्याह कर इस हवेली के सर्वेंट क्वार्टर में आई थी. श्रीराम सिह उसकी उस दिन से नियमित रूप से चुदाई कर रहे थे. आदम जात की भूख जितना बढ़ाया जाये वो उतनी ही बढ़ती जाती है. गुलाबो का अब हाल यही हो गया था की वो रोज रोज अपनी चूत में कोई लंड चाहती थी. श्रीराम और हरिया दोनों इस बात को जानते थे. इस लिए उसे जैम के पलते थे. कई बार तो दोनों ने उसे एक साथ मिल कर छोड़ा हुआ था. जब भी श्रीराम सिंह किसी नेता या अफसर को बुलाते थे, उन्हें खिला पिला के बाद उनकी पेट के नीचे की भूख का इंतजाम गुलाबो करती थी. इस प्रकार से उस इलाके के जितने भी कॉन्ट्रैक्ट थे वो सब श्रीराम सिंह को मिलते थे.

श्रीराम सिंह ने उसे चोदते हुए दोनों हाथों से उसकी चुंचियां दबाना चालू कर दिया. चुन्ची के दबने से गुलाबो वर्तमान में आई.

“मालिक जोर से पेलो अपना लंड…. पेलो रजा पेलो ….”

“साली तू तो बिलकुल रंडी हो गयी है. ये ले …..मेरा पूरा लंड ….तेरी चूत तो अब लगता है …गधे का लौंडा भी ले सकती है ….”

“मालिक आपके लंड के सामने ….गधे का लंड भी फेल है ….आ …आ…उई…..सी,,,,,मर गयी मैं ”

अमित अब तक अपना लंड शॉर्ट्स के बाहर निकाल चूका था. अन्दर की कार्यवाही को देख कर उसका लंड भी पूरी तरह से तन चूका था और वह सडका मारने लगा.

श्रीराम सिंह जोर जोर से गुलाबो को चोदने लगे…बीच बीच में उसकी गांड पर चपत भी लगा देते …

“ये ले साली….ये ले मेरा लंड …मैं छूट रहा हूँ….ऊ…..ऊ…..ऊ….. …”

ये कहते हुए वो गुलाबो की चूत के अन्दर उन्होंने अपना सारा पानी छोड दिया. अमित के लंड से भी फव्वारा निकला उसके निशाँ खिड़की के नीचे की दीवाल पर आज भी है.

श्रीराम सिंह आकर दीवान पर बैठ गए और गुलाबो के पेटीकोट से अपना गीला लंड पोछने लगे. उनकी नज़र फ़ोन पर गयी. जल्दी में उशोने फ़ोन काटा नहीं था, फ़ोन अभी भी उनकी बेटी मनोरमा से कनेक्टेड था. उन्होंने फ़ोन उठा के सुनने की कोशिश की किसी ने उनके प्रलाप को सुना तो नहीं. उधर से कोई आवाज नहीं आई. पर जैसे ही श्रीराम सिंह के साँसे फ़ोन से टकराई, मनोरम की तरफ से फ़ोन कट गया. श्रीराम सिंह को पक्का नहीं पता चला की मनोरमा ने उस्न्की चुदाई सुनी है या नहीं.

पर दूसरी तरफ मनोरमा अपने पिता की इस गरम सी चुदाई को फ़ोन पर सुनकर पूरी तरह गरम हो चुकी थी और वह रवि को जगा कर उससे चुदने का प्लान बना रही थी. उसे अब पता चल गया था की उसकी चुदाक्कड आदतें उसने अपने बाप से ली हैं.

मनोरमा का शादीशुदा जीवन में आनंद के जैसे सीमा नहीं थी. एक अकेली विडम्बना यही थी उसका पति जो उसके कामुक एवं मादक शरीर का असल में हकदार था, वही उसका सबसे कम या फिर न के बराबर इस्तेमाल कर रहा था. जब रात में उसका पति रवि नाईट ड्यूटी करने चला जाता था, उसके ससुर शमशेर उसका पेटीकोट उठा कर नियमित रूप से उसकी लेते थे. उसके दोनों देवर कभी अपने पिता की चुदाई के बाद मनोरमा को चोदते थे, या फिर सुबह उसे तबेले में पडी चारपाई पर लिटा कर उसकी लेते थे. कुल मिला कर, इस घर के सरे मर्द मनोरमा के मुठ्ठी में थे. कहने को ठाकुर शमशेर भले ही मालिक हों, पर इस हवेली की असली मालकिन मनोरमा खुद थी.

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वो एक गर्मी की सुबह थी. मनोरमा के ससुर शमशेर खेतों के राउंड पर निकले हुए थे. राजेश और अनिल को मनोरमा की लिए हुए लगभग एक सप्ताह हो गया था. आज जैसे ही उनके पिता निकले वो तुरंत मनोरमा के कमरे में गये. अनिल ने उसकी बांह पकड़ी और राजेश ने उसकी कमर में हाथ डाला और दोनों उसे लगभग खींचते हुए तबेले में ले गए. मनोरमा हंस रही थी, विरोध का नाटक कर रही थी.

“देवर जी, रवि सो रहे हैं. और पापा जी कहीं आ गए तो?”

“भाभी देवरों को इतना न तडपाओ. आज अगर हमारे खड़े लंडों को खाना नहीं मिला तो हम गर्मी से फट जायेंगे.”

अनिल ने अपने पजामे की तरफ इशारा किया. मनोरमा ने देखा की पजामा उसके लंड की वजह से टेंट की तरह ताना हुआ था. राजेश का हाल भी कुछ ऐसा ही था.

तीनों लगभग दौड़ते हुए तबेले में पहुंचे. हांफ रहे थे, हंस रहे थे और साथ में कपडे उतार रहे थे. अनिल मनोरमा अनिल के सामने नंगी खादी थी. अनिल उसकी झांटों से भरी हुई चूत सहला रहा था. पीछे खड़ा राजेश ने मनोरमा की गांड अपने दोनों हाथों से पकडी हुई थी. अनिल ने अपने होंठ मनोरम के होठों पर रख दिए और उसका गीला चुम्बन लेने लगा, उसकी दो उंगलिया मनोरमा की गीली चूत में थीं और उसकी जीभ मनोरमा के मुह के अन्दर थी. राजेश ने पीछे से उसे पकड़ा हुआ था, उका एक हाथ मनोरमम की गांड पर और दूसरा हाथ उसकी चून्चियों पर था. वो मनोरमा के गले पे पीछे की जगह को अपनी जीभ से चाट रहा था. मनोरमा चरम आनंद का अनुभव कर रही थी.

अनिल ने अपनी उंगलिया निकाल लीं और मनोरमा के मुंह में से दीं. मनोरमा एक गरम कुतिया की भांति अनिल की उँगलियों से अपनी का चूत का रस चाट चाट कर चख रही थी. तीनों अभी भी खड़े थे. अनिल ने अपना लंड मनोरमा की चूत में डाल दिया. राजेश मनोरमा की पीठ से चिपका हुआ था और अनिल के धक्के उसे अपने ऊपर महसूस हो रहे थे. मनोरमा की चूत अनिल का लंड चप्प चप्प की आवाज कर के ले रही थी. अनिल का लंड पतला और लम्बा था. शायद राजेश को चप्प चप्प कि आवाज सुन कर लगा कि भाभी की चूत में दुसरे लंड की जगह है. सो उसने मनोरम की दोनों टांगों के बीच से ले जा कर अपने लंड का मुंह अपनी भाभी की चूत के मुंह पर टिकाया. अगले धक्के में जब अनिल ने अपना लंड थोडा बाहर लिए तो राजेश ने अपना सुपाडा अन्दर किये. इसके पहले की मनोरमा कुछ समझ पाती, दोनों के लंड उसकी चूत में थे.

मनोरमा को अपनी चूत में बड़ी जोर का दर्द हुआ. उसने अपनी चूत को इन दोनों जवान लंडों से हटाने की कोशिश की. पर दोनों ने उसे जोर से पकड़ा हुआ था. और उसके पास हटने या बच कर के निकलने की कोई जगह नहीं थी.

“अरे कमीनों छोडो मुझे….एक एक के कर के करो….मेरी चूत फट गए….मैं मर गयी ……”

मनोरमा ने गुहार लगाई. पर दोनों भाई गज़ब के चोदू थे. मनोरमा को ऐसा लगा रहा था मानूं एक हज्जार चींटियां उसकी चूत में घुस गए हैं और सब एक साथ मिल कर उसे वहां काट रही हैं. कहते हैं चूत के अन्दर गज़ब की क्षमता होती है. दो तीन मिनट में मनोरमा का दर्द काफूर हो गया और उसे मज़ा आने लगा.

मनोरमा बोली , “चोदो हरामियों…मुझे जोर से चोदो…..दो दो लंड से मेरी फाड़ डालो ……आ ….आ……बड़ा मज़ा आ रहा है”

तीनों के बदन पसीने से सने गए और तीनों के बदन से चाप चाप की आवाज आ रही थी. तबेले में खड़े गाय बैल उन्हें देख कर मानों यही मुश्किल में थे उन सबमें सबसे बड़े जानवर हैं कौन.

“भाभी, हम लोग तुमको हर बार नहीं चीजें सिखायेंगे…दो लंड इकठ्ठे किसी चूत को बड़ी किस्मत से मिलते हैं मेरी जान”, राजेश चहकते हुए बोला.

मनोरमा ने अपनी खड़े खड़े अपनी टांगो को फैला लिए ताकि दोनों लंडों को ठीक से चोदने की जगह मिले. राजेश और अनिल के लौंड़े मनोरमा की चूत में आपस में रगड़ रहे थें मानो एक दुसरे से कम्पटीशन कुश्ती का हो की कौन कितनी चूत मारेगा भाभी की.

मनोरमा ने अपनी बायीं तरफ की चूंची अनिल के मुन्ह में दे दी. दायीं वाली राजेश पीछे से दबा रहा था. राजेश अपना लंड भाभी के मोटे चूतड़ों के बीच से भाभी की चूत में आते जाते देख रहा था. उसे बड़ी ख़ुशी थी की मनोरमा जैसी कामुक लडकी उनके घर आई. अब चुदाई के लिए बाहर जा कर लडकियां पटाने का कितना सारा समय बाख जाता था. ऊपर से घर का माल घर में की खर्च हो रहा था.

“दो दो लौंड़े खाने वाली भाभी …. दो लौंड़े खा ले …
अपनी चूत का भक्काडा, बनवा ले बनवा ले……”

अनिल छोड़ भी रहा था और गा ही रहा था.

मनोरमा को चुद्वाते हुए गंदी बातें सुनना बड़ा पसंद है. अनिल और राजेश की चुदाई और उनकी गंदे बातों और गानों से उसकी चूत का रस मानों अब निकला तब निकला.

इसी बीच खेतों के राउंड पर गए शमशेर ठाकुर को याद आया कि आजा सुबह उनकी बहन कमला का फ़ोन आने वाला है. जब जेबें टटोली तो पता लगा कि फ़ोन घर में ही चूत गया है .इस बात से बिलकुल अनजान कि घर में क्या चल रहा है, वो समय से पहले ही घर की तरफ लौट चले. जैसे जैसे उसके कदम उन्हें घर के पास लाते गए, एक जानी पहचानी आवाज उन्हें सुनाई पड़ने लगी. उनको लगा की उनकी गई हाजिरी में उनकी बहु मनोरमा कुछ गुल खिला रही है. इस बात संशय कि कहीं कोई नौकर तो उसे नहीं छोड़ रहा है, उन्हें गुस्सा दिला रहा था. वो घर में घुसे और मनोरमा के कमरे के दरवाजे तक गए. बाहर से कमरे को देखा फिर अन्दर गए, पर वहां कोई था नहीं सो मिला नहीं. वो आवाज का पीछा करते हुए हवेली के दुसरे हिस्से में जाने लगे. जैसे ही वो मुख्य दरवाजे के पास से निकले उन्हें पता चल गया वो आवाज कहाँ से आ रही है. वो सीधे तबेले में पहुँच गए.

वहां का दृश्य देखा तो उनका दिल ही हिल गया. उसके दोनों बेटे उसकी बहु को एक साथ चोद रहे थे. मनोरमा ने आनंद में अपनी आँखें बंद कर रखीं थीं. और दोनों पूरी रफ़्तार से उसे छोड़ रहे थे. शमशेर का मन तो किया की जूते उतार के राजेश और अनिल को मारें. पर वास्तविकता तो ये थी की उन्हें पता था जवान बेटों से अब दोस्तों जैसा बर्ताव करना ही ठीक है. वो दरवाजे के पीछे छिप गए.

अब तक मनोरमा दो बार झड चुकी थी. वो दोनों देवरों से गुहार लगा रही की वो अपना रस जल्दी से निकालें. दोनों ने अपने लौड़े निकले और मनोरम को जमीन पर बिठाया वो उसके चेहरे के दोनों साइड में आ ये और अपना लौंडा हिलाने लगे. मनोरमा ने अपने एक एक हाथ में एक एक लंड लिया और उन्हें हिलाने लगी. पहले राजेश झडा और मनोरमा ने उसकी एक एक बूँद अपने मुंह में ले ली. अनिल ने इसी बीच अपना फव्वारा मनोरका के चेहरे और मम्मों पर छोड़ दिया.

शमशेर का लंड बुरी तरह खड़ा हो रहा था. वो वहां से बिना कोई आवाज के निकल गए.

राजेश और अनिल अपने कपडे पहन रहे थे. मनोरमा दोनों देवरों के वीर्य और पसीनें से सनी हुई तबेले की चारपाई पर अभी भी पडी हुई थी. उसकी साँसे भरी थीं. उसे आनंद का नया अहसास मिला था. दो मर्दों ने उसे आज एक रंडी की तरह इस्तेमाल किया था और उसे बहुत ही मज़ा आया.

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उधर शमशेर के मन में अभी अभी जो देखा उसके जैसे फिल्म लगातार चल रही थी. वो बैठ कर अपनी बहन कमला के फ़ोन का इंतज़ार कर रहे थे. शमशेर और कमला अपने जवानी के दिनों से एक दुसरे के काफी करीब थे. कमला ने अपनी सील अपने भाई शमशेर से ही खुलवाई थी. शादी के बाद भी जब शमशेर शहर जाते थे, कमला के यहाँ की रुकते थे और मौका देख जीजा जी की नज़रें बचा कर चुदाई करते थे. जबसे मनोरमा घर आई थी, शमशेर को कमला के यहाँ जाने की तलब बिलकुल नहीं हुई.

मनोरमा तबेले की चारपाई से उठी और अपने कपडे पहन कर घर आ कर सीधा बाथरूम चली गयी. बाथरूम में जा कर उसे ये याद आया की ससुर जी के जूते बाहर रखे थे , इसका मतलब वो जिस समय राजेश और अनिल के साथ थी ससुर जी वापस आ चुके थे. कहीं ससुर जी उसे उस अवस्था में राजेश और अनिल के साथ देख तो नहीं लिया ये सोच कर उसका दिल एकदम से धक् से रह गया.

आने वाले दिनों में हवेली में बहुत कुछ होने नया होने वाला था. मनोरमा के सामने कुछ अजान सी स्थिति थी. शमशेर के मन में अशांति थी.

इस सब बातों से अनजान मनोरमा का पति रवि अपनी नाईट ड्यूटी पूरी कर के घर आया और उसने आवाज दी,

“मनोरमा जरा मेरा नाश्ता लगवा दे. आज मैं बहुत थक गया हूँ”

मनोरमा ने एक कामुक सी अंगड़ाई लेते हुए एक मादक सी मुस्कान के साथ कहा, “मैं भी”.

शमशेर सिंह ने जेब से सिगरेट का पैकेट निकाला, एक सिगरेट निकला कर होठों के बीच लगाया और जैसे जला कर पहला काश खींचा उनका फ़ोन बजा. लाइन पर दूसरी तरफ कमला थीं. वो कमला का हेल्लो भैया सुनते ही समझ गए की कुछ समस्या है.

“भैया तुम्हारे जीजा को किसी ने किसी के कतल में फंसा दिया है, पुलिस इन्हें ढूंढ रही है. तो ये तो अभी अंडरग्राउंड हैं. पर पुलिस बार बार घर में आती है और पूछताछ करती है. वो इंस्पेक्टर कुरील मुझे बड़ी गंदी नज़रों से देखता है, तुम कुछ करो प्लीज”, कमला उधर से लगभग रोते हुए बोली.

“अरे परेशान मत हो कमला. मैं विधायक जी से बात करूंगा. तुम एक काम करो, कुछ दिन के लिए यहाँ आ के रहो. तुम्हारा मन भी बदल जाएगा. और हम लोग तब तक जीजाजी का कुछ कर लेंगे ” शमशेर ने सुझाव दिया.

“ठीक है भाई, मैं कल सुबह की बस से पहुचती हूँ. तुम बस स्टैंड पर किसी को भेज देना”

“ठीक है बहना”

शमशेर ने फ़ोन डिसकनेक्ट कर दिया. और सिगरेट का काश लगाया. धुओं के उन्हें उनकी बहू मनोरमा का गदराया सा बदन नज़र आ रहा था. वो चोदने के लिए बड़े लालायित थे. पर बहु अभी अपने पति रवि को नाश्ता करा रही थी. आज उन्हें पंचायत के लिए सरपंच के घर भी जाना था. कुल मिला कर शमशेर को लगा की आज का दिन इसी तरह काटना पड़ेगा और चूत का स्वाद उन्हें रात में ही प्राप्त हो सकेगा,

उधर अपने कमरे में मनोरमा रवि को नाश्ता करा कर उसका लंड चूस रही थी. उसकी चूत चुदे हुए कुछ घंटे ही हुए थे पर वो फिर से चुदवाने के लिए तैयार थी, पर रवि इतना थका था की अपना लंड मनोरमा के मुंह में झाड़ कर खर्राटे मार मार के सो गया. मनोरमा ने उसे थोडा हिलाया पर वो तो जैसे बेहोशी की नींद में सो रहा था.

उस रात जब शमशेर मनोरमा के कमरे में गया तो उसने अपना लौंडा सीधा एक झटके में चूत में डाल दिया. और इतनी जोर जोर से चोदने लगा की जैसे किसी पुश्तैनी दुश्मनी का बदला ले रहा हो. होठों पर चुम्मे के बजाय जैसे काट लिया, और बहु के गले के नीचे काल निशान ही बना दिया. छोड़ने की रफ़्तार फुल स्पीड. मनोरमा उस दिन तीन बार झडी, तब जा कर शमशेर झड़ने के कगार पर आये. शमशेर अपना लौंडा निकाल कर मनोरमा के मुंह में घुसेड दिया और अपना सडका मारने लगे. बहु समझ गयी की ससुर आज कुछ ज्यादा ही गर्म है और आज उसके लौंड़े का रस अपने मुंह में ले कर पीना पड़ेगा. सो जैसे ही शमशेर के लंड का फव्वारा छूटा, मनोरमा ने उसे पूरा का पूरा अपने गले के नीचे उतार लिया.

शमशेर उठे और कमरे के बाहर निकल गए. मनोरमा अभी भी अपने बिस्तर पर नंगी पड़ी हुई थी. जिस तरह से ससुर जी ने उसकी चुदाई की थी, उसे रंच मात्र का संदेह नहीं रह गया था की ससुर जी ने आज उसे अपने दोनों देवरों के साथ रंगरेलियां मनाते हुए देखा था. उसके दिल का एक हिस्सा कहा रहा था की ये ठीक नहीं हुआ. पर दूसरा हिस्सा कह रहा था की चलो ये ठीक ही हुआ. अब सबको सब पता है. इन्हीं बातों का विचार करते करते उसे कम नींद आ गयी पता ही नहीं चला.

फुर्सत्गंज़ में जब अगले दिन का सूरज निकला तो एक नयी और खूबसूरत सुबह ले कर निकला. ठीक 9 बजे बस स्टैंड के पास शमशेर गाडी ले कर अपनी बहन कमला देवी को बस से रिसीव करने पहुँच गया. वो कमला के साथ की गयी चुदाईयां याद कर रहा था और मन ही मन मुस्करा रहा था. बस कब रुकी कमला कब निकली और और उसकी गाडी के पास आ कर खादी हो गयी पता ही चला. शीशे पर किसी के खटखटाने से शमशेर अपनी यादों की दुनिया से बाहर आया. उसने देखा कमला अपना सूटकेस ले कर बाहर खड़ी थी. वो गाडी से बाहर आया और कमला का सूटकेस लिया और गाडी के ट्रंक में रखा. कमला को गाडी में बिठा कर वो ड्राईवर की सीट पर आ कर बैठ गया.

शमशेर ने गाडी स्टार्ट की और बस स्टैंड से आगे निकल आया. बस स्टैंड से हवेली का रास्ता कुछ चालीस मिनट का था. रास्ता बड़ा की सुन्दर था. सड़क के दोनों तरफ हरे खेत थे. और दूर दूर तक प्रकृति ही प्रकृति थी.

“कमला, इतने दिनों बाद तुम्हें देख कर अच्छा लग रहा है” , शमशेर ने कहा.

“भाई, तुम बड़ा खिल गए हो. लग रहा है बहू बड़ा अच्छे से ख़याल रख रही है तुम्हारा”, कमला ने बोला.

“हाँ बहना, तुम्हारे जाने के बाद हवेली में जिस चीज की कमी थी, मनोरमा बहु ने उसे पूरा कर दिया है” , शमशेर चहक कर बोला.

“अब समझ आया की तुम पिछली बार जब शहर आये थे, तो मेरे घर क्यों नहीं आये थे. जब जवान चूत उपलब्ध हो तो अधेडा किसको चाहिए”, कमला ने शिकायते की.

“अरे नहीं बहना, वो अपनी जगह है और तुम अपनी जगह हो” शमशेर ने शर्म खाते हुए कहा.

“सच कहो तो तुम्हारी जगह जब मेरी बीवी ने नहीं ली, तो ये बहु मनोरमा क्या ले पाएगी”, शमशेर ने कहा.

“क्या तुम सही में ऐसा मानते हो”, कमला ने पूछा.

शमशेर ने उत्तर दिया, “तुम्हें अगर जरा भी शक है तो इन्हें देख लो”

शमशेर ने अपने लंड की तरफ इशारा किया जो खड़ा था. कमला ये देख कर मुस्कराने लगी. वो जानती थी की उसके भाई की चुदाई का मज़ा ही कुछ और है. इतने सालों के विवाहित जीवन में उसका पति कभी उसे वो सुख नहीं दे पाया जो भाई से उसे मिला है. उसने अपना हाथ उसके लंड पर रख दिया और पेंट के ऊपर से ही लौंडा सहलाने लगी. शमशेर ने गाडी मेंन रोड से निकाल कर साइड में पेड़ों के पीछे जा कर रोक दी. जिससे रोड पर आने जाने वाले उन्हें देख न सकें. अपना जिपर खोल के जैसे ही अपने लंड को आजाद किया, कमला ने उसे अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी.



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