सासु को ससुराल में चोदा

”सासु को ससुराल में चोदा” तुम्हे विश्वास नहीं हो रहा होगा पर ये घटना सौ टका सही सही है ! इस सही घटना को सुनने/ जानने के बाद तुम्हे ये विश्वास हो जाएगा की महिलाये सेक्स सुख के लिए सभी रिश्तों को ताक पर रख देती है सौ फीसदी सत्य घटना सुना रहा हूँ !
मेरी ससुराल गाँव में है जो बहुत ही सम्पन्न है लम्बी खेती बाड़ी है, बड़ा सा पक्का मकान है, 2 ट्रेक्टर 1 बुलेरो 1 टाटा सूमो गाडी है ! मेरे ससुर जी अपने सभी भाइयों में सबसे बड़े है उनसे 2 छोटे भाई है सभी की शादी हो चुकी है और बड़े-बड़े बच्चे भी है ! मेरे ससुर के सबसे छोटे भाई (मेरे ककिया ससुर) मेरे से उम्र में 2 साल छोटे है उनकी शादी भी मेरी शादी के बाद हुई थी ओ अभी भी फौज में है क्योकि प्रमोसन मिलने के कारण उनकी नौकरी बढ़ती जा रही !

उनके दो लड़के है एक 8 वी में और दुसरा 10 वी में दोनों गाँव से दूर के हास्टल में रहकर पढ़ाई करते है ! गाँव में मेरे ससुर,सास,और सेकण्ड नंबर के काका ससुर उनकी दो लडकिया और सबसे छोटी सास ”मंजू चाची” सभी ज्वाइंट फेमली में रहती है ! मेरी शादी के 3 साल बाद मंजू चाची आई ससुराल में बहु बनकर जो की गजब की खूब सूरत, चंचल, सोख हसीना लगती है ! जब भी ससुराल जाता हूँ तब मंजू चाची का दामाद होने के कारण ,मेरे पाँव छूती और मेरा खूब आवभगत करती है और साली नहीं होने की पूरी कमी पूरी कर देती है अकेले मौका देखकर हल्का फुल्का हँसी मजाक भी कर लेती है !

मेरी शादी हुए करीब 20 साल हो गए , मंजू चाची की उम्र करीब 34-36 के आसपास होगी ! न तो ज्यादा मोटी और न ही ज्यादा दुबली पतली,एकदम से फिट सेक्सी गदराये हुए वदन की मालकिन है ! अभी 10 साल से जब भी ससुराल जाता तब मंजू चाची कोई न कोई बहाना बनाकर मेरे और मेरी पत्नी के साथ बुलट में 10 KM दूर बाजार करने जरूर जाती ! क्योकि काका ससुर जी तो फौज में है और बाकी दोनों ससुर मंजू चाची के जेठ जी लगे तो उनके साथ नहीं जा सकती ! मई 2014 की बात है ससुराल के पास ही मैं एक शादी में गया था सोचा ससुराल भी घूम और ससुराल पहुंच गया तो खूब आवभगत हुई मेरी ! दिन की भयंकर गर्मी में साले के कूलर लगे कमरे में ही सोता क्योकि साले साहब बहुत अच्छे वकील है जो पास के ही शहर में रहते है अपने पत्नी बच्चो के साथ ! मंजू चाची ने अकेले कमरे में बड़े प्यार से खाना खिलाया हँसी मजाक भी किया !

आज मंजू चाची खूब सजी सवरी थी लाल साडी में बहुत ही सेक्सी लग रही थी, खाना परोसते समय कई बार साडी के पल्लू को गिराया जिसमे उनकी बड़ी बड़ी चूचियों की घाटी साफ़ साफ़ दिखाई देती थी मैं भी तिरक्षी नजर और ललचाई निगाह से चूचियों तरफ देखता तो मंजू चाची हलके से मुस्कुरा कर पल्लू ठीक कर लेती ! खाना खिलाते समय मंजू चाची बोली ” कुछ काम है साम को बाजार चलेंगे मेरे साथ ” मैंने हां कर दिया और बोला ” घर वाले जाने देंगे मेरे साथ अकेले” तो मुस्कुराते हुए बोली ”उसकी चिंता आप छोड़िये मैं बड़ी जीजी जी से पूछ लूंगी ” ! बड़ी जीजी से मतलब मेरी सासु माँ से है !

इसके बाद मैं खाना खा कर कूलर की ठंढी हवा में सो गया तो मेरी नींद करीब 5 बजे खुली , कुछ ही देर में मंजू चाची आई और बोली ” पानी लाऊ ” तो मैंने हां हिला दिया तो ओ गई और कुछ ही देर में फ्रिज का ठण्डा पानी ले कर दिया और फिर सरबत लाइ जिसे पीने के बाद मंजू चाची बोली ” जीजी से पूछ लिया है 6 बजे तक तैयार हो जाइयेगा” मैंने फिर से गर्दन हिला दिया और मंजू चली गई ! मैं 6 बजे तैयार होकर घर के बाहर पुरुषो के बैठक हाल में आ गया जहा पर ससुर जी पहले से ही बैठे हुए थे !

मेरे आने के तुरंत बाद मेरी सासु माँ आई और ससुर जी से मंजू चाची के मेरे साथ बाजार जाने की बात किया तो ससुर जी बोले ”अरे दामाद तो लड़के जैसा होते हैं उनके साथ जाने में कोई परेसानी वाली बात ही नहीं” इतना कहने ससुर जी ने नौकर को आवाज दिया और बोले ”बुलट बाहर निकालकर किसी साफ कपडे से पोछ दे” नौकर ने अपना काम 10 मिनट में कर दिया ! इतने में सासु माँ और बोली ”बेटवा,मंजू पीछे वाले दरवाजे में खड़ी है” मैं समझ गया की मंजू चाची अपने जेठ जी के सामने मेरे साथ बुलट में नहीं बैठेगी ! तब मैं उठा और बुलट को सेल्फ से स्टार्ट किया और पीछे वाले दरवाजे (गाँव में एक दरवाजा घर के पीछे या बगल में होता है जहाँ से ज्यादातर घर की महिलाओं का प्रवेश/बाहर होता है)के सामने गया जहा पर मंजू पहले खड़ी थी !

मंजू मेरे बुलट पर दुरी बनाकर बैठ गई ! रास्ते भर दूर ही रही एक दो बार जरूर मेरे पीठ पर उनकी चूची टच हुई तोलगा की चूचियाँ टाइट है ! 20 मिनट में बाजार पहुंच गए कई दुकानो में मंजू चाची ने ढेर सारी शॉपिंग किया ज्यादातर दूकान वालों ने हम दोनों को पति-पत्नी ही समझा ! मंजू चाची ने 34 -36 नंबर की ब्रा और पेंटी लिया काटन की एक गाउन भी लिया और कई साड़ियाँ मेकअप का सामान लिया और सभी सामान को एक मजबूत से झोले में रखकर बुलट के पीछे बांध लिया ! मैं समझ गया था मंजू चाची चुदवा सकती है इस लिए एक मेडिकल स्टोर से बिगोरा 100 की 4 टेबलेट और डेटेड कोहिनूर कंडोम ले लिया !

ये सब लेते लेते साम के साढ़े सात बज गए घुप अधेरा हो गया उसके बाद मंजू चाची बोली भूख लगी है तब एक होटल में गया और नास्ता किया तब तक 8 बज गए ! फिर अँधेरे में जैसे ही बाजार से बाहर मिले मंजू चाची मेरे से चिपक कर बैठ गई और बोली ”ज़रा धीरे धीरे चलाइये घर ही तो चलना है” नहर के किनारे किनारे बाते करते हुए धीरे धीरे चलने लगे पर बुलट की आवाज में मंजू चाची की आवाज दब जाती तो मैंने सोचा क्यों न बाइक रोककर बात कर लूँ तो पेसाब करने के बाइक को रोड से कुछ दूर लेजाकर रोक दिया

उतर कर पेसाब करने चला गया वापस आया तो देखा की मंजू चाची भी बाइक के पास रही थी जब मैं वापस आया तब भी मंजू चाची बिना सरमाये हुए पेसाब करती रही उनके पेसाब करने की ”स्स्स्स् स्स्स्स्स्स्स्स्स्स” की आवाज सुनाई दे रही थी ! जब मंजू चाची पेसाब कर चुकी तो उठी और मेरा पास आकर खड़ी हो गई और बातें करने लगी तो मैंने अचानक ही उनका हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खीचते हुए किस कर के सीने से लगा लिया, मंजू चाची बिना बिरोध किये मेरे सीने से चिपक गई तो मैंने ताबड़तोड़ कई किस किया और चूची को दबा दिया मंजू चाची ने ज़रा सा भी बिरोध नहीं किया तो मैंने ब्लाउज के अंदर हाथ डालकर चूचियों को खिलाने लगा तो पता चला की मंजू चाची की चूचियाँ एकदम से टाइट थी , निप्पल भी खूब टाइट पड़ चुकी थी ,

तब मैंने ब्लाउज का हुक खोला और झुक कर चुचिओं को चूसने लगा मंजू चाची भी मुझे किस करने लगी और अपने हाथो को मेरे कंधे पर रखकर मुझे अपने सीने से चिपका लिया इस तरह से घुप अँधेरे में दोनों एक दूसरे को खूब किस करते रहे फिर मैं बोला ”कैसे मिलूंगा आपसे ” तब मंजू चाची धीरे से बोली ” रात में सभी छत में सोते है आपका भी बिस्तर छत दूंगी आप भी वही सोना मौका मिलते ही रात में आपको अपने कमरे में बुला लुंगी” [ मकान की दुसरी मंजिल में सिर्फ मंजू चाची के दो कमरे और कमरे के सामने धान के पियरे की झोपड़ी बनी हुई है ] ये सब बात होने के बाद फिर से दोनों घर की तरफ चल दिए बात करते हुए और घर पहुंच कर उन्हें पीछे दरवाजे में उतार दिया और आगे आ गया बाइक खड़ी किया और ससुर जी के पास बैठ गया तो ससुर जी ने पूछा ”इतना लेट कैसे हो गए” तो मैं दिखावटी नाराजगी ब्यक्त करते हुए कहा ”तालाब में घुसी भैस और बाजार में घुसी लुगाई जल्दी से बाहर नहीं निकलती” मेरी ये बात सुनते ही ससुर जी जोर जोर से हसने लगे

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इतने में सासु माँ सर्बत पानी का गिलास लेकर आ गई और पूछी ”क्या हुआ काहे को इतना हस रहे हैं” तो ससुर जी ने मेरी कही हुई बात को दोहराया जिसे सुनकर सासु माँ भी हस पडी और माहौल एकदम से बदल गया तो सासु माँ ने मुझे कपडे बदलने के लिए कहकर चली गई तो मैं कुछ देर में उठा और साले साहब केकमरे में चला गया और फुल लोवर और टीसर्ट पहनकर वापस ससुर जी के पास बैठ गया 9 बजे ससुर जी के साथ खाना खाया और ससुर जी के साथ छत में सोने चला गया !

गर्मी के महीने में छत में एक तरफ पुरुष और कुछ दुरी पर महिलाये सोती है बीच में रस्सी के सहारे कपडे टांग कर ओलट बना लेती है ! रात को सोने के पहले बिगोरा 100 की एक टेबलेट खा लिया ! रात के करीब 11 बजे धूल भरी आंधीके साथ साथ पानी के छींटे गिरने लगी तो सभी छत से नीचे अपने अपने कमरे में चले गए पर कुछ देर में गर्मी से घबराकर आधा घंटे में सभी फिर से छत में आ गए रात के करीब 12:30 बजे फिर से पानी के छींटे गिरने लगी तो फिर से सभी भागते हुए नीचे उत्तर गए,

मैं भी उतरने लगा तो सासु माँ मेरे पास आई और बोली ”बार बार परेसान मत होइए आपका बिस्तर यही मंजू के कमरे के सामने टपरी में लगा देती हूँ ” और इतना कहकर मंजू चाची को आवाज दिया तो ओ कमरे से बाहर आई तो सासु माँ बोली ” दामाद जी का बिस्तर यही टपरी में लगा दे बार बार सीढ़ी से उत्तर रहे है कही गिर न जाएँ अँधेरे में ” तब मंजू चाची मेरी चारपाई को घसीटते हुए टपरी में ले गई और चादर को झटकने लगी तो ऐसा लगा जैसे कुछ गिरा सासू माँ पाँव से जमीन में टटोलने लगी तो मैंने मोबाइल की टार्च जलाया और दिखाने लगा तो मंजू चाची बोली ”जरा बिस्तर दिखाएँ कोई कीड़ा-मकोड़ा तो नहीं है”

तब बिस्तर तरफ लाइट दिखाया तो मंजू चाची के ऊपर भी हलकी से लाइट गई तो देखा की मंजू चाची बाजार से जो गाउन लाई है वही पहन रखी है ! बिस्तर लगा गया तो मैं बिस्तर में लेट गया और सासू माँ भी मंजू चाची के रूम में मंजू चाची के पास ही दूसरे बेड पर लेट गई ! मंजू ने लालटेन जला दिया तो कमरे में हल्का सा उजाला हो गया ! पर मेरे दिल में अन्धेरा छा गया क्योकि मैं मन ही मन प्लान फेल होने से दुखी हुआ और अपनी किस्मत पर पहले इतरा रहा था मौसम के कारण ओ अब चिढ में बदल गया !

मैं बिस्तर में लेटते ही नकली खर्राटे लेने लगा ! करीब 25 मिनट बाद में ससुर जी ने सासू जी को आवाज दिया तो सासू माँ नीचे चली गई पर मैं अभी भी नकली खर्राटे ले रहा था, करीब 15 मिनट बाद मुझे ऐसा लगा जैसे कोई मेरे कंधे को सहला रहा है मैं समझ गया मंजू चाची अपनी चूत की खुजली मिटाने के लिया मुझे जगा रही है फिर भी मैं सोने की नौटंकी किये जा रहा था इतने में मंजू चाची मेरे गाल पर किस किया और कान में धीरे से बोली ”सो गए क्या” तब मैं नींद नाटक करते हुए बोला ”कौन है” तब मंजू चाची मेरे मुँह पर अपना हाथ रखते हुए धीरे से बोली ” मैं हूँ अंजू” तो मैं मंजू चाची का हाथ पकड़ा और बिस्तर में बिठा लिया

और फिर कंधे पर हाथ रखकर झुकाया और किस कर लिया और फिर चूचियों को टटोलने लगा तो लगा बिना ब्रा के ही गाउन पहनी हुई है बड़ी बड़ी टाइट चूचियाँ लटक रही थी मैं गाउन के ऊपर से ही चूचियों को खिलाने लगा और होठो को चूसने लगा इतने में अचानक तेज तेज हवा चलने लगी और जोर जोर पानी गिरने लगा तो मंजू चाची जल्दी से उठी और सीढ़ी की तरफ भागी और सीढ़ी दरवाजा लगा जल्दी से वापस आ गई तो मैंने पूछा कहाँ गई थी तो बोली ”सीढ़ी का दरवाजा बंद करने गई थी” तो मैंने पूछा क्यों बंद किया तो बोली ”पानी अंदर जाता हवा के साथ और दालान में पानी भर जाता” तब मैंने मंजू चाची का हाथ पकड़ा और अपनी चारपाई में बिठा लिया और चूची पर हाथ घुमाया तो लगा की ये तो गीली हो गई है !

तब मंजू को बोला ”आप तो गीली हो गई है कपडे बदल लीजिये” तो कुछ नहीं बोली तो मैंने फिर से उनके ऊपर हाथ घुमाने लगा तो मेरे हाथ को पकड़ कर चूमने लगी तब मैंने उन्हें अपनी तरफ खीच कर चारपाई में लिटा लिया और उनके ऊपर चढ़ गया और किस करते हुए चूचियों को दबाने लगा ! कुछ ही मिनट में मैंने गाउन की चेन को खोल दिया और चूची को चाटने लगा की इतने में मंजू का फोन बजने लगा तो दौड़ कर कमरे में गई और बात करके वापस आई तो मैंने पूछा ”किसका फोन था” तो बोली ”जीजी का था,पूछ रही थी दामाद जी की चारपाई गीली तो नहीं हो रही तो मैंने कह दिया नहीं” और इतना कहा कर वापस जाने लगी तो मैंने पूछा ”अब कहाँ जा रही हैं” तो

बोली ”कपडे बदल लूँ” तो मैं कहा ”’ओके” और धीरे से चारपाई से उठा और खड़ा हो गया जैसे ही मंजू ने गाउन को उतारा तो लालटेन के उजाले में उनका मस्त गदराया हुआ सेक्सी वदन दिखा तो मैं जाकर पीछे से लिपट गया,लिपटे लिपटे ही अपना लोवर और चढ्ढी उतार कर नंगा हो गया और मंजू की चूचियों को दबाने लगा और मंजू को अपनी तरफ घुमा लिया और खड़े खड़े ही मंजू की चूची को चूसने लगी और एक हाथ को दोनों जांघो के बीच में डालने लगा पर जांघे आपस में सटी हुई थी तो मंजू को बिस्तर में बैठा दिया और दोनों टांगो को फैला कर चूत को चाटने लगा मुस्किल से एक मिनट ही चूत चाटा होगा की मंजू चाची गरम आग पड़ गई और अपने चूतडो को बिस्तर में मेरे मुँह की तरफ बार बार टकराने लगी मंजू की चूत मेरे नाक तक से टकरा रही थी मैं समझ गया मंजू बहुत दिन से नहीं चुदाया है

इस लिए इतनी जल्दी पागल हो गई चुदाने के लिए तब मंजू को लिटा दिया और फटाक से चढ़ कर लण्ड पेल दिया पानी के बौछार छत पर और मेरे लण्ड की बौछार मंजू की चूत पर मारने लगा मुस्किल में 25-30 झटके ही मारा होगा की मंजू ने मुझे जोर से चिपकाकर ढीली पड़ गई मैं समझ गया मंजू झर चुकी है पर मैं अंतिम पड़ाव इसलिए लगातार झटके मारता रहा और 30-40 झटकों में ही लण्ड से ढेर सारा वीर्य मंजू की चूत में उड़ेल दिया और जोर से चिपका लिया तो मंजू मुझे अपने ऊपर से हटा कर जल्दी से उठी और उठकर बैठ गई तो मैंने धीरे से पूछा ”क्या हुआ” तो बोली ”अभी 4-5 दिन पहले ही सिर धोई हूँ कही गड़बड़ न हो जाए” (सिर धोया मतलब माहवारी से फ्री हुई) तब मैं फुसफुसाते हुए बोला ”कंडोम तो लोवर की जेब था पर जल्दी जल्दी भूल गया” तो मेरी तरफ देखि

और मेरे गाल पर एक हलकी सी चपत मारा और उठकर खड़ी हुई तो जांघो से वीर्य बहने लगा और बिस्तर में भी ढेर सारा गिर गया तो अपना पुराना पेटीकोट उठाया और पहले जांघो को साफ़ किया फिर बिस्तर वीर्य को पेटीकोट से पोछने लगी और फिर वापस गाउन को पहन कर छत में किनारे बने बाथरूम में पेसाब करने चली गई मैं भी चढ्ढी लोवर पहन लिया और टपरी में अपने बिस्तर पर आकर लेट गया कुछ देर में मंजू आई तो मैंनेहाथ पकड़ कर रोक लिया तो बोली ”रुकिए आती हूँ 5 मिनट ‘में” और कमरे गई 5 मिनट बाद आई तो उनके हाथ में गिलास था मुझे दिया और बोली ”पी लीजिये” तब मैंने बोला ”पहले आप” तो फिर बोली ”मेरा जूठन आपको नहीं पिलाऊगी” तब मैं धीरे से हसा और बोला ”जब आपकी बुर चाट लिया तब ये जूठन बचाने से क्या फायदा” तो हँसने लगी और बोली ” चलिए पीजिये

बहाने नहीं बनाइये” तब मैं दूध पीने लगा आधी गिलास बचा तो मंजू की पकड़ा दिया जब अंजू दूध पीने लगी और थोड़ा सा दुष बचा उनके हाथ से गिलास लेकर उनका जूठा दूध पी लिया तो मुझे बड़े प्यार से चुम लिया और खाली गिलास लेकर रूम में रख कर फिर से आ गई और मेरे पास बैठ गई ! हल्का हल्का पानी अभी भी गिर रहा था ! मंजू को याद दिलाया सीढ़ी के दरवाजे को खोलने की तो बोली ”पानी गिरने पर ओ बंद ही रहता है किसी को कोई काम होगा तो बजायेगा” तब मैंने कहा ”फिर कोई बात नहीं” इतना कह कर मंजू को अपने पास ही बैठा लिया और दोनों बिलकुल धीमी आवाज में बातें करने लगेकुछ देर में मंजू को अपनी चारपाई लिटा लिया और बाते करने लगे

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!पानी की हलकी हलकी फुहार ने मौसम को ठंडा कर दिया पर मंजू और मेरे जिस्म में और गर्मी और भड़क गई 2 घंटे तक बात करते करते मेरे लण्ड पर बिगोरा का प्रभाव फिर से दिखा,लण्ड तन खड़ा हो गया तो फिर से मंजू की चूचियों से खेलने लगा और होठों को चूसने लगा तो मंजू ने लोवर के ऊपर से लण्ड को टटोलने लगी तब मैंने कान में धीरे से कहा ”चलिए अंदर चलते है” तो मंजू तुरंत ही चारपाई से उठी और कमरे में घुस गई मैं भी पीछे पीछे चला गया और जाते ही मंजू को गाउन उतारने को कहा तो ओ तुरंत ही गाउन उतार कर रख दिया ,मैंने भी अपने कपडे उतारे और लोवर से कंडोम निकाला और बेड पर रखकर मंजू की टांगो को फैलाया और चूतचाटने लगा मुस्किल से 3-4 मिनट तक चूत चाटा होगा मंजू मुझे पकड़ कर अपनी तरफ खीचने लगी तो मंजू को घोड़ी बनने का इसारा किया तो ओ दो तकिये को अपने पेट सीने के नीचे रखी और तुरंत घोड़ी बन गई तो मैंने फनफनाता हुआ लण्ड एक झटके में ही पेल दिया तो मंजू धीरे से बोली ”इस बार कंडोम लगा लीजिये” इतना कहकर कंडोम मेरे हाथ में पकड़ा दिया तो मैंने लण्ड निकाला और सुपाड़े को नंगा किया बिना ही कंडोम लगा लिया !

इस बार मंजू ज्यादा देर तक चुदाई के लिए रुकेगी ये सोच कर लण्ड की चमड़ी पीछे किये बिना ही कंडोम लगा लिया और एक बार फिर से चूत को चाटने लगा तो मंजू अपने चूतड़ो को अगल -बगल हिलाने लगी और एक हाथ से मेरे सिर को हटाने लगी तो मैंने चूत चाटना बंदकरके अपना 7 इंची लंबा और खूब मोटा लण्ड मंजू की चूत में पेल कर आगे पीछे करने लगा मंजू बड़े मस्त अंदाज में चुदाने लगी जब मैं लण्ड को आगे पीछे करना बंद कर देता तो मंजू खुद ही अपने चूतड़ो को आगे पीछे करने लगती,मैं झुक झुक कर एक हाथ से मंजू की चूचियों को खिलाता तो मंजू में और अधिक चुदाई का जोश चढ़ जाता तो अपने चूतड़ों को और जल्दी जल्दी आगे पीछे करने लगती इस

तरह से करीब 7 मिनट तक लगातार लण्ड की बौछार देता रहा ! उधर पानी जोर जोर से गिरने लगा और मौसम में ठंडक बढ़ गई खुले हुए दरबाजे से पानी के छीटे आ रहे थे पानी की बौछार के साथ साथ कमरे का तापमान कम होता जा रहा था पर मंजू और मेरा तापमान बढ़ता जा रहा था, मंजू को तड़पाने के लिए जब लण्ड आगे पीछे करना बंद कर देता तो मंजू अपने चूतड़ों को खुद ही आगे पीछे करने लगती तो मैं फिर दो चार बार जल्दी जल्दी लण्ड की ठोकर मारता और बंद कर देता तो मंजू फिर से अपने चूतड़ों को जल्दी जल्दी आगे पीछे करने लगती इस तरह से मैंने कई बार लण्ड की ठोकर मारना बंद कर देता तो मंजू से नहीं रहा गया तो ओ मुझे बिस्तर में गिरा दिया और खुद ही मेरे ऊपर चढ़ कर चुदवाने लगी

मेरे सीने में अपने हाथों को रखा और खड़े लण्ड पर मलखम्भ करने लगी लगातार 5 मिनट तक मलखम्भ करने के बाद थक गई और लण्ड घुसाये हुए मेरे ऊपर लेटकर चूतड़ों को हिलाने लगी और मेरी जीभ को चूसने लगी तब मैंने मंजू को नीचे किया और चढ़ गया मंजू के ऊपर मंजू की दोनों जांघो को अपनी जांघो पर रख लिया और मंजू के ऊपर झुकते हुए मंजू की चूचियों को चूसता जाता और लण्ड के

जोरदार झटके मारता जाता ! मंजू ने मेरी कमर पर हाथ रखकर मेरे चूतड़ों को आगे पीछे करने में मदद करने लगी मैं मंजू की जीभ, चूची को बीच बीच में चूसता जाता अब मंजू मुँह से जोर जोर से उउउउ आआह्ह्ह्हाह्ह्हआह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स्स आअह आआह्ह की आवाज आने लगी मंजू का चेहरा लाल सुर्ख पड़ गया मंजू ने अपना मुह फाड़कर कही मुह से सीटी लगाने लगती उउउउ आआह् ह्ह्हाह्ह् हआह्ह् ह स्स्स्स्स् स्स्स्स करती जाती मैं लण्ड की जोरदार वारि करने लगा उधर बाहर जोर जोर से वारिस होने लगी वारिस तड़ तड़ की आवाज के आगे मंजू की आवाज दब गई इस तरह से लगातार
आखिरी में तरह से लगातार कई झटके मारने के बाद दोनों एक साथ स्खलित हो गए

लगभग 8 मिनट तक लण्ड-चूत की लड़ाई चलती रही और आखिर में दोनों ने हार मान लिया मंजू ने मेरे पीठ पर दोनों हाथो को रखते हुए कस कर अपने सीने से चिपका लिया मुझे मैं भी सखिलित हो गया और मंजू को चूमते हुए मंजू के ही ऊपर लेट गया ! करीब 3 मिनट बाद मंजू ने अपने ऊपर से उठाया तो मैं उठा और कपडे पहन लिया ! बाहर अभी भी पानी गिर रहा था पूरी छत में पानी बह रहा था ! मंजू नंगी ही दरवाजे के सामने ही बैठ कर पेसाब करने लगी ,फिर कमरे के अंदर आई और बार ब्रा और पेंटी पहन कर गाउन डाल लिया ब्रा

का हुक मेरे से ही लगवाया ! और पलट कर मुझे किस करते हुए बोली ”आप बहुत मजेदार हैं” और इतना कह कर मुझे छोड़ते हुए पास ही रखी गैस चूल्हे को जलाया और दूध गर्म करने लगी तो मैंने कहा अब इतनी रात को दूध नहीं पीउंगा तो हॅसते हुए बोली ” बस पेट भर गया दूध से ” तो मैं हँसते हुए जबाब दिया ”आपके दूध से तो कभी भी पेट नहीं भरेगा” और इतना कहकर पास में जाकर झुक कर मंजू की चूचियों को दबा दबाने लगा तो मंजू फिर से खड़ी हो गई और मुझे चूमते हुए बोली ”आप बहुत मजेदार हैं” और बाते करने लगी इतने उफना कर तपेली से बाहर गिरने लगा तो उई माँ करते हुए जल्दी से गैस को बंद किया ! मैं बाहर जाकर देखा तो हलकी हलकी बूंदा बांदी

अभी भी हो रही थी मैं छत के एक किनारे पर बैठकर पेसाब किया और अंदर रूम में आया तो मंजू बिस्तर पर लेटी हुई थी, मैं भी पास जाकर बैठ गया तो मंजू बोली ”पानी गिर रहा है क्या” तब मैंने उन्हें ”हां” में जबाब दिया तो खुद बाहर निकली और घूम घूम कर देखने लगी और मेरे पास आकर बोली ”आपकी चारपाई अब बाहर कर देती हूँ पानी बंद हो गया” और मेरे उत्तर प्रतीक्षा किये बिना ही चारपाई को घसीटने लगी तो आवाज आने लगी तब मैंने चारपाई का दुसरा सिरा पकड़कर उठा लिया और बाहर छत में लगाया और दोनों चारपाई गए और बाते करने लगे तो मुझे नींद आने लगी और मैं कब सो गया पता ही नहीं चला ! मेरी नींद सुबह साढ़े छः बजे खुली तो देखा की चारो तरफ उजाला फैला हुआ है ! मैं उठकर चारपाई में बैठ गया और इधर उधर देखने लगा इतने में सासु माँ पानी की बोतल और एक

गिलास लेकर आई और पानी दिया मैं पानी पीने लगा और सासु माँ मंजू के कमरे के पास गई और दरवाजे को ठोकने लगी और मंजू मंजू कहकर आवाज देने लगी तो मंजू चाची उठ गई तो सासु माँ ने मंजू से कुछ कहा और छत से नीचे चली गई ! कुछ देर में मंजू चाची साड़ी-ब्लाउज में मेरे पास आई और पानी पीने लगी और धीरे से बोली ”बहुत अच्छी नींद लगी” इतना कहकर मुस्कुराई और छत से नीचे चली गई और कुछ देर में वापस आई उनके हाथ में नीम की दातुन थी जिसे मुझे दिया ,दातुन के बाद मैंने चाय पीया और छत से नीचे आ गया सुबह का नास्ता किया और करीब 8 बजे अपनी कार से वापस गया ! दिसंबर 2014 में मंजू चाची मेरी पत्नी के साथ मेरे यहाँ आई तो मौका पाकर दर्शन के बहाने होटल में भी लेजाकर चोदा ! (होटल की चुदाई बिस्तार से सुनाऊंगा)



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