एक रात करीब 12:30 बजे मैं इंस्टाग्राम पर रील देख रहा था. तो कॉमेडी और रोमॅंटिक टाइप की एक रील आई, और मैने अपनी सलेज़ को फॉर्वर्ड कर दी.
तुरंत सलेज़ का रिप्लाइ आया: जीजा जी, ऐसा ही कुछ हमारा हाल है, दीदी ने आपको बताया होगा.
तो मैने बोला: हा मुझे पता है सब कुछ. मैने बात की है सोनू से, अबकी बार आपको निराश नही करेगा.
तो उसने पूछा: दीदी सो गयी?
मैने हा में आन्सर दिया.
वर्षा: जीजा जी मुझे कुछ बताओ ना. क्या पता कुछ मुझसे ही ग़लती हो रही हो, और मैं उनको बोलने में लगी हुई हू.
मे: टेन्षन मत लो, उसको घर की टेन्षन और काम की टेन्षन है. इस वजह से तोड़ा दिमाग़ यहा ना लग कर उसका दिमाग़ जॉब पर फोकस है. अब इससे ज़्यादा डीटेल में तो मैं आपको कैसे समझा सकता हू.
वर्षा: जीजा जी जैसे भी समझना चाहो वैसे समझा दो. ये बात आपके और मेरे बीच में रहेगी. बस तीसरा कोई भी इस बात का गवाह नही होगा.
मे: वर्षा मैं फिर खुल कर बात करता हू, और हमारी बात ख़तम होने के बाद वादा करो ये छत डेलीट कर डोगी आप.
वर्षा: जीजा जी ऐसे भरोसा नही है क्या जो वादा करने पर ही यकीन होगा आपको.
मे: वर्षा मैं खुल कर बात करूँगा तो सोनू या कोई और पढ़ ले तो हम दोनो को दिक्कत हो सकती है. कोई ग़लत मतलब निकाल लेगा हम दोनो का कुछ अफेर है, समझो बात को.
वर्षा: ठीक है मैं वादा करती हू डेलीट कर दूँगी.
मे: वर्षा देखो वाइफ का काम ये नही होता अगर हज़्बेंड कर रहा है तो वो सिर्फ़ टाँगे खोल के लेट जाए, और हज़्बेंड करता रहे. वाइफ के भी बहुत काम होता है सेक्स में.
फिर ऐसे ही समझते हुए मुझे 1:30 बाज गये रात के. फिर मैने गुड नाइट बोला.
वर्षा: जीजा जी एक बात तो है, मुझे ऐसा लगता है आपको एक्सपीरियेन्स बहुत अछा है औरतों के साथ में. इतने आचे और ऐसे-ऐसे तरीके बताए आपने, बहुत कुछ समझ आ गया मुझे. आप सो जाओ, मुझे अब नींद नही आयगी.
मे: सही बोल रही हो वर्षा. मुझे भी नही आएगी. आपकी दीदी को उठना पड़ेगा अब.
वर्षा: जीजा जी आपका बहुत सही है. मज़े करो. मैं तो करवट बदल के रात बिठौँगी अब.
मे: वर्षा इसमे मैं तो क्या ही कर सकता हू. चलो ठीक है, सोते है अब, गुड नाइट.
वर्षा: गुड नाइट.
फिर मैने अपनी वाइफ को उठाया, और वर्षा समझ के तबाद-तोड़ चुदाई की 3 बार. 3 महीने बाद मेरी वाइफ की तबीयत खराब हो गयी. उसको हॉस्पिटल में अड्मिट करवाना पड़ा तो मुझे ऑफीस से छुट्टी लेने में दिक्कत हो रही थी. तो मैने अपनी सास और सेयेल से पूच कर अपनी सलेज़ को बुलवा लिया मेरी बेटी और घर का ध्यान रखने के लिए.
मैं सुबा ऑफीस के लिए निकलता तो सलेज़ ब्रेकफास्ट बनती, और मेरी बेटी को स्कूल भेज देती. फिर मैं और मेरी सलेज़ दोनो ब्रेकफास्ट लेके हॉस्पिटल जाते, और दिन में वो वही रुक जाती थी, और शाम को मैं ऑफीस से आता तो उसको अपने साथ घर लाता. फिर वो शाम का खाना बनती.
उसके बाद मैं दोबारा हॉस्पिटल जाता वाइफ को खाना खिलाने. मेरी बेटी को स्कूल से हमारे पड़ोसी ले आते थे, और दिन में उनके पास ही रहती थी. ऐसे ही 3 दिन निकल गये.
एक रात वाइफ को खाना खिला के आने में लाते हो गया था. तो मैने सोचा वर्षा सो गयी होगी.
इसलिए मैं एक बॉटल वोड्का की लेके गर चला गया. जाके देखा वर्षा टीवी देख रही थी, और मोविए भी रोमॅंटिक थी.
मैने उसको बोला: अभी तक जाग रही हो? 12:30 हो गये, सो जाओ. मैं खाना लेके खा लूँगा. वर्षा बोली: ऐसे-कैसे, मैं हू ना.
मैं सोच में डूब गया अब मैं उसके सामने कैसे पियुंगा. फिर वो खाना डाल के लाई और मैने उसको बोला-
मैं: रख दो, मैं बाद में खा लूँगा.
वो बोली: खा लो, और कितना लाते करोगे?
उसने तुरंत ही मेरा बेग उठा लिया. ये सोच कर की कुछ घर का समान और हॉस्पिटल से गंदे बर्तन होंगे. इतने में कुछ समझ पाता, उसने मुझसे पूच लिया-
वर्षा: जीजा जी आप पीते हो?
मे: हा कभी-कभी थकान या स्ट्रेस की वजह से.
वर्षा बाहर गयी, और ग्लास और ठंडे पानी की बॉटल ले आई, और बोली: तो इसलिए नाटक कर रहे थे खाने में?
तो मैने हा में जवाब दिया.
फिर वो बोली: मैं कुछ बोल थोड़ी रही हू. पी लो. मैने आपको बोला था ना एक बार आपकी और मेरी बात तीसरे को पता नही चलेगी.
फिर मुझे थोड़ी तसल्ली मिली, और मोटे-मोटे 5 पेग खाना खाते-खाते खीच गया. वर्षा उस टाइम मेरी बेटी को सुलने गयी हुई थी. मेरा खाना और पीना ख़तम हुआ, तो मैं बर्तन उठा के ढोने चला गया. जब मैने बर्तन धो लिए, तो वर्षा भागी-भागी आई, और बोली-
वर्षा: जीजा जी, कर दिया पराया आपने थोड़ी सी देर में ही.
मैने पूछा: क्या हुआ वर्षा? मैने तो कुछ बोला नही आपको.
तो वो बोली: आपने बर्तन क्यूँ धोए? मैं थी ना.
फिर मैने जवाब दिया: वर्षा देखो पुर दिन आप घर, बेटी, और हॉस्पिटल में उलझी रहती हो. तो क्या मेरा फ़र्ज़ नही आपकी थोड़ी सी हेल्प करवा डू?
वर्षा बोली: आप जैसा पति तो सब को मिले.
फिर मैने हेस्ट हुए बोला: वर्षा मैं तो बुक हो चुका हू, और एक ही पीस था.
वर्षा बोली: दुख है इस बात का की आप एक ही हो?
फिर मैं अपने रूम में चला गया चेंज करने.
मेरा मॅन हुआ की एक बार बेटी को देख अओ, तो मैं उनके रूम में गया. मैने देखा मेरी सलेज़ निघट्य में लेती हुई थी, और फोन चला रही थी. रूम में अंधेरा था, और मैं नशे में था. मुझे पता नही था वो निघट्य के अंदर हाथ डाल कर अपनी छूट मसल रही थी.
वो एक-दूं से हड़बड़ा के उठी तो मैने बोला: बेटी को लेने आया हू. बहुत दिन हो गये सही से देखे. आज इसको मेरे पास सो जाने दो.
वर्षा ने बेटी को उठाया, और मेरे रूम में सुला के अपने रूम में आ गयी. फिर मैं भी बेटी के साथ लेट गया. रात के करीब 1:30 बजे वर्षा आई, और बोली-
वर्षा: जीजा जी जाग रहे हो या सो गये?
मैने बोला: जाग रहा हू.
वर्षा बोली: जीजा जी अकेले नींद नही आ रही.
मैने मज़ाक में बोल दिया: आओ फिर आप भी मेरे साथ सो जाओ.
हम दोनो हासणे लगे, और वर्षा ठीक है बोल के अपने रूम से पिल्लो लेने चली गयी.
मेरी आदत है रात में अंडरवेर और बनियान में सोने की. वो झट से आई, और देखी जगह कहा थी बेड पर. मैने पहले ही बेटी को तोड़ा सा कोने की तरफ खिसका दिया था, ताकि मेरी सलेज़ बीच में सो जाए. हुआ भी ऐसा ही. उसको जगह बीच में दिखी, और वो मेरी बगल में आके लेट गयी.
थोड़ी देर हमारे बीच इधर-उधर की बात हुई. उसके बाद मैने गुड नाइट बोला, और मूह दूसरी साइड करके लेट गया. कुछ देर बाद मैने देखा मेरी सलेज़ की गांद मेरी तरफ थी, और निघट्य घुटनो से उपर हो गयी थी. मेरा नशा भी कम होने लगा. तो मैं धीरे से उठा और फिरसे 3 मोटे-मोटे पेग मार के आ गया.
मैं सलेज़ के बगल में लेट गया. जैसे ही मैं लेता तो सलेज़ मेरी तरफ घूम गयी, और अपना एक पैर मेरे उपर रख दिया. फिर एक हाथ भी. उसको पैर मोड़ने में दिक्कत हो रही थी, तो उसने अपने आप ही निघट्य को गांद तक उठा लिया. सलेज़ का मूह मेरे बहुत करीब था. उसकी गरम सांसो को मैं महसूस कर सकता था.
अब धीरे-धीरे मेरा लंड अंडरवेर में टाइट होने लगा, जो की सलेज़ के पेट पर टच हो रहा था.