सख़्त लड़की को लड़के ने पटाया

ही, मी नामे इस दीप्ति राजपूत. मैं वडिषा से हू. उमर 28 साल है, और मॅरीड हू. फिगर 38-30-36 है, हाइट 5’7″ है. कलर मेरा वाइट है वित ब्यूटिफुल फेस. ये मेरी सॅकी कहानी है.

तब 2016 में मेरी उमर सिर्फ़ 21 थी, और मैं अनमॅरीड थी. तब मेरा नामे “दीप्ति परीदा” था. मेरा फिगर 36-28-34 था. मैं जिम भी जाती थी, ताकि मेरी कमर पतली रहे. मेरे घर में बस मैं अकेली बेटी हू. सो मैं जो चाहती थी, मम्मी आंड बाबा सब पूरी करते थे.

अब स्टोरी पे आती हू. मेरी लाइफ की मोटिव ये थी, की बस सक्सेस्फुल होना है. सो मैं लोवे, ब्फ, प्यार ये सब से डोर ही रहती थी. अपनी फ्रेंड्स को भी देखा था, प्यार में धोका खाने के बाद बहुत रोटी थी. सो मैं कोई भी लड़कों से ज़्यादा बात ही नही करती थी.

मैं हेलो-ही भी नही करती थी लड़कों से. ऐसे ही मेरी ग्रॅजुयेशन और मास्टर्स ख़तम हुई. मेरी मास्टर डिग्री ख़तम होते ही मुझे जॉब मिली थी, आस आ कॉलेज लेक्चरर इन डिप्लोमा इंजिनियरिंग कॉलेज. मैं सिर्फ़ कुरती और चूड़ीदार पहन के कॉलेज जाती थी.

कॉलेज जाय्निंग के बाद मुझे अकेला सा महसूस हो रहा था बिना कोई फ्रेंड्स के. कुछ 1 वीक तक मैं स्टूडेंट्स को बस ऐसे ही पढ़ा के चली जाती थी, जैसे कोई फॉरमॅलिटी मेनटेन कर रही थी.

एक दिन मैने नोटीस किया की 1स्ट्रीट बेंच के कॉर्नर में एक लड़का मुझे ही घूरता जेया रहा था. मैने उस दिन कुरती पयज़ामा और दुपट्टा पहना था. उसकी आँखें मेरे उपर से हॅट ही नही रही थी. और मैं बहुत गुस्सा हो गयी थी.

क्लास ख़तम होने के बाद मेरे माइंड में बस ये था की लड़के लोग कितने कमीने होते है. आज तो हड्द हो गयी थी. स्टूडेंट होके अपनी टीचर को ऐसी गंदी नज़र से देख रहा था.

उस दिन मैं पुर कॉलेज में बस यही चीज़ नोटीस कर रही थी लड़को को देख के. जानती हू की मैं सुंदर हू, सो लड़के लोग मुझे घूरेंगे. बुत ये चीज़ मुझे गुस्सा दिला रही थी, की ये सब स्टूडेंट्स थे. स्टूडेंट्स होके टीचर को ऐसे घूर्णा नही चाहिए.

पूरा दिन मैने ये अब्ज़र्व किया की मोस्ट्ली सब लड़के मेरे फेस और मेरे बिग बूब्स को घूर रहे थे. फिर शाम को मैं कॉलेज से निकल के घर जेया रही थी. नोटीस किया की एक लंबा सा लड़का, गोरा सा, क्लीन शेव्ड आंड लंबे हेर, मैं गाते के बाहर मुझे देख रहा था.

शायद वो कुछ दीनो से मुझे देख रहा होगा. बुत उसी दिन से सारे लड़कों पे मेरी नज़र चली जेया रही थी. रोड पे उसने कुछ डोर तक फॉलो किया. फिर मैने पीछे मूड के उसको देखा. अब मैं वापस अपने घर में पहुँच गयी थी.

नेक्स्ट दे मॉर्निंग मैं कॉलेज आई. तब फिरसे मैं उस लड़के को देखी. कॉलेज ख़तम होने के बाद शाम को वो फिरसे वही गाते के सामने दिखा. ऐसे कंटिन्यूवस्ली 3 दिन तक मैने अब्ज़र्व किया. फिर एक दिन शाम को मैं उसके पास गयी, और उसको बोली-

मे: जी आप कों है? रोज़-रोज़ मुझे फॉलो क्यू करते है आप?

अननोन: मेडम आपको जब से देखा हू, आप से प्यार हो गया है.

मैं ये सुन के थोड़ी घबरा गयी. उसने सडन्ली मेरे कंधे पे हाथ रख दिया, और बोला-

अननोन: हमेशा तुम्हारे उपर मेरा हाथ रहेगा. बस ट्रस्ट करो.

मैने तुरंत उसका हाथ हटा दिया. फिर मैं बोली-

मे: नही जी, मुझे ये सब अछा नही लगता, और तो और मैं आपका नाम भी नही जानती

अननोन: मैं भी कहा आपका नाम जानता हू.

मे: मैं दीप्ति परीदा और आप?

उसने अपना झूठा नाम बताया, जो मुझे बाद में पता चला.

अननोन: मैं राजीव.

मे: ओक नाइस नामे. बुत लिसन, मैं ये प्यार के चक्कर में नही पड़ना चाहती. बुत यहा पे मैं न्यू हू, और कोई फ्रेंड्स भी नही है मेरे. अगर सिर्फ़ फ्रेंडशिप करना चाहो तो कर सकते हो.

राजीव: ओक दीप्ति, फ्रेंड्स?

मे: ओक फ्रेंड्स. बुत प्लीज़ कभी भी ब्फ जैसा बिहेव मत करिएगा. क्यूंकी मैं लोवे करना ही नही चाहती. और तो और यहा कोई फ्रेंड्स भी नही है. इसलिए आप से फ्रेंडशिप कर रही हू. इससे पहले कोई भी लड़का मेरा फ्रेंड नही था. सो बे मी फ्रेंड ओन्ली.

राजीव: ओक जी, सिर्फ़ फ्रेंड.

फिर मैं उसका नंबर ले आई. बुत मैं अपना नंबर नही दी. नेक्स्ट दे को कॉलेज ख़तम करने के बाद उसको मैं गाते के बाहर नही देखा, तो मैने उसको कॉल की.

मे: हेलो राजीव जी, कहा पे है आप?

राजीव: मैं अपने घर पे हू.

मे: आज क्यू नही आए हो? पहले तो मुझे बहुत लाइन मारते थे?

राजीव: अर्रे फ्रेंड्स है ना हम दोनो. तो मैं और लाइन नही मार सकता ना.

मे: हाउ स्वीट. आप सच में बहुत आचे आदमी हो. नाउ ई बिलीव की आप बहुत ऑनेस्ट हो. वैसे अभी आइए ना, तोड़ा घूम लेते है यही पास में. 2 वीक्स से बहुत बोर हो रही हू मैं घर पे.

राजीव: ओक डियर, आता हू 5 मिनिट में.

उसका मुझे डियर बोलना मुझे अछा तो नही लगा. बुत मैं कुछ बोली नही. फिर वो आ गया, और हम बिके पे घूमने लगे. फिर रोड साइड पे कुछ खाना खाए. उसके बाद एक छ्होटे से पार्क में गये.

मे: अछा राजीव जी, आप मुझ पर कब से नज़र रख रहे थे?

राजीव: पहली बार आप स्टेशन से कॉलेज तक एक ऑटो से जेया रहे थे. आपके बाजू में भी एक लड़का बैठा था ना?

मे: हा एक लड़का तो था.

राजीव: वो मैं ही था. मैं आपको बहुत घूर रहा था. लेकिन आप तो एक बार भी मेरी तरफ नही देखे.

मे: ओह! ई’म सॉरी जी. मैं किसी भी लड़के से बात, या उनकी तरफ देखती ही नही थी.

राजीव: वैसे दीप्ति जी एक बात बोलू?

मे: हा बोलिए.

राजीव: उस दिन आप टॉप और जीन्स पंत में बहुत सुंदर दिख रही थी.

मे: थॅंक योउ जी.

राजीव: आपका नेवेल तो एक-दूं सेक्सी लग रहा था.

मैं ये सुन के उन्हे बोली-

मे: ओह ओक जी.

राजीव: हा, और आपकी क्लीवेज में जो 2 तिल है ना, वो तो बहुत ब्यूटिफुल है जी.

मैं थोड़ी नर्वस हो गयी ऐसी बातें एक लड़के के मूह से सुन के. फिर मैं कुछ बोली नही.

राजीव: दीप्ति जी क्या हुआ?

मे: कुछ नही जिम

राजीव: अर्रे फ्रेंड्स के बीच ऐसी बातें होती ही है, क्यूँ टेन्षन ले रहे हो?

राजीव: अछा पहले जब तुम्हारी लड़कियाँ फ्रेंड्स थी, तब तो तुम पक्का बहुत ओपन्ली बात करती होगी ना?

मे: हा, बुत.

राजीव: हा, हम दोनो भी तो फ्रेंड्स ही है ना.

मे: ओक जी.

फिर नेक्स्ट दे को फिरसे घूमने में गयी.

राजीव: दीप्ति जी अब भी नाराज़ हो क्या?

मे: नही-नही, मैं नही हू. और आप मुझे मेरा नामे लेकर बुला सकते है. जी मत लगाइए नाम के आगे.

राजीव: ओक, बुत तुमने माफ़ तो कर दिया ना?

मे: हा बाबा.

राजीव: नही मुझे यकीन नही है

मे: अर्रे सच में माफ़ कर दिया.

राजीव: तो कुछ करके प्रूव करो.

मे: क्या करू?

राजीव: उम्म एम्म ओक दीप्ति सुनो, कल नेवेल और क्लीवेज की बात से ही तुम नाराज़ हो गयी थी ना?

मे: हा.

राजीव: चलो मुझे वो दोनो चीज़े थोड़ी सी ही दिखाओ. देखो इतना फ्रेंडशिप मैं चलता है

मे: अर्रे पर ये कैसे? मैं थोड़ी ना अभी टॉप पहनी हू. अब तो कुरती पहनी हू मैं.

राजीव: ओक नेवेल रहने दो. क्लीवेज के उपर जो तिल था, वो दिखा दो. बस एक ही बटन खोलना है तुम्हे.

मे: नही-नही.

राजीव: अब साबित हो गया की तुमने मुझे माफ़ नही किया है.

मे: ओक दिखती हू.

फिर मैने एक बटन खोल दिया कुरती का. अब क्लीवेज दिख रही थी. उसमे 2 तिल दिख गये.

राजीव: वाउ दीप्ति, तुम कितनी सुंदर हो यार.

मे: ह्म थॅंक्स.

फिर मैं बटन बंद कर रही थी.

राजीव: प्लीज़-प्लीज़ एक और बटन खोल दो प्लीज़.

मे: पागल हो गये हो क्या? ये पार्क है.

राजीव: एक और बटन खोलो, या तो ये एक ही बटन को खुला रहने दो.

मे: अर्रे राजीव प्लीज़, ऐसे क्यूँ कर रहे हो?

राजीव कुछ बोला नही, और मूह दूसरी तरफ कर दिया. फिर मैं सोची की थोड़ी सी ही तो क्लीवेज दिख रही है. एक बटन खोलने से पूरी क्लीवेज तो नही दिख रही है ना.

मे: ओक, ये एक बटन खुली रखती हू.

ऐसे ही बात करते-करते 30 मिनिट्स हो गये थे.

राजीव: ओक दीप्ति बटन बंद कर दो. बुत सुनो, कल तुम टॉप आंड जीन्स पहन के रहना. तो ही हम दोनो घूमेंगे.

मे: ओक जी.

नेक्स्ट दे को कॉलेज से मैं पहले अपने रूम गयी. मैने ब्रा-पनटी टॉप आंड जीन्स पहन लिए. कुछ देर हम घूमे फिरे. राजीव मेरी बार-बार तारीफ ही कर रहे थे मेरी खूबसूरती को देख कर. फिर पार्क में-

राजीव: दीप्ति चलो रेडी हो जाओ.

मे: जी क्या, मैं समझी नही?

राजीव: तुम्हारा नेवेल दिखाओ ना आचे से.

मे: ऑलरेडी थोड़ी सी तो दिख ही रही है. और क्या दिखौ?

राजीव: मुझे पूरा दिखाओ प्लीज़.

मे: ओक बाबा ओक.

फिर मैने टॉप को उपर करके उन्हे मेरी नेवेल दिखाई.

राजीव: दीप्ति और उपर करो.

मे: प्लीज़ नही, और नही.

राजीव: देखो पेट दिखा रही हो ठीक है. बुत जो भी करो आचे से करो ना. ऐसे थोड़े से क्या होगा?

मे: पूरा तो दिख रहा है ना. और उपर करूँगी तो ज़्यादा हो जाएगा जी.

राजीव: तो होने दो ना. प्लीज़ दीप्ति अपने फ्रेंडशिप कर खातिर.

मे: ओक बुत नेक्स्ट टाइम से ऐसी कुछ भी माँग मत करना आप.

राजीव: हा दीप्ति, चल जल्दी पूरा उपर कर. तेरी पूरा पेट दिखना चाहिए.

मैने टॉप को बहुत उपर कर दिया, बूब्स के नीचे तक. राजीव जी मुझे ऐसे देख रहे थे, जैसे की मैं कोई डिश थी, और वो मुझे खा जाएँगे.

मे: हेलो, क्या हुआ? अब नीचे करू?

राजीव: रुक ना थोड़ी देर.

और सडन्ली वो मेरे पेट में अपना हाथ रख दिए. मैं उन्हे डोर करने की कोशिश कर तो रही थी. बुत धीरे-धीरे उन्हे समझा भी रही थी.

मे: राजीव जी, प्लीज़ रुकिये ना. ये क्या कर रहे है. प्लीज़ कोई देख लेगा. लोग भी है इस पार्क में. प्लीज़ रुकिये.

वैसे मुझे बहुत अछा लग रहा था. पहली बार किसी मर्द ने मेरी कमर को पकड़ा था. फिर वो मुझे छ्चोढ़ दिए. कुछ देर हम साइलेंट होके दोनो बैठे रहे. फिर सडन्ली एक-दूसरे को देखने लगे आँखों को.

फिर नज़दीक आके लीप-किस करने लगे. मैं भी उन्हे पूरा सपोर्ट कर रही थी. वो तो बहुत हार्ड किस कर रहे थे मेरी मुलायम लिप्स को. फिर वो मुझे बोले-

राजीव: ई लोवे योउ दीप्ति.

मे: ई लोवे योउ टू.

ऐसे ही हम दोनो बाय्फ्रेंड गर्लफ्रेंड बन गये. लगभग 15-20 दिन तक हम ऐसे ही घूमे फिरे पार्क में, रेस्टोरेंट में, और बिके पे घूमे.

किस्सिंग तो बिल्कुल कामन हो गयी थी. बीच-बीच में वो मेरे बूब्स और कमर को ड्रेस के उपर से ही दबा रहे थे. बुत सेक्स करने के लिए कभी भी नही बोले.

एक दिन हम दोनो किस कर रहे थे. वो एक हाथ से मेरे बूब्स को दबा रहे थे. मैं उन्हे तुरंत बोली की-

मे: राजीव जी रूको. आज आप मेरी टॉप के अंदर हाथ डाल सकते हो. हमेशा उपर से ही दबाते हो आप.

राजीव: गरम हो गयी हो तुम?

मे: ह्म जी.

राजीव: कुछ भी बोलू, तू करेगी?

मे: हा, मॅन तो है जी.

राजीव: आज मैं तुम्हे पूरी नंगी देखना चाहता हू.

मैं शर्मा गयी, और शरम से बोली-

मे: ओक जी, बुत कहा पे? मुझे जो रूम मिला है, वाहा बाय्स अलो नही है.

राजीव: होटेल के रूम है ना.

मे: नाइस आइडिया. ओक लेट’स गो.

राजीव: लेकिन दीप्ति ये जान लो, सेक्स तो पक्का होगा.

मैं भी बिना कुछ सोचे समझे बोल दी: हा मैं करूँगी सेक्स.

इसके आयेज क्या हुआ, वो मैं अगले पार्ट में बतौँगी. ये मेरी गमाल है. किसी को कॉंटॅक्ट करना हो तो कर सकते हो. मैं ये एक न्यू गमाल बनाई हू. मेरी ये गमाल को कोई और चेक नही करता.

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