मेरी सहेली की मम्मी की चुत चुदाइयों की दास्तान-1

मेघा मासूम थी, वह अपने पापा के प्यार में ऐसी फंसी कि पापा की ख़ुशी के लिए, एक पार्टी में मिले उनके बॉस से भी चुत चुदवा ली दुगनी उम्र के बॉस ने उसको पापा के सामने ही कार में और हाईवे पर ज़बरदस्त तरीके से चोदा।
लेकिन कहते हैं कि अगर कोई लड़की कच्ची उम्र में चुदवा लेती है तो फिर उसकी जवानी किसी एक से नहीं सम्हालती है, मेघा को नए नए लंड से चुदाई का ऐसा चस्का लगा था कि वह दो दिन भी चुदे नहीं रह पाती।

ऐसे ही जब वह अपने चचेरे भाई की शादी में कानपुर गई तो दो दिन तो उसने जैसे तैसे अपनी चुत को बहलाते हुए गुज़ारे लेकिन तीसरे दिन मासूम सी दिखने वाली दुबली पतली मेघा की चुत की आग ऐसी भड़की कि भरी पूरी शादी में मैरेज हाल की छत पर दो लड़कों से घाघरा उठा कर चुदवा ली।
इस बारे में आपने
में पढ़ा होगा।

अब आगे:

मेरे पति अल्ताफ़ दुबई की एक कंपनी में आई टी ऑफिसर हैं। दो साल में ही मैंने पति के दोस्त असलम का किराये का घर छोड़ कर एक अच्छी हाई प्रोफाइल कालोनी में तीन बेडरूम वाला फ़्लैट ले लिया था, घर में आराम की तमाम चीज़ें हैं और हौंडा सिटी कार भी है। दोहरी इनकम की वजह से मेरे पास पैसे की किल्लत नहीं रही थी, ऊपर से पति की ऊपरी कमाई भी हो जाती है जिसके चलते मैं अपने शौक कपड़े लत्ते, जूते और गहनों वगैरह पर खुल कर खर्च करती हूँ।

उन दिनों मेरे पति दुबई से छुट्टी पर आये हुए थे, 38 की उम्र में वैसे तो मुझे दो तीन बच्चों की माँ बन जाना चाहिये था लेकिन ऐसा नहीं हुआ, मेरी सिर्फ एक 18 साल की बेटी ज़ीनत ही थी और इसकी वजह है मेरे पति की दूरी!
मेरा पति अल्ताफ़ अपनी बच्चे जैसी लुल्ली से मेरी जिस्मानी ज़रूरतें पूरी नहीं कर पाता, इसके अलावा अल्ताफ़ को दुबई से शराब पीने की भी बहुत आदत लग गई थी और अक्सर देर रात को नशे में चूर होकर घर आता है या फिर घर में ही शाम होते ही शराब की बोतल खोल कर बैठ जाता है।

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एक साल से पति के जिस्म की भूखी शुरू शुरू में मैं बहुत कोशिश करती थी उसे तरह तरह से चुदाई के लिये लुभाने की। मेरे जैसी हसीना की अदाओं और हुस्न के आगे तो मुर्दों के लंड भी खड़े हो जायें तो मेरे पति अल्ताफ़ का लंड भी आसानी से खड़ा तो हो जाता है पर चुत में घुसते ही दो चार धक्कों में ही उसका पानी निकल जाता है और कईं बार तो चुत में घुसने से पहले ही तमाम हो जाता है।

उसने हर तरह की देसी दवाइयाँ चूर्ण और वियाग्रा भी इस्तेमाल किया, पर कुछ फर्क़ नहीं पड़ा।
अब तो बस हर रोज़ मुझसे अपना लंड चुसवा कर ही उसकी तसल्ली हो जाती है और कभी-कभार उसका मन हो तो बस मेरे ऊपर चढ़ कर कुछ ही धक्कों में फारिग होकर करवट बदल कर खर्राटे मारने लगता है।

मैंने भी हालात से समझौता कर लिया और अल्ताफ़ को लुभाने की ज्यादा कोशिश नहीं करती। कई बार मुझसे रहा नहीं जाता और मैं बेबस होकर अल्ताफ़ को कभी चुदाई के लिये ज़ोर दे दूँ तो वो गाली गलौज करने लगता है और कई बार तो मुझे पीट भी चुका है।
उनकी इन हरकतों की वजह से मैं अपनी बेटी को होस्टल से नहीं बुलाती थी।

अल्ताफ़ मुझे भी अपने साथ शराब पीने के लिये ज़ोर देता था। पहले पहले तो मुझे शराब पीना अच्छा नहीं लगता था लेकिन फिर धीरे धीरे उसका साथ देते देते मैं भी आदी हो गई और अब तो मैं अक्सर शौक से एक-दो पैग पी लेती हूँ।

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पति का होना न होना एक ही था, इससे अच्छा उनका न होना ही था, कम से कम उनके दोस्त असलम और अकरम मुझे चोद तो रहे थे। अब चुदाई के लुत्फ़ से महरूम रहने की वजह से मैं बहुत ही प्यासी और बेचैन रहने लगी थी और फिर मेरे कदम बहकते ज्यादा देर नहीं लगी। और एक बार जो कदम बहके तो रुके ही नहीं!

अपनी बदचलनी और गैर मर्दों के साथ नाजायज़ रिश्तों के ऐसे ही कुछ किस्से यहाँ बयान कर रही हूँ।

फिलहाल पति की ग़ैर मौजदगी में मैं उनके दोस्तों से चुद रही थी जिसकी खबर धीरे धीरे मेरे कॉलेज के कुछ स्टूडेंट्स को लग गई।
‘इंग्लिश वाली शहनाज़ मैडम चालू माल है।’ वे मेरे नाम से स्टाफ के टॉयलेट में ‘शहनाज़ मैडम माल हैं, शहनाज़ मैडम की चुत बहुत चिकनी है, शहनाज़ की चुत चोदने को मिल जाय!।’ लिखने लगे।
मुझे स्टाफ के सामने बहुत शर्मिंदगी होती।

हमेशा क्लास के बाहर खड़े रहने वाले स्टूडेंट्स मेरी मस्त जवानी को नंगी नज़र से देखते और कुछ तो कमेन्ट भी कसते।
मैं भी जान बूझ कर उनको कई बार अपनी मोटी लेगिंग में कसी हुई गांड कुर्ती उठाकर दिखा देती।

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