रजिया फंसी गुंडों मैं पार्ट -3

रजिया फंसी गुंडों में पार्ट -1

रजिया फंसी गुंडों मैं पार्ट -2

कुच्छ घंटो बाद मेरी आँख खुली और मैने अपना हाथ हल्का सा हिलाया. और मैं बुर्री तरह से चौक गई. मेरे हाथ सुलेमान बाबा के लंड पे रखा हुआ था ( उन्होने धोती पहनी हुई थी). सुलेमान बाबा ज़ोर से खर्राटे ले रहे थे, मुझे लगा की शायद ग़लती से मेरा हाथ उधर चला गया होगा और बाबा को पता भी नही चला हो. उसके थोड़ी देर बाद बाबा ने कारबत ली और हाथ मेरे जिस्म पे रख दिया. उनका हाथ मेरे पेट पेट पे था जोकि कुच्छ ही इंच नीचे था मेरे मूमो के. मैने कोशिश की के किसी तरह बाबा का हाथ हट जायें मगर ऐसा नही हुआ. मैने सोचा अगर मैं बाबा का हाथ पकध के हटाती हूँ और वो उससी वक़्त जाग जायें तो ग़लत फेमियाँ बढ़ जाएँगी. इसीलिए मैने उनके हाथ को नही हटाया. कुच्छ देर में उनका हाथ पेट से उपर हो गया यानी के मेरे राइट मोमें के उपर. हाथ ऐसा रखा हुआ था की मानो जैसे उसको मसलना चाहते हो.

मुझे लगा की कहीं बाबा जागें हुए तो नही है और मेरा फ़ायदा तो उठना नहीं चाहते. मैने अपने आप को समझाया की बाबा बड़े अच्च्चे इंसान है और ऐसा नही करेंगे. काफ़ी देर तक उनका हाथ मेरे मूमें पे ही रहा बिना हिला हुआ. मगर फिर हल्का हल्का हिलने लगा. आहिस्ते आहिस्ते वो उसे मसालने लगे. मैं काफ़ी डर गयी. मैं चाहके भी बाबा का हाथ नही हटा पा रही ही क्यूंकी मेरा जिस्म मुझे इनकार कर रहा था. बाबा ने फिर मेरे मूमें को तेज़ी से मसलना चाहा और इसी कोशिश मेरा सीधे हाथ का ड्रेस का स्ट्रॅप खुल गया. बाबा ने एकद्ूम से अपना हाथ हट एलिया. काफ़ी देर तक व्हो मुझसे दूर रहे और मुझे लगा की व्हो डर गये सोचके कहीं मैं जग्ग गयी तो. मगर उनको क्या पता की मैं जागी हुई हूँ. मैने बाबा को सताने के लिए कारबत लेली ऑरा ब्ब मेरा मूह बाबा के मूफ़ की तरफ हो गया. मेरे सीधे हाथ का मूमा बाबा को ढंग से दिख रहा था. मैं हल्की सी आँखें खोलके बाबा को देख रही था. व्हो अपने होत चबा रहे थे मेरी तरफ देखके. व्हो अपना शरीर मेरे और पास ळिया. एब्ब मैं उनसो कुच्छ इंच की दूरी पे ही थी. व्हो थोडा नीचे चले गये. एब्ब उनका मूह मेरे मूमें के पास था. उन्होने अपना मूह खोला और अपने सूcखे होंठो से मेरे मूमें को चूमा. मेरे अंदर बिजली सी दौड़ गई. उन्होने अपने अंदर का थूक मेरे टिट्स पे लगाया और उससे चूसने लगा. मुझे ऐसा लग रहा था की मैं बाबा को दूध पीला रही हूँ. बाबा ने करीब 5 मिनिट तक मेरे मूमें को चूमा. फिर उनको लगा की मैं या तो बहुत गहरी नींद में हूँ या तो मैं चाहती हूँ की व्हो मुझे चूमते रहें. उन्होने मुझे पुकारा “नीति बेटी”…

मैं चाहती थी की मैं कुच्छ बोल दू मगर मेरे गले से आवाज़ ही निकली. बाबा को लगा की मैं बहुत गहरी नींद में हूँ. बाबा एब्ब काफ़ी जोश में आ गायें थे. उन्होने अपने दांतो से मेरे दूसरे स्टर्प की गीतान खोलदी और उससने नीचे कर दिया. एब्ब मेरा पूरा उप्पर का तन नंगा था एक ऐसी इंसान के सामने जिससे मुझे मिले हुए 1 दिन भी नही और जो उमर्र में मेरे दादाजी के जितना था. बाबा ने अपने दोनो हाथो से मेरे मूमो को मसलना शुरू किया. मुझे ना चाहते हुए भी बड़ा माज़्ज़ा आ रहा था. बाबा मेरे एक निपल को चूस रहे थे. कुच्छ देर टक्क खेलने के बाद बाबा ने मेरे कान पे कहा की बिटिया तू बहुत गरम माल है मैं जान बूझ के तुझे नींद की डॉवा चाइ के साथ मिलाके पीला दिया थी ताकि मैं तेरी अच्च्ची तरह खातिर दारी कर साखू. ये सुनके पता नही क्यूँ मुझे अच्छा लगा मुझे ज़रा सा भी गुस्सा नही आया. बाबा ने मेरे उपर से कंबल हाता दिया और मेरी धोती का नाडा खोल दिया

जैसे ही मेरा नाडा खुला बाबा हस्ने लगे. मुझे अब्ब थोडा थोडा डर सा लगने लगा. बाबा धीरे से मेरी तरफ बड़े और आहिस्ता आहिस्ता धोती को मेरे बदन से दूर कर दिया. फिर उन्होने मेरी गुलाबी रंग की कच्छि देखी. उन्होने अपने दोनो हाथ से मेरी कमर पकड़ी और मेरे शरीर को घुमा दिया. अब्ब मैं पीठ के पल लेटी हुई थी बिस्तर पे. बाबा ने मेरी कच्ची में एक च्छेद देखा और उस्स च्छेद से अपनी उंगली उन्होने मेरी कच्छि के अंदर डाल दी. उन्होने उस्स च्छेद को और बड़ा करना चाहा मगर कर ना सके. उन्होने अपनी उंगली निकाल दी और अपने दोनो हाथो से मेरी कच्छि को कोने से पकड़ लिया. देखते देखते उन्होने मेरी कच्ची नीची कर दी और उससे सूँगने लगे. वो काफ़ी मज़े लेक उससे सूंग रहे थे. थोड़ी देर उन्होने कच्छि को अपने सर पे पहनलिया. फिर उन्होने मेरे आस को देखके उसपे दो चार तमाचे दिए. मुझे बहुत दर्द हुआ मगर साथ साथ मज़ा भी आ रहा था. वो मेरे बदन पे गिर गये जैसे कोई लाश हों. उन्होने अभी भी कपड़े पहेने हुए थे इसीलिए मुझे ज़्यादा खबराहट नही हुई. बाबा फिर मेरी गेंड को चूमने लगे और उससे अपने गंदे दांतो से काटने लगा. मैने पूरी कोशिश करी की मैं चिलाऊ ना. मैने अपना मूह कुशन में गढ़ा रखा था. बाबा ने मुझे फिर सीधा कर दिया. अपनी ज़ुबान उन्होने मेरी चूत में डाल दी और उसको चाटने लगे. मुझे लग रहा था जैसे कोई बच्चा आइस क्रीम चाट्ता है वैसे ही वो मेरी चूत को चाट रहे थे. कुच्छ देर चाटने के बाद उन्होने अपनी 1 उंगली मेरी चूत में डाल्डी और धीरे धीरे उससे अंदर बाहर करने लगे. कुच्छ देर बाद उन्होने 1 और उंगली डाल्ली और थोड़ी तेज़ी से अंदर बाहर करने लगे. मुझे लगा की एब्ब व्हो 1 और उंगली डालने वाले हैं. मगर उन्होने 2 और उंगली मेरे चूत में डाल दी. मुझे इतना दर्द हुआ उस्स समय की आप लोग समझ नही पाओगे. सुलेमान बाबा अपनी चारो उंगलिओ को अंदर बाहर करने लगे. उन्होने कुच्छ देर बाद अपना हाथ हटा दिया और उनमें 2 उंगलिया चाट ली. बाकी 2 उंगलियाँ उन्होने मेरे मूह खोलके मेरेको चटवाई. मैने पहली बारी अपनी चूत का रस पिया. फिर बाबा ने मेरे होंठो को ज़ोर चूमा. व्हो अपनी ज़ुबान को मेरी ज़ुबान से लदवाने लगे. बाबा हुमारे होंठो का बंधन तोड़ते हुए उठ गये. और फिर व्हो अपने कपड़े उतारने लगे. इतनी ठंढ में भी मैं बहोट गरम हो रही थी. कपड़े उतार देने के बाद वो फिरसे मेरे उपर लेट गये. उनका लॅंड मेरी चूत के कुच्छ इंच की दूरी पेट हा. ऐसा लग रहा था की वो कुच्छ भी करके मुझे छोड़ना चाहता है. फिर सुलेमान बाबा मेरे बदन से उठ कर मेरी च्चती पे बैठ गये. उनकी गेंड मेरे मूमेन को ज़ोर से दबा रही थी. फिर व्हो अपना लंड मेरे मूह पे फेड़ने लगे. मेरे माता से मेरे आँख नाक गाल तक फेरा. फिर उन्होने पूरी ताक़त लगा कर अपना लंड मेरे मूह में डालना चाहा. और मैने उनकी यह मुराद पूरी करदी. उनका लंड संतोष और बिशन के लंडो से काफ़ी अलग था. मैं एक छ्होटे बच्चे की तरह उससे लॉली पोप समझके चूस ने लगी. थोड़ी देर भाहूत ज़ोर से मुर्गे ने बादन्ग दी “कुकड़ूओ कूऊऊऊओ……….. कुकड़ूऊऊऊऊऊ खोओओओ……………”

सुलेमान बाबा ने जल्दी से उठके देखा तो सुबह हो चुकी थी. उनको लगा की कहिीन दवाई का असर ख़तम ना हो जाए और मैं जाग ना जाओ. उन्होने कच्छि अपने सर से उतारी और मेरेको पहनदि. फिर उन्होने मेरी धोती उपर करदी और नाडा बाँध दिया. और फिर मेरे ड्रेस की गठां बांदके मुझे पहना दिया. ऐसा लगा मुझे की मैं बचपन की तरह स्कूल जाने वाली हूँ. बाबा ने अपने कपड़े भी पहने और बिस्तर पे लेट गये. वो इतनी दूरीए पे लेट गये की मानो जैसे उन्होने कभी मुझे च्छुआ भ ना हो. मैं हल्के से मुस्क्राके फिर सो गई.

मैं करीब सुबह के 11 बजे तक उठी और मैने आँखें खोलते हुए कमरे के चारो तरफ देखा. सुल्मीन बाबा मुझे कहीं पे भी दिखाई नही दिए. मैने रज़ाई को अपने उपर से हटा दिया और टाय्लेट जाने के लिए खध्ि होगी. मैं जैसी ही खध्ि हुई मेरी धोती नीचे गिर गई. और मुझे याद आया की सुलेमान बाबा कल नाडा ठंढ से बाँधा नही होगा. मैं धोती उठा करके टाय्लेट चली गई. टाय्लेट जाके मैने अपने सारे कपड़े उतार दिए और अपने नंगे बदन को देखने लगी. मुझे ऐसा लगा की मेरे मूमें कुच्छ ज़्यादा ही बड़े दिख रहे है और उनको छ्छू के मुझे बहुत मज़ा आया. फिर में पिशाब करने के लिए बैठ गई. वो करके मैने हाथ धो लिए और उंगली से ब्रश करने लगी. मुझे ऐसा लगा की मानो कोई खिधकी में से मुझे देख रहा हो. मैने जल्दी से अपने कपड़े पहेनलीए और कमरे में जाके बैठ गयी. मैं सोचने लगी की एब्ब मैं यहा से कब और कैसे जाऊ. मुझे अपने मामा मामी, बोर्ड्स और दोस्तो का कोई ख़याल नही था. मैं इस्स असली दुनिया में काफ़ी मज़े ले रही थी. मुझे पहली बार एहसास हो रहा था की मैं एक औरत हूँ. वो औरात जोकि मर्द से कुच्छ भी कहीं भी और कभी करवा सकती है.

यही सोचते सोचते दरवाजे पे ख़त खत हुई. और आवाज़ आई नीति बिटिया. मेरे मॅन में आवाज़ आई साला बूढ़ा फिर से आ गया. मैं मुस्कुराते हुए कहा खोलती हूँ सुलेमान बाबा. मैं खध्ि हुई और जाके मैने दरवाज़ा खोल दिया. मैने दरवाज़ा खोला तो देखा की सुलेमान बाबा खड़े हुए थे और उनके साथ एक असली साधू बाबा खधे हुए थे. सुलेमान बाबा ने मुझसे कहा “बिटिया यह बाबा वीरनाथ है….. इनके पाओ च्छुओ” मैने झुकके उन्ँके पाओ च्छुए और हम तीनो अंदर आगाय. मैं बिस्तर पे बैठी हुई थी और वीरनाथ बाबा मुझे देखे जा रहे थे. मैं वाहा से खध्ि हो गयी और सुलेमान बाबा से कहा “बाबा आप वीरनाथ जी से बातें कीजिए मैं आप दोनो के लिए चाइ बना देती हूँ” छाई बनाते बनाते मेरे मंन में काहयाल आया की सुलेमान बाबा वीर्नथ को मुझे चोदने के लिए तो नही आए है? मैने ऐसा ख़याल दिमाग़ से निकाल दिया क्यूंकी यह साधू बाबा थे जो इंसान की ख़ासतौर से औरतो की मदद करते है. फिर मैं चाइ बनाना लग गई.

काफ़ी ठंढ हो जाने की वजह से मेरे निपल्स उस्स ड्रेस में से दिखने लगे. मुझे पता भी नही चला के बाकी लोगो को क्या दिखने वाला है. मैं चाइ देनेके लिए दोनो बाबओ के पास बढ़ी तो दोनो बाबा मुझे घूरहके देखने लगें. आईस लग रहा था की दोनो मुझे आँखों से ही नंगा कर रहे हो. मैं कमरे के कोने में बैठके चाइ पीने लगी और कुच्छ कल रात के बारे में सोचने लगी. कल रात के द्रिश्ये मेरी आँखों में आयें जा रहे थे. कुच्छ देर बाद बाबा ने मुझे आवाज़ दी और मैं उनके पास छलके आ गई. वीरनाथ बाबा ने मुझे प्रसाद दिया और कहा बेटा तेरी सारी इच्छाए पूरी होगी और एक दिन तू बहुत बड़ी इंसान बनेगी. मैं प्रसाद लेके फिर से कोने में बैठ गयी और उससे खाने लगी. तोड़ा प्रसाद खाने के बाद मुझे थोड़े चाकर से आने लगे. मुझे लगा कहीं इन्न दोनो ने इस्स प्रसाद में नींद की डॉवा तो नही मिला रखी हुई है. मैं फिर टाय्लेट चल गई और बाकी प्रसाद फेक दिया. मैने अपना मूह पानी से धोया और बाहर आ गई. मैं जब बाहर आई तो वाहा मुझे वीरनाथ बाबा ही दिखाई दिए. मैं उनसे पूच की ” सुलेमान बाबा कहा है” उन्होने कहा की वो ढाबे से खाना लाने के लिए गये है” मैं उनसे कहा की यहा ढाबा कहा है ” उन्होने कहा की हां थोड़ी दूर में है शहेर के पास….. यहा से 10 मीं का रास्ता”. यह सुनके मैं चौक गयी क्यूंकी सुलेमान बाबा ने मुझे बताया था की यहा से शहेर भाओट दूर है और यहा आस पास कोई रहता भी नही है. एब्ब मुझे पक्का यकीन हो गया की सुलेमान बाबा काफ़ी नीच और घटिया इंसान है और इस्स साधू को भी मेरे मज़े करवाने के लिए लेके आया है. मैं अपने आप को कोसने लगी की क्यूँ मैने वो प्रसाद खा ळिया.
थोड़ी देर बाद मैं ज़मीन पर ही बेहोश हो गयी. मेरे बेहोशी में नज़ाने मेरे साथ क्या क्या किया होगा इन्न दोनो ने मुझे कुच्छ नही पता था. मेरी हल्की सी आँख खुली और मैने देखा सुलेमान बाबा मेरे सामने खड़े हुए थे और मुझे पानी च्चिड़क रहे थे. मैने कोशिश की मैं एक डम से उठके भाग जाऊ. मगर उस्स प्रसाद ने मेरी ताक़त ख़तम करदी थी. मैं आधी बेहोशी की हालत में खध्ि हो गयी. सुलेमान बाबा हस्ने लगे मेरी ऐसी हालत को देखके. फिर मैने दरवाज़े खुलने की आवाज़ सुन्नी और मैने देखा की वीरनाथ बाबा आए और मुझे देखके हस्ने लगे. मैं अपने आपको संभाल ना पाई और सुलेमान बाबा पे गिर गयी. सुलेमान बबाने मुझे संभाला और मुझे बिस्तर पे फेक दिया. मैं अंदर ही अंदर रो रही थी मुझे समझ नही आ रहा था मुझे हो क्या गया है मैं हिल भी नही पा रही थी. सुलेमान बाबा ने वीर्नथ बाबा से कहा की अब्ब क्या करें इसका. वीरनाथ बाबा मेरे सामने बैठ गये और मेरी च्चती को देखने लगे. मैने हाथ बढ़के उनको नौचना चाहा मगर उन्होने मेरे हाथ को पकड़ के चूम ळिया. फिर वो मेरी उंगलियो को चूसने लगे.

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वीरनाथ बाबा ने मुझे देखते हुया कहा ” ये हाथ है ना मेरे लंड को पकड़ने के लिए ही राखिॉ इससे ज़्यादा कुच्छ करा ना तो काटके जालके खा जाऊँगा”.

सुलेमान बाबा बिस्तर के दूसरी ओर बैठ गेयर मेरे दूसरे हाथ को चूमने लगे. दोनो की धोती में टेंट सा बन गया था और यह देखके मुझे अंदाज़ा हो गया था की दोनो मुझे चोद चोद के मार डालेंगे. दोनो बाबओ ने मेरे हाथो को अपने लंड पे रख दिया जो की अभी धोती से ढाका हुआ था. और फिर मेरी उंगलिओ से अपने लंड को दबाने लगे. दोनो हल्के हल्के से आवाज़े निकालने लगे. सुलेमान बाबा ने अपना हाथ मेरे मोमें पे रख दिया और उसे मसालने लगे. मेरा ड्रेस का कपड़ा काफ़ी पतला था और इसकी वजह से ड्रेस का होना या ना होना एक ही बात थी. वो मेरे मूमें को गोलाई में घूमने लगे और फिर कभी उपर नीचे. वो काफ़ी मज़े ले कर मेरे मूएन से खेल रहे थे. वीर्नथ बाबा भी काफ़ी काफ़ी गरम हो गये थे और वो अपना हाथ मेरी चूत के पास लियाए. और मेरी चूत के अनादर अपनी उंगली ख़ुसाने लगे. काफ़ी टाइम तक यह चलता रहा और मैं सब कुच्छ सहती रही. कुच्छ ही पल में मेरी आँख लग गई और वीरनाथ बाबा ने अपने दूसरे हाथ से मुझे खीचके थप्पड़ मारा. मैं उठ गयी और मेरे पूरा गाल लाल हो गया था. मेरे आँखों से आँसू तपाक ने लगे. सुलेमान बाबा ने फिर अपनी उंगलिओ से मेरे ड्रेस की गीतान खोलने की कोशिश करी मगर असफल रहे. फिर उन्होने पूरी जान लगाके अपपने दाटो से कोशिश की और उस्स गीतान को खोल दिया. और मेरे ड्रेस को साइड फाड़ दिया और उससे ज़मीन पे फेक दिया. मैं आधी नंगी बेबाद बिस्तर पे पढ़ी हुई थी. सुलीमान बाबा ने अपनी ज़ुबान से मेरे नेवेल से खेलने लगे. वीर्नथ बाबा ने अपना हाथ मेरी चूत से हटा के मेरे मोममें पे ले आए और उसे ज़ोर ज़ोर से मसालने लगे. वीरनाथ बाबा ने कहा

” यार सुलेमान इस्सको चोदने का बड़ा मंन कर रहा है. देख इसके यह गोल गोल मूमें ऐसा लगता है खुदा ने ऐसी लड़की पहले कभी नही बनाई”.

सुलेमान बाबा ने कहा “मैं तो इसको कल रात में चोद्ता चोद्ता रह गया. अगर सुबह नही हुई होती तो उसकी चूत के साथ इसकी गेंड को भी नही चोद्ता. इसको रुला देता अपनी लंड से.”

वीरनाथ ने बोला “आक्ची बात कल नही किया तूने कुच्छ, आज हम मिलके इसकी छ्होटी सी चूत को फाढ़ पाध् के चोदेन्गे”.

फिर सुलेमान बाबा ने मेरी धोती का नारा खोल दिया और उससे नीचे कर दिया. मेरी गुलाबी रंग की कच्छि मेरे चूत को ढंग से धक भी नही पा रही थी. वीरनाथ बाबा ने मेरे मूह को ज़ोर से पकड़ा और कहा “जब तक मैं माना नहीं करता जब तक तू अपने चूत से खेलती रह. अगर तेरा हाथ रुका तो मैं उंगलिया काट दूँगा तेरी”.

सुलेमान बाबा ने मेरे हाथ खीचते हुए मेरी चूत के तरफ रख दिया. मैं अपनी उंगलिओ से अपने चूत से खेलने लगी. मेरी आँखों में से आँसू आए जा रहे थे. दोनो बाबा मेरे निपल को चूस रहे थे. मैं सपने में भी नही सोच सकती थी की कभी मुझे कोई मेरे दादा की उमर का मेरे साथ ऐसा करेगा. दोनो ऐसे चूज़ जा रहे जैसे की दूध पीना चाहता हू उसका. मेरी उंगलिया मेरे गीली चूत पे घूमे जा रही है.

फिर दोनो बाबा खधे हो गये और मुझे देखने लगे. वो दोनो मेरे चूत में मेरी उंगलिओ को देखे जा रहे थे. दोनो फिर अपने कपड़े उतारने लगे और उतारते हुए मेरे नंगे बदन को घूरे जा रहे थे. दोनो ना फिर कपड़े उतार दिए और मैं वीरनाथ बाबा के लंड को देखके चौक गयी. पुर लंड पे घने घने बॉल थे. और लंड बहुत मोटा और सख्त सा था जैसे की कोई स्टील की रोड हो. दोनो के लंड अपने आप ही उपर नीचे हो रहे थे जैसे के बस मेरे चूत के दरवाज़े के खुलने की देरी हो. सुलेमान बाबा ने “खाहा तू जाके इसके मूह का मज़ए ले मैं इसके चूत को देखता हूँ दिन में काफ़ी बाड़िया लग रहा है”. वीर्नथ बाबा मेरे मूह के पास आ गये और एक डम से मेरे बालो को कीचा. मेरे मूह जैसी ही खुला उन्होने अपना लंड मेरे मूह में डाल दिया. मेरे मूह में उनका लंड बहुत मुश्किल से आ पाया. मेरी साँस ही रुके जा रही थी उनके मोटे लंड की वजह से. उनके लंड के बॉल मेरे मूह टूट के गिर रहे. उनके लंड में से इतनी गंदी बदबू आ रही थी मगर मैं कुच्छ नही कर सकती थी. उधर सुलेमान बाबा ने बहुत देर तक मुझे मेरी चूत से खेलते हुए देखा और फिर बिस्तर पे चाड गये. मुझे उनको डेक्के काफ़ी डर लग रहा था. व्हो धीरे धीरे से मेरे पेट के पास ऐसा और उसपे बैठ गये. मुझे लगा की व्हो भी अपना लंड मेरे मूह में डालने वाले हैं. मगर वो मेरे मूमओं को ज़ोर से मसालने लगे. और फिर अपना लंड मेरे दोनो मूमओं के बीच में ले आए. फिर मेरे दोनो मूमओं को अपने लंड से चुपका दिया और उन्हे उपर नीचे करने लगे.

ऐसा कुच्छ मैं पहली बारी झेल रही थी. सुलेमान बाबा के लंड का वीरया मेरी च्चती पे गिरा जा रहा था. उनको देखके लग रहा था की उन्हे बहुत मज़ा आ रहा है. वीरनाथ बाबा और सुलेमान बाबा दोनो ने ही अपनी गति और तेज़ करदी और मेरा बदन ज़ोर से उपर नीचे हिलने लगा. दोनो रुक ही नही रहे थे और तेज़ी से अपने लंड को हिलनने लगे. और फिर पहले वीर्नथ बाबा ने अपना वीरया मेरे मूह में डाल्डिया और उसके बाद सुलीमान बाबा ने अपना वीरया मेरी च्चती पे. मुझे अपने जिस्म से ऐसी बदबू आ रही थी जैसे की कोई गंदे से आद्मीो के पब्लिक टाय्लेट में से आती हो. मुझे ऐसा लग रहा था की मैं अभी उल्टी कर दूँगी. मैं अभी भी अपने चूत से खेल रही थी.

थोड़ी देर तक मुझे देखने के बाद वीरनाथ बाबा अपने बाग में कुच्छ ढूँढने लगे. मैं थोडा डर सा गयी थी. सुलेमान बाबा को भी नही पता था की वीरनाथ बाबा क्या ढूँढ रहे हैं. फिर उन्होने एक बॉटल निकली और शायद उसमें तेल था. वीरनाथ बाबा ने ढकान खोला और सुलेमान बाबा को कहा इसके गोरे बदन की मालिश करते हैं. दोनो ने अपने हाथो पेट एल माला और मेरे पास आगाय. मेरे मूमओं की तेल से मालिश शुरू करदी. मुझे ज़रा सा दर्द नही हो रहा था बल्कि अच्छा लग रहा था मालिश की वजह से. फिर दोनो ने अपने हाथ मेरे मूमैन से नीचे ले जाके मेरी कमर पे घोंमाएईन. मेरी चिकनी कमर और चकिनी हो गाइइ थी. और फिर मेरे चूत तक ले गये. उनकी मालिश की वजह से मुझे गुदगुदी हो रही थी पर मैं कोशिश कर रही थी की मैं हस्सू ना. फिर दोनो और तेल अपने हथेली पे माला और मेरी जांगो पे अपने चिकने हाथो को माला. मैने देखा की मेरे बदन का रंग थोडा अलग सा हो गया है. पहले ज़्यादा गोरा था ऑरा अब्ब थोडा सावला सा हो गया जैसे की एक इंडियन लड़की का होता हैं. मेरी कमर को वीरनाथ बाबा ने पकड़ा और मुझे उल्टा घूमा दिया. मेरे ख़याल से पहली बारी उन्होने मेरे बूम को देखा होगा. उन्होने मेरे बूम पे अपना सर रख दिया जैसे की वो एक तकिये पे सो रहे हो. फिर वो मेरी गेंड को सुंगने लगे जैसे कोई कुत्ता अपनी कुतिया का करता हैं. फिर दोनो बाबओ ने मेरी मालिश करनी शुरू करी. मेरे बूम उन्होने अच्छे से मसला और फिर मेरी टॅंगो को. फिर सुलेमान बाबा ने मुझे कहा

” बच्ची अब अपना हाथ हतले अपनी चूत के उपर से और उसको चाट ले पूरा. आऊर बता की कैसा लग रहा तुझे अपना ही रस”.

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मैने अपना हाथ मूह में डालो और उससे हल्का से चूसा. मुुझहे बुररा भी नही लगा ना की अच्च्छा लगा. मैने बाबा को कहा की अक्चा लगा. फिर उन्होने कहा की अब्ब सीधी होज़ा और अपनी टाँगें चौड़ी करले. मुझे लगा की अब्ब वो दोनो बाबा मुझे बहुत ज़ोर से चोदेन्गे. मैं सीधी हो गयी और धीरे धीरे अपनी टाँगें खोलने लगी.

सुलेमान बाबा ने कहा “जल्दी कर हरामी, तू जानती नही है ह्यूम तेरे साथ वो हश्र करेंगे की तू जीना ही नही चाहेगी”

वीर्नथ बाबा ने मेरी टाँगो को कस के जाकर ळिया और उससे चौड़ा कर दिया. मुझे बहुत दर्द हुया और मेरे मूह से ज़ोर से चीख आई. पर मेरी चीख सुनके मुझे कोई भी बचाने वाला नही था. फिर सुलेमान बाबा ने अपनी हाथ में दो गोली पकड़ी. और ज़ोर से बिस्तर पे चाड़के मेरी चूत में डाल्डी. मैं बहुत घबरा गयी…….. मैं रोते हुए पूचछा

“बाबा यह क्या है……. अप प्लीज़ मुझे बताइए ये क्या हैं……. अप दोनो जैसे कहा मैने वैसे किया प्लीज़ मुझे बताइए ना.

थोड़ी देर तक मुझे देखने के बाद वीरनाथ बाबा अपने बॅग में कुच्छ ढूँढने लगे. मैं थोड़ा दर सा गयी थी. सुलेमान बाबा को भी नही पता था की वीरनाथ बाबा क्या ढूँढ रहे हैं. फिर उन्होने एक बॉटल निकली और शायद उसमें तेल था. वीरनाथ बाबा ने ढकन खोला और सुलेमान बाबा को कहा इसके गोरे बदन की मालिश करते हैं. दोनो ने अपने हाथो पे तेल मला और मेरे पास आगाये. मेरे मूमओं की तेल से मालिश शुरू करदी. मुझे ज़रा सा दर्द नही हो रहा था बल्कि अछा लग रहा था मालिश की वजह से. फिर दोनो ने अपने हाथ मेरे माममे से नीचे ले जाके मेरी कमर पे घूमे. मेरी चिकनी कमर और चिकनी हो गयी थी. और फिर मेरे चूत तक ले गये. उनकी मालिश की वजह से मुझे गुदगुदी हो रही थी पर मैं कोशिश कर रही थी की मैं हॅशू ना. फिर दोनो और तेल अपने हथेली पे माला और मेरी जांगो पे अपने चिकने हाथो को मला. मैने देखा की मेरे बदन का रंग थोड़ा अलग सा हो गया है. पहले ज़्यादा गोरा था ऑरा अब्ब थोडा सावला सा हो गया जैसे की एक इंडियन लड़की का होता हैं. मेरी कमर को वीरनाथ बाबा ने पकड़ा और मुझे उल्टा घूमा दिया. मेरे ख़याल से पहली बारी उन्होने मेरे बूम को देखा होगा. उन्होने मेरे बूम पर अपना सिर रख दिया जैसे की वो एक तकिये पे सो रहे हो. फिर वो मेरी गांद को सुंगने लगे जैसे कोई कुत्ता अपनी कुतिया का करता हैं. फिर दोनो बाबओ ने मेरी मालिश करनी शुरू करी. मेरे बूम उन्होने आछे से मसला और फिर मेरी टॅंगो को. फिर सुलेमान बाबा ने मुझे कहा

” बच्ची अब अपना हाथ हटा ले अपनी चूत के उपर से और उसको चाट ले पूरा. और बता की कैसा लग रहा तुझे अपना ही रस”.

मैने अपना हाथ मूह में डाला और उससे हल्का से चूसा. मुझे बुरा भी नही लगा ना की अच्छा लगा. मैने बाबा को कहा की अच्छा लगा. फिर उन्होने कहा की अब्ब सीधी होज़ा और अपनी टाँगें चौड़ी करले. मुझे लगा की अब्ब वो दोनो बाबा मुझे बहुत ज़ोर से चोदेन्गे. मैं सीधी हो गयी और धीरे धीरे अपनी टाँगें खोलने लगी.

सुलेमान बाबा ने कहा “जल्दी कर हरामी, तू जानती नही है हम तेरे साथ वो हश्र करेंगे की तू जीना ही नही चाहेगी”

वीरनाथ बाबा ने मेरी टाँगो को कस के जकर लिया और उसे चौड़ा कर दिया. मुझे बहुत दर्द हुया और मेरे मूह से ज़ोर से चीख आई. पर मेरी चीख सुनके मुझे कोई भी बचाने वाला नही था. फिर सुलेमान बाबा ने अपनी हाथ में दो गोली पकड़ी. और ज़ोर से बिस्तर पे चढ़ के मेरी चूत में डाल दी. मैं बहुत घबरा गयी…….. मैं रोते हुए पूछा

“बाबा यह क्या है……. आप्प प्लीज़ मुझे बताइए ये क्या हैं……. आप्प दोनो जैसे कहा मैने वैसे किया प्लीज़ मुझे बताइए ना. ”

सुलेमान बाबा ने कहा हुमने तुझे जो कहा वो तूने किया वो तेरी मजबूरी थी तू हुमारा कहना थोड़ी ना मान रही थी. फिर मेरी चूत में से पानी आने लगा और बाबओ के चेहरे पे हल्की हस्सी आ गयी. मुझे बहुत अजीब सा लगने लगा. मुझे समझ नही आ रहा था मेरी चूत को क्या हो रहा है. मैं अपने आप ही अपने हाथ को अपनी चूत के पास ले जाके उससे खेलने लगी. मैं जितना खेल रही थी मेरा और भी ज़्यादा मन कर रहा था. फिर बाबओ ने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाल दी और मेरे ज्सिमे में कुरेंट सा दौड़ गया. वो फिर अपनी उंगलिओ को अंदर बाहर करने लगे. मुझे पता चल गया मेरे जिस्म को क्या चाहिए. मैं सब कुछ भूल गयी थी, मुझे कुछ होश नही था. मैने सुलेमान बाबा से कहा की “प्लीज़ मुझे चोदो………… प्लीज़ मुझे चोदो”………

सुलेमान बाबा ज़ोर ज़ोर से हस्ने लगे…… मैने उनकी हस्सी पे ध्यान नही दिया और उनके लंड को पकड़ लिया. फिर वीर्नथ बाबा ने मेरे मम्म पर एक थप्पड़ मारा और ज़ोर से चिल्लाए “चुप कर रांड़”. मैं फिर भी उन दोनो से भीख मांगती रही.

सुलेमान बाबा ने कहा “भगवान ने तुझे उंगलिया दी है ना तू उससे ही काम चला और वैसे भी हम शरीफ लॅड्कीयो को नही चोदते, हुमको तो रांड़ ही पसंद है.”

मैने कहा “अपना लंड डाल दो मेरी चूत में मैं रंडी हूँ मुझे बहुत ज़रूरत है इसकी फक मे प्लीज़………… मुझे बहुत ज़रूरत है…. मैं अपने जिस्म की भूक को मिटा नही पा रही”…….

सुलेमान बाबा ने कहा की हम चोदेन्गे मगर उसके बदले ह्यूम क्या मिलेगा ह्यूम भी तो कुछ चाहिए. मैं गिड़गिदाते हुए बोली “की आपको भी यही चाहिए, आपकको भी मज़ा आएगा”

वीर्नथ बाबा ने हेस्ट हुए कहा “यह तो सच्ची में रांड़ बन गयी है मुझे नही पता की उन गोलिओ में इतनी जान होगी, हम तुझसे और भी कुछ चाहते हैं”…..

मैं कहा की मैं कुछ भी करूँगी बस मुझे और इंतेज़ार मत करा ओ मैं मर जाऊंगी उंसके बिना. फिर वीर्नथ बाबा ने कहा की तुझे हुंसे शादी करनी होगी, हम दोनो से…..

सुलेमान बाबा ने भी कहा हां अगर तूने हुंसे शादी करली तो हम तुझे वो सब देंगे जोत तेरा जिस्म चाहता हैं. तेरा हर दिन हर रात मज़े मे बीतेगा”…

मैने बिना कुछ सोचे सुमझे हां कह दिया और फिर से चीखने लगी की मुझे चोदो जल्दी से अपना लंड मेरे चूत में डाल दो.

वीरनाथ बाबा ने सुलेमान बाबा को कहा यही मौका इसको अपना गुलाम बनाने का जाके वो शादी वाले पेपर ले आ जो तूने अपने बेटे और बहू के लिए रखे हुए थे. सुलेमान बाबा गये और कुछ पेपर्स और पेन लेके आए. और मुझे साइन करने को बोला. मैने पेन को अपने गीले हाथो से पकड़ा और उसमें 4-5 जगह साइन कर दिए. बिना होश में मैने बहुत बड़ी ग़लती कर दी थी. मेरी ज़िंदडगी इन 4 दीनो मे इतनी बदल जायगी ऐसा मैने सोचा भी नही था.

सुलेमान बाबा ने मुझे बिस्तर पे घुटनो के पल बिठा दिया जैसे कुत्ते खड़े रहते है. मेरी चूत की खुश्बू पुर कमरे में फेल गयी थी. सुलेमान बाबा ने मेरी चूत में अपना लंड ख़ुसेड दिया और मेरी मूह से ह निकली. फिर वो आिष्ता आहिस्ता तेज़ होने लगी. मेरा बदन ज़ोर ज़ोर से हिल रहा था. मेरे आगे वीर्नथ बाबा आ गये और अपना लंड मूह ने डाल दिया. मुझे दोनो जगह से काफ़ी मज़्ज़ा आ रहा था. दोनो मुझे ज़ोर ज़ोर से चोद रहे थे.

वीर्नथ बाबा चीलाने लगे “हुमारी रंडी है ना तू हुमारी रंडी है ना तू, बोल अब कैसा लग रहा है आज जब तक तेरी भूक को ख़तम नही कर देते जब तक तुझे साँस भी नही लेने देंगे.”

सुलेमान बाबा मुझे चोदते हुए कहने लगे “यह हुमारी बीवी है रंडी नही, पहले रांड़ थी”

सुलेमान बाबा ने फिर मेरी कमर को ज़ोर से जाकड़ लिया और तेज़ी से मुझे चोदने लगे. उन्होने कहा की “मेरे बच्चा पैदा करेगी तू अपने पेट में हैं????? पाल्लेगी कुतिया………. बोल दे साली…..”

मैने अपना सिर हां में हिला या. फिर सुलेमान बाबा और तेज़ हो गये और चीलाने लगे और देखते ही देखते उन्होने अपना सारा वीरया मेरे चूत में डाल दिया. मेरी चूत से उनका वीरया बाहर टपकने लगा.. मैं काफ़ी तक गयी और सुलेमान बाबा बिस्तर पे लेट गये.

वीर्नथ बाबा ने कहा क्या हो गया तुझे इतने में ही मर गया. वीर्नथ बाबा ने मेरे मूह से अपना लंड हटा दिया और बदन को बिस्तर पे लेटा दिया. उन्होने मेरी टाँगें चौड़ी करी और मुझे अपनी तरफ खीच लिया. उनका लंड सुलेमान बाबा से काफ़ी मोटा और बड़ा था. मेरी चूत में पूरा घुस ही नही पा रहा था. उन्होने मुझे चोदना शुरू किया. फिर पीठ को झटके से उपर की तरफ किया और मुझे बाहो में ले लिया. और ज़ोर से वो मुझे चोदने लगे. उन्होने अपने होठ मेरे होठ पे गढ़ा दिए. और मुझे चूमने लगे. उनकी ज़ुबान मेरी ज़ुबान से मिल गयी जैसे की उनका लंड और मेरी चूत. वो और ज़ोर चोदने लगे. और मेरा जिस्म उन्होने फिर से बिस्तर पे फेक दिया. उन्होने फिर भी मुझे चोदना रोका नही. उनकी रफ़्तार तेज़ होती रही. और एक दूं से उन्होने अपनी पोज़िशन चेंज करली.

अब्ब वो बिस्तर पे लेट गये और मुझे अपने लंड पे बिठा दिया. मुझे भौत मज़े आ रहा था उनकी ऐसी हरकटो पे. उनके दोनो हाथ मेरे मम्मो को मसल रहे थे और मैं अपने बदन को उनके लंड पे नचा रही थी. मैं काफ़ी थक गयी थी मगर वीरनाथ बाबा मुझे चोदे ही जा रहे थे. मैं पूरी उनके बदन पे लेट गयी. मेरे माममे उनकी छाती को दबा रहे थे. उनका लंड अभी मेरे चूत को चोद रहा था.

सुलेम्मान बाबा मेरे पीछे आ गये और अपना लंड मेरे गांद में डाल दिया. मैं ज़ोर से चीख पड़ी. वीरनाथ बाबा ने कहा फाड़ डाल इसकी गांद तू. दोनो बाबा मुझे ज़ोर ज़ोर से चोदने लगे. मेरा मज़्ज़ा अब्ब दुगुना हो गया था. सुलेमान बाबा अपनी गीली उंगली मेरे चूत के आख़िरी हिस्से पे लगा रहा था. उनकी चुअन से मैं और उतावली हो गई. फिर वीरनाथ बाबा चिल्लाया मैं और बर्दाश्त नही कर सकता मैं छोड़ने वाला हूँ इसमे. सुलेमान बाबा ने भी कहा मैं छोड़ने वाला हू. दोनो ने अपनी गति और तेज़ करदी और पूरे कमरे मे अजीब अजीब सी चीलाने की आवाज़े आने लगी. और फिर दोनो बाबओ ने अपना वीरया मेरी गांद और मेरी चूत में डाल दिया. हम तीनो एक ही बिस्तर पे लेट गये. और धीरे धीरे हम तीनो की आँख लग गई और हम सो गये.



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