कहानी जिसमे राशन के लिए एक मा चुड गयी

दोस्तों पिछले हिस्से में मैने आपको बताया की कैसे मेरी भोली संस्कारी मा किटिनी बड़ी रॅंड और छुड़ाकड़ निकली. कैसे उसने दूध वाले से छुड़वा लिया मज़े से. मुझे लगा था बात यही पर ख़तम हो गयी थी, पर ऐसा नही था.

मा ने दूध वाले का 3 महीने का हिसाब चुकता किया अपने जिस्म से. लेकिन अभी सिर्फ़ इतना ही नही था. किराना वाला बनिया भी लाइन में था. मा ने उसको भी अपने जिस्म को चखने दिया. कैसे, अब ये सुनिए.

तो हुआ यू की जब दूध वाला मा को छोड़ के गया. उसके बाद से मैने मा पर नज़र रखना चालू किया. 15-20 दिन मैने नज़र रखी, लेकिन सब नॉर्मल सा हो गया था. क्यूंकी अब वो वापस थैली में दूध डाल कर जाने लगा था.

मा उसको मिलती भी नही थी. रात को खाने के टाइम मा ने पापा से कहा: राशन ख़तम हो गया है, समान लेके आइए.

तो पापा बोले: अभी जो भी है चला लो. उधार लेलो इस महीने. अगले महीने से धनदा चालू होगा.

और उनकी लड़ाई चालू हो गयी. मा पापा को सुनने लगी-

मा: कोई दूसरी नौकरी क्यूँ नही करते आप? पापर वाला, दूध वाले के पैसे तो मेरे घर से आ रहे है. फिर भी तुम्हे शरम नही लग रही.

तब मैं समझा की मा ने पापा से झूठ बोला था की घर से पैसे आए थे. लेकिन मा कर भी क्या सकती थी. उसको भी घर चलना था, और हमे देखना था. और उसपे भी पापा बेशरम की तरह कह गये-

पापा: इस महीने का डॅडी जी को बोलो भरने के लिए. अगले महीने मैं देख लूँगा.

2 दिन बाद शाम को मा मुझे किराना स्टोर ले गयी. तब मा ने सारी पहनी थी, लेकिन ब्रा पनटी के बिना थी. मैने देखा मा ने ब्लाउस का उपर का बटन खोल कर पल्लू से धक लिया. हमने लिस्ट बनाई, समान खरीदा, और काउंटर पर गये.

6 हज़ार का समान हो गया था. वो सेठ शकल से ही तर्की लग रहा था. तोंद निकली हुई थी उसकी. वो लड़का था 27-29 साल का, ठीक-ताक. उसके पैसे का पूछते ही मा ने पल्लू सरकया, और वो देखता रह गया. मा ने बस तोड़ा नीचे ब्लाउस खींचा, तो उसके माममे बाहर आ जाए ऐसा नज़ारा था.

निपल्स के बाजू का काला सर्कल सॉफ-सॉफ दिखाई दे रहा था. सेठ अपनी नज़रो से मा को नंगा कर चुका था. उसकी नज़र बहुत हवस भारी थी. मा ने भी उसको स्माइल दी, और उसका हाथ पकड़ उसको बाहर लेके आई, और बोली-

मा: अर्रे पर्स तो मैं घर पर भूल गयी हू. क्या ऐसा नही हो सकता आप ये समान का बिल लेने कल दोपहर को मेरे घर आ जाए?

और मा बार-बार बोल रही थी की दोपहर को वो अकेली होती है. तो वो समझ गया. फिर हमने अपना अड्रेस उसको दिया, और हम समान लेके आ गये.

मुझे अब कल का ही इंतेज़ार था. मा मुझे खाना देके बाहर खेलने भेज रही थी.

उस दिन मेरी छुट्टी थी, और मैं कही जेया नही रहा था. वो कुछ भी काम बता रही थी, क्यूंकी उसको मुझे सिर्फ़ बाहर भेजना था. और तभी वो बनिया घर आया. उसका नाम जिग्नेश था. दिखने में ठीक-ताक था, थोड़ी सी तोंद निकली हुई थी. लड़का था यंग सा ही.

मा ने उसको अंदर बुला लिया, और छाई-पानी पूछा. मा ने मुझे कहा नीचे जाने को ज़बरदस्ती, और बोली, जब तक वो बुलाने ना आए, मैं अंदर ना जौ. मैं अपनी चाबी लेके चला गया. फिर आधे घंटे बाद मैं वापस उपर आया तो वही चालू था.

सेम टीवी पर गाना सुनाई दे रहा था. मैं धीरे से दरवाज़ा खोल कर अंदर आया. देखा तो नज़ारा अलग था. मा बैठी थी, और वो नंगा था. मा उसका लंड चूस रही थी. वो बाल पकड़ कर लंड चुस्वा रहा था. उसका लंड दूध वाले से छ्होटा था, पर मा क्या लॉलिपोप की तरह लंड चूस रही थी.

पहले मुझे यकीन नही हो रहा था, की मा लंड चूस रही थी, पर वो बार-बार बोल रहा था-

जिग्नेश: भाभी जी, ऐसी ही चूसो ना एक बार विदाउट कॉंडम.

तो मा बोली, उसको वैसे पसंद नही. वो गिड़गिदा रहा था, पर मा मानी नही. फिर मा बोली-

मा: बस यही करना है, आयेज कुछ नही करना क्या?

तो वो मा को अपने उपर खींच चूमने लगा. मा भी उसका साथ देने लगी. वो मा की गांद पर थप्पड़ मार रहा था. उनकी चुम्मा-छाती की आवाज़ गूँज रही थी. वो मा को अपने अंग पर घिस रहा था, और माममे चूस रहा था.

मा उसको बोली: बच्चा है क्या? ऐसे क्यूँ चूस रहा है?

वो बोला उसको पसंद है. मा भी उसको एक-एक मम्मा चुस्वा रही थी बारी-बारी. उसने मा को डॉगी पोज़िशन लेने को कही, और पीछे से चालू हो गया.

मा एक-दूं रॅंड लग रही थी उस पोज़िशन में. उसके कूल्हे अपने आप फैल गये थे. शायद उसको आदत थी इसकी, पर उसका लंड छ्होटा होने की वजह से बार-बार बाहर आ रहा था. हर बार मा हाथ से लंड को छूट पर लगा रही थी.

फिर तंग होके मा बोली: लेट जेया, मैं करती हू.

और मा उपर आ गयी. वो लंड अंदर लेके रग़ाद रही थी, और मस्त उसके हाथ को अपने मम्मो पर रख रही थी. मा एक-दूं मूड में आ गयी थी. मुझे ये समझ नही आ रहा था, की ये मा की मजबूरी थी या उसको भी इसमे मज़ा आने लगा था. नये लंड लेने की आदत पद गयी थी शायद मा को.

मैने मेरे बाप को भी इतने सालों में मा को छोड़ते हुए क्या, गरम करते हुए भी नही देखा था. मुश्किल से मा ने 5-10 बार उठक-बैठक की होगी, और उसका पानी निकल गया.

मैं नीचे आ गया दौड़ के, लेकिन फिर भी 1 घंटे तक वो बाहर नही आया था. शायद मा को 2 बार छोड़ा होगा. 1 घंटे बाद वो नीचे आया, और वो खुश था बहुत. फिर मुझे देख के वो मुस्कुरा कर और बाइ बोल कर चला गया.

उसके 15-20 मिनिट बाद मा नीचे आई, और मुझे उपर ले गयी. मैने कमरा देखा तो सब सॉफ था. मुझे अफ़सोस हुआ की मैं आधा काम ही देख पाया. इसलिए अब मैं सोचने लगा पूरा भी देख पौ, और मा को भी ना पता चले ऐसे कैसे होगा.

और फिर मैने अलमारी में च्छूपने का तान लिया अगली बार के लिए. उसके बीच की दरार से दिखता था, और साँस भी ले सकते थे. बस अब आयेज तलाश थी मौके की.

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