चंदा रानी की कुंवारी बहन की नथ

यारो, अपनी पहली कहानी में मैंने आपको अपने दोस्त की पत्नी चंदा रानी की भरपूर चुदाई का वाक़या बताया था, और यह भी बताया था कि चंदा रानी ने मुझे गुलाम बनाकर एक इनाम दिया था कि मैं उसकी छोटी बहन नन्दा की नथ खोलकर उसका कौमार्य भंग करूँ। आज मैं आपको उस अति उत्तेजक घटना का विस्तारपूर्वक उल्लेख करूँगा, जिसे पढ़ कर आप सभी का लंड सख्त होकर तनतनाने लगेगा।
जैसा कि पिछली कहानी में मैंने बताया था कि चन्दा की जोरदार चुदाई के तीन दिन के बाद उसकी सगी बहन नन्दा का अठारहवाँ जन्मदिन था,
चंदा रानी ने शाम को एक पार्टी रखी थी जिसमें सिर्फ अड़ोस-पड़ोस के बड़े बच्चों को बुलाया था और मुझे उसने रात नौ बजे बुलाया था ताकि पार्टी समाप्त होने के बाद तसल्ली से हम अपना काम शांत करने का काम कर सकें।
मैं पूरे नौ बजे चंदा रानी के घर पहुँच गया, दरवाज़ा सिर्फ भेड़ा हुआ था, चिटकनी नहीं लगाई थी अंदर से !
चंदा रानी जल्दी जल्दी पार्टी के बाद घर की सफाई में लगी थी।
मैंने उसे बाहों में भींच के एक बहुत लम्बा चुम्बन लिया। चुम्बन के बाद वह बोली- राजे… बस दस मिनट तसल्ली कर ले… सफाई नहीं होगी तो मेरे सिर में टेंशन हो जाता है… तू बैठ आराम से !
‘ठीक है रानी… तब तक तेरी बहन से जान पहचान कर लूँ… कहाँ है वो..’
‘उसे छिपाकर रखा है… तू कुछ देर सबर तो कर… सारी रात अपनी है राजा !’
मैं सोफे पर टांगें पसार के बैठ गया। चंदा रानी ड्राइंग रूम को ठीक ठाक करने में दुबारा लग गई और में उसे सिर से पैरों तक निहारने लगा।
भगवान ने इस कामवासना से भरपूर नारी को बड़े मस्त मूड में बनाया होगा। उसका हर अंग मैंने देख लिया था और हर अंग बेहद खूबसूरत था।
मैं इस चुदासी चंदा रानी को घंटों बिना थके निहार सकता था। उसने ताड़ लिया कि मैं उसे लगातार देखे जा रहा हूँ। फिर से उसने अपना हाथ दिखाकर थोड़ी सी देर तसल्ली रखने का इशारा किया और एक फ्लाइंग चुम्बन मेरी तरफ उछाला।
मैंने भी उसकी दूध से लबाबब चूचियाँ दबाने का इशारा किया।
करीब पंद्रह मिनट में सब सही हो गया तो चंदा रानी आकर मेरे पास बैठ गई और मुझसे लिपट कर मुझे बेतहाशा चूमने लगी।
मैंने भी उसकी चूचियाँ निचोड़ना शुरू कर दिया।
जब दिल भर के चूम चुकी तो बड़े धीमे से मेरे कान में बोली- राजे… थोड़ा प्लान चेन्ज हो गया है… अब हम तेरे घर चलेंगे और तेरे बिस्तर पर ही इक्का दुक्की का खेल खेलेंगे… कितना मज़ा आयेगा न जब तेरे पलंग पर जिस पर तू अपनी पत्नी को चोदता है, उसी पे तू हम दो बहनों को चोद देगा।
इतना सुन कर मेरा लंड फुंकार उठा, अपनी ही बीवी के बिस्तर पर दो पराई लड़कियों चोदना वाकयी में ठरक को सैकड़ों गुणा बढ़ाने वाली बात थी।
अपनी ही बेड रूम में अपनी बीवी के साथ सोने वाले पलंग पर एक नहीं दो दो स्त्रियों के साथ सम्भोग करना कितना उत्तेजित करने वाली बात थी, ऐसा सौभाग्य लाखों में ही किसी को मिलता है, जबकि दूसरी जगहों पर चुदाई तो बहुत से आदमी कर लेते हैं।
लंड हुमक हुमक के तंग करने लगा।
चंदा रानी ने भी कस के अकड़ा हुआ लौड़े को महसूस कर लिया था, बोली- अरे तू इतनी देर इंतज़ार भी कर पायेगा या नहीं… तेरा तो मुझे हाल खराब लग रहा है… कहे तो चूस के एक बार झाड़ दूं… बोल… क्या कहता है?
इतना कह के उसने मेरे लंड को पैंट की ज़िप खोल के बाहर निकलने की चेष्टा की।

मैंने उसका हाथ हटा दिया और कहा- रानी… नहीं… अब तो मैं तुम दोनों की चूतें अपने बिस्तर पर ही लूंगा… आज तो दोनों बहनों की चूतों को फाड़ डालने की मंशा हो रही है मेरी।
‘हाय मेरा चोदू गुलाम… बड़े जोश में है मेरा राजा… हाँ हाँ… खूब चोदियो… हम भी तो तैयार बैठी हैं तेरे इस भोले मूसल चंद को अंदर घुसेड़ने के लिये !’ चंदा रानी ने प्यार से मेरे लंड को पैन्ट के ऊपर से थपथपाया।
‘राजे.. अब तू जल्दी से घर जा… हम आधे पौने घंटे में पहुँचती हैं… मैंने यहाँ सब पड़ोसियों को कह दिया है कि मुझे रात को बहुत डर लगता है… इसलिये मैं अपनी बहन के साथ रात को सोने के लिये अपने पति के एक दोस्त के घर जाया करूँगी… क्योंकि हम दो लोग हैं इसलिये किसी ने कोई बात नहीं बनाई… अगर बहन साथ ना होती तो यह नहीं हो सकता था.. तो राजे अब तो हम मेरे पति के आने पर ही तेरे घर में सोना बंद करेंगे… तेरी पत्नी आयेगी बीस दिन के बाद और मेरा चूतिया आयेगा एक महीने के बाद… .अब ज़रा सोच राजे… अगले बीस दिन तो खुल के हम तीनों चुदाई करेंगे… तेरी बीवी के आने के बाद भी कुछ ना कुछ रास्ता निकल लेंगे चोदने का… क्यों ठीक है ना… खुश मेरा राजा..बस तू तैयार हो जा मस्ती से भरे बीस दिन की मौज के… और हाँ तेरे खाने पीने का भी आराम हो जायेगा.. हम अकेले खुद थोड़े ही खायेंगे… तेरे लिये भी तो खाना बनायेंगे।’
क्या ज़बरदस्त स्कीम थी। मेरे मन तो उछलने लगा यह सोच सोच के कि रोज़ाना रात को दो दो हसीनाओं को मैं चोदूँगा, हाय कितना मज़ा आयेगा !!!
मादरचोद चूतनिवास, तू गांडू वाकयी में मुकद्दर का सिकंदर है !!!
खैर मैंने अपने मोटर साइकल को किक मारी और दस मिनटों में अपने घर आ गया जो करीब तीन किलोमीटर दूर था। चंदा रानी को आधा घंटा लगेगा क्योंकि उनको रिक्शा से आना था।
घर आकर मैंने बेडरूम को ठीकठाक किया, अलमारी से दो साफ तौलिये निकाले, चार पांच नैपकिन निकाले और फिर पास के बाज़ार से कुछ मिठाई और एक क्रेट कोकाकोला का लेकर आया। मिठाई और छह कोका कोला को फ्रिज में रख दिया और फिर मैं सोफा पर आराम से चंदा रानी और उसकी बहन नन्दा की प्रतीक्षा करने लगा।
वे लोग करीब पौने घंटे के बाद आये।
चंदा रानी गोद में बच्चा संभाले अंदर घुसी और नन्दा रानी पीछे पीछे घर मे दाखिल हुई।
नन्दा रानी को मैंने बड़े ध्यानपूर्वक ऊपर से नीचे तक निहारा। लम्बा क़द, छरहरा शरीर, मध्यम भूरे रंग के घने कंधों पर लहराते हुए सुन्दर बाल, गुलाबी होठों से सजा हुआ खूबसूरत चेहरा, सुराहीदार गर्दन, ताज़े ताज़े उभरे संगतरे के आकार के चूचुक, बहुत ही दिलकश हाथ और पैर।
रंग एसा गोरा कि कश्मीरी लोग भी फीके पड़ जाएँ, फिगर ऐसी कि मॉडल लड़कियाँ शर्म खाएँ, बड़ी बड़ी भूरी आँखें, त्वचा बिल्कुल साफ और रेशम जैसी चिकनी, कोई मेकअप नहीं।
खैर उसे मेकअप की ज़रूरत थी भी नहीं ! शक्ल चंदा रानी से काफी मिलती थी, फर्क यह था कि चंदा रानी गुदाज़, गदराई जवानी थी जबकि नन्दा रानी एक पतली कमसिन युवती थी जो आज के ही दिन व्यस्क हुई थी।
चंदा रानी के बाल गहरे भूरे थे और उसकी आँखें भी गहरे भूरे रंग की थीं।
दोनों बहनों में क्या गज़ब की कामुकता कूट कूट के भरी हुई थी। ऐसा लगता था की एक ही घर में भगवान ने सारी खूबसूरती पैदा कर डाली।
मेरी बीवी भी बहुत गोरी और सुन्दर है पर नन्दा रानी के सामने वह ज़्यादा तो नहीं पर थोड़ी सी फीकी दिखती।
मैंने नन्दा रानी को अबके से कस के बाहों में भींच लिया और उसका मुंह अपनी तरफ करके टपक से अपने होंठ उसके गुलाबी होंटों पर सटा दिये।
वह अचकचा गई क्योंकि पहले किसी मर्द ने उसे चूमा नहीं था और वह समझ ना पा रही थी कि क्या करे।
उसने सकुचाते हुए खुद को मेरे बाहुपाश से छुड़वाना चाहा लेकिन मैंने बहुत ज़ोर से जकड़ा हुआ था।
‘राजे… यह बिल्कुल नादान है… इसे हर चीज़ समझानी पड़ेगी… .थोड़ा बहुत तो मैंने बताया है परंतु बाकी का तुझे ही समझाना होगा।’ चंदा रानी की आवाज़ आई।
वह बच्चे को बहला रही थी, बच्चा दूध पिये हुए था और अब खेल रहा था, अभी उसका कोई सोने का मूड दिखाई नहीं पड़ रहा था।
मैं बोला- ठीक है !

और नन्दा रानी को चूम के बोला- नन्दा रानी… अभी जो मैंने तेरे साथ किया वह चुम्बन कहलाता है। इसे बहुत देर देर तक किया जाता है… .इसे जितना ज़्यादा करेंगे, चुदास उतनी ही बढ़ेगी… इसका पूरा मज़ा लेने के लिये एक दूसरे के मुंह में अपनी जीभ घुसा दी जाती है और फिर बारी बारी से मर्द और औरत एक दूसरे की जीभ चूसते हैं। इससे दोनों के मुंह का रस दूसरे के मुंह में चला जाता है जिस से प्यार में वृद्धि उतनी ही अधिक होती है।

मैंने नन्दा रानी को अबके से कस के बाहों में भींच लिया और उसका मुंह अपनी तरफ करके टपक से अपने होंठ उसके गुलाबी होंटों पर सटा दिये।
वह अचकचा गई क्योंकि पहले किसी मर्द ने उसे चूमा नहीं था और वह समझ ना पा रही थी कि क्या करे।
उसने सकुचाते हुए खुद को मेरे बाहुपाश से छुड़वाना चाहा लेकिन मैंने बहुत ज़ोर से जकड़ा हुआ था।
‘राजे… यह बिल्कुल नादान है… इसे हर चीज़ समझानी पड़ेगी… .थोड़ा बहुत तो मैंने बताया है परंतु बाकी का तुझे ही समझाना होगा।’ चंदा रानी की आवाज़ आई।
वह बच्चे को बहला रही थी, बच्चा दूध पिये हुए था और अब खेल रहा था, अभी उसका कोई सोने का मूड दिखाई नहीं पड़ रहा था।
मैं बोला- ठीक है !
और नन्दा रानी को चूम के बोला- नन्दा रानी… अभी जो मैंने तेरे साथ किया वह चुम्बन कहलाता है। इसे बहुत देर देर तक किया जाता है… .इसे जितना ज़्यादा करेंगे, चुदास उतनी ही बढ़ेगी… इसका पूरा मज़ा लेने के लिये एक दूसरे के मुंह में अपनी जीभ घुसा दी जाती है और फिर बारी बारी से मर्द और औरत एक दूसरे की जीभ चूसते हैं। इससे दोनों के मुंह का रस दूसरे के मुंह में चला जाता है जिस से प्यार में वृद्धि उतनी ही अधिक होती है।

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इसके बाद मैंने नन्दा रानी को अपने और उसके सभी गुप्त अंगों के बारे में बताया, उनके देसी भाषा में नाम और सभ्य भाषा के नाम भी बताये, फिर उसे कहा कि सभी देसी नाम दोहराये।
उसके मुंह से लंड, लौड़ा, मर्द मक्खन, चूत, चूचुक इत्यादि शब्द सुन के बड़ा मज़ा आया। नन्दा रानी बहुत सकुचा सकुचा कर शरमाते हुए ये सब लफ्ज़ बोल रही थी।
फिर मैंने अपने सभी कपड़े उतार दिये और मादरजात नंगा नन्दा रानी के सामने खड़ा हो गया।
उसने शर्म के मारे अपनी नज़रें झुका लीं।
मैंने तपाक से उसकी पटियाला कट शलवार का सुथना खोला जिससे शलवार गिर के उसके पैरों के ऊपर ढेर हो गई।
इससे पहले नन्दा रानी संभलती मैंने उसकी कमीज़ भी ऊपर उठाई और उतार के फेंक दी।
ब्रा का हुक अटक रहा था तो मैंने इतनी ज़ोर से ब्रा की तनियों को खींचा कि वो टूट गईं और ब्रा भी नीचे उसके पैरों पर आ गिरी।
शर्म से नन्दा रानी का गोरा दूध जैसा बदन लाल हो गया, वो एक बाज़ू से अपना मुख ढकने की कोशिश कर रही थी और दूसरी से छातियाँ।
उसने अपनी आँखें कस के मींच ली थीं।
मैंने उसकी बाहों को परे किया और कहा- अरे रानी… ऐसे शर्माओगी तो कैसे चलेगा… अभी तो तुम्हारा यह सुनहरा बदन मुझे चूसना है और फिर तुम्हारी नथ खोलनी है। यह लो, इसे पकड़ो, यह तुम्हारे लिये भगवान ने एक लंड भेजा है। इसे मुंह में लेकर प्यार से चूसो… हाय मेरी बन्‍नो… माशा अल्लाह… क्या चूचुक हैं ! तेरी जैसी ये सुनहरे भूरे रंग की निप्पल तो पहली बार देखी है किसी लड़की की !
इतने में चंदा रानी की आवाज़ आई- राजे… चूचियाँ बाद में… लंड चुसाई भी बाद में… सबसे पहले राजा इसकी नथ तो खोल दे… फाड़ के रख दे नन्दा की कुंवारी बुर !
बच्चा शायद सो गया था, मैंने सिर घुमा के देखा तो चंदा रानी भी बिल्कुल नंगी हो चुकी थी।
दो दो नंगी और बेहद खूबसूरत लड़कियों को देखकर मेरा हाल बदतर हुए जा रहा था, लगता था बस अब झड़ा और अब झड़ा।
पता था कि आज तो मेरी कयामत आने वाली है, मैंने दस गहरी गहरी सांसें लेकर अपनी उत्तेजना को काबू किया।
चंदा रानी ने नन्दा रानी को बिस्तर पर लिटा दिया, एक नया बड़ा सफेद तौलिया चार तह करके उसके नितंबों के नीचे बिछाया और एक तकिया तौलिये के नीचे लगा दिया।
नन्दा रानी की चूत अब ऊपर को उठ गई थी, गुलाबी, गीली और कभी कभी लप लप करती हुई उस अति उत्तेजक बुर को देखकर दिमाग खराब हो गया, एक पल भी रुकना भारी हो रहा था।
नन्दा रानी बहुत नर्वस हो रही थी, डर के मारे उसका सुन्दर चेहरा पीला पड़ गया था, बदन में कंपकंपी छूट रही थी।
चंदा रानी ने उसे माथे पे चूम चूम कर उसका डर निकलने की कोशिश की, उसके कानों में प्यार से पता नहीं क्या क्या कहा।
फिर उसने मुझसे कहा- राजे आ जा… बस ज़रा हौले हौले चोदना ! लड़की छोटी है, डर गई है कि बहुत दर्द होगा.. बस मेरे राजे, ज़रा प्यार से !

‘चिंता ना कर चंदा रानी… मैं बहुत ही आराम से चुदाई करूँगा !’
मैंने कमरे की लाइट बुझा कर बेड के पास वाली टेबल पर रखे टेबल लैम्प को जला दिया। उसमें ज़ीरो वॉट का नीला बल्ब लगा था क्योंकि मेरी बीवी को हल्की नीली रोशनी में चुदने का बड़ा शौक़ था।
मुझे लगा बहुत हल्की रोशनी से नन्दा रानी की घबराहट कुछ कम हो जायेगी।
चंदा रानी भी खुश हुई, बोली- यह तूने बहुत अच्छा काम किया। बेचारी तेज़ रोशनी में नंगी होने से बहुत घबरा गई थी।
मैं बिस्तर पर चढ़ कर नन्दा रानी की बगल में लेट गया और बड़े प्यार से उसके नाज़ुक बदन पर हाथ फेरने लगा।
क्या लाजवाब शरीर था, मक्खन जैसा !
मैंने उसके पैरों से उसे चूमना चालू किया और मस्ती में चूर हुआ धीरे धीरे उसकी टांगों को चाटता हुआ उसकी चूत तक जा पहुँचा।
लंड पूरे ज़ोरों पर उछल उछल कर पागल किये जा रहा था।
मैंने नन्दा रानी की झांटों पर जीभ फिराई, बहुत ही बारीक रेशमी रोएँ थे, चाट कर मज़ा आ गया।
अब उसका डर कम हो गया था और मेरे चाटने से मज़ा पाकर वह धीमी आवाज़ में आहें भी भरने लगी थी।
झांटों को चाट चाट के तर कर दिया तो फिर मैंने बड़े प्यार से उसकी चूत के होंटों पर जीभ फिराई।
नन्दा रानी सिहर उठी और उसके मुख से एक सीत्कार निकली।
मैंने जीभ उस रसाती कुमारी बुर के अंदर कर दी। थोड़ा सा अंदर घुसते ही नन्दा रानी की कमसिनी का पर्दा जीभ से टकराया।
नन्दा रानी दर्द से कराह उठी।

मैंने तुरंत जीभ पीछे की और दुबारा से पर्दे के पहले के हिस्से में ही चूत चूसने लगा।
रस काफी निकल रहा था, चिकना हल्का खट्टापन लिये हुए चूतामृत मेरी मस्ती को कई गुना बढ़ाये जा रहा था।
अब और प्रतीक्षा करना कठिन था तो मैंने उठ कर अपने को नन्दा रानी के ऊपर जमाया ताकि मेरे घुटने उसकी जाँघों के इर्द गिर्द आ गये और लंड सीधा चूत के ऊपर।
चंदा रानी तुरंत हमारे बीच में घुसी और मेरे लंड को खूब मुखरस निकाल निकाल के चाटा, सुपारी तो उसने बिल्कुल तर कर दी।
मैंने लंड को चूत के मुंह पर सटाया हल्के से धक्का मारा।
टोपा जाकर उसकी चूत के पर्दे से टकराया और वो दर्द से चीख पड़ी।
घबराहट से चूत का जूस ही निकालना बंद हो गया।
उसका पर्दा बहुत सख्त था और तगड़े धक्के से ही फटेगा, दर्द भी उसे ज़्यादह होगा, परंतु कोई इलाज था ही नहीं !
मैंने चंदा रानी से कहा- रानी इसकी चूत की झिल्ली बहुत कड़ी है… ज़ोर का धक्का ही मारना पड़ेगा… दर्द से चिल्लाएगी तो सम्भाल लियो !
इतना बोल के मैंने एक गहरी सांस ली और धड़ाम से ज़बरदस्त धक्का पेला।

‘बधाई हो नन्दा… मेरी प्यारी बहन… आज तेरी नथ खुल गई… आज तेरी ज़िंदगी का एक महान दिन है… बहुत बहुत बधाई… ईश्वर करे कि तुझे जीवन भर इसी प्रकार तगड़े लण्ड मिलें… चल मैं तुम दोनों के लिये मीठा लेकर आती हूँ… मेरी बहन की नथ खुली है… मीठा मुँह तो होना चाहिये न !’ इतना कह कर नंगी चंदा रानी कमरे से बाहर चली गई।
मैं भी उठकर पीछे गया फ्रिज से कोल्ड ड्रिंक लाने के लिये। चंदा घर से रबड़ी लेकर आई थी जिसे वो एक तश्तरी में डाल रही थी।
मैंने उसे लिपटा कर चूमा और कहा- रानी… रबड़ी के बाद मैं तो तेरा दूध पियूंगा और ये कोल्ड ड्रिंक आखिर में !
‘हाँ… हाँ… राजे दोनों को दूध पिलाऊँगी… फिकर ना कर… मेरे राजे बेटे !’
मैंने जब लाइट जलाई तो देखा नन्दा रानी गहरी नींद में थी। उसकी टांगें चौड़ी फैली हुई थीं और तमाम चूत के आस पास का बदन, झांटें खून में लिबड़ा हुआ था।
यहाँ तक कि उसकी जाँघों तक भी खून के बड़े बड़े धब्बे थे। खून वाकई में अधिक मात्रा में बहा था।
मैंने गर्दन झुका कर अपने आपको देखा तो मेरा भी बदन लण्ड के सब तरफ खून में लथपथ था।
मैं जल्दी से एक तौलिया बाथ रूम से भिगो कर लाया और नन्दा रानी को भली भांति साफ किया और फिर अपने बदन की सफाई की। नन्दा रानी के चूतड़ों के नीचे बिछा हुआ तौलिया भी खून में सन गया था, मैंने धीरे से खींच के तौलिये को बाहर निकाला, इसकी चार चार तहें पार करके लहू का एक छोटा सा दाग तकिये पर भी लग गया था।
‘राजे… लगता है बहुत ही तगड़ी झिल्ली थी… देख तो कितना खूनमखून हो गया है… तभी तो सो रही है… अच्छा राजे… अब उसे और मत चोदियो आज रात… सोने दे उसे !’
‘अरे चंदा रानी उसे सोने दूंगा… अब तुझे भी तो चोदना है या नहीं !’
चंदा रानी ने नन्दा रानी को हिला के जगाया और एक चम्मच रबड़ी उसे मीठा मुँह करने को दी।
नन्दा रानी ऊम्म ऊँह ऊँह करके जागी और बड़ी धीमी आवाज़ में बोली- दीदी सोने दो ना… क्यों तंग करती हो… बहुत नींद आ रही है… बड़ी थकान लग रही है।
‘हाँ हाँ मेरी रानी बेटी… आराम से सो… बस मैं तो तेरा मीठा मुँह करने को जगा रही थी। अभी अभी तेरी नथ खुली है… अब तू लड़की से औरत बन गई है… चल जल्दी से थोड़ी सी रबड़ी खा और फिर सो जा।’
नन्दा रानी ने लेट लेटे ही मुँह खोल दिया। चंदा रानी ने उसके मना करते करते पांच छह बड़े चम्मच रबड़ी उसे खिला ही दी।
एक घूँट कोल्ड ड्रिंक का पीकर नन्दा रानी वापस गहरी नींद में ढेर हो गई।
‘चंदा रानी… अब ये तो गई सुबह तक… इतना खून बहा है… कमज़ोरी आ गई होगी… कल तक ठीक हो जायेगी… फिर रोज़ चुदाई मांगा करेगी… अब हम खेलें इक्का दुक्की का खेल?’ कह कर मैंने चंदा रानी को दबोच लिया।
वो भी अपनी बहन को चुदते देख कर खूब गरम हो गई थी, उसने कहा- बस एक मिनट तसल्ली रख… देख मैं तुझे जन्नत के नजारे दिखाती हूँ।
चंदा रानी अलग होकर बिस्तर पर बैठ गई और ढेर सारी रबड़ी को अपनी चूचियों पर, अपनी नाभि पर, अपनी झांटों और अपने पैरों पर लगाया और बोली- अब राजे… तू भी मीठा मुँह कर मुझे चाट चाट के… फिर मैं तेरे लण्ड पर लगा कर अपना भी मुँह मीठा करूँगी।
इतना कह कर चंदा रानी बिस्तर पर सीधी लेट गई।
मस्ती से मैं एकदम बेहाल हो गया। चंदा रानी का सामने का पूरा शरीर, चूची से पैर तक, रबड़ी से लिबड़ा हुआ था। मेरा लौड़ा फौरन तन्ना गया।
मैंने चंदा रानी को कुत्ते की तरह जीभ निकाल के चाटना शुरू किया। सबसे पहले उसके पैर चाटे, हर एक उंगली व अंगूठा मुँह में लेकर चूसा, फिर उसकी टांगें चाट चाट के सारी रबड़ी खाई, उसका पेट चाट चाट कर बिल्कुल साफ कर डाला और आखिर में उसके दोनों मम्मे चाटे।
मम्मे चाटते हुए मुझे उसका दूध भी पीने को मिला। चंदा रानी ने सचमुच मुझे जन्नत के नज़ारे दिखा दिये।
जन्नत में इस से ज्यादह क्या मज़ा मिलता होगा।
चंदा रानी के ज़ायकेदार बदन का स्वाद जब रबड़ी से मिला तो चाटने का आनन्द पराकाष्ठा पर जा पहुँचा।
वो भी इस तरह से बदन चटवा के ठरक से मतवाली हो चली थी। उसके मम्मे अकड़ गये थे और वो बारम्बार कसमस कसमस करती हुई आहें भरने लगी थी।
उसका एकदम ताज़ा दूध रबड़ी से मिल के मेरे जिस्म में आग भड़का रहा था।
चंदा रानी अब अपनी जांघें बार बार खोलने बन्द करने लगी, उसके मुँह से अब तेज़ सी सी आने लगी थी, बोली- राजे अब न तरसाओ… नन्दा को तूने चोदा तब ही से मेरा हाल खराब है… तेरी ज़ुबान तो ज़ालिम मुझे कत्ल ही कर डालेगी… अब चल मेरा राजा बेटा… अब चोद ही दे… मैं तो जल के खाक हो जाऊँगी।
हालांकि तड़प तो मैं भी रहा था, फिर भी थोड़ा सा और मज़ा लेने के लिये मैंने उसके चूची में दांत गाड़ दिये, दूध की एक तीव्र धारा मेरे मुँह में गिरी और वो बेतहाशा ठरक से बेबस होकर कराही।
उसने ज़ोरों से छटपटाना शुरू कर दिया और फंसी फंसी सी अवाज़ में बोली- राजे… रहम कर… अब मर गई तो क्या करेगा? बिल्कुल सबर नहीं हो रहा… बस जान जाने को है।
बिना कुछ बोले, मैंने उसके घुटने मोड़े और जाँघें चौड़ी करीं, फिर मैं उन रेशमी मुलायम जाँघों के बीच घुटनों के बल बैठ गया और अपना टन टन करते लण्ड चूत के होंठों पर रखा।
उई उई की आवाज़ निकालते हुए चंदा रानी ने अपने चूतड़ उचकाये और मैंने धम्म से पूरा का पूरा लण्ड उसकी रसदार चूत में पेल दिया।
एक चीख उसके मुँह से निकली और मेरा सिर कस के जकड़ती हुई चंदा रानी एसे झड़ी जैसे किसी डैम के गेट खोल के पानी छोड़ दिया गया हो।उसने बड़ी तेज़ी से कई दफा अपने नितंबों को ऊपर नीचे किया और झड़े चली गई। उसने अपने पैर मेरे कंधों पर टिका दिये और फिर से झड़ने की इच्छा से चुदने लगी।
इस पोज़ में हर धक्के मे लण्ड चंदा रानी की भगनासा को ज़ोर से रगड़ता हुआ जाता था जिससे उसका मज़ा ख़ूब बढ़ जाता था।
प्यार से मेरी आँख से आँख मिलते हुए वो बोली- राजे… तू कितना ज़बदस्त चोदू है… इतनी जल्दी मैं कभी भी नहीं झड़ती जितना कि तेरे से चुदते हुए… राजे… राजे… राजे… हाय राम… इतना मज़ा… हाय मैं मर जाऊँ… मैं बहुत रश्क करने लगी हूँ तेरी बीवी से जो रोज़ाना तुझ से चुदाई का आनन्द उठाती है… बस अब थोड़ा तेज़ धक्के लगा… हाँ… हाँ… राजे… हाँ… हाँ… चीर फाड़ के रख मेरी हरामज़ादी बुर को… अब बना दे इसका कचूमर… हाँ… चोदे जा राजा…
मैंने धकाधक धक्के पेलने शुरू कर दिये, लण्ड एसे अंदर बाहर हो रहा था जैसे रेल के इंजन का पिस्टन आगे पीछे जाता है- धक… धक… धक… धक…
अचानक से मुझे यूँ महसूस हुआ कि मेरे अंदर कहीं तेज़ गर्मी की एक लहर सिर से नीचे की तरफ और नीचे तो सिर की ओर बड़ी रफ़्तार से आ जा रही है।
उधर चंदा रानी आहें पर आहें भरे जा रही थी। ठरक से मतवाली यह चुदासी औरत कमर उछाल उछाल कर चुदा रही थी।
झड़ने को आतुर होकर ज्यों ही मैंने लण्ड ठोकने की गति ज़्यादह तेज़ की, तो वो फिर से अनेकों बार चरम सीमा के पार चली गई।
बड़ी मुश्किल से अपनी चीख को रोकता हुआ मैं तब धड़ाके से स्खलित हुआ।
लण्ड से ढेर सा सफेद लावा निकला और उसकी चूत से तो रस का प्रवाह ज़ोरों से चल ही रहा था।
झड़कर हम दोनों बेसुध से होकर पड गये। मैं ऊपर और वो नीचे।

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हम काफी देर तक ऐसे ही पड़े रहे और एक दूसरे से एक मस्त चुदाई करने के बाद लिपटे रहने का मज़ा भोगते रहे।
चंदा रानी ने फिर मेरे लण्ड को और उसके आस पास के सारे प्रदेश को चाट चाट के साफ किया।
चंदा रानी ने कहा- अब राजे मैं भी तो मुँह मीठा कर लूं अपनी बहन की नथ खुलवाने के मौके पर !
‘हाँ हाँ… तुझे तो सबसे पहले मुँह मीठा करना चाहिये था… तूने ही तो सारा प्रोग्राम सेट किया है !’ मैं बोला।
चंदा रानी ने रबड़ी की तश्तरी उठाई और चम्मच भर भर के मेरे बैठे हुए लुल्ले पर लगाई। पूरा लुल्ला, दोनों टट्टे रबड़ी में अच्छे से सान दिये।
मैं समझ गया था कि अब यह चाट चाट कर रबड़ी खायेगी।
उसके नाज़ुक, खूबसूरत हाथों से रबड़ी लगवाते लगवाते मेरा लण्ड अकड़ चुका था।
जब लौड़ा खड़ा हुआ तो उसका आकार बढ़ गया और चंदा रानी ने बची खुची रबड़ी भी लण्ड पर लबेड़ डाली।
फिर उसने जो चाटना चालू किया है, तो भगवान कसम, आनन्द इतना आया जिसका कोई हिसाब नहीं। मस्ती ने मुझे मतवाला कर दिया।
चंदा रानी ने बड़े मज़े में चटखारे ले लेकर पूरा लण्ड, टट्टे और झांटों को चाट डाला, और एकदम चकाचक साफ कर दिया।
‘अरे राजे… तेरा लण्ड तो फिर से अकड़ गया… लगता है बहुत मज़ा आया इस हरामी को रबड़ी में लथपथ हो के चटवाकर… साला हरामी लण्ड महाराज !’ चंदा रानी ने लौड़े को प्यार से एक हल्की सी चपत लगाई और फिर से चूसने में लग गई।
यारों चूसने में तो वा माहिर थी ही, तो ऐसा चूसा, ऐसा चूसा कि मस्ती से मेरी गांड फट गई।
कभी वो काफी देर तक लण्ड को पूरा जड़ तक मुँह में घुसाये रखती, तो कभी सिर्फ टोपे को मुँह में लिये लिये चूसती, और कभी वो टट्टे सहला सहला के नीचे से ऊपर तक लण्ड चाटती।
उसके मुखरस से लण्ड बिल्कुल तर हो चुका था।
कई दफा उसने अपनी चूची दबा के दूध की बौछारें लौड़े पर मारीं, जिससे मेरी ठरक सातवें आसमान पर जा पहुँची।
चंदा रानी ने मचल मचल के लौड़े को चूस चूस के तर कर दिया।
अब मैं ज़रा भी रुक नहीं पा रहा था। एक ज़ोर की सीत्कार भरते हुए मैंने अपनी कमर उछाली और झड़ गया।
चंदा रानी सारी की सारी मलाई पी गई। हमेशा की तरह, जब मैं बेहोश सा होकर बिस्तर पर गिर गया, तो उसने मेरे लण्ड को खूब भली प्रकार जीभ से चाट चाट के साफ किया और बोली- चल राजे, अब तुझे मैं स्वर्णरसपान कराऊँ… दोपहर दो बजे से रोक कर रखा है… आजा मेरे राजे… नीचे बैठ जा और अपनी मम्मा की चूत से मुँह लगा ले… आज बहुत गाढ़ा पीने को मिलेगा।
इतना कह कर चंदा रानी पलंग पर टांगे चौड़ी करके पैर फर्श पर टिका के बैठ गई, मैं नीचे घुटनों के बल बैठ गया और चंदा रानी की चूत के होंठों से अपने होंठ चिपका दिये।
कुछ ही देर में चंदा रानी के स्वर्णामृत की पहले चंद बूंदें और फिर तेज़ धार मेरे मुँह में आने लगी।
सच में बहुत ही गर्म और गाढ़ा रस था। एकदम स्वर्ण के रंग का ! अति स्वादिष्ट ! अति संतुष्टिदायक !!
मैं लपालप पीता चला गया। मेरी उस समय सिर्फ एक ही ख्वाहिश थी कि उस योनि-अमृत की एक भी बूंद नीचे न गिरने पाये, सो मैं उसी रफ़्तार से पीने की चेष्टा कर रहा था जिस रफ़्तार से वो प्यारी सी अमृतधारा मेरे मुँह में आ रही थी।
सच में बहुत देर से रूका हुआ रस था क्योंकि खाली करने में चंदा रानी को काफी वक़्त लगा। जब सारा का सारा रस निकल चुका तो मैंने अपने मुँह हटाया और जीभ से चारों तरफ का बदन चाट चाट के साफ सुथरा कर दिया।
मैं और चंदा रानी फिर एक दूसरे की बाहों में लिपट कर लेट गये और बहुत देर तक प्यार से भरी हुई बातें करते रहे।
हर थोड़ी देर के बाद हम एक गहरा और लम्बा चुम्बन भी ले लेते थे।
बीच में एक बार चंदा रानी का बच्चा जग गया और चिल्ला चिल्ला के दूध मांगने लगा।
चंदा रानी ने उसे दूध पिलाया, पहले एक चूची से और फिर दूसरी चूची से। मैं आराम से उन खूबसूरत मम्‍मोँ को निहारता रहा। जब चंदा रानी फारिग हो गई तो मैं गर्म हो चुका था, चूचुक निहार निहार के।
इसके बाद मैंने चंदा रानी को चोद के अपने को निहाल किया और फिर हम सो गये।

******समाप्त*******



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