रंडवे बाप और चाचा से चुदी लड़की की कहानी

हेलो दोस्तों, मेरा नाम अरुणी है. 19 साल की मैं एक कमसिन लड़की थी. मेरा बदन 32-30-34 का था. मैं 19 साल की हो गयी थी. मेरा बदन तेज़ी से सेक्सी हो रहा था. बूब्स मोटे हो रहे थे, और निपल्स गहरे होने लगे थे.

कमर तो पूछो मत. छूट दूध की तरह और बिना बाल के थी, जो पानी छ्चोढती थी. मेरी मम्मी और चाची चल बसी जब मैं 16 की थी. अब असली कहानी शुरू होती है.

एक दिन नहा कर बातरूम में ब्रा लगा रही थी. तो उसकी पिन टूट गयी. ऐसा तो होना ही था. 2-3 नंबर छ्होटी ब्रा 32″ के बूब्स कब तक रोकती. मेरे पास और ब्रा नही थी, जो थी वो छ्होटी थी. मैं ऐसे ही कमीज़ पहन कर निकली जिससे बूब्स हिलते थे. फिर मैं चाचा के सामने से शरम में गुज़री. अगले दिन सोचा ब्रा लेने का. घर में सिर्फ़ चाचा ही थे.

चाचा: क्या हुआ, कहा जाना है? अरुणी: बेज़ार.

चाचा: क्यूँ, मैं ला देता हू जो लाना है.

अरुणी: नही आप बस ले चलो बेज़ार.

फिर हम बेज़ार गये.

चाचा: ये तो लॅडीस अंडरगार्मेंट्स की…

अरुणी: चलो.

दुकान में सब मेरे बूब्स को घूर रहे थे, क्यूंकी बिना ब्रा के निपल दिख रहे थे. मैने ब्रा पसंद कर ली थी.

तभी हेलपर हल्के से बोली: अछा साइज़ है आपकी छाती का.

अरुणी: पिंक कलर की पनटी भी डेडॉ.

घर आ कर मैने ब्रा पहनी. फिर सब के लिए खाना बनाने लगी. जब पापा को रूम में खाना देने गयी, तो झुकते समय चुनरी उतार गयी, और मेरे बूब्स उनको दिख गये. पापा तो देखते ही रह गये. मैने जल्दी से चुनरी से छाती धक ली.

मैं इससे घबराई हुई थी. रात को मुझे नींद नही आ रही थी. तो च्चत पर चली गयी. वाहा एक अकेला रूम था. मुझे वाहा किसी के रोने की आवाज़ आई. जैसे ही खिड़की से झाँक देखा तो मैं डांग रह गयी. चाचा और पापा फोन पर चुदाई देख रहे थे. फिर मा और चाची की फोटोस देखने लगे. नीचे से कुछ बड़ी और मोटी चीज़ थी, वो उस पर मेरी ब्रा रग़ाद रहे थे.

पापा: अर्रे ये ब्रा पहले नही देखी.

चाचा: अपनी पत्नी की नही मिली अरुणी की है.

पापा: साइज़ से तो लगता है लड़की जवान हो गयी.

तभी उन्होने उस चीज़ से दो-टीन धार निकली सफेद चीज़ की. वो जाने लगे, और मैं भी चुपके से नीचे आ कर सो गयी. अगले दिन मैने कमरे से आवाज़ सुनी.

पापा (फोन पर): ये लंड को शांत कैसे करे?

अरुणी (मॅन में): अछा ये लंड है. इतने बड़े.

मैं सब समझ गयी थी. मेरी छूट पानी छ्चोढ़ रही थी. मैं सुबह रसोई में यही सोच रही थी, और छूट पर हाथ फेरने लगी. हाथ कब सलवार में गया पता ही नही चला. शायद चाचा ने देख लिया था, और रेकॉर्ड भी कर लिया. फिर चाचा मेरे पास आए, और मुझे वीडियो दिखाते हुए बोले-

चाचा: अछा लड़की अगर ये मीडीया पर शेर ना करवाना हो, तो मेरे साथ चल.

वो मुझे पापा के पास ले गये.

चाचा: ये देख तेरी बेटी.

पापा मुझे घूर्ने लगे.

पापा: ये क्या है बेटा?

फिर दोनो मुझे उपर वाले कमरे में ले जेया कर बोले-

पापा: बेटी, तेरी मा तो चल बसी, मेरी ख्वाहिश पूरी किए बिना. अभी तो मेरे और तेरे चाचा में बहुत मर्दानगी बची है. अगर तो वो पूरी कर दे, तो हमारी बड़ी मदद हो जाएगी.

अरुणी: क्या मतलब पापा?

चाचा: तू अब 19 की है. तू अपनी मा की जगह ले सकती है. तुझे बस हमसे चूड़ना होगा.

अरुणी: नही मैं ये नही करूँगी. आप तो मेरे चाचा ओर पापा हो.

पापा: बेटा बस एक बार कर ले ना प्लीज़.

मैं लगभग 15 मिनिट के बाद बहस में मान गयी. फिर पापा ने मुझे पूरा नंगा कर दिया.

पापा: वाह तू तो सच में जवान हो गयी है. ऐसा बदन तो तेरी मा का नही था.

दोनो मेरे बूब्स पर झपट पड़े. 2 साल की उनकी प्यास आज बुझने वाली थी.

चाचा: आम की तरह मीठे और मोटे है.

पापा: हा हाथ में भी नही आ रहे.

दोनो ऐसे चूसने लगे जैसे दूध निकलेगा. 15 मिनिट चूसने बाद निपल से पानी निकालने लगा. दर्द हो रहा था. फिर चाचा मेरी कमर पर छूने लगे.

चाचा: वाह, पूरा माल घर में ही था. सिर्फ़ पकने की देर थी.

पापा मेरी छूट को चाटने लगे, और दो उंगलियाँ घुसा दी.

अरुणी: आ मम्मी, पापा रहने दो.

पापा: ऐसे कैसे, माल आज ही मिला है. बेटा तोड़ा दर्द तो होगा.

पापा फिर छूट में उंगली और जीभ घुसा रहे थे. मैं उन्हे रोक भी रही थी, पर कोई असर नही था उन पर. तभी चाचा बोले-

चाचा: इसकी गांद भी बहुत मस्त है. एक-दूं मुलायम है.

दोनो में से एक मेरी छूट पर था, और एक गांद पर. फिर दोनो ने जगह बदली

पापा: लड़की झड़ी नही अभी तक.

चाचा: रूको ज़रा, अभी पहली बार है ना.

30 मिनिट बाद मैं झाड़ गयी. चाचा पुर गीले थे मेरे पानी से. पापा ने फटाफट मुझे नीचे बिता कर लंड चुस्वाया. उन्होने ज़ोर लगा कर मेरे मूह में लंड घुसा दिया. अब उन्होने मुझे बेड पर लिटा दिया.

अरुणी: वो मत करना प्लीज़.

पापा: वही तो असली मज़ा है बेटी. छ्होटी, वर्जिन, और चिकनी छूट को भला छोड़े बिना कैसे छ्चोढ़ सकते है?

ये बोल कर पापा पहले मुझ पर चढ़ गये. वो मेरी छूट पर लंड रगड़ने लगे, और फिर धीरे से घुसने लगे.

अरुणी: आ दर्द हो रहा है, आराम से.

पापा अब मुझे आधे लंड से ही छोड़ने लगे. दर्द के कम होते ही पूरा लंड छूट में घुसा दिया, जिससे खून भी निकला था. पर मैं क्या कर सकती थी?

अरुणी: आ आ उम्म्म श एयेए. मॅर गयी मैं अया.

पापा ने स्पीड बढ़ा ली.

छ्होटी सी छूट को बड़ा लंड फाड़ रहा था.

चाचा: यही आवाज़ के लिए तो तरस गये थे.

मैं बेडशीट खींच रही थी. नोच रही थी उसको दर्द में. इससे पापा का जोश और बढ़ गया था. 40 मिनिट बाद पापा झाड़ गये. छूट में से आधी कटोरी भर वीर्या निकला. अब चाचा ने दूसरी तरफ खीच कर मुझे छोड़ा. चुदाई के बाद मैं खड़ी भी नही हो पाई.

पापा: चल अब डॉगी पोज़िशन में आजा.

मैं खड़ी ही नही हो रही थी. फिर मुश्किल से कुटिया बन पाई. मेरी टांगे काँपने लगी और मैं गिर गयी. तो चाचा ने तकियों और साथ में रखा, और तुबेवेल्ल की पीपे से सेट किया, जिस पर मुझे लिटाया गया. फिर गांद को उठाने के लिए छूट के नीचे चुननी डाल दी. अब दोनो ने मेरी गांद मारी.

अरुणी: बस अब तो छ्चोड़ दो. अया आ आ.

करीब डेढ़ घाटे बाद मेरी चुदाई ख़तम हुई. ये सब यही नही रुका. चाचा तो अब कभी-कभी रसोई में मुझे स्लॅब से लगा कर छोड़ देते थे. धन्यवाद.

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