तो जैसा की मैने लास्ट पार्ट में बताया की पापा और चाचा ने मेरी कोठी पे कैसे जाम कर चुदाई की. मेरी चुदाई रात भर चलती रही. सुबा के लगभग 4 बजे उन्होने मुझे घर भेज दिया. मैं ताकि हारी, बिखरे बाल और बदन पे जगह-जगह लोवे बीते के निशान लिए जैसे-तैसे चोरी चुपके रूम में आ गयी.
रीमा का बच्चा उठा हुआ था, और वो उससे दूध पीला रही थी. रीमा मेरी हालत देख कर हैरान थी. उसने मुझसे सवाल करने चाहे. मगर मैं इतनी ताकि हुई थी, की उसके सवालो को नज़र अंदाज़ करके सो गयी.
सुबा जब मेरी आँख खुली तो सुबा के 11 बाज रहे थे, और सब लोग आँगन में गाना बजाना कर रहे थे. कुछ और नये मेहमान लोग भी आ गये थे.
पापा, चाचा और कुछ परिवार के मर्द लोग एक जगह बैठ कर हूका पी रहे थे. तभी चाचा की नज़र मुझ पर पड़ी. उनके चेहरे पे मुस्कान और आँखों में चमक थी. चाचा मुझे घूरे जेया रहे थे. मानो की उन्हे मौका मिले तो अभी टूट पड़े मुझ पर.
रीमा अभी भी मुझसे रात के बारे में जानना चाहती थी. मगर मैने उसके सवालो का कुछ जवाब नही दिया. फिर मैं तैयार होके नीचे चली गयी, और मैं भी बाकी सब के साथ घुलने मिलने लगी.
तभी चाची ने मेरे हाथो में छाई की ट्रे पकड़ा दी, और चाचा और उनके साथी को दे कर आने को कहा. मैं छाई लेकर चाचा के पास गयी, और सब को छाई देने लगी. मेरे झुकने पर मेरे रिघ्त बूब का लोवे बीते नज़र आ रहा था, जिसे मैं छिपाने के कोशिश कर रही थी. चाचा की नज़र उसी बीते पे थी.
जैसे ही मैं वाहा से सब को छाई देकर फ्री हुई, तो चाचा उठे और मुझे उनकी मदद करने को बुलाया. मुझे मजबूरन जाना ही पड़ा. चाचा घर से निकल कर घर के पीछे चले गये, और मैं उनके पीछे-पीछे गयी. जैसे ही हम गली में पहुँचे चाचा ने मुझे खींचा और मुझे अपनी बाहों में भर कर मेरे बूब्स को अपने दोनो हाथो से मसालने लगे.
मे: चाचा ये क्या कर रहे हो आप? कोई देख लेगा. रात भर तो आपने और पापा ने मेरी चुदाई की है, जिसका दर्द और निशान अभी तक है.
चाचा: तेरे चूचे पे मेरा दिया हुआ दाग देख कर रुका नही गया.
चाचा ने मेरे सूट में से मेरी चूचियाँ बाहर निकली, और उन्हे चूसने लगे. मैं बस इधर-उधर देखे जेया रही थी की कही कोई देख ना ले. चाचा ने मेरी पूरी चूचियाँ चाट कर गीली कर दी, और मेरे निपल्स को दांतो से खींचने लगे, जिससे मुझे दर्द तो काफ़ी हुआ. मगर मज़ा भी उतना ही आ रहा था.
फिर चाचा ने अपने पाजामे से लंड निकाला और मुझे उससे चूसने को कहा. मैं अपनी घुटनो के बाल बैठ गयी, और चाचा का लंड सहलाते-सहलाते चूसने लगी. धीरे-धीरे चाचा का लंड बड़ा होता गया. मैं कोशिश करने पर भी चाचा का लंड पूरा मूह के अंदर नही ले पा रही थी. तभी चाचा ने मेरे बालों को पकड़ा और मेरे मूह को ज़ोरदार तरीके से छोड़ने लगे.
चाचा का हर शॉट पुर गले के अंदर तक जेया रहा था. बीच-बीच में चाचा मेरे गालों पर थप्पड़ भी मारते जिससे मैं और गरम होती जेया रही थी. फिर ऐसे ही कुछ देर चलने के बाद चाचा ने अपना सारा माल मेरे मूह में ही छ्चोढ़ दिया. मेरा मूह उनके माल से इतना भर गया था की मैं पी तक नही पाई, और कुछ माल बाहर गिरना पड़ा.
चाचा तब जेया कर शांत हुए, और उन्होने अपने लंड को पाजामे के अंदर डाला. मैने भी अपने बूब्स को सूट के अंदर डाला. मैं खड़ी हुई और वाहा से जाने ही वाली थी की चाचा ने मुझे रोक लिया और बोले.
चाचा: सुन तुझे मेरा एक काम करना होगा.
मे: अब क्या बचा है?
चाचा: जैसा की तू जानती है की तेरे भैया सोनू की परसो शादी है और वो हमेशा से शर्मीला रहा है. तो तुझे उसको सुहग्रात के लिए रेडी करना है. उसकी होने वाली बीवी के सामने उसकी नाक कटनी नही चाहिए.
मे: ये आप क्या बोल रहे हो. सोनू भैया है मेरे.
चाचा: कों सा सागा भैया है. अपने बाप से चुड सकती है तो वो तो फिर भी तेरे चाचा का बेटा है.
मे: मैं ये नही कर सकती.
चाचा (ईविल स्माइल देते हुए): छ्होटे (मेरे पापा) बोलेगा तो करेगी ना?
चाचा ने तुरंत पापा को फोन लगा कर सारी बात बता दी, और मुझे बात करने को फोन थमा दी.
मे: हेलो! पापा.
पापा: साली रंडी, तेरी हिम्मत कैसे हुई भैया को माना करने की?
मे (घबराते हुए: सॉरी पापा.
पापा: वो जैसा बोलते है, चुप-छाप बिना कोई सवाल किए करती जेया.
इतना कह कर उन्होने फोन कट कर दिया.
चाचा: अब तो करेगी ना?
मैने सिर झुका कर हामी भारी और वाहा से जाने लगी. चाचा ने मेरी गांद पे थपकी दी मगर मैं नही रुकी और वाहा से निकल आई. घर में भी मैं सबसे अलग-थलग बैठी थी और सोच रही थी की अब ये किस तरह से करूँगी. तभी मैने पहले बार सोनू भैया को उस नज़र से देखा.
सोनू भैया मुझसे 8 साल बड़े थे. वो काफ़ी इंट्रोवर्ट टाइप के थे. अक्सर बहुत कम ही बात किया करते थे. धीरे-धीरे शाम हो गयी और सब घर वाले सो गये. मैने जान-बूझ के लो क्लीवेज वाला सूट पहन लिया. रीमा मुझे तैयार होते देख रही थी. मगर उसने कुछ नही बोला. मैं सोनू भैया के रूम की तरफ जेया ही रही थी, की चाचा ने मुझे रोक लिया.
चाचा: वाह! बिल्कुल गाओं की रंडी लग रही है तू.
मैने कुछ जवाब नही दिया. सिर्फ़ सिर नीचे करके खड़ी रही. चाचा ने मेरे सिर पर घूँघट डाल दी, और मेरे हाथ में दूध का ग्लास पकड़ा दिया और उसमे कुछ दवाई मिला दी.
चाचा: दर्र मत, इससे उसके अंदर का जानवर बाहर आ जाएगा. उसे भी तो ये सुहग्रात जैसी लगे.
मैं बिना कुछ कहे वाहा से आयेज बढ़ी और भैया का दरवाज़ा खटखटाया. भैया अभी सोए नही थे. उनके दरवाज़ा खोलते ही मैं अंदर जेया कर बेड पे किसी दुल्हन की तरह बैठ गयी. भैया हैरान रह गये.
भैया: अब ये किस तरह का मज़ाक है?
मे: मज़ाक नही है ये. आपकी प्रॅक्टीस है.
भैया: कैसी प्रॅक्टीस?
मे: की कल आप भाभी को खुश रख सकते हो या नही. वैसे भी आप पे मुझे बचपन से क्रश था. बस मौका नही मिल पा रहा था. अब ये आखरी मौका है, फिर परसो से तो आप किसी और के हो ही जाओगे.
कुछ बातें मुझे बना के भी बोलनी पड़ी. क्यूंकी मैं ये तो नही बोल सकती थी की मेरे चाचा और पापा ने ही मुझे यहा चूड़ने भेजा था.
भैया: ये तू क्या कह रही है? मुझे कुछ समझ में नही आ रहा.
मे: आप बस ऐसा मान लो की मैं आज रात के लिए आपकी बीवी. लो ये दूध पी लो.
भैया कन्फ्यूज़ थे, मगर थे तो मर्द ही. भैया दूध पीने लगे और मैं उनकी पंत के उपर से उनका लंड सहलाने लगी. उनका लंड धीरे-धीरे सख़्त होने लगा. शायद दूध भी अपना कमाल दिखा रहा था. जब भैया का लंड पूरी तरह से सख़्त हो गया, तब जेया कर मुझे उसकी लंबाई का अंदाज़ा हुआ.
भैया का लंड 7 इंच ही लंबा था, मगर मोटा बहुत था. इतना की मेरे हाथो से ठीक से पकड़ तक नही पा रही थी. वो धीरे-धीरे अपने होंठ मेरे करीब लाने लगे. मैं समझ गयी की भैया अब मेरे वॉश में है.
फिर मैं भी उन्हे परेशन करते हुए खुद को पीछे करने लगी. भैया ने एक बार में मेरी कमर पर हाथ घुमाया और मुझे खीच कर अपने पास ले आए. फिर मेरे बालों को एक हाथ से खीचा, और मेरी आँखों में देख मुझे किस करने लगे.
भैया की इतनी ताक़त देख कर मैं गीली होने लगी. भैया की ग्रिप भी काफ़ी मज़बूत थी. मुझे टॅस से मास नही होने दे रहे थे. भैया ने दोबारा मेरा हाथ अपने लंड पे ले जेया कर उन्हे सहलाने का इशारा किया, और वो खुद मेरे बूब्स को मसालने लगे. मैं गीली होने लगी. मैं धीरे-धीरे भूलती जेया रही थी की ये इंसान मेरा भाई था.
भैया ने मेरे सूट पर हाथ जमाया और एक झटके में फाड़ दिया. भैया की ताक़त देख मैं और गीली हो गयी. मैने भैया की त-शर्ट उतरी. भैया मेरे दोनो बूब्स को हाथो में पकड़ कर एक-एक करके चूस रहे थे.
फिर भैया ने मुझे बेड पे फेंक दिया, और मेरे पाजामे का नाडा खोलने लगे. भैया से नाडा नही खुला तो उन्होने सिलाई पकड़ कर पाजामे को दो टुकड़ो में फाड़ दिया. फिर भैया ने मेरी छूट में उंगली करना शुरू किया.
मैं वैसे ही गीली थी, और गीली हो गयी. भैया के रूम से आवाज़ बाहर ना जाए, इसलिए मैं एक तकिये से मूह दबा कर मोन करने लगी. भैया मेरी छूट से निकलता सारा पानी चाट जाते.
फिर एक-दूं से भैया ने मेरी दोनो टांगे हवा में उठा कर फैला दी. मैने देखा तो भैया का लंड एक-दूं कड़क छोड़ने के लिए तैयार था. भैया ने लंड मेरी छूट पे सेट किया, और धीरे-धीरे झटके से अंदर डालने लगे.
भैया का लंड इतना मोटा था की मानो दो लंड एक साथ ले रही थी. उनका लंड एक-दूं मेरे ग-स्पॉट पर हिट हो रहा था. खुद को मोन करने से रोकना काफ़ी मुस्किल हो रहा था. भैया झुक के मेरे बूब्स पे अपनी ज़ुबान फेरने लगे. मैने अपने बिखरे बूब्स को इकट्ठा कर एक जगह समेत लिए, और भैया के बालों में अपने हाथ फेरने लगी. भैया को मेरे शरीर पे पिछली रात के लोवे बीते दिख रहे थे.
भैया: और कितनो से चुड़वति है जो इतने निशान है तुझपे?
मैं शर्मसार चुप-छाप पड़ी रही. मैने कुछ नही बोला. भैया ने फिर मेरी दोनो टांगे अपने कंधो पर रख ली, और मेरी जांघों को हाथो से जाकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से छोड़ने लगे.
मे: भैया आराम से. इतना मोटा लंड नही ले पौँगी.
भैया ने कुछ जवाब नही दिया और स्पीड बढ़ते चले गये.
मे: भैया, प्लीज़ आराम से भैया. दर्द हो रहा है, आअहह. भैया.
मेरी बातें मानो भैया को सुनाई ही ना दे रही हो. भैया ने बिल्कुल स्पीड कम नही की. मैने ही एक तकिया लेकर अपने मूह को कवर कर लिया ताकि चीखे बाहर ना जाए. कुछ देर बाद भैया ने मुझे घोड़ी बनने को कहा. मैं दर्द से बहाल थी मगर क्या करती.
जैसे-तैसे मैं घोड़ी बनी. फिर भैया ने मेरे बालों को अपनी मुति पे लपेटा और ज़ोर से खींचा. मेरी ज़ोर की चीख निकल आई. फिर भैया ने अपने दूसरे हाथ से मेरा मूह बंद किया, और मेरी चुदाई शुरू की.
मुझे ऐसा लग रहा था की मेरी छूट ही फॅट जाएगी. मेरा पूरा चेहरा लाल हो गया था. दर्द से मेरे आँसू निकल आए थे, मगर भैया का लंड एक-दूं मेरे ग-स्पॉट पे लग रहा था, जिससे मेरी छूट बिल्कुल गीली हो चुकी थी.
मॅन भर के छोड़ने के बाद भैया अपना लंड मेरे मूह के पास लाए, और सारा माल मेरे चेहरे पे गिरा दिया. मेरा चेहरा भैया के माल से धक चुका था. मैं तक के चूर-चूर हो चुकी थी. लगभग 2 घंटे मेरी चुदाई चली थी.
मेरे कपड़े भी फॅट चुके थे. मैं ताकि हारी उठी और भैया की ही एक लोग त-शर्ट पहन कर उनके रूम से निकल गयी. मेरे चेहरे पे पड़ा भैया का माल अभी भी ठीक से सॉफ नही था. रूम से निकलते ही चाचा और पापा ने पकड़ लिया. मेरी हालत देख कर ही वो साँझ गये थे की टेन्षन की कोई बात नही थी. भैया अपनी बीवी को खुश रख लेंगे.
चाचा ने मुझे शाबाशी दी, और मैं अपने कमरे में जेया कर उसी हाल में सो गयी. भैया के बीवी की सुहग्रात वाली रात की मोनिंग पाइयर घर वालो ने सुनी.
तो दोस्तों कैसी लगी आपको ये स्टोरी. मुझे कॉमेंट्स में ज़रूर बताए. अगर आपकी भी कोई फॅंटेसी हो इस कॅरक्टर को लेकर, तो वो भी मुझे कॉमेंट्स में बताए.