बेहन ने अपने भाई से चूड़ने को जायज़ ठहराया

हेलो फ्रेंड्स, पहले पार्ट में मैने आपको बताया की कैसे मेरा और मेरी बेहन का सेक्स मिलन हुआ, और उसके बाद वो अपने रूम में जेया कर अपने बच्चो के पास सो गयी.

अब आयेज…..

अगले दिन भी जब भी ज्योति के बच्चे सोते, तो हम मौका नही छ्चोढते. हमने काई पोज़िशन्स में सेक्स किया. फिर उसी दिन शाम को हमारे मा-बाप वापस आ गये. ज्योति अब उदास हो गयी थी. मा ने पूछा तो ज्योति ने कहा-

ज्योति: कुछ बात नही है.

पर अब हम और सेक्स नही कर सकते थे. फिर अगले दिन ज्योति अपने बच्चो को लेके वापस अपने घर चली गयी. अब मेरा भी मॅन नही लग रहा था. मा ने मुझसे भी पूछा तो मैने भी बात ताल दी.

फिर कुछ दिन बाद ज्योति फिरसे एक दिन का प्लान बना कर आई, क्यूंकी उसको पता लग गया था की उस दिन मा ने अपनी सहेली के घर सत्संग में जाना था. पापा उस दिन बिज़्नेस तौर से देल्ही गये थे.

ज्योति को पता था की मा ने 3 बजे अपनी सहेली के घर जाना था. इसलिए उसने उससे पहले ही अपने बच्चो को सुला दिया. अब मा जाने की तैयारी कर रही थी. मा ने जाते वक़्त कहा की वो 7 बजे तक आएँगी.

मा के जाते ही मैने ज्योति को बाहों में उठाया, और उसको अपने रूम में ले गया. ज्योति ने मेरे कपड़े उतारे, और मैने उसके. हमने खूब एक दूसरे को चूसा और ज़ोरदार चुदाई की.

हम 2 बार चुदाई कर चुके थे. वक़्त भी करीब 5:30 हो गया था. फिर ज्योति नहाने चली गयी और मैं भी उसके पीछे चला गया. हम एक साथ नहाए. फिर रूम में आ कर तैयार हो गये.

ज्योति किचन में छाई बनाने चली गयी. वक़्त 6 बाज गये थे. मा के वापस आने में अभी एक घंटा बाकी था. तो मैं भी किचन में ज्योति के पीछे जाके खड़ा हो गया.

मैने पीछे से ज्योति का टॉप उपर चेस्ट तक उठाया और उसके बूब्स के साथ खेलने लगा. हमने ये ध्यान ही नही दिया की हमने घर का दरवाज़ा लॉक नही किया था.

जब मैं किचन में ज्योति के बूब्स के साथ खेल रहा था, अचानक से मा किचन में आ गयी और उसने मुझे और ज्योति को इस हालात में देख लिया. मा बहुत गुस्से में चिल्लाई-

मा: ये सब क्या हो रहा है?

ज्योति ने जल्दी से अपना टॉप ठीक किया, और हम चुप-छाप खड़े रहे. मा बहुत गुस्से में बोलती रही.

मैं बिना कुछ कहे किचन से बाहर चला गया, और अपने रूम में जेया कर बैठ गया. ज्योति किचन में मा को सॉरी बोलने लगी. पर मा बिना कुछ सुने गुस्से में बोलती रही. फिर मा लॉबी में आके सोफे पे बैठ गयी और रोने लगी.

ज्योति आके मा के पैरों में बैठ गयी, और माफी मांगती रही. कुछ देर में मा शांत हो गयी और ज्योति से पूछा-

मा: ये सब कब से चल रहा है और क्यूँ?

ज्योति ने बताया: ये पिछली बार जब आप अंबाला गये थे, तब पहली बार हुआ था, और आज दूसरी बार.

मा ने फिर पूछा: क्यूँ?

तो ज्योति ने रोते हुए कहा: मा मैं अपने घर पे बहुत परेशन हू. मेरे पति को भी मुझमे कोई दिलचस्पी नही है. उसके दिल में मेरे लिए कोई प्यार नही है. जब मेरे साथ सेक्स भी करता है, तो ऐसे करता है जैसे मुझे खरीद के लाया हो. मुझे गालियाँ देता है, उसके दिल में मेरे लिए ना तो प्यार है, और ना ही इज़्ज़त.

फिर ज्योति ने कहा: बताओ मैं जौ तो कहा जौ? मेरा तो मॅन करता था की मैं मॅर ही जौ. वो तो अब भाई से प्यार मिलने के बाद मुझे दोबारा जीने का मॅन कर रहा है. बताओ मा, मैं क्या करू?

और वो रोने लगी.

मा भी ये सब सुन कर रोने लगी, और ज्योति को गले से लगा लिया. मैं ये सब अपने रूम से सुन रहा था. फिर मा ने ज्योति से कहा-

मा: चाहे तुम परेशन हो, पर अपने भाई के साथ ये सब करना भी तो सही नही है.

फिर ज्योति ने कहा: मा तो तुम क्या चाहती हो, की मैं बाहर किसी से ये प्यार का सुख लू? और वैसे भी बाहर अगर किसी के साथ मेरा ऐसा रिश्ता हो, तो वो तो मुझे इस्तेमाल करके छ्चोढ़ सकता है. या तो मुझे ब्लॅकमेल भी कर सकता है. ऐसे में तो मेरा घर खराब भी हो सकता है.

ज्योति: भाई के साथ अगर मैने ऐसा किया, तो मुझे ये विश्वास है की वो कभी मेरा नुकसान नही करेगा. और वैसे भी भाई के साथ मुझे सकचे प्यार का भरोसा है. और ये बात घर में ही है, बाहर किसी को पता भी नही लगेगी.

फिर मा कुछ देर शांत रही, और बोली: बेटा, फिर भी मुझे ये सब ठीक नही लग रहा.

और फिर मा अपने रूम में चली गयी. ज्योति भी बिना मुझसे कुछ कहे कॅब करके वापस अपने घर चली गयी. एक हफ़्ता ऐसे ही निकल गया. मैं और मा एक-दूसरे से कोई बात नही कर रहे थे, और ना ही एक-दूसरे से नज़र मिला रहे थे.

फिर एक हफ्ते बाद मैने ज्योति को फोन किया और उसका हाल पूछा. वो रोने लगी और बोली-

ज्योति: मुझे कुछ समझ नही आ रहा की मैं क्या करू.

उसने मुझसे पूछा: क्या मा ने तुझसे कुछ कहा?

तो मैने बताया: हम तो एक-दूसरे से बात ही नही कर रहे.

फिर अगले दिन ज्योति दोबारा हमारे घर आई. वो मा से मिल कर बहुत रोई, और मा को कहा-

ज्योति: आप और भाई एक-दूसरे से बात क्यूँ नही कर रहे?

तो मा ने कहा: क्या बात करू मैं तेरे भाई से? वो तो तुझसे बड़ा है. उसको तो ये सब समझना चाहिए था. वो ये सब कैसे कर सकता है.

तो ज्योति ने कहा: मेरी वजह से आप भाई से नाराज़ ना हो. अगर आपको हमारे प्यार से इतनी परेशानी है तो मैं आज के बाद यहा नही अवँगी, और खुद घुट-घुट के मॅर जौंगी.

ये सुन के मा रोने लगी और ज्योति को गले से लगा के कहा-

मा: ऐसा मत बोल बेटा, सब ठीक हो जाएगा.

तो ज्योति ने कहा: कैसे ठीक होगा? आपके दोनो बच्चे एक-दूसरे के साथ ऐसे खुश है, और आप ये समझना ही नही चाहते हो.

तो मा ने कहा: अगर समाज को ये सब पता लगेगा तो हम सब कैसे जियेंगे?

ज्योति ने कहा: समाज को कों बताएगा. क्या आप सब को जाके बताओगे ये सब?

ये सब इस घर में ही रहेगा, बाहर किसी को कुछ नही पता होगा. मा शांत रही.

फिर मा ने कहा: मैं तो यही चाहती हू की मेरे बच्चे खुश रहे. पर ध्यान रखना, इस घर की इज़्ज़त पे कोई दाग ना लगे.

ज्योति ने मा को गले से लगाया. फिर ज्योति ने मुझे बुलाया और मैने जाके मा से सॉरी कहा. मा ने मुझे गले से लगाया.

अब सब ठीक हो गया था. शाम को पापा ने एक दिन के बिज़्नेस तौर से देल्ही जाना था. इसलिए ज्योति ने हमारे यहा ही रुकने का सोचा. पापा शाम को घर आए और अपना बाग पॅक करके करीब 5 बजे घर से चले गये. आज मा, ज्योति और मैने एक साथ डिन्नर किया.

डिन्नर के बाद ज्योति ने अपने बच्चो को मा के रूम में मा के साथ सुला दिया. बच्चो के सोने के बाद ज्योति ने मा से कहा-

ज्योति: मैं थोड़ी देर में आती हू.

मा समझ गयी की ज्योति मेरे रूम में आएगी, पर मा ने कुछ नही कहा.

ज्योति फिर मेरे रूम में आई, और रूम को अंदर से लॉक कर लिया. हम दोनो बहुत खुश थे. हमने अपने कपड़े उतारे, और एक-दूसरे को प्यार करना शुरू किया.

हमने पूरी रात में 3 बार सेक्स किया और नंगे ही एक-दूसरे से चिपक कर सो गये. सुबा मा ने हमारे रूम का दरवाज़ा नॉक किया तो हमारी आँख खुली.

हम जल्दी से कपड़े पहन के रूम से बाहर आए. सुबा के 10 बाज चुके थे. मा अब किचन में थी, और नाश्ता बना रही थी. हमने साथ में नाश्ता किया.

फिर नहा के तैयार हो गये. मैं ज्योति और उसके बच्चो को लेके अपनी कार से निकला, और उनको उनके घर छ्चोढ़ के अपने ऑफीस चला गया.

रात को जब वापस घर आया, तो पापा भी आ चुके थे, और मा भी अब मेरे साथ नॉर्मल थी. पर जब मुझसे बात करती तो मुझे मा की आवाज़ में कुछ बदलाव लगा की जैसे मा के मॅन में अभी भी कुछ शिकायत थी.

पर मैने इग्नोर किया ये सोच कर की धीरे-धीरे पूरी तरह नॉर्मल हो जाएगा.

अब आयेज की कहानी नेक्स्ट पार्ट में बतौँगा.

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