हेल्लो दोस्तों, मेरा नाम मोहित है और मै कानपूर का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र लगभग 18 साल है। मै इंटर में पढ़ रहा हूँ। मै एक प्राइवेट कॉलेज में पढता हूँ और वहां की पढाई बहुत अच्छी है। आज मै आप सभी को अपने जिन्दगी की जबरदस्त चुदाई को सुनाने जा रहा हूँ। जहाँ मै पढता हूँ वहां बहुत सी हॉट हॉट लड़कियां पढ़ती है। जिनको देखने के बाद मन तो करता है की उनकी खूब चुदाई करू लेकिन ये उसकी के साथ में होता है जो दिखने में थोडा स्मार्ट और पैसे वाले होते है। मै देखने में ज्यादा स्मार्ट नही हूँ लेकिन पढने में बहुत ही तेज हूँ। मुझसे केवल पढने वाली लड़कियां ही बात करती है। मैंने अपनी जन्दगी में केवल एक ही लड़की को चोदा है। और मेरे घर के बगल में रहती थी। वो देखने में बहुत ही हॉट थी, और पढने में भीअच्छी थी। इसलिए वो मुझसे बात करती थी जब भी उसको कोई भी प्रॉब्लम में होती थी पढाई में तो मेरे पास आती थी। धीरे धीरे हम दोनों पास आ गए और फिर जब हम फिर जब मैंने उसको प्रपोस कर दिया तो उसने भी हाँ कर लिया और फिर कुछ दिनों के बाद जब मुझको मौका मिला तो मैंने उसकी खूब चुदाई की। उसको भी मुझसे चुदवाने में मज़ा आया। कुछ दिन तक मैंने उसकी खूब चुदाई की फिर धीरे धीरे मेरी उससे छोटी छोटी बात पर लड़ाई होने लगी और फिर कुछ दिनों बाद मेरा उससे ब्रेकअप हो गया।
ब्रेकअप के बाद मै फिर कुछ दिनों तक मेरी किसी से सेटिंग नही हुई जबी मै इंटर में गया तो मेरे साथ में प्रिंसपल की लड़की भी पढ़ती थी उसका नाम प्रियांशी था। वो देखने में बहुत ही मस्त लगती थी। उसका चेहरा देखने में छोटा था और बड़ी बड़ी आंखे और लाल लाल होठो और भरा हुआ गाल। उसकी चूची तो काफी गजब की लगती है, ड्रेस में उसकी चूचियां तो पूरा उभरा हुआ रहता और उसकी चूची की निप्पल तो उठी रहती थी। जब मै उसको देखता था तो सोचता था अगर मुझे मिल जाये तो खूब चुदाई करू। मै पढने में तेज था तो वो मुझसे बात करती थी। कभी कभी तो वो मेरे पास में ही बैठ जाती थी। तो मेरे मन में तो उसकी ही चुदाई के बारे में ही सोचता रहता था। जब वो मेरे बगल में बैठती थी तो मै जान कर ही अपने पैर को हिलाया करता था जिससे मेरे पैर उसके पैर में लग जाता था। वो मुझसे कहती थी तुम अपने पैर को क्यों हिलाया करते हो। ये एक तरह की गन्दी आदत है। मैंने उससे एक दिन कहा – तुम्हारा कोई BF है? तो उसने कहा – हाँ तुम ही तो हो। तो मैंने कहा मै तुम्हारा BF कब बना?? तो उसने कहा अरे यार BF मतलब बेस्ट फ्रेंड, बॉयफ्रेंड नहीं। हम दोनों हसने लगे। धीरे धीरे समय बीत रहा था। हम कुछ ज्यादा ही पास आने लगे थे, जब तक बात नही करते थे तो लगता था कि पूरा दिन खाली निकल गया हो। जब हम दोनों बात करते थे तो सारे लड़के देखते थे कि मेरी उससे दोस्ती कैसे हो गई। एक दिन मै क्लास में बैठा था उसने मुझे बात नही किया, जाब छुट्टी हुई तो मैंने उससे पूछा क्या हुआ?? तो उसने कहा यार किसी टीचर ने झूठ झूठ में पापा से कह दिया कि मेरी और तुम्हारी सेटिंग चल रही है और मै तुमसे हमेसा बात करती हूँ। तो मैंने पापा से कहा – “वो केवल मेरा दोस्त है वो पढने में बहुत तेज है इसीलिए मै उससे बात करती हूँ। और कोई बात नहीं है। लेकिन पापा नही मने और मुझसे कहा तुम उससे बात मत करना। तो मैंने कह दिया ठीक है”।
मैंने उससे कहा – “तुम चाहो तो नम्बर ले लो कोई कम हो तो मुझे फोन कर लेना”। तो उसने कहा – हाँ ये ठीक रहेगा। मैंने उसको अपना नम्बर दे दिया। अब हमारी बात फोन से होने लगी। धीरे धीरे हम थोड़ी गन्दी गन्दी बाते भी करने लगे। सबके सामने तो हम नही बोलते थे लेकिन फोन पर खूब बातें करते थे हम। धीरे धीरे कुछ दिन और बीता एक दिन मैंने फोन पर उसको प्रपोस कर दिया और उसने भी तुरंत हाँ कर लिया। और मुझसे कहा – “मै तो तुम्हे बहुत पहले से लाइक करती हूँ लेकिन मुझे लग रहा था की हो सकता हो तुम किसी और को लाइक करते हो”। तो मैंने कहा – “मुझे भी यही लग रहा था कि हो सकता हो तुम किसी और को लाइक करती हो, मै देखने ज्यादा स्मार्ट नही हूँ ना इसीलिए मै नही बोल रहा था। लेकिन मैंने सोचा जो दिल में है उसे कह देना चाहिए। इसीलिए मैंने प्रपोस कर दिया”। अगले दिन जब प्रियांशी कॉलेज आई तो मैं उसको चुपके से टॉयलेट में ले आया और मैंने उसके होठो को बहुत देर तक चूसा। मैंने उसको रसीले होठो को पीते हुए उसकी मुलायम और कमसिन चूचियो को भी बहुत देर तक दबाया। और फिर हम वहां से चले आये। कुछ दिन बाद उसने कहा – “यार तुम्हारा कुछ और करने को नही कर रहा है”। तो मैंने कहा – “मेरा मन तो बहुत कुछ करने को कह रहा है लेकिन कहीं जगह नही है इसीलिए मैंने तुमसे उसके बारे में कुछ नही कहा”। प्रियांशी ने कहा – “मेरी एक फ्रेंड है उसकी मम्मी है नहीं और पापा तो सुबह ही चले जाते है वो घर में अकेली रहती है तुम चाहो तो हम वहां मिल सकते है”। मैंने कहा – “ठीक है तुम उससे बात कर लो तो उसने कहा मैंने पहले ही उससे बात कर लिया है”। उसने मुझसे कहा – “मै कल कॉलेज नहीं जाउंगी और घर पर बोल बता कर चली आउंगी। और सबसे बड़ी बात तो ये है की मेरे घर वाले मेरी सहेली और पापा उसके पापा को बहुत अच्छी तरह से जानते है इसीलिए कोई दिक्कत भी नहीं होगी”।
दूसरे दिन मै प्रियांशी के बताये पाते पर पहुंचा, वो पहले से ही वहां पहुची थी। मै अंदर आ गया, उसका घर काफी अच्छा था। कुछ देर उसके फ्रेंड से बातें करने के बाद उसकी फ्रेंड ने हम दोनों को अपने कमरे में भेज दिया। मै और प्रियांशी दोनों कमरे में बैठे हुए पहले कुछ देर बातें करते रहे, कुछ देर बाद मैंने उसके हाथो को पकड लिया और उसके गोर हाथो को चुमते हुए मै उसके गले से होते हुए उसके होठो तक पहुँच गया। मैंने कुछ देर उसके भरे हुए गल को काटते हुए चूम रहा था, और कुछ देर बाद मैंने पहले उसके निचले होठो को चुमते हुए उससे किस करने लगा। धीरे धीरे हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर किस करने लगे। उसकी चूचियां मेरे सिने में दबी हुई थी और उसके होठो मेरे मुह में थे। वो भी मेरे होठो को चूस रही थी और जैसे जैसे हमारा जोश बढ़ रहा था, हम दोनों एक दूसरे के होठो को जोश में काटने लगे थे। काफी मज़ा आ रहा था, मैं उसे किस करते हुए धीरे धीरे अपने हाथो को उसकी चूचियो के पास ले गया और उसको दबाने लगा। और कुछ देर बाद मैंने अपने हाथ को उसकी टॉप के अंदर डाल दिया और उसके होठो को काटते हुए उसकी चूचियो को भी मसल रहा था। कुछ देर बाद मै इतने जोश में आ गया की मै उसके होठो को जोर जोर से काटने लगा। और चूचियो को भी जोर जोर दबाने लगा जिससें प्रियांशी जोर जोर से सिसकते हुए मेरे होठ को काटने लगी।
बहुत देर तक हम एक दूसरे के होठ को चूसते रहे। कुछ देर बाद जब मै बहुत ज्यादा कामोत्तेजित हो गया तो मैंने जल्दी से अपने और प्रियांशी के कपड़ो को निकाल दिया और पहले मैने उसकी पैंटी को चुमते हुए उसको निकल दिया और फिर मैंने अपने लंड को निकाल लिया और उसको बेड पर लिटा दिया।और उसकी चूत को चोदने के लिए उसकी चूत में लगाने लगा। तो उसने कहा – “यार तुम मेरे चूचियो को नहीं पियोगे?? तो मैंने कहा – “हाँ क्यों नही लेकिन पहले चुदाई क्योकि मै बहुत जोश में हूँ और मेरे दिमाग में केवल चुदाई के बारे ही चल रहा है, इसलिए पहले चुदाई फिर बाद में और सब”। मैंने मैंने उसके टांगो को उठा दिया और अपने अपने लंड को उसकी चूत के छेद में लगा कर पहले धीरे से डालने लगा। उसकी चूत काफी टाइट थी जिससे उसको दर्द हो रहा था, तो वो अपने मुह से थोडा सा थूक लगा कर अपने चूत में लगाने लगी और मै अपने लंड को उसकी चूत में डालने लगा। मेरा मोटा लंड कुछ ही देर में उसकी चूत के गहरे में जाते हुए उसकी चूत को ढीली करने लगा। मै उसको धीरे धीरे तेजी से चोदने लगा मै जल्दी जल्दी अपने लंड को उसकी चूत में डालता और निकालता जिससे उसकी चूत बार बार खुल और बंद हो रही थी और प्रियांशी जोश में एक हाथ से अपने मम्मो को दबा रहा थी और उसके दूसरे हाथ से अपनी चूत को मसल रही थी क्योकि मेरे मोटे लंड से उसकी चूत फैलती जा रही थी। फिर मै अचानक जोर जोर से इतनी जोर से धक्के देने लगा की मुझे लगा की जमीन ही खिसक जाएगी। उसके सहेली के घर में चट चट चट का शोर बजने लगा।
“…अई.अई..अई..अई..इसस्स्स्स्स्स्स्स्..उहह्ह्ह्ह…ओह्ह्ह्हह्ह…चोदोदोदो…मुझे और कसकर चोदोदो दो दो दो” वो कहने लगी। और वो अपने कमर को उठाते हुए मुझसे चुदवाने लगी। उसे मेरी चुदाई से काफी मज़ा मिल रहा था। जब मै उसको चोदने के लिए अपने लंड को उसकी चूत में डालता तो वो भी अपने गांड को मेरे कमर में लड़ा देती थी जिससे मेरा लंड उसकी चूत के अंदर तक जा रहा था, और सिसक रही थी। ये उसकी चुदाई और गहरी ठुकाई का मीठा शोर था। इस ध्वनि से पूरा घर पवित्र हो गया था। लेकिन जब कुछ देर बाद मै और तेजी से उसकी चुदाई करने लगा तो वो चीखने लगी। लेकिन मैंने अपनी चुदाई नही रोकी मै लगातार उसको चोदा रहा था जिससे वो अपनी चूत को मसलते हुए जोर जोर से.आआआआअह्हह्हह..ईईईईईईई.ओह्ह्ह्हह्ह.अई..अई..अई..अई..मम्मी…मम्मी.मम्मी..सी सी सी सी.. हा हा हा …ऊऊऊ ..ऊँ..ऊँ.ऊँ.उनहूँ उनहूँ…ही ही ही ही ही…अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह.. उ उ उ..प्लीसससससस….प्लीसससससस, उ उ उ उ ऊऊऊ ..ऊँ..ऊँ.ऊँ. माँ माँ..ओह माँ…” इतनी कभी तेज चोदने को नही कहा था। आराम से बहुत दर्द हो रहा है। ऐसा लाग रहा था की उसकी चूत फट जायेगी लेकिन मै कुछ ही देर में झड़ने वाला था, इसलिए मैंने अपने लंड को उसकी चूत से बाहर निकाल लिया और तेजी से मुठ मारने लगा। और कुछ ही देर में मेरे लंड से मेरा माल निकलने लगा। जब मेरा माल निकल गया तो कुछ देर में मेरा लंड भी ढीला हो गया। मेरा जोश तो कम हो गया था लेकिन प्रियांशी का जोश अभी भी कम नही हुआ था।
उसने मुझसे कहा – मेरा मन अभी नही भरा है क्या तुम मेरी चूत में उंगली कर सकते हो और उसको पी सकते हो?? मैंने उससे कहा – हाँ अभी तो बहुत कम बाकि है। पहले तो मैंने उसके जाली दार नीले ब्रा को निकाल दिया और उसकी चूचियो को मसलने लगा और साथ में मै उसके मम्मो को भी पीने लगा। प्रियांशी को मज़ा आ रहा था। जब मै उसकी चूचियो को दबाते हुए पी रहा था, तो अपने बुर को मसलते हुए अपने चूत में उंगली कर रही थी। मै उसकी चूचियो को पीते हुए अपने हाथ को उसकी कमर पर सहला रहा था जिससे वो और भी मचल रही थी। जब कुछ देर बाद मेरे अंदर भी जोश आने लगा तो मैं उसकी चूचियो को बड़ी मस्ती में पीने लगा और कभी कभी तो मै उसकी चूचियो को काटने लगता जिससे वो सिसकने लगती थी।
कुछ देर तक उसकी चूचियो को पीने के बाद मैंने उसकी चूत पर हाथ रखते हुए उसकी कमर को सहलाते हुए मै अपने उंगलियो को उसकी चूत में डालने लगा। उसकी चूत में जब मेरी उंगलियां जाती तो वो और भी कामातुर हो जाती। कुछ देर में मै जल्दी जल्दी उसकी चूत में उंगली करने लगा और उसके चूत के दाने को भी अपने हाथो से हिलाने लगता और दबाने लगता। जिससे वो पागल होने लगती थी और अपने चूचियो को मसलने लगती थी। कुछ देर में मै अपनी तीन उंगलियो को उसकी चूत में डालने लगा। जिससे कुछ ही देर में उसके चूत से पाने निकलने लगा। और वो तडपने लगी मै और भी तेजी से उंगली करने लगा जिससे उसकी चूत से काफी पानी निकला।
पानी निकलने के बाद मैंने मैंने उसकी टांगो को फैला दिया और उसकी चूत को कुत्ते की तरह चाटने लगा। जब मै उसकी चूत के दाने को चाटता तब उसको बहुत मज़ा आता। मै अपने जीभ को उसकी चूत में भी डाल देता था। और कभी कभी तो मै अपने दांतों से उसके चूत कर दाने को खीचने लगता था जिससे वो चीखने लगती थी। बहुत देर तक उसकी चूत को पीने के बाद फिर से मेरा लं खड़ा हो गया था और प्रियांशी भी फिर से चुदवाना चाहती थी तो मैंने उसको फिर से एक राउंड चोदा। इस तरह से मैंने प्रिंसपल की बेटी को चोदा। चुदाई के बाद जब हम बाहर निकले तो उसकी फ्रेंड कहीं दिख नही रही थी। जब हम किचन में गए तो देखा वो हमारी चुदाई के बारे में सोच कर अपने चूत में उंगली कर रही थी।