किरायेदार आंटी को ब्लू फिल्म दिखाई

हैल्लो दोस्तों, में पंजाब का रहने वाला हूँ और मुझे पर सेक्सी कहानियों को पढ़ना बहुत अच्छा लगता है और आज में भी अपनी एक सच्ची कहानी को आप लोगों के लिए लेकर आया हूँ। मुझे उम्मीद है कि यह आप सभी को जरुर पसंद आएगी। दोस्तों यह बात आज से करीब दो साल पहले की है जब हमारे घर में एक नये किरायेदार रहने आए थे। उस अंकल का नाम राजेश आंटी का नाम सुनीता और उनके एक लड़का था उसका नाम विक्की था, जो उस समय 6 क्लास में पढ़ता था। दोस्तों मेरी वो आंटी दिखने में बहुत ही सेक्सी थी और उनका रंग गोरा बदन भरा हुआ गठीला था और देखने पर वो अपने शरीर से लगती नहीं थी कि वो शादीशुदा है, वो किसी कुंवारी लड़की की तरह दिखती थी और मेरे मन में पहले दिन ही अपनी आंटी को देखकर कुछ कुछ होने लगा था और में हमेशा किसी अच्छे मौके की तलाश में रहता था। दोस्तों हमारे घर में मेरी माँ और में बस हम दोनों ही रहते है और शुरू से ही मैंने आंटी की तरफ अपना पूरा ध्यान दिया, क्योंकि वो मुझे बहुत अच्छी लगती थी और उनका व्यहवार हंसकर बात करने का तरीका मुझे बड़ा पसंद था या सीधे सीधे कहूँ तो वो मुझे मन ही मन भा गई थी। दोस्तों करीब दो महीने के बाद एक दिन मेरे जीवन में ऐसा ही मोड़ आया जब मेरी अच्छी किस्मत से उस दिन मेरी माँ घर में नहीं थी और उस दिन गरमी भी बहुत तेज थी। दोपहर के समय में अपने कॉलेज से वापस घर आ गया और फिर में अपनी हॉट सेक्सी आंटी के पास अपने घर की चाबी लेने चला गया, क्योंकि मुझे मेरी मम्मी ने पहले से ही कह दिया था कि में चाबी तेरी आंटी के पास छोड़ दूंगी तो तू उनसे ले लेना।

फिर जब में अपने घर पहुंचकर आंटी के पास गया तो उस समय वो अपने कमरे की साफ सफाई कर रही थी और मेरी तरह उस समय वो भी पूरे घर में बिल्कुल अकेली थी। उन्होंने उस समय सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट पहना हुआ था और उस ब्लाउज के अंदर उन्होंने ब्रा भी नहीं पहनी थी। दोस्तों मैंने जो देखा वो सब देखकर में बड़ा चकित हुआ, क्योंकि काम करने से पसीना आने की वजह से उनका पूरा ब्लाउज गीला हो गया, इसलिए उनके बूब्स मुझे साफ साफ दिखाई दे रहे थे और गोरे गोरे बड़े आकार के बूब्स पर हल्के भूरे रंग की निप्पल दिखने में बड़ी मस्त आकर्षक लग रही थी और जब में उनके कमरे में गया तो यह द्रश्य देखकर एकदम दंग रह गया और मेरी नज़र उनके बूब्स पर ही जाकर टिक गयी। में लगातार अपनी ललचाई हुई नजर से आंटी के गोलमटोल बूब्स को बड़ा चकित होकर देख रहा था, क्योंकि पसीने से गीले पतले कपड़े वाले ब्लाउज बूब्स को अपने अंदर छुपा ना सके, लेकिन उन्होंने शायद अब मेरी नज़र को पकड़ लिया था कि में उनके बूब्स को घूर रहा हूँ इसलिए जल्दी से उन्होंने मुझे मेरे घर की चाबी दे दी। फिर में चाबी को लेकर चला आया, लेकिन उस दिन की उस घटना के बाद से में अब मन ही मन में सोचने लगा था कि कब मुझे मेरी आंटी के बूब्स को छूने उनके निप्पल को चूसने दबाने और उनकी चुदाई करने का मौका मिलेगा, जिसका फायदा उठाकर में अपने इस सपने को पूरा करूंगा। अब में आंटी से पहले से ज़्यादा घुल मिलकर रहने लगा था और मैंने उनके बीच अपनी दूरियों को धीरे धीरे करके कम कर दिया था और वो भी मुझसे अब पहले से ज्यादा हंस हसंकर बातें मजाक करने लगी थी और फिर कुछ दिनों के बाद एक दिन दोबारा मेरी मम्मी को किसी काम की वजह से मेरी बुआ जी के पास जाना पड़ा। उनके चले जाने के बाद में बड़ा खुश था इसलिए में उस दिन जानबूझ कर अपने कॉलेज नहीं गया। फिर एक घंटे के बाद मेरे अंकल भी अपने काम पर चले गये और उसके बाद उनका बेटा भी स्कूल चला गया और अब हमारे घर में बस हम दोनों ही बचे थे। दोस्तों मुझे बहुत अच्छी तरह से पता था कि आंटी अब क्या काम करने वाली है, इसलिए मैंने चुपके से छत पर जाकर उनके बाथरूम का पानी बंद कर दिया और जब आंटी अपने सभी कामो को खत्म करके नहाने के लिए बाथरूम में गयी तो पानी ना होने की वजह से वो नीचे आकर मुझसे पानी ना आने की बात को कहकर हमारे वाले बाथरूम में नहाने लगी। तब मैंने देखा था कि उनके हाथ में सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउज ही था और वो अपने कपड़े लेकर अंदर जा चुकी थी। हमारे बाथरूम के दरवाजे में एक छोटा सा छेद था जिसका मुझे अब फायदा उठाना था और फिर कुछ देर के बाद मैंने उस छेद से अंदर झांककर देखा तो उस समय आंटी बिल्कुल नंगी थी और वो अपनी चूत से बालों को साफ कर रही थी। फिर कुछ देर तक चूत के बाल साफ करने के बाद उन्होंने अपने गोरे गदराए हुए पूरे बदन पर पहले पानी डाला और उसके बाद वो साबुन लगाने लगी।

दोस्तों उन्होंने अपने पूरे बदन को हर एक अंग को अच्छी तरह रगड़कर नहाने का मज़ा लिया और में भी उनको देखकर मज़े लेने लगा था। अब मेरा लंड अब अपना आकार बदलकर तनकर खड़ा हो चुका था। मेरा मन उसी समय आंटी को पकड़कर उनकी चुदाई करना का हो रहा था, लेकिन में शांत रहा। फिर उसके बाद उन्होंने बिना ब्रा और बिना पेंटी के अपना ब्लाउज, पेटीकोट पहन लिया अब उनके बाहर आने का समय हो चुका था, इसलिए में पहले से ही यह देखकर समझकर उस छेद से दूर हट गया और मेरे उस छेद से पीछे हटते ही बाथरूम में उस छेद की वजह से अंदर रोशनी चली गयी, तो शायद उन्हे मेरे ऊपर शक हो गया था, इसलिए जब वो बाथरूम से बाहर आई तो उन्होंने दरवाजा बड़े ध्यान से देखा और फिर मेरी तरफ देखकर वो हल्का सा मुस्कुराकर चली गयी। अब आंटी के ऊपर चले जाने के बाद मैंने तुरंत ही टीवी को चालू किया और उसमे एक ब्लूफिल्म की सीडी को लगाकर में उसमे चुदाई देखने लगा। मैंने देखते समय अपने लंड को एक हाथ से पकड़कर सहलाना भी शुरू किया और में उस काम में इतना व्यस्त था कि मुझे कुछ भी पता नहीं चला और कुछ देर बाद ऊपर पानी ना होने की वजह से आंटी अचानक से नीचे अपने बर्तन धोने के लिए आ गयी, लेकिन में तब भी फिल्म देखने में बहुत मस्त था और उसी समय आंटी रूम में आ गयी और उन्होंने उस फिल्म को चलते हुए उसमे चुदाई के द्रश्य को अपनी आखों से देखकर वो बिल्कुल हैरान रह गई।

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फिर जब मुझे इस बात का थोड़ा सा अहसास हुआ तो मैंने जल्दी से टीवी को बंद कर दिया। अब आंटी मुझसे कहने लगी कि तुम कितने गंदे हो जो इस तरह की फ़िल्मे देखते हो। तो मैंने उनसे कहा कि में क्या करूं आंटी? इसके बिना मेरा गुजारा नहीं होता और वो उसके बाद अपने बर्तन को धोकर वापस ऊपर अपने कमरे में चली गयी और उनके चले जाने के बाद में दोबारा से फिल्म को देखने लगा। तो कुछ देर के बाद आंटी मेरे लिए चाय बनाकर ले आई और इस बार भी उन्होंने दोबारा से मुझे फिल्म चलाते हुए देख लिया, लेकिन इस बार मैंने टीवी को बंद नहीं किया और उस समय फिल्म में एक लड़की एक लड़के के लंड को अपने मुहं में लेकर चूस रही थी। फिर आंटी ने वो द्रश्य देखकर कहा कि छि: कितना गंदा सीन है, तुम्हे क्या बिल्कुल भी शरम नहीं आती? अब मैंने उनसे कहा कि शरम की इसमे कौन सी बात है? आप भी तो अंकल के साथ ऐसा ही कुछ जरुर करती होगी? अब आंटी ने कहा कि नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है, हम ऐसा कुछ भी गंदा नहीं करते और वैसे भी पूरे दो महीने हो गये में और तुम्हारे अंकल ने अब तक कुछ भी नहीं किया। फिर मुझे उनकी बातें सुनकर लगा कि शायद अब आंटी मुझसे अपनी चुदाई करवाना चाहती है इसलिए मैंने आंटी से इसी विषय पर कुछ और बातें की, लेकिन आंटी ज़्यादा कुछ ना बोलती हुई उठकर वहां से बाहर चली गयी। फिर करीब पांच मिनट के बाद मैंने मन ही मन में सोचा कि अब हिम्मत करके में भी ऊपर जाकर आंटी को पकड़ लेता हूँ आज जो भी होगा देखा जाएगा। फिर यह बात सोचकर मैंने ऊपर उनके कमरे में जाकर देखा उस समय आंटी बेड पर लेटी हुई थी और उनका हाथ उनके पेटीकोट के अंदर था। शायद वो अपनी चूत में ऊँगली कर रही थी और जब में अचानक से उनके कमरे के अंदर गया तो आंटी ने एकदम से अपने हाथ को बाहर निकाल लिया और वो तुरंत उठकर बैठी हो गयी।

फिर में आंटी के पास जाकर बैठ गया और उसके बाद एकदम से मैंने उनके बूब्स को झटके के साथ पकड़कर दबा दिए, लेकिन आंटी ने इतना भी विरोध नहीं किया, जितना उनको करना चाहिए था और वो अपने ऊपर के मन से कहने लगी कि तुम यह क्या कर रहे हो? तो मैंने उसी समय उनसे कहा कि आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो और उन्हे मैंने अपनी बाहों में लेते हुए बेड पर लेटा लिया वो दिखाने के लिए थोड़ा सा विरोध भी कर रही थी और मेरा साथ भी दे रही थी। अब में उनके ऊपर लेट गया और उनके होंठो पर किस करने लगा। फिर देखते ही देखते वो भी अब मेरा साथ देने लगी थी और उसी समय मैंने उनके ब्लाउज के हुक को खोला और उनके बूब्स को आज़ाद कर दिया। फिर कुछ देर तक किस करने के बाद में उनके मुलायम बड़े आकार के बूब्स को चूसने सहलाने लगा, जिसकी वजह से आंटी अब गरम होने लगी थी और उनके मुहं से सिसकियाँ निकलने लगी थी और तभी मैंने जोश में आकर उनके बूब्स को चूसते समय ही निप्पल पर थोड़ा ज़ोर से काट लिया। उस दर्द की वजह से वो तिलमिला उठी और उन्होंने मुझसे कहा कि ऐसे मत काटो मुझे दर्द होता है।

फिर बूब्स को चूसते हुए मैंने उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और तुरंत ही में अपने एक हाथ को उनकी गरम चिकनी चूत पर ले गया। में आंटी की चूत को धीरे से सहलाने लगा। फिर मैंने महसूस किया कि आंटी अब पूरी तरह से गरम हो चुकी थी इसलिए मैंने मौके का फायदा उठाते हुए आंटी के पूरे कपड़े झट से उतार दिए, जिसकी वजह से अब आंटी मेरे सामने बिल्कुल नंगी हो चुकी थी और मुझे उनकी आखों में जोश मस्ती नजर आ रही थी, जिसको देखकर में समझ चुका था कि वो अब चुदाई के लिए एकदम तैयार है। फिर मैंने भी अब बिना देर किए अपने कपड़े उतार लिए और फिर उनसे मेरा लंड अपने मुहं में लेकर चूसने के लिए कहा, लेकिन तभी आंटी ने पहले साफ मना किया वो बोली छी: में ऐसा गंदा काम नहीं कर सकती, मैंने ऐसा कभी नहीं किया मुझे नहीं करना। फिर मैंने उनको बड़े प्यार से समझाते हुए कहा कि आपको ऐसा करने में बड़ा मस्त मज़ा आएगा। आपने कुछ देर पहले उस फिल्म में जो द्रश्य देखा था बस वैसे ही करना होगा। फिर आंटी ने मेरे समझाने पर मेरे लंड को पकड़ा और वो उसके बाद उसको अपने मुहं के अंदर लेकर धीरे धीरे चूसने लगी और जब उनको मज़ा आने लगा तो वो अपने आप ही तेज़ हो गयी और वो मेरा पूरा लंड अब अपने मुहं में लेने लगी थी। उनके ऐसा करने से में अब पागल हो रहा था।

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फिर मैंने आंटी को बेड पर लेटा दिया और उसके बाद उनके कूल्हों के नीचे एक तकिया रखकर चूत को ऊपर उठा दिया, जिसकी वजह से चूत उठकर पूरी तरह से खुल और अब में उनकी गीली चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा, जिसकी वजह से कुछ देर बाद आंटी भी पागल होने लगी थी। उन्होंने जोश में आकर मेरे सर को पकड़कर ज़ोर से अपनी चूत के मुहं पर दबा दिया। फिर में कुछ देर अपनी जीभ से उनकी चूत की चुदाई करता रहा। फिर हम उसके बाद 69 की पोजीशन में हो गये और वो मेरा लंड चूस रही थी और में उनकी चूत को चाट रहा था, लेकिन कुछ देर के बाद मैंने उनके ऊपर से हटकर आंटी को अब सीधा लेटा दिया।

अब में अपने लंड को एक हाथ से पकड़कर उनकी चूत के दाने पर रगड़ने लगा था। फिर कुछ देर ऐसा करने के बाद आंटी सिसकियाँ लेते हुए मुझसे कहने लगी आह्ह्ह्ह ऊफ्फ्फ्फ़ अब मुझसे ज्यादा देर बर्दाशत नहीं होता। तुम अब जल्दी से डाल दो। तो में अपना लंड आंटी की चूत के मुहं पर रखा और एक धक्का लगाया तो मेरा लंड थोड़ा सा सरककर अंदर चला गया और आंटी के मुहं से हल्की सी एक चीख निकल गई तो मैंने अपना दूसरा धक्का लगा दिया और इस बार अपना पूरा का पूरा लंड अपनी आंटी की चूत के अंदर डाल दिया और अब आंटी पहले से ज्यादा ज़ोर से चीख पड़ी और वो मुझसे कहने लगी कि अब तुम इसको बाहर निकालो, मुझे बहुत दर्द हो रहा है, देखो तुम्हारा तो बहुत मोटा और लंबा है, लेकिन मैंने आंटी की एक भी बात ना सुनी और सीधा उनके होंठो पर क़ब्ज़ा कर लिया। फिर करीब दो तीन मिनट के बाद में अपने लंड को उनकी चूत में धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा था, जिसकी वजह से आंटी का दर्द खत्म हो जाने की वजह से उनको भी मज़ा आने लगा था और फिर मैंने यह सब देखकर अपने धक्को को धीरे धीरे तेज़ कर दिया।

उस समय आंटी भी नीचे से अपने कूल्हों को उठा उठाकर मेरे साथ देने लगी थी और कुछ ही देर में मेरा साथ देने के बाद आंटी झड़ गयी, जिसकी वजह से वो धीरे धीरे शांत होकर लेट गई, लेकिन में अब भी उसी तरह जोश में अपने काम पर लगा रहा। फिर करीब बीस मिनट धक्के देने के बाद में भी अब झड़ने वाला था। तो इसलिए मैंने अपनी आंटी से पूछा कि में अब क्या करूं, वीर्य का कहाँ निकालूं आह्ह्ह जल्दी बताओ वरना यह निकल जाएगा? तब वो खुश होते हुए बोली कि इसको तुम मेरे अंदर ही जाने दो, में इसको अपने अंदर लेकर महसूस करना चाहती हूँ तुम्हारा जोश तो देख ही लिया अब इसका भी असर देख लूँ, पता नहीं दोबारा कब मुझे यह मौका मिले। फिर मैंने उनकी बातें सुनकर खुश होते हुए अपने वीर्य को आंटी की चूत के अंदर ही हल्के धक्के देते हुए छोड़ दिया और इन बीस मिनट में हम दोनों ने कई आसन बदलकर चुदाई के जमकर मज़े लिए और झड़ने के बाद कुछ देर हम एक दूसरे के साथ वैसे ही लेटे रहे।

फिर करीब दस मिनट के बाद में एक बार फिर से आंटी को किस करने लगा उसके बूब्स को सहलाने लगा। उनके गोरे नंगे जिस्म से खेलने लगा था, जिसकी वजह से वो भी एक बार फिर से गरम होने लगी और इस बार उन्होंने उठकर मेरे कहे बिना ही पूरा लंड अपने मुहं में लेकर बहुत जमकर चूसा। वो अब किसी अनुभवी रंडी की तरह लंड को कभी अंदर कभी बाहर उसके बाद टोपे पर अपनी जीभ को घुमाकर लोलीपोप की तरह चूसने लगी थी और जब लंड पूरी तरह से चुदाई के लिए तैयार होकर तनकर खड़ा हो गया तो मैंने भी पहले उनकी चूत को चाटना शुरू किया। उसके बाद हम दोनों ने एक बार फिर से दोबारा जमकर चुदाई के पूरे पूरे मज़े लिए जिसमे उन्होंने मेरा पूरा पूरा साथ दिया। दोस्तों उस दिन मैंने आंटी के साथ तीन बार चुदाई के मज़े लिए जिसकी वजह से आंटी पूरी तरह से संतुष्ट नजर आ रही थी और तब उन्होंने मुझसे कहा कि तुम्हारा लंड बहुत ज़बरदस्त बड़ा दमदार है, इतना मज़ा तो मुझे अपने पति के साथ भी कभी चुदाई में नहीं आया जो आज तुमने मुझे दिया है में बहुत खुश हूँ।

दोस्तों उस दिन की पहली चुदाई के बाद आज तक भी में आंटी को हर कभी मौका मिलते ही चोद रहा हूँ और वो मेरी चुदाई से संतुष्ट भी है, इसलिए वो अपने पति से कम मुझसे अपनी चुदाई ज्यादा करवाती है और ऐसा उन्होंने खुद मुझसे एक बार कहा था और हमारे घरवालों को हम दोनों पर शक ना हो इसलिए हम किसी के सामने बहुत कम बातें करते है, लेकिन जब भी घर पर कोई नहीं होता तब हम पूरे नंगे एक दूसरे से चिपके पड़े रहते है और में भी उनकी चुदाई करके पहले से ज्यादा खुश रहने लगा हूँ ।।



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