पॉर्न देख रही बेटी को बाप ने चोदा

ही दोस्तों, मैं ज़राइना सिडईक्वी. कहानी शुरू करने से पहले मैं तोड़ा इंट्रो वग़ैरा दे डू, जिससे कहानी में इंटेरेस्ट बना रहेगा.

ये मेरी पहली कहानी है. ई होप आप सभी को स्टोरी पसंद आएगी. और थॅंक्स तो रानीरा दी. वेल, ये कहानी काफ़ी लंबी है. लेकिन मैं बस इस फॅमिली स्टोरीस के पार्ट में अपनी कहानी का एक हादसा बतौँगी. बाकी आपकी पसंद पे डिपेंड करता है.

मार्च का महीना था, और मेरी पूरी गली में एग्ज़ॅम का फीवर था. कॉलेज के एग्ज़ॅम अफ! कितना टफ लगता था यार. तो सभी की तरह मेरी भी फाटती पड़ी थी. उपर से मेरे भाई जान मुराद, जिन्होने बार-बार आचे मार्क्स लाने है का डंडा दे रखा था.

तो अभी भी एग्ज़ॅम को 2 दिन बचे थे, और मैने बहुत कुछ पढ़ लिया था. बस कुछ आसान सी चीज़े बाकी थी. लेकिन प्रेशर पूरा था. मैने अपनी दोस्त को बताया तो उसको तो मेरे से ज़्यादा टेन्षन थी, और उसकी टेन्षन देख के मुझे और टेन्षन होने लगी.

तो मैने अपनी दूसरी दोस्त को फोन लगाया, और उससे टेन्षन भगाने का आइडिया माँगा. साली ने थोड़ी देर टाइम लिया और बोली-

फ्रेंड: एक काम कर, तू पॉर्न देख ले. सारी की सारी टेन्षन गायब.

मैं: चल साली!

उसके बाद मैने बहुत सोचा, और लास्ट में इयरफोन लगा के बेड के कोने में जेया कर कंबल उपर लेकर, पॉर्न देखने लगी. कुछ ही मिंटो में टेन्षन सला होता क्या है कुछ पता नही था.

पता ही नही चला कब 2 घंटे गुज़र गये. लेकिन मुझे क्या था? विफी था, इयरफोन थे, और क्या चाहिए पॉर्न देखने के लिए. और मैने देखना जारी रखा.

मुझे पता नही चला कमरे का दरवाज़ा कब खुला, और कों अंदर आया? कंबल के अंदर चुपके से मेरी फोन स्क्रीन पे चलती पॉर्न, और मेरे हाथो को देख( जिससे मैं अपनी छूट सहला रही थी), मस्त वो भी चुप-छाप पॉर्न देख रहा था. मुझे पता भी नही था, की कोई मेरे साथ पॉर्न देख रहा था.

तभी एक वीडियो ख़तम होने वाली थी. सजेशन्स में स्टेपफादर-डॉटर वाली वीडियो थी. उसको इग्नोर कर मैने सर्च बार में रियल दाद आंड डॉटर की वीडियो सर्च की.

उसपे तो और ज़्यादा वीडियो आई. लेकिन तभी मुझे फील हुआ कोई और भी था मेरे रूम में. फिर जैसे ही नज़र साइड करी, मेरी तो गांद ही फटत गयी, अब्बू को देख के.

जल्दी-जल्दी जितना अपने आप को संभाल सकती थी पूरी कोशिश की. लेकिन मेरी छूट ने तभी पानी छ्चोढ़ के मेरे बहाना मारने के सारे रास्ते बंद कर दिए.

अब्बू: ये सब क्या देख रही है तू? परसो तेरे एग्ज़ॅम्स है, और तू ये पॉर्न.

मैं ( अपनी गीली शॉर्ट्स को च्छूपति हुए): अब्बू, वो बस.

अब्बू: ज़्यादा अंदर जोश चढ़ गया है तो बता. निकाह करा दे तेरा?

मैं: अब्बू नही, बस आज ही देखी है.

अब्बू: मतलब नया-नया जोश चढ़ा है. बोल तो उतार डू.

मैं: अब्बू, अब से आयेज कभी ऐसा नही होगा.

कुछ देर शांति बनी रही. फिर अब्बू गाते के पास गये. मुझे लगा चलो आज तो जान बची. लेकिन तभी अब्बू दरवाज़ा लगा के वापस मेरे पास आ गये. लेकिन इस बार कुछ ज़्यादा ही करीब आ गये.

अब्बू: वैसे तुझे वही केटेगरी मिली देखने को?

मैं: क्या अब्बू?

अब्बू: चल अब नाटक मॅट कर. तेरी नौटंकी तेरी छूट से निकलते पानी ने बता दी है.

मैं: वो बस अब्बू, मैं ट्राइ कर रही थी.

तभी एक झटके से अब्बू ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया.

अब्बू: देखने से ज़्यादा तो करने में मज़ा आएगा, बोल करेगी?

मैं: लेकिन अब्बू, कोई आ गया तो?

अब्बू: अर्रे तू बस बता, लगी है तेरी छूट में आग?

मैं: पर अब्बू?

इसके पहले मैं कुछ बोलू, तभी अब्बू मेरे होंठो को चूमने लगे और चूमते हुए मुझे गोद में उठा कर हम दोनो बेड के उपर आ गये.

मैं नीचे थी, और अब्बू मेरी दोनो टाँगो को खोल कर बीच में घुस कर मुझे चूमे जेया रहे थे. जोश में अब्बू अपना कुर्ता निकाल दिए, और मेरी त-शर्ट को उठा कर मेरी ब्लू ब्रा के उपर से मेरी चूचियों को मसालते हुए चूमे जेया रहे थे.

वो कभी लेफ्ट चूची को, तो कभी रिघ्त को बारी-बारी चूमते चाट-ते रहे. अब्बू पागल से हो गये थे. लेकिन मुझे मज़ा आ रहा था उनकी ऐसी हरकतों से, और उनके पागलपन को देख के.

फिर क्या था, मैने भी अब्बू का काम आसान करते हुए ब्रा का हुक खोल कर ब्रा निकाल के फेंक दी. मेरे बूब्स जैसे बिखर गये, लेकिन तभी अब्बू ने उनको हाथो में भर लिया. फिर अपने हाथो का आकार देते हुए अब्बू निपल को मूह में लेकर छ्होटे बच्चे की तरह चूस रहे थे.

अपने दोनो हंतो को मेरी कमर के पास ले-जेया कर उन्होने मेरे नीचे से भी कपड़े निकाल दिए. फिर उन्होने मुझे बेड पे नंगी लिटा दिया.

अगर कोई उपर से देखता तो मेरा दूध जैसा गोरा बदन दिखाई देता, जिसके बूब्स बिखरे हुए थे, और टाँगो के बीच में छ्होटी झाँते नज़र आ रही थी, जिनको मैने पिछले हफ्ते ही सॉफ करा था.

मुझे नंगा करके अब्बू खुद भी ज़्यादा देर कपड़े पहने नही रह सके, और खुद के भी सारे कपड़े निकाल दिए. पहली बार किसी का लंड देखा था, और सोचा नही था वो लंड अब्बू का ही देखना पड़ेगा.

उनके लंड के आस-पास मेरे से भी बड़ी झाँते थी. लेकिन उसके बाद भी अब्बू का खड़ा लंड बड़ा लग रहा था. उस टाइम मुझे पता नही था लंड के साइज़ के बारे में. और अभी की बात कुछ और है.

मेरी आँखें और मूह दोनो खुले के खुले रह गये. फिर अब्बू ने उसको छूट में डालने से पहले, गीला करने के लिए लंड को मेरे मूह में घुसा दिया. लंड चूसने के बाद मेरी साँसे भारी हो चुकी थी, जिससे मैं सयद गरम हो गयी थी. और इसका सबूत मेरी गीली छूट थी.

फिर काफ़ी फोर्स लगा के अब्बू ने लंड मेरी छूट में डाल दिया. मैं दर्द के मारे चीखती, उससे पहले ही अब्बू ने मेरे मूह पे हाथ रख लिया. दूसरा धक्का भी उसी फोर्स के साथ लगा दिया अब्बू ने.

अब्बू: कितनी टाइट छूट है तेरी. वैसे तो टाइट से टाइट छूट भी दूसरे धक्के में लंड छूट में सेट हो जाता है. लेकिन पता नही तेरी छूट में ऐसा क्यू नही हुआ?

पता नही उस वक़्त अब्बू क्या कह गये. क्यूंकी मैं तो बस जैसे-तेरे अपने दर्द को कम करने के लिए उपर वाले का सहारा माँग रही थी.

फिर दुआ आख़िरकार कबूल भी हुई. उसके बाद तो अब्बू भी मस्त पच-पच छूट से निकलती आवाज़ के साथ छूट में लंड घुसाए चुदाई में मगन हो गये.

मैं भी मगन थी. लेकिन उस आनंद के लिए मुझे बहुत दर्द सहना पड़ा. और चुदाई का मज़ा लेने के लिए वो दर्द सहना ही पढ़ता है, ये बात मुझे अभी जाके पता चली.

कुछ देर बाद मैं अब्बू की चेस्ट से अपने बूब्स चिपकाए उनकी गोद में बैठे-बैठे लंड ले रही थी. यहा अब्बू की लंड डालने की रफ़्तार काफ़ी धीमी थी.

लेकिन उस धीमी चुदाई में तेज़ी की तुलना में काई ज़्यादा मज़ा आ रहा था. अब्बू मेरी गार्डेन से होंठो को रख कर मेरे बूब्स तक आ कर बूब्स को मूह में भर रहे थे.

फिर वो मेरा दूध पीने लगते. फिर मेरा वेट ज़्यादा होने के कारण हम फिरसे उसी पोज़िशन में आ गये, जहा से हमने शुरुआत करी थी.

अब तो मुझे भी मज़ा आने लगा था, और मेरे अंदर अजीब सी फीलिंग भी आ रही थी. लेकिन मैं उस फीलिंग से सातवे आसमान में पहुच गयी थी.

मेरा मॅन कह रहा था, की यही वो जगह थी, जहा एक दिन हर लड़की आती है, और जब उतरती है, तो एक औरत बन कर उतरती है.

मुझे उस ऊँचाई का और मज़ा लेना था. लेकिन तभी अब्बू के वो शब्द मुझे सातवे आसमान से ज़मीन पे ले आए.

अब्बू: बेटी, मैं, मैं आहह झड़ने वाला हू.

उस टाइम मैं अंजान थी. मुझे क्या पता था उस टाइम, की क्या कहना होता है. और उपर से आसमान से गिरने के दर्र से पता नही मेरे मूह से क्या निकला, और देखते-देखते मेरी छूट अब्बू के वीर्या से भर गयी.

अब्बू अपना लंड पकड़ कर हिला हिला कर एक-एक बूँद मुझपे चिड़क कर मेरी दोनो टाँगो के बीच से निकल कर मेरे बगल में लेट गये.

मैं: अब्बू, इस शाम हमने जो किया, क्या वही निकाह के बाद फर्स्ट नाइट कहलाती है?

अब्बू: होता तो यही है, बस पोज़िशन पसंद के हिसाब से बदल जाती है.

मैं: अब्बू! निकाह की पहली रात के बाद लड़की तो प्रेग्नेंट हो जाती है, तो क्या मैं भी?

अब्बू: हा, लेकिन मैं ऐसा नही होने दूँगा. क्यूंकी हमे मिल कर अभी बहुत कुछ करना है.

मैं: अभी ऐसा और क्या बचा है अब्बू?

अब्बू: अभी ही सब कुछ बता डू? चल अभी कपड़े पहन और पढ़ने बैठ जेया. और हा, आचे मार्क्स लाने है तुझे, वरना मुझसे बुरा कोई नही होगा.

मैं: इससे बुरा भी कुछ और बाकी है क्या?

तो अभी तक के लिए यही रुकते है. थॅंक्स कहानी को पसंद करने के लिए.

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