पायल की चुदाई

मुझसे मिलने की इच्छा जताई।

सामान्यत: मैंने इनसे पूछा- आप कहाँ रहती हैं? इन्होंने जवाब दिया- गुजरात में सूरत।

मैंने खुद के नौकरी पेशा व शादीशुदा होने की बात कहते हुए आना थोड़ा मुश्किल बताया। इसके बाद हमारे बीच सामान्य बातें होती रहीं। अब तकरीबन रोज ही उनका मेल आ जाता था, जिसका उचित जवाब मैं दे दिया करता था। मेरी पत्नी स्नेहा भी अक्सर मेरी आईडी पर बैठकर मुझे आए मेल का जवाब दे दिया करती है।

इसी बीच एक बार जब मैं ड्यूटी गया हुआ था, स्नेहा ने मेरे याहू मेल व मैसेंजर की आईडी खोलकर सभी मेल का जवाब दिए और तब पायल, मैसेंजर पर ऑनलाइन थी। उसने यह मैं हूँ सोचकर बात करना शुरू कर दी, यही कि मेरे साथ सैक्स करने कब आ रहे हो… आदि… आदि।

स्नेहा उसको ‘जवाहर’ बनकर जवाब देती रही, फिर उसके मन में पायल के बारे में जानकारी लेने की इच्छा जागी। तो उसने पायल से पूछताछ शुरू कर दी। पायल और स्नेहा के बीच जो सवाल जवाब हुए उसे मैं आप को बताना चाहूँगा। यह अलग से नाम आधारित न होकर सीधे तरीके से ही लिख रहा हूँ।

पायल सूरत में *** की निवासी है, पांच साल पहले ही उसकी शादी हुई है, उसके पति सुरेन्द्र शाह रत्नों का निर्माण करने वाली एक कंपनी के सेल्स आफिसर हैं। काम के कारण उन्हें पूरे देश का भ्रमण करना पड़ता है, इस कारण वे अक्सर अपने घर से बाहर ही रहते हैं।पायल का कहना था कि जब वे घर में होते तब भी काम का तनाव अक्सर उन पर सवार दिखता। पायल के कई बार टोकने के बाद उन्होंने घर में अपनी सर्विस की बात करना तो बंद की, पर रात को सोने से पहले भी ‘यहाँ जाना है-वहाँ का ये काम रूक गया।’ जैसी बातें अक्सर कहते रहते।

पायल का कहना था- उनके इस तरह के काम का असर हमारे पारिवारिक जीवन पर भी पड़ रहा था। बाकी दूसरी बातें छोड़िए शादी के बाद सैक्स में संतुष्टि कैसी होती है, इसका पता मुझे आज तक नहीं चला। जब अपनी सहेलियों को सैक्स के बारे में मजा आने की बातें सुनती, तो मुझे भी लगता कि मैं इस मजे से वंचित क्यूँ रहूँ। आखिर मुझे भी जानना है कि पूरी दुनिया सैक्स की इतनी दीवानी क्यूँ है, और आदमी का लौड़ा औरत की चूत में जाकर तब तक कैसे रहता है जब तक औरत की चूत से पानी न निकल जाए।

पायल का कहना था- मुझे सैक्स के बारे में उतना ही पता है जितना मेरे पति ने बताया है। जब उनका टूर नहीं होता, तब घर पर ही किसी दिन मैं उनसे चिपककर सोती हूँ, ताकि उनका लौड़ा खड़ा हो और वो मुझे कुछ तो करें। तब किसी दिन उनका मूड हुआ तो वे मेरा गाउन ऊपर करते, अपनी लुंगी व अंडरवियर हटाकर अपना लंड निकालते और मेरी चूत पर रखकर अंदर डाल देते। अपना लौड़ा डालकर वे बहुत कम समय तक आगे-पीछे हिलते फिर अपना खुद का माल झड़ते ही यूं ही मेरे ऊपर लुढ़ककर सो जाते। शादी के बाद आज तक मेरा माल कभी इन्होंने चोदकर नहीं झड़ाया हैं, इसके लिए मुझे अक्सर अपनी चूत में उंगली डालकर हिलाना पड़ता, या कभी सोते समय खुद ही निकल जाता।

स्नेहा ने पायल से यह जरूर पूछा- तुम्हें सैक्स की जरूरत है, यह बात तुमने सुरेन्द्रजी से नहीं कही क्या?

पायल बोली- सैक्स के लिए उन्हें अपनी स्त्रीसुलभ लज्जा के कारण मैं कुछ कह नहीं पाई। कभी बेशरम होकर कुछ बोलने का सोचा भी तो ये उस बारे में मुझे कुछ कहने ही नहीं देते और रात को खुद का निकलने के बाद तो ये ऐसे बेसुध हो जाते कि उस समय इन्हें कुछ बोलना यानि भैंस के आगे बीन बजाना होता। सो मैं इनके सामने तो कभी कुछ कह ही नहीं पाई, और शादी के बाद मैं इस घर में सिर्फ उनका काम करने की चीज बनकर रह गई हूँ। उनके व घर के पूरे काम करना और कभी इनकी इच्छा हुई तो बस अपना गाऊन या मैक्सी उपर उठा कर चूत को खोलना जिसमें उनका लंड भीतर जाकर कुछ देर हिल ले, ताकि उन्हें नींद आ सके।

स्नेहा से पायल से यह सब कुछ जवाहर बन कर ही पूछा। मेरे घर लौटने पर पायल की सारी बात मुझे बताई। मैं भी उसकी बातों पर हामी भरता हुआ खाना खाकर स्टडी रूम में आया और कंप्यूटर आन करके मैसेंजर में आई पोस्ट देखने लगा। तभी मुझे हमारे आफ टाइम में भेजा गया पायल का ही एक मैसेज देखने मिला जिसमें उसने बताया था कि वह दोपहर को 3 बजे करीब आएगी, तब बातें होंगी।

मैंने देखा अभी करीब आधा घंटा बाकी है उसके ऑनलाइन आने में, तो आज सुबह उसकी स्नेहा के साथ क्या बात हुई है, यह निकालकर पढ़ने लगा। ये बातें वैसी ही थी जैसी स्नेहा मुझे बता चुकी थी, तो मैं दूसरे मेल को पढ़ने लगा।

थोड़ी ही देर में पायल आनलाइन हो गई। उसने बात शुरू की और अपने लिए मुझे सिर्फ एक रात देने की जिद करने लगी। मेरी अपने दोस्तों के साथ चर्चा होती थी, जिसमें मुझे पता चला कि मेरे कई दोस्त भी लड़की का नाम रखकर फर्जी आईडी चलाते हैं। सो मैंने सोचा कि यह फर्जी नाम रखकर कोई लड़का ही मुझे बेवकूफ तो नहीं बना रहा है, यानि यह पायल भी लड़का हो सकती है।

यह ध्यान में रखकर मैंने पायल से कहा- मैं तुम्हें देखना चाहता हूँ।

पायल बोली- मैं भी आपको देखना चाहती हूँ, बताइए कब आ रहे हैं?

मैंने कहा- मैं तुम्हें देखने के बाद ही अपने आने की तारीख बताऊँगा।

पायल बोली- तो ठीक है, मैं अपनी फोटो भेज रही हूँ। इसमें मेरे पति भी हैं पर यह फोटो और कहीं ना जाए, आप इसका ध्यान रखिएगा।

मैं बोला- ठीक है, पर आपने भी बीते जमाने की बात कर दी कि चेहरा देखना हो तो फोटो देख लो, जबकि अब कंम्प्यूटर का जमाना आ गया है, विदेशों में बैठे हुए लोग भी विडियो चैटिंग से ऐसे बात करते हैं जैसे सामने ही बैठे हुए हों।

पायल ने पूछा- आप मेरे साथ विडियो चैटिंग करना चाहते हैं क्या?

मैं बोला- ऐसा हो जाए, तो मजा ही आ जाएगा।

पायल बोली- ठीक है, पर इसमें भी मेरी एक शर्त है।

मैं बोला- क्या? बताइए।

पायल बोली- उस चैटिंग में ही आपको अपने यहाँ आने की तारीख बतानी होगी।

मैंने इसके लिए तुरंत हामी भर दी। कुछ ही देर में उसने विडियो कालिंग दी। मैंने इसे स्वीकारा, और कुछ ही देर में मेरे पीसी पर वह आ गई।

मैं उसकी सुंदरता देख अचंभित था। वो बहुत सुंदर थी, उसका फिगर भी बढ़िया था।

पायल बोली- अब अपने आने की तारीख बताइए जवाहर जी, मैं आपका इंतजार कर रही हूँ।

वो सही बोल रही थी, मैंने उसे वायदा किया था कि चैटिंग में मैं उसे आने की तिथि बताऊँगा, पर अभी मुझे ट्रेन में रिजर्वेशन और काम से छुट्टी का इंतजाम करना था, मैंने उसे बताया कि बस एक दिन की छूट मुझे दे दीजिए, कल मैं आपको अपने आने की तारीख बताऊँगा। थोड़े ना-नुकुर के बाद पायल मानी।

विडियो चैटिंग की बात मैंने स्नेहा को बताई तो स्नेहा ने कहा- मुझे आपके अहमदाबाद जाने से कोई दिक्कत नहीं है पर वहाँ सब ठीक हो, यह जरूरी है।

मैंने उसे आश्वस्त किया कि सब ठीक होगा, कल मैं अपनी छुट्टी का जुगाड़ लगाता हूँ, फिर ट्रेन का भी देखना पड़ेगा।

कुछ ऐसी ही सामान्य बात करने के बाद हम लोग काम में लगे। पायल के मामले में किस्मत ने मेरा साथ दिया। दूसरे दिन प्लांट में मैंने छुट्टी का आवेदन दिया, तो इत्तफाक से मुझे अगले ही दिन से एक हफ्ते की छुट्टी मिल गई। ट्रेन में रिजर्वेशन के लिए मैंने अपने एक मित्र की मदद ली। इसने कुछ ज्यादा पैसे लेकर एक दिन बाद का रिजर्वेशन करवा दिया।

मैंने घर पहुँचकर स्नेहा को छुट्टी मिलने का बताया और उससे कहा कि मेरे सफर के लिए बैग तैयार कर दीजिए, मुझे वहाँ रूकने और आने जाने में एक सप्ताह तो लग ही जाएगा।

स्नेहा ‘ठीक है’ बोलकर मेरा सामान सहेजने लगी। मैंने पायल को फोन करके मैसेंजर पर आने कहा। वो आई, उसे बताया कि मैंने आपके पास आने का इंतजाम कर लिया हैं। परसों दोपहर को अहमदाबाद एक्सप्रेस यहाँ से निकलेगी यह अगले दिन शाम तक पहुँच जाएगी। यानि फिर मैं तुम्हारे पास होऊँगा।

पायल खुश हुई, और उसने कहा- आप सूरत के स्टेशन ही आप मुझे फोन करना, मैं आपको लेने स्टेशन पहुँच जाऊँगी।

अब दो दिन हम यूँ ही विडियो व वॉयस चैट करते रहे, पायल की विडियो चैट मैंने स्नेहा के साथ भी कराई।

अगले दिन ट्रेन में बैठने के बाद मैंने उसे बता दिया कि यहाँ से निकल गया हूँ।

मैंने पायल को फोन करके मैसेंजर पर आने कहा। वो आई, उसे बताया कि मैंने आपके पास आने का इंतजाम कर लिया हैं। परसों दोपहर को अहमदाबाद एक्सप्रेस यहाँ से निकलेगी यह अगले दिन शाम तक पहुँच जाएगी। यानि फिर मैं तुम्हारे पास होऊँगा।

पायल खुश हुई, और उसने कहा- आप सूरत के स्टेशन ही आप मुझे फोन करना, मैं आपको लेने स्टेशन पहुँच जाऊँगी।

अब दो दिन हम यूँ ही विडियो व वॉयस चैट करते रहे, पायल की विडियो चैट मैंने स्नेहा के साथ भी कराई।

अगले दिन ट्रेन में बैठने के बाद मैंने उसे बता दिया कि यहाँ से निकल गया हूँ।

सफर बढ़िया कटा। सूरत पहुँचने पर मैंने उसे फोन किया। आधे घंटे के भीतर पायल का फोन आया। उसने मुझसे बाहर आने को कहा। मैं बाहर निकला, पायल मुझे देखकर झूम उठी। मेरे हाथों सामान छीनकर खुद पकड़ा और आगे बढ़ी। स्टेशन के ही स्टैंड में जाकर उसने अपनी कार निकाली, और मुझे लेकर घर की ओर चल पड़ी। हम आगे बढ़े इससे पहले ही पायल ने एक खाली जगह पर कार रोकी। यहाँ सूनेपन का मैंने फायदा उठाया और पायल को अपनी ओर खींचकर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

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पायल भी मुझसे यही उम्मीद लगाए हुई थी इसलिए मेरे चुम्बन का जवाब उसने भी व्यग्रता के साथ दिया।

मैं उसके निचले होंठ को चूसकर उनका स्वाद ले रहा था और वह अपनी जीभ मेरे होंठों पर लहरा रही थी। थोड़ी ही देर में वह मुझसे छुटी और बोली- यह था आपका ‘वेलकम किस’ अब इससे आगे की बात घर में ! ओके…?

मैं ओके बोलकर अपनी सीट में सीधे बैठ गया। उसने कार स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी। पायल अब मुझे सूरत के रास्तों व दूसरी प्रसिद्ध स्थानों के बारे में बताने लगी। कुछ देर बाद ही हम उनके फ्लैट वाली बिल्डिंग में पहुँच गए।

गैरेज में अपनी कार पार्क करने के बाद वो मुझे लेकर ग्राउंड फ्लोर के अपने फ्लैट में पहुँची। यहाँ मेरे भीतर घुसते ही दरवाजा बंद किया, फिर मेरे गले से ऐसे लिपट गई मानो मैं सच में उनका पति हूँ।

मैंने भी उसे अपने से चिपका लिया और उसके मस्त होंठों पर अपने होंठ रख दिए। इस प्रकार मौका मिलते ही पायल ने बिना देर किए अपना प्यार मुझे दिया। हमारा इस बार का चुम्बन देर तक चला। उसके दोनों होंठों को चूसते समय ही मुझे लगा कि यह सैक्स के लिए तैयार हो गई है पर मैं अभी लंबे सफर से आ रहा था, मुझे स्नान की जरूरत महसूस हो रही थी, मैंने कहा- पहले मैं नहा लेता हूँ ! फिर तुम्हें जमकर मजा दूंगा ना।

अब वह अलग हुई और बोली- मैं चाय चढ़ा देती हूँ, आप जल्दी से फ्रेश हो जाइए।

उसने मुझे बाथरूम व टायलेट दिखा दी। मैं नहाकर जैसे ही बाहर निकला, पायल ने मेरा तौलिया खींच दिया। मैंने अभी बनियान-अंडरवियर नहीं पहना था तो मैं पायल के सामने पूरा नंगा खड़ा था। अब खुले में और मस्त नजर की जद में होने के कारण लंड पूरा तन गया। पायल मेरे तने हुए लंड को एकटक घूरे जा रही थी।

मैं आगे बढ़ा और पायल को अपनी बाहों की गिरफ्त में ले लिया, बोला- यह कैसा तरीका है मैडम? हमें अपने घर बुलाकर नंगा कर दिया, जबकि आप पूरे कपड़े पहनी हुई हैं।यह बोलकर मैंने पायल के कुर्ते का हुक खोलने शुरू कर दिए। अभी मैं कुरते के पूरे हुक खोल भी नहीं पाया था कि पायल का मोबाइल बज उठा। बेमन से उसने वहीं सोफे पर रखा अपना पर्स लाकर फोन निकाला। पर आने वाला नंबर देखकर वो घबरा गई।

मैंने पूछा- क्या हुआ? कौन है?

पायल ने अपने होंठों पर उंगली रखकर मुझे शांत रहने कहा और फोन उठाकर बोली- हाँ डियर सुरेन्द्र, कैसे हो?

अब चौंकने की बारी मेरी थी। सुरेन्द्र यानि पायल का पति… आ गए क्या वो? मैं अब पायल की बात सुनने लगा। पायल थोड़ी देर घर का हाल बताती रही, फिर बोली- ठीक है, जब आपका मूड नहीं हो रहा, तो आ जाइए। मैं इंतजार कर रही हूँ।

यह बोलकर उसने फोन रख दिया।

मैं बोला- क्या हुआ? वो कब आ रहे हैं?

पायल बोली- वो अपने किसी बड़े दुकानदार से पैसे लेने महाराष्ट्र गए थे पर वह व्यापारी कुछ और माल लेने व पेमेंट करने खुद ही सूरत के लिए निकल गया है। इस कारण सुरेन्द्र भी अब कल सुबह तक वापस आ रहे हैं।

मैं बोला- अब कैसा होगा? मैं होटल में रूक जाता हूँ।

पायल बोली- अरे नहीं डार्लिंग, आप मुझसे मिलने इतना लंबा सफर करके आए हो, आप यहीं रहोगे इसके लिए हमें थोड़ा झूठ बोलना पड़ेगा। पर वह सब बाद की बात है, आजकी चुदाई तो हम कर लें, कल की कल देखी जाएगी।

यह बोलकर उसने कुर्ते व सलवार को उतार फेंका। अब वो ब्रा-पैन्टी में थी, यह मेरून रंग में डिजाइनर सेट था जो उसने नया ही लिया था शायद आज के ही लिए, यह उस पर फब भी बहुत रहा था।

अब मुझसे खुद पर काबू नहीं हुआ, मैंने आगे बढ़कर उसे अपनी बाहों में लेकर गोद में उठाया और वहीं बैठक के दीवान पर लाकर लिटा दिया। अब तक वह अपनी ब्रा खोल चुकी थी, उसके उरोज तने हुए थे।मैं उसके एक निप्पल को अपनी उंगलियों से सहलाने और दूसरे पर जीभ घुमाकर चूसने लगा। पायल पलंग पर घुटने के बल बैठकर अपने दोनों हाथों से मेरे सिर को ऐसे पकड़े हुए थी मानो छोड़ेगी ही नहीं। बायाँ निप्पल को चूसने के बाद मैंने दाएं निप्पल को काफी देर तक चूसकर दोनों बूब्स को चाटा।

मुझे अब लग रहा था कि पायल सैक्स के लिए बेचैन हो रही हैं। लिहाजा जीभ को नीचे सरकाते हुए उसकी नाभि फिर चूत के पास तक आ गया।

पायल अब तक बैठे हुए ही दोनों हाथों को पीछे टेककर दोनों पैरों को फैला चुकी थी। चूत के ऊपरी भाग पर मैंने जीभ को घुमाना शुरू किया तो पायल ने अपनी कमर उठाकर चूत की भूख को दर्शाया।

कुछ देर में वह बिस्तर पर लेट गई। अब मैं अपनी जीभ को चूत के उपरी हिस्से से लेकर नीचे तक फ़िरा कर उसका मजा लेने लगा। चूत के छिद्र में जीभ अंदर तक डालकर जीभ से ही उसे चोदने लगा। अब मुझे उसकी चूत से निकलने वाले रज की मात्रा ज्यादा लगी। मैंने मुँह उठाकर उसे देखा, तो वह अपने दोनों हाथों को तकिया के नीचे रखे थी, उसका मुँह एक ओर मुड़ा था और दोनों आँखें बंद थी। चूत से जीभ का स्पर्श हटते ही उसने चेहरा सीधा कर आँखें खोली।

अब मैं उसके चेहरे पर झुका हुआ था। उसने अपने हाथ बढ़ाकर मेरे सिर को दोनों ओर से पकड़कर अपनी ओर खींचा और मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर चूसने लगी। थोड़ी ही देर में वह मेरे मुँह में अपनी जीभ घुमाने लगी। उसके हालिया प्यार का ढंग बहुत बेताबी वाला था, ऐसा लग रहा था मानो वह मुझे खा जाना चाहती हो।

होंठ से शुरू हुए उसके प्यार ने तेजी पकड़ी, उसने मेरे सिर को पकड़े हुए ही मुझे पलटा दिया। अब मैं नीचे हो गया और वो मेरे ऊपर आ गई, मुझे लेटाकर उसने मेरी छाती पर अपने होंठ लगाए और मेरे स्तन की घुंडी को चूसने लगी, फिर नीचे आई और मेरे लौड़े को हाथों में पकड़कर प्यार करने लगी। यह करते हुए ही उसने मेरे लंड ले गुलाबी अग्र भाग को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी, थोड़ी देर बाद ही उसने मेरे लौड़े को अपने मुँह में पूरा लेने का प्रयास किया, उसके छोटे से मुँह में पूरा सुपारा भी समा नहीं पाया।

कुछ देर पूरा लौड़ा अपने मुख में समा लेने की बाद वह अपनी जीभ से लंड को चाटने लगी।

मैं अब गरमा चुका था, मुझे लगा कि अभी यदि पायल को नहीं हटाया तो मेरा वीर्यपतन हो जाएगा। मैं उठा और पायल को पकड़कर तकिए में उसका सिर रखा। अब अपने लंड को उसकी चूत में ऊपर से नीचे रगड़ कर छेद में लगाया, हल्के से झटके से लंड थोड़ा सा भीतर हुआ, मैंने उसको चूमना शुरू कर दिया, पर अब उसका मन नीचे लगा था तो उसने अपनी कमर को उछाला और लंड को और भीतर लेने की कोशिश करने लगी।

उसकी बेताबी को समझकर मैंने भी झटका दिया, वह हल्के से कराही और थोड़ी देर में उसने फिर झटका मारा। अबकी बार मेरा लंड पूरा उसकी चूत में समा गया। नीचे से उसकी उछाल और ऊपर से मेरे झटके ज्यादा देर तक नहीं चले। वह मुझसे जोर से चिपकी, तभी मेरा फव्वारा भी उसकी चूत में छूट गया।

मैं उसके ऊपर ही निढाल पड़ा था।

कुछ ही देर में वह उठी और बोली चलिए- खाना खाते हैं फिर और लगेंगे।

यह बोलकर उसने पलंग के पास ही रखी अलमारी से अपना गाउन निकालकर पहना और रसोई की ओर बढ़ ली।

मैं भी वाशरूम गया और फ्रेश होकर लोअर टीशर्ट पहन लिया।

वह रसोई में खाना गरम कर रही थी, मुझे वहीं पास में रखे डायनिंग टेबल पर बिठाने के बाद वह अचार सैट बाउल लेकर आई।

वह रसोई से पूरा खाना लेकर आई, मैंने उसे भी बैठने कहा, वह बोली- बस दो मिनट !

सारा खाना मेज पर सजाने के बाद मेरे लिए प्लेट में भोजन परोसने लगी।

मैं बोला- खाना तो लजीज़ होगा, इसकी खुशबू से भूख और बढ़ गई है।

उसने हंसकर बात टाल दी।

खाना वाकई लाजवाब बना था। खाना खाते समय भी हमारी मस्ती चलती रही। आखिर में श्रीखंड खाकर तो मजा ही आ गया।

हम खाने के बर्तन मेज पर ही छोड़कर चूमाचाटी में लग गए।

अब पायल ने कहा- जवाहरजी, मेरी एक इच्छा है।

मैं बोला- हाँ बोलो !

वह बोली- आप यहीं पर अपने पूरे कपड़े उतारकर नंगे ही पलंग तक चल कर दिखाइए ना मुझे।

मैं बोला- ठीक है, पर नंगी आप भी रहेंगी।

वह हाँ बोली, तो मैंने अपने कपड़े उतारकर वहीं कुर्सी पर रख दिए और नंगा ही पलंग के आखिर तक गया।

पायल भी गाउन उतारकर नंगी बैठ गई। मैं दो तीन बार वहाँ चला, पायल ने मुझे बुलाया तो मैं उसके पास गया।

पायल ने मेरे थोड़ा खड़े लंड को हाथ और मुँह से सहलाना शुरू कर दिया। अब मेरा लौड़ा पूरा तन गया। उसने वहीं कुर्सी पर बैठे बैठे मेरा लौड़ा तान दिया।

अब मैंने उसका कंधा पकड़ कर उठाया और होंठों पर होंठ रखकर लंबा चुम्बन लिया। इसके बाद वहीं घुटना मोड़कर बैठा और उसकी चूत को प्यार करने लगा। वह गर्म हो रही थी, बोली- चलिए ना, बिस्तर पर चलते हैं।

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मैं बोला- अब एक बार तुम भी कैट वाक करके दिखा दो।

वह अपने गदराए बदन को सीधा करके खड़ी हुई और पलंग की ओर चल दी। उसे इस तरह पूरी नंगी देखना मेरे लिए मस्त कर देने वाला अनुभव रहा। हाँ उसकी एक खास बात आपसे शेयर कर रहा हूँ, यह भी मैंने उसके पीछे घू्म कर चलते समय देखा। यह कि उसकी गांड के दोनों ओर बीच में डिंपल पड़ता है, वैसा ही जैसे हममें से कई लड़के लड़कियों के गाल पर पड़ता हैं। यह देखकर मेरा मूड उसे तुरंत चोदने का होने लगा।

तो उसके पलंग के पास पहुँचते ही मैं उसके पीछे आ गया और उसे पलंग पर गिरा दिया।

पायल को पलंग पर गिराने के बाद मैंने उसके चूतड़ों पर हाथ फिराया और उसके बगल में लेटकर उसे अपने ऊपर खींचा व उसके होंठों को चूसने लगा। पायल अब मेरे ऊपर लेट कर चुम्बन में मुझे भी सहयोग दे रही थी। मैं अपना हाथ उसकी चूत पर ले गया और ऊँगली अंदर न डालकर चूत को बाहर ही सहलाने लगा। वह भी नीचे हुई और मेरे लौड़े को चाटने-चूसने लगी।

अब मैं घूमा और उसकी चूत की ओर बढ़कर उसे चाटने लगा। चूत का ऊपरी भाग चाटने के बाद मैं उसके छेद को जितना हो सका उतना भीतर तक जाकर चाटा और अब अपनी जीभ छेद से और नीचे लाकर उसकी गांड की ओर बढ़ाई। गांड के दोनों ओर के डिंपल को चाटने के बाद मेरे मन में अब उसकी गांड मारने की इच्छा बलवती होने लगी। तो गांड के छेद पर भी जीभ मारकर उसे गीला बनाया।

पायल मेरी इच्छा समझ गई थी इसलिए बोली- जवाहरजी, आप उधर पीछे कहाँ लग गए हैं? इधर मेरी चूत पर आइए ना ! आपके प्यार की इसे जरूरत है।

मैं बोला- पायल, तुम्हारा पूरा शरीर मेरा है इसलिए ही पूरे शरीर को प्यार कर रहा हूँ।

वह बोली- प्यार तक ठीक है जवाहरजी, पर मेरी गांड में लंड डालने का प्लान मत बनाइएगा क्योंकि अब तक तो केवल मेरी चूत ही लौड़े के लिए तरसती रही है, कहीं मेरी गांड को भी आपने अपने लौड़े की आदत डाल दी तो फिर इसकी पूर्ति मैं कहाँ से कर पाऊँगी।

मैं बोला- वह तो ठीक है पायल, पर तुम्हारी गांड ने तुम्हारे लिए मेरी भूख बढ़ा दी है। इतनी सुंदर गांड को सुरेन्द्रजी ने कैसे अनदेखा कर दिया है, समझ नहीं आ रहा हैं।

“उसके बारे में आप ज्यादा मत सोचो, जब मेरी चूत की प्यास उन्हें समझ नहीं आई है, तो वो मेरी गांड को कहाँ से देखते?” यह बोल कर वह अब सीधी हो गई और मेरे चेहरे पर अपने होंठ घुमाने लगी।

मैं बोला- पायल यानि तुम्हारी गांड की सील अभी खुली नहीं हैं, मैं इसमें एक्सपर्ट हूँ। मेरा विश्वास मानो, तुम्हें शुरू में थोड़ी तकलीफ जरूर होगी, पर बाद में बहुत मजा आएगा और इस बहाने ही सही मैं तुम्हें अक्सर याद आया करूँगा।

पायल बोली- याद तो मुझे और मेरी चूत को आप और आपका लंड हमेशा आता रहेगा। अब मेरी गांड को भी आपकी याद सताने लगी, तब तो मैं मर ही जाऊँगी।

मेरा मन अब उसकी गांड पर आ गया था इसलिए मैंने उसके लिए प्रयास किया, पर अभी वो नहीं मानी। आखरी में पायल ने कहा- कल इसमें करवाऊँगी पर अभी तो चूत को ही चोदिए। हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना डॉट कॉम पर !

मैंने कहा- कल तो आपके साहबजी आ रहे हैं, कल अपनी मुलाकात कहाँ हो पाएगी।

वह बोली- अभी आप चूत पर लगिए। यह ट्रिप निपटाकर अपन कल के बारे में बात करते हैं।

यह बोलकर वह मेरे लौड़े को सहलाने लगी। लिहाजा मैंने भी अब उसकी चूत पर ही अपना ध्यान लगाया। हाँ ! उसकी गांड की सुंदरता से मेरा मन नहीं हट पाया था तो उसे बोला- पायल, तुम्हारे कूल्हों में ये डिंपल बनाने के लिए कुछ किया है क्या तुमने?

वह बोली- इन्हें बनाने के लिए मैंने कुछ नहीं किया, ये अपने आप बने हैं।

मैं बोला- मैं एक बार और तुम्हारी गांड को अच्छे से देखना चाहता हूँ, पीछे पलटो ना।

वह बोली- ठीक हैं, पर अपना लंड उसमें घुसाने के फेर में मत रहिएगा ना।

यह बोलकर वह पलट गई। इस गदराई काया को देखकर मैंने मन ही मन कहा- वाह रे ऊपर वाले ! यह बेशकिमती हीरा उसे दे दिया जिसे कांच और हीरे के बीच का अंतर नहीं पता। ऊपर से घर में रखे इस नायाब हीरे को ठुकराकर वह पत्थर के बेजान टुकड़ों का सौदा करने के काम में लगा है, जबकि मैं खुद ऐसे अगिनत लोगों को जानता हूँ जो ऐसे हीरे को सुख देने के लिए दिन और रात एक कर सकते हैं।

यह बोलकर मैं उसके नर्म, गोरे शरीर को देखने लगा।

पायल बोली- देख लिया तो सीधे हो जाऊँ?

मैं बोला- बस दो मिनट और !

ऐसा बोलकर मैं उसकी गांड की ओर सरका और होंठ बढ़ाकर गांड के दोनों ओर बने डिंपल को चूमा। अब मैं उसके ऊपर आ गया और अपने लौड़े को भी दोनों ओर के डिंपल में लगाया।

मेरा लौड़ा अपनी गांड से टिकते ही पायल बोली- देख लिए ना, अब मैं सीधी हो रही हूँ।

मैं बगल हुआ, कहा- चलिए अब जैसा आप चाहें।

पायल वापस कमर के बल लेटी। मैं घुटने के बल उसके उसके चेहरे के पास आ गया था। पायल मेरे लौड़े को पकड़ती हुई बोली- जवाहरजी, आप इसे मुझसे दूर मत करना बस। बाकी मैं तन, मन और धन से सदा आपकी ही हूँ।

यह बोलकर उसने मेरे लौड़े को चूसना शुरू किया। हालांकि मेरा लंड उसके मुँह में घुस नहीं रहा था, पर वह उसे मुंह के अंदर लेने का पूरा प्रयास कर रही थी। कुछ देर बाद लंड को मुंह में लेने का प्रयास बंद कर वह अपनी जीभ से उसे चाटने लगी। अब मैंने उसके स्तन को पकड़ा और बहुत हल्के हाथों से दबाने लगा। दोनों बूब्स को दबाने के बाद अब मुंह को उसके स्तन पर लाया और निप्पल को चूसने लगा। मैंने महसूस किया कि निप्पल शुरू की तुलना में अब ज्यादा कड़े हो गए हैं। यानि अब पायल भी पूरी तरह से गरमा चुकी है। मैंने अपने हाथों से इसके दोनों बूब्स को जोड़ा और बीच में जीभ मारने लगा।

वह बोली- जल्दी करिए ना।

ऐसा थोड़ी देर करने के बाद मैं थोड़ा नीचे सरका, उसके पेट व नाभि में जीभ डालकर घुमाया, व यहाँ से उसकी चूत के ऊपरी भाग पर जीभ चलाता हुआ, उसकी चूत की तिल्ली फिर छेद के मिलते हिस्से को चूसने के बाद छिद्र में जीभ डालकर आगे पीछे किया। मैंने महसूस किया कि इसकी चूत से रज अब ज्यादा बह रहा है। पायल के मुँह से आवाज भी नहीं आ रही थी। उसकी आँखें बंद थी, पर चेहरा उत्तेजना से लाल होकर कस गया था। उसका चेहरा देखकर मैंने अब बिना रूके चुदाई का निर्णय लिया और सीधे ऊपर उसके चेहरे पर आकर अपने होंठ रख दिए।

अपने हाथ से उसने मेरा चेहरा पकड़ और मेरे होंठों को अपने दांतों के बीच रखकर हल्के से दबाने लगी। उसके प्यार का रंग अब मुझे ज्यादा गहरा दिख रहा था। यह भय भी हुआ कि कहीं वो ज्यादा जोश में आ गई तो मेरे होंठ को ही चबा देगी। इसलिए ऐहतियात के तौर पर मैंने उसका चेहरा पकड़ कर अपने होंठों को उसके दांतों के बीच से निकाला और अपनी जीभ को उसके मुंह में डाल कर घुमाया व अपने लंड को उसकी चूत के द्वार पर लगाया।

मैं लंड को अंदर करने झटका लगाऊँ, इससे पहले उसने ही नीचे से उछाल भर कर मेरे लंड को अपनी चूत के अंदर कर लिया। लंड को उसने अंदर किया, यह तो अलग बात है पर इसके साथ ही वह ऐसे झटके लगा रही थी मानो वह ही मुझे चोद रही हो।उसकी यह बेताबी मुझे शर्मिन्दा कर रही थी, पर कुछ देर में ही उसके झटके शांत हो गए। उसके झड़ जाने पर मैंने भी अपनी स्पीड तेज की। लिहाजा जल्दी ही मेरा फव्वारा भी छूट गया।

वहीं पलंग में अगल-बगल लेटे हुए हमने बात शुरू की। मैंने कहा- हाँ, कल का कैसे करेंगे?

पायल बोली- मैं उन्हे आपके बारे में बताऊँगी कि आप मेरे भाई के दोस्त हैं, जो मेरे मायके भचावत से आए हैं और अभी दो दिन और रूकेंगे। यह बोल कर सुरेन्द्र को मना लेंगे, फिर आप सुरेन्द्र से बात शुरु करना। वे बात बहुत ज्यादा करने का आदि हैं, और उन्हें शर्त लगाने की बहुत बुरी आदत है। बात बात में वे शर्त लगा बैठते हैं। हाँ आप शर्त में मुझे जीतने की कंडीशन रख देना और मजा आ जाएगा, जब आप यह शर्त जीत जाओगे।

मैंने उसे तो हाँ कर दिया, पर इसे शर्त में लगाने से कहीं वो नाराज न हो जाएँ, यह सोचने लगा। अब मेरे दिमाग में कल का प्लान घूमने लगा, सो पायल की अभी चुदाई से अलग हटकर उस ओर ही विचार करने लगा।आखिरी में यह तय किया कि कल के बारे में अभी से क्यों सोचूं, कल जो होगा वो देखा जाएगा। और सुरेन्द्र मुझे घर में रहने देता है या नहीं, पहले तो इस बारे में सोचना है कि यदि कल उसने घर में रूकने नहीं दिया तो फिर यहाँ कहाँ रूकूँगा।

मैंने पायल की ओर देखा, वह अब बेसुध सी पड़ी हुई है यानि अब यह भी सोने वाली है।



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