मेरी पत्नी ने मेरा इंतज़ाम किया

दोस्तो मेरी एक और कहानी आपके– लिए –दोस्तो अब थोड़ा सा अपने बारे में भी बता देता हूँ दोस्तो मेरा नाम राज है। मेरी उम्र, 33 साल की है और मैं एक गठीले बदन का मालिक हूँ.. मेरी लंबाई 6 फीट है और वजन है, करीब 70 किलो..
मेरा लौड़ा, काले रंग का है.. बहुत लंबा तो नहीं है पर सामान्य से बड़ा ही है.. लेकिन, मोटा बहुत ज़्यादा है.. शेप में, थोड़ा टेडा भी है..
जब ढीला होता है तो करीब 5 इंच लंबा होता है और करीब 4 इंच मोटा होता है.. लेकिन, जब फन फ़ना कर खड़ा हो जाता है तो पूरा 9 इंच लंबा हो जाता है और लण्ड की मोटाई भी 4 इंच से बढ़ कर 6 इंच हो जाती है..
मेरी बीवी भी कहती है की मेरे लण्ड की मोटाई कुछ ज़्यादा ही है और उसकी चूत में मेरा लण्ड मोटा होने की वजह से ही, उसकी चूत का चुद चुद कर भोसड़ा बन गया है।

दोस्तो, मुझे सेक्स में बहुत मज़ा आता है।
शादी से पहले, मैं बहुत मूठ मारता था इसलिए मेरा लौड़ा लंबा और मोटा होता चला गया।
मेरी शादी, जब मैं 22 साल का था तब हुई थी।
मेरी वाइफ का नाम, रश्मि है।
रश्मि की लंबाई, 5 फीट 4 इंच है और काफ़ी सुडौल और मांसल बदन की औरत है।
रश्मि की उम्र, अभी 29 साल की है और उसका रंग सांवला है.. उसकी चूचियाँ का साइज़ “36 सी” है.. उसके चूतड़ काफ़ी मांसल और बड़े है..
रश्मि भी बहुत सेक्सी है और सेक्स में बहुत रूचि लेती है.. ..
सेक्स करते वक़्त, रश्मि बहुत ज़्यादा उत्तेजित रहती है और बेहद गंदी और अश्लील बातें करना बहुत पसंद करती है।
रश्मि कहती है की सेक्स करते वक़्त गंदी बातें करने से, एक दूसरे को माँ-बहन की गलियाँ बकने से, दूसरे मर्द के लण्ड के बारे में सोचने से और शादी से पहले मेरी गर्ल फ्रेंड की चुदाई के बारे में सुनने से, उसे बहुत अच्छा ऑरगनिस्म होता है।
मैंने भी उसको बहुत सी ब्लू फिल्म में दूसरे मर्द के लण्ड दिखाए हैं।
वैसे, मैं जानता हूँ की उसने हक़ीकत में भी शादी के पहले और बाद में भी बहुत से लण्ड देखे हैं..
खैर, मैंने उसको कहा है की जब भी मौका लगे तो किसी दूसरे मर्द के लण्ड का भी टेस्ट ले कर देख सकती है.. जिसके लिए, मैंने उसको पूरी पर्मिशन दे रखी है..
अब मना करने से, वो “सतीत का व्रत” तो ले नहीं लेगी.. तो बेहतर है, रिश्ते में पारदर्शिता हो..
मैं जानता हूँ की बहुत से मर्द, मेरे बारे में क्या राय बना रहे होंगे.. पर, क्या एक भी मर्द सीना ठोंक कर, ये कह सकता है कि उसकी पत्नी शादी से पहले या उसके पीठ पीछे, किसी से नहीं चुदी..
चलिए, वो सब लोग मुझे “लुल्ला” कह सकते हैं जिनकी पत्नी सुहागरात के दिन, कुँवारी थी और उनका लण्ड खून से सना था।
मैं ये भी जानता हूँ, इतना पारदर्शी और खुला शादीशुदा जीवन जीने के बाद भी इस बात की कोई गारंटी नहीं है की मेरी बीवी पूरी तरह मेरे साथ ईमानदार ही होगी पर फिर भी संललिता, कुछ तो कम होती ही है।
खैर, अब वापस आते हैं कहानी पर… …
रश्मि, एक सेकेंडरी स्कूल टीचर है और होशंगाबाद में एक स्कूल में पढ़ाती है।
हमारा एक 2 साल का बच्चा है, जो मेरी सास यानी रश्मि की मम्मी के पास गाडरवारा में भेज रखा है।
एक तो दोनों की व्यस्तता के चलते और दूसरा हमारे सास ससुर के अकेले होने के कारण।
रश्मि, उनकी अकेली बेटी है।
इधर, मैं भी सरकारी नौकरी में हूँ।
बदक़िस्मती से, मेरी पोस्टिंग पिछले दो साल से जबलपुर में है.. इसलिए, मैं और रश्मि साथ साथ नहीं रह पाते..
जब छुट्टियाँ होती हैं तो या तो मैं होशंगाबाद 2-3 दिन के लिए, चला जाता हूँ या रश्मि 2-3 दिन के लिए, जबलपुर आ जाती है।
मैं जबलपुर में, सरकारी घर में रहता हूँ.. उधर, रश्मि ने भी होशंगाबाद में एक कमरा किराए पर ले रखा है..

जैसा आप समझ ही गये हैं मैं और रश्मि, सेक्स के मामले में पूरी तरह खुले हुए हैं इसलिए रश्मि ने यहाँ जबलपुर में मेरे लिए एक 25-26 साल की विधवा बाई रखवा दी.. जो, सुबह बहुत जल्दी आ जाती है और रात का खाना बना कर मुझे खिलाने के बाद ही, वापस जाती है..
बाई का नाम – डॉली है।
डॉली बहुत गोरी है, लेकिन थोड़ी मोटी है।
रश्मि ने बाई रखने के बाद, मुझ से हंसते हुए कहा था – राज, तुम्हारा तो टेम्पररी इंतेज़ाम मैंने कर दिया… अब, मेरा क्या… ??
मैंने भी रश्मि को तुरंत हंसते हुए जवाब दिया – ऐसा भी क्या है रश्मि, मेरी जान… तुम अपने लिए होशंगाबाद में भी कोई टेम्पररी इंतेज़ाम कर लो… ढूँढ लो, कोई मूसल सा लण्ड, जो तुम्हारी चूत की सर्विसिंग करता रहे… तुम तो जानती हो, मुझे तो कोई परेशानी नहीं है… बस, शर्त यही है, मुझे विस्तार से सब बताना होगा… हो सके तो, एक आध फोटो भी ले लेना…

खैर, मुझे नहीं मालूम इधर रश्मि ने डॉली से क्या बातें की इस बारे में।
मैं रोज लूँगी पहन कर सोता हूँ और लूँगी के नीचे चड्डी नहीं पहनता।
रोज सवेरे, डॉली मुझे चाय देती है और फिर झाड़ू पोंछ करती है और मैं चाय के साथ ही न्यूज़ पेपर पढ़ता हूँ।
दो तीन दिन तक, मैंने नोटीस किया की डॉली मेरे पैरों की तरफ फ्लोर पर बैठी हुई काफ़ी देर तक पोंछ लगाती रहती थी और कनखियों से मेरी लूँगी के भीतर देखती रहती थी.. जिसमें से, मेरे पैर पर पैर रखने से मेरा लटका हुआ लिंग उसे साफ़ साफ़ दिखता था..
मैंने सोचा, शायद बेचारी शादी से सिर्फ़ कुछ महीनों बाद ही भरी जवानी में विधवा हो गई.. इसलिए, डॉली को मेरा लिंग देखने मे मज़ा आता होगा..
कुछ भी कहो, विधवा हुई तो क्या अरमान थोड़ी ही ना मर जाते हैं।
इसलिए, जब चौथे दिन डॉली फिर काफ़ी देर तक झाड़ू के बहाने से फ्लोर पर बैठी हुई चोरी चोरी मेरा लिंग देख रही थी तो यह सोच कर की एक जवान औरत, बड़े ध्यान से मेरा लण्ड देख रही है, मेरा लटका हुआ लण्ड भी फन फ़ना कर खड़ा हो गया और उस दिन डॉली ने मेरा पूरा खड़ा हुआ लण्ड देखा।
वैसे भी, डॉली असल में बाई जैसी कहीं से नहीं है।
दिखने में वो सुंदर भले ही ज़्यादा ना हो, पर गोरी बहुत थी.. साथ ही साथ, वो एक कमसिन जिस्म की मालकिन थी..
उसके ससुराल वालो ने, बेटे को खा जाने का इल्ज़ाम लगा के घर से निकाल दिया और मायके में भाई भाभी ने मनहूस का दर्जा दे कर घर से भगा दिया।
इधर उधर, बर्तन भंडे करने के बाद, उसकी मुलाकात अनायास ही मेरी बीवी रश्मि से हो गई।
मैं भी उसको अपना लण्ड दिखाता रहा.. लेकिन, उसे ये नहीं मालूम होने दिया की मैंने उसको लण्ड देखते हुए देख लिया है..

रश्मि के होशंगाबाद चले जाने के पाँच दिन बाद, जब मैं सुबह नहाने के लिए बाथरूम में गया तो देखा डॉली वहाँ नंगी हो कर नहा रही थी और उसकी पीठ मेरी तरफ थी।
बाथरूम के दरवाजे की कुण्डी नहीं लगती थी.. इसलिए, शायद उसने दरवाजा बंद नहीं किया होगा..
मैंने डॉली को जब नंगा देखा तो ठिठक कर रुक गया.. लेकिन, मेरी आहट डॉली ने सुन ली थी..
डॉली उठी और तुरंत दरवाजे पर टाँगें अपने पेटिकोट से अपने सामने चूत के हिस्से को छिपाते हुए, मेरी तरफ मुँह कर के कहा – बाबूजी, जल्दी नहाना है क्या… ??
डॉली पीछे से अभी भी पूरी नंगी थी और उसके गोरे, नंगे, गोल गोल चुत्तड़ मेरी आँखो के सामने थे..
मैंने कहा – नहीं, नहीं… पहले, तुम नहा लो… मैं बाद में नहा लूँगा…
यह कह कर, मैं वापस चला आया.. लेकिन, गोरी चिकनी डॉली का नंगा पिछवाड़ा देख कर, मेरा लण्ड फन फ़ना कर खड़ा हो चुका था और मेरी लूँगी का टेंट बन चुका था..
10-15 मिनट बाद, मैंने सोचा की शायद डॉली अब तक तो नहा कर किचन में चली गई होगी और फिर से बाथरूम की ओर गया।
बाथरूम का दरवाजा, लुड़का हुआ था और पानी गिरने की आवाज़ भी नहीं आ रही थी।
मैंने जैसे ही, दरवाजा खोला तो देखा डॉली अभी भी बाथरूम में ही थी।
इस बार, डॉली मेरी तरफ मुँह करके बिल्कुल नंगी खड़ी थी और एक छोटे तौलिए से अपने बाल सूखा रही थी.. जिस कारण, तौलिए से उसका मुँह और आँखें ढकी हुई थी और वो मुझे नहीं देख पाई..
मेरी निगाह, सीधी उसकी टाँगों के बीच जा कर टिक गई।
उसकी चूत पर, घनी घनी काली झांटों का जंगल था और उन झांटों के बीच उसकी चूत फूली हुई लग रही थी।
काली काली झांटों के बीच, उसकी चूत की दोनों होंठ साफ़ नज़र आ रहे थे।
दोनों होंठ, आपस में बिल्कुल चिपके हुए थे.. जिससे, साफ़ समझ आ रहा था की बिचारी विधवा होने से पहले, ज़्यादा नहीं चुद पाई है..

जैसे ही, उसने तौलिया हटाया तो डॉली मुझे सामने देख कर शरमा गई।
उसने तौलिये से, तुरंत अपनी चूत ढकने की कोशिश की। लेकिन, उसके बड़े बड़े गोल गोल दूध, नंगी चिकनी जांगें और गोरे गोरे चुत्तड़ अभी भी मेरे सामने नंगे थे।
मुझे देख कर, डॉली शरमाती हुई बोली – बाबूजी, आज दफ़्तर क्या जल्दी जाना है… अंदर आ जाओ और नहा लो… मैं तो बस, नहा ली…
यह कह कर, डॉली एक हाथ से अपनी चूत के सामने छोटा सा तौलिया लगा कर और दूसरे हाथ में अपना पेटिकोट ले कर नंगी ही बाहर आ गई और किचन में चली गई।
बाहर आते समय, उसकी नज़र शायद मेरी लूँगी के टेंट पर थी।
खैर, मैं बाथरूम में चला गया और दरवाजा भेड़ कर नंगा हो कर नहाने लगा।
रोज की तरह, मैं सिर्फ़ तौलिया ले कर ही गया था।
तौलिया और लूँगी, मैंने दरवाजे के पल्ले पर ही टाँग दी थी।
मैंने नहाने से पहले, अपने खड़े हुए लण्ड को शांत करने के लिए बाथरूम में खड़े खड़े ही मूठ मारनी शुरू ही की थी की डॉली दरवाजा खोल के अंदर आ गई।
डॉली ने अब सिर्फ़, एक पेटिकोट पहन रखा था जो उसने अपने बड़े बड़े तरबूज जैसे दूध को ढँकते हुए छाती पर बाँध रखा था।
उसने मेरे लण्ड पर नज़र जमाए हुए ही, मुझ से कहा – बाबूजी, लाओ उतरे हुए कपड़े मुझे दे दो… मैं धो धूंगी…
यह कहते हुए, उसने लूँगी दरवाजे से उतार ली.. लेकिन, इस दौरान उसकी नज़र मेरे 9 इंच लंबे और 6 इंच मोटे लिंग पर ही टिकी हुई थी..
मैं अपने इतने बड़े लिंग को, किसी तरह से भी उसकी नज़र से छुपा नहीं सकता था।
उसने झुक कर, लूँगी को पानी की बाल्टी में डाला।
लूँगी पानी की बाल्टी में डालते हुए, उसकी कोहनी मेरे लिंग से रगड़ खा गई.. लेकिन, मुझे तब बहुत हैरानी हुई जब उसने लूँगी को बार बार बाल्टी में डाल कर बाहर निकाल कर निचोड़ना शुरू किया और हर बार उसकी कोहनी मेरे लण्ड से रगड़ खा रही थी क्योंकि बाथरूम में जगह बहुत कम थी..
बीच बीच में, डॉली नज़र घुमा कर मेरे खड़े लण्ड को देख रही थी.. ..
मैंने सोचा शायद, यह जानमुझ कर ऐसा कर ही है और इसने मेरा खड़ा लण्ड देख तो लिया ही है।
मैंने उसे कहा – डॉली, यह तुम क्या कर रही हो… मेरा तो खड़ा हो गया… अब, मैं क्या करूँ…
डॉली, मेरी ओर मुँह करके खड़ी हुई।
मैंने देखा उसकी साँसे बहुत तेज चल रही थी और उसकी नज़र, मेरे खड़े लण्ड पर टिकी हुई थी।
मैंने अपने एक हाथ से उसका हाथ पकड़ा और अपने लण्ड पर रख दिया।
मैंने मन ही मन सोचा – शायद, अपना हाथ झटक देगी… लेकिन, उसने ऐसा नहीं किया..
उसने तुरंत, अपने हाथ से मेरा खड़ा मोटा लण्ड कस कर पकड़ा और फुसफुसते हुए धीरे से बोली – बाबूजी, आपका तो बहुत मोटा है…
जैसे ही, उसने मेरा लण्ड पकड़ा मुझसे रहा नहीं गया।
मैंने झट से, डॉली के पेटिकोट का नाडा खोल दिया और बोला – डॉली, इसे भी उतार दो…
उसने तुरंत अपना पेटिकोट निकाल कर, दरवाजे पर टांग दिया।
अब वो, बिल्कुल “नंगी” थी.. ..
मैंने उसके बिल्कुल नंगे जिस्म को निहारा और अपने से लिपटा लिया और उसके पूरे बदन पर हाथ फेरने लगा।
उसकी साँसें, अब बहुत तेज चल रही थीं।
मेरा खड़ा हुआ लण्ड, उसके पेट से रगड़ खा रहा था।
डॉली ने अभी भी मेरा लण्ड पकड़ रखा था तभी डॉली धीरे से बोली – बाबूजी, आप मेरे साथ क्या करना चाहते हो…
मैंने एक हाथ उसकी झांटों भरी चूत पर फेरते हुए, उसकी चूत में उगली डाली तो देखा वो बिल्कुल गीली हो चुकी थी।
डॉली मुझसे लिपटे हुए बोली – क्यूँ बाबूजी, नंगी औरत पहले कभी नहीं देखी क्या… ?? बीबीजी को, क्या अंधेरे में चोदते हो…
मेरा लण्ड अब आपे से बाहर हो रहा था।

डॉली ने अब मेरे सारे शरीर पर साबुन लगाना शुरू किया और मेरे लण्ड और दोनों लटके हुए टट्टो को, अपने दोनों हाथों में ले कर दबाते हुए बोली – बाबूजी, दफ़्तर क्या ऐसे खड़े लण्ड को ले कर जाओगे… आप चाहो तो मुझे चोद कर, अपने लण्ड को ढीला कर लो…
अब क्या था, तुरंत नहा कर मैं डॉली को नंगे ही बेड पर ले आया और मैंने उसकी टाँगें फैला कर, अपना घोड़े जैसा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया।
उसने भी चुदवाते हुए, अपने चुत्तड़ उछालते हुए मेरा पूरा साथ दिया।
उसके दोनों हाथ, मेरे चुत्तडों को कस कर पकड़े हुए थे.. लेकिन, जैसे ही उसने अपनी एक उंगली मेरी गाण्ड में डाली, मेरे लण्ड से पिचकारी निकल पड़ी और ढेर सारी सफेद क्रीम से उसकी चूत लबालब भर गई..
लण्ड ढीला पड़ने पर, मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से निकाल कर कपड़े से पोंछा और कपड़े पहन लिए।
डॉली ने भी उठ कर, अपने कपड़े पहन लिए।
सच बात ये है, मुझे नहीं मालूम डॉली इस चुदाई में झड़ी थी या नहीं.. लेकिन, चोदते वक़्त, उसकी चूत बहुत गीली और लसलासी थी..
हाँ!! चूत कसी भी बहुत थी..
कपड़े पहन कर, जब मैं नाश्ता करने बैठा तो शरमाते हुए मैंने कहा – डॉली, सॉरी, मैं अपने आप को रोक नहीं पाया…
डॉली शरमाते हुए बोली – अरे, सॉरी कैसा बाबूजी… मैंने ही तो आपको मेरी चूत चोदने के लिए बोला था…
मैंने कहा – डॉली, मुझे लगा तुम बुरा मान जाओगी…
अब डॉली बोली – बाबूजी, आप यहाँ अकेले हैं और बीबीजी होशंगाबाद में रहती हैं… मेरे को विधवा हुए, भी 5-6 साल हो गये है… मेरे पति शादी के सिर्फ़ 4 महीने बाद ही, एक सड़क दुर्घटना में गुज़र गये थे… मेरे साथ तो उन्होंने सिर्फ़ कुछ दिन ही बिताए थे… बस 2-4 बार चोद कर, मुझे यहाँ छोड़ कर काम पर इंदौर चले गये थे… मैं वहाँ उनके पास जाने ही वाली थी की वो गुज़र गये… अब बाबूजी, आख़िर शरीर की भूख तो रहती ही है, ना… मुझे आप से चुदवा कर बहुत अच्छा लगा… आगे, जब भी आपका मन हो तो मुझे बेजीझक चोद लेना… अगर, आप शरम करेंगे या हिचकिचाएंगे तो मुझे भी शरम आएगी… नहीं तो, मैं भी जब मेरा मन करेगा तो आप से अपने आप, बेशरम हो कर चुदवा लूँगी…
उसके बाद, डॉली मुझसे रेग्युलर बेसिस पर चुदवाने लगी.. करीब करीब, रोज… कभी कभी तो दिन में दो या तीन बार हम दोनों बिल्कुल नंगे हो कर चुदाई करने लगे..
छुपाने का तो सवाल ही नहीं था, सो मैंने यह बात रश्मि को भी तुरंत ही बता दी तो रश्मि भी छूटते ही बोली – इसीलिए, तो मैंने तुम्हारे लिए डॉली को रखा है…
मैंने रश्मि से कहा – वाह यार रश्मि, तुम मेरा इतना ख्याल रखती हो… तुम भी होशंगाबाद में, कोई अपना हिसाब बिठा लो ना…
इस पर रश्मि बोली – अरे यार, इतना आसान नहीं है… जब कोई मिलेगा, तब अपने आप बिठा लूँगी और तुमको बता दूँगी… हाँ मुमकिन हुआ तो फोटो भी खींच लूँगी, एक दो… खुश…
कुछ दिन तक, सब यूँही चलता रहा…
फिर, होशंगाबाद में मीनाक्षी चौक के पास मकान का किराया ज़्यादा होने की वजह से, रश्मि ने पिछले 1-2 महीनों से रूम बदल कर एक पार्ट्नर के साथ उसके रूम को शेयर करना शुरू किया है।
उसकी रूम पार्ट्नर का नाम ललिता है और वो भी टीचर है और एक कॉलेज में लेक्चरर है।
ललिता की उम्र भी करीब 28-30 साल की होगी और उसका पति रवींद्रा भी संयोग से सरकारी नौकरी में है और भोपाल में पोस्टेड है।
उनके अभी कोई बच्चे नहीं हैं.. हुए नहीं या किए नहीं, इस बारे में मुझे जानकारी नहीं है..
खैर, ललिता के बारे में यह सब मुझे रश्मि ने ही बताया था।
ललिता के रूम पार्ट्नर बन जाने के बाद, मैं पहली दफ़ा रश्मि से मिलने होशंगाबाद करीब 2 महीने बाद ही जा पाया था.. क्यूंकी, मुझे दफ़्तर में ज़्यादा काम होने की वजह से, छुट्टी नहीं मिल पा रही थी..
बीच में, रश्मि भी केवल एक बार ही जबलपुर आ पाई.. उन्हीं दिनों, उसने मुझे ललिता के बारे में बताया..
अगस्त में, मंगलवार और बुधवार को दो लगातार छुट्टियाँ होने के कारण मैंने सोमवार की छुट्टी ले ली और शनिवार को रश्मि के पास होशंगाबाद चला गया।

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जब मैं होशंगाबाद पहुँचा, तो लगभग शाम हो चुकी थी।
मैंने रश्मि के नये कमरे को पहली बार देखा था।
रूम तो काफ़ी बड़ा था.. इसमें एक टाय्लेट बाहर बाल्कनी के किनारे में था.. लेकिन, नहाने के लिए बाथरूम नहीं था..
नहाने के लिए, रूम में ही किचन के पास एक नल दे रखा था।
होशंगबाद, कोई ज़्यादा बड़ी जगह नहीं है.. इसलिए, वहाँ कुछ इसी प्रकार के कमरे मिलते थे और यहाँ मैं उसके नये रूम का नक्शा इसलिए बता रहा हूँ क्यूंकी रूम की भी कहानी में उपयोगिता है..
ये रूम सेकेंड फ्लोर पर था।
आस पास के सभी घर, सिंगल फ्लोर के हैं।
ऊपर जाने की एंट्री सेपरेट है और रूम में पूरी प्राइवसी है।
रूम की दो चाबियाँ हैं। एक ललिता के पास रहती है और दूसरी रश्मि के पास।
कमरे में, एक डबल बेड भी था।
जब मैं पहुँचा, तो रश्मि रूम पर ही थी।
रश्मि के स्कूल टाइमिंग्स, सुबह 8 बजे से 2 बजे तक ही हैं।
मेरे पहुँचते ही, रश्मि मेरे लिए चाय बनाने लगी.. लेकिन, मुझ से इंतेज़ार नहीं हो पाया और मैंने रश्मि के कपड़े खींच कर उसको फ़ौरन नंगी कर दिया और मैं भी तुरंत नंगा हो गया..
रश्मि बोली – अरे बाबा, ऐसी भी जल्दी क्या है… चाय पी लो, फिर सारा टाइम अपना है… सारी रात, मुझे जी भर के चोद लेना…
लेकिन, मैं उसको चोदने के लिए बेताब था..
मैंने बिना कुछ कहे सुने, उसे बेड पर लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी चूचियाँ मसलते हुए, अपना लण्ड उसकी चूत के ऊपर से ही रगड़ने लगा।
अभी, मैं अपना लण्ड उसकी चूत में डालने का सोच ही रहा था की डोर बेल बज गई।
रश्मि बोली – लगता है, ललिता आ गई…
मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था क्योंकि मैं रश्मि को चोद भी नहीं पाया था और मेरा लण्ड चूत में जाने के लिए, फनफ़ना रहा था।
रश्मि ने तुरंत उठ कर, एक चादर लपेटी और एक पतला और झीना सा छोटा सा तौलिया मुझे कमर पर लपेटने के लिए दे दिया और हड़बड़ी में दरवाजा खोल दिया।
ललिता ने अंदर आ कर दरवाजा बंद कर लिया और एक सरसरी नज़र से, हम दोनों को देखा और समझ गई क्या चल रहा था।
मेरा तौलिया भी सामने से टेंट हुआ जा रहा था, जो उसने देख लिया।
मैं तो ललिता को देखता ही रह गया।
ललिता की लंबाई लगभग 5 फीट 7 इंच थी और उसका बदन बहुत ही मादक था.. ललिता, बिल्कुल गोरी थी.. उसके चुत्तड़ भी बहुत शानदार और बड़े थे..
उसकी चुचियाँ, रश्मि के मुक़ाबले बड़ी थीं..
उस वक़्त, उसने साड़ी और स्लीवलेस ब्लाउस पहन रखा था।
जब रश्मि ने, मुझे ललिता से परिचय करवाया तो ललिता ने मुझे नमस्ते की और अपनी किताबें अलमारी में रखती हुई रश्मि से मुस्कुराते हुए शरारती अंदाज़ में बोली – लगता है, मैंने रंग में भंग कर दिया… क्यों री…
रश्मि बोली – अरे नहीं, रे… ऐसी कोई बात नहीं…
ललिता ने चाय का प्याला उठाते हुए कहा – बोल तो, मैं आज रात किसी होटल में चली जाऊं…
रश्मि बोली – नहीं रे, पगली… कैसी बात करती है… होटल में, क्यूँ जाएगी…
अब ललिता, हिचकिचाते हुए बोली – लेकिन यार, यहाँ तुम दोनों… तुमको शायद प्राइवसी पसंद हो…
रश्मि तुरंत बड़ी बेशर्मी से मुझे नज़रअंदाज़ करते हुए बोली – साली, रोज तू मेरे साथ बिल्कुल नंगी हो कर, एक बेड पर साथ सोती है… नंगी हो कर, मेरे सामने बेशरम हो कर नहाती है और अपनी और मेरी चूत में घंटों उंगली करती है तो अब प्राइवसी किस बात की… रोज़, मुझसे पूछती थी ना कैसे कैसे चुदाई करते हैं, हम लोग… राज का लण्ड कैसा है… अब सब अपनी आँखों से देख लेना… सुनने से ज़्यादा मज़ा आएगा… देख, मुझे तो कोई शरम नहीं है… मैं तो तेरे सामने ही राज से चुदवा लूँगी…
ललिता बोली तो कुछ नहीं, पर मुस्कुराते हुए उसने अपनी साड़ी और ब्लाउज़ खोल कर बेड पर डाल दिया।
अब ललिता मेरे सामने, केवल पेटिकोट और काले रंग की ब्रा में थी।
थोड़ी देर इधर उधर की बातों के बाद, ललिता बोली – रश्मि यार, गर्मी बहुत है… मुझे नहाना है… तुम राज जी को बोलो, दूसरी तरफ मुँह कर लें… मुझे शरम आती है…
रश्मि ने कहा – साली नौटंकी… मुझे बहुत अच्छे से मालूम है, तू कितनी शर्मीली है… यार, वैसे सही में गर्मी तो बहुत है… नहाना तो हम दोनों को भी है… और रही, तेरी शरम… तो वो हम निकाल देते हैं और पहले हम दोनों नहाना शुरू करते हैं…
यह कह कर, रश्मि ने अब तक अपने शरीर पर लिपटी चादर उतार कर तुरंत बेड पर फेंक दी और बिल्कुल नंगी हो गई और मुझे नहाने के लिए बोलते हुए मेरा तौलिया भी खींच कर, मुझे भी बिल्कुल नंगा कर दिया।
मेरा तना हुआ लण्ड, अब ललिता की आँखों के सामने था।
अपनी बीवी के साथ में, मैं पहली बार किसी और औरत के सामने नंगा था।
ये एहसास ही, मुझे झड़ने पर मजबूर किए दे रहा था।

इधर, मुझे नंगा करने के बाद रश्मि ने ललिता का पेटिकोट ज़बरदस्ती खींच कर उतार दिया और ललिता उसे मना करती रही.. लेकिन, उसने एक बार भी रश्मि को पेटिकोट उतरने से रोका नहीं..
ललिता के बदन पर, अब सिर्फ़ एक छोटी सी जाली की पैंटी और ब्रा ही रह गये थे।
पैंटी की जाली में से, उसकी झांट साफ़ नज़र आ रही थी।
नहाते हुए, मैंने देखा की ललिता की साँसें तेज हो रही थीं।
रश्मि ने यह देख कर ललिता से कहा – ललिता, तू भी आ जा और हमारे साथ ही नहा ले…
लेकिन, ललिता शायद अभी भी थोड़ा शरमा रही थी।
रश्मि ने ललिता की हिचकिचाहट देखी तो नंगी ही अपने नंगे चुत्तड़ हिलाते हुए, उसके पास गई और उसकी पैंटी एक झटके मैं नीचे उतार दी और ब्रा भी खोल कर बेड पर फेंक दी।
अब वो पूरी नंगी थी.. ..
अपनी बीवी के द्वारा, मेरे सामने किसी और औरत को नंगा करने से मैं अपने उपर काबू नहीं कर पाया और लण्ड ने पिचकारी निकाल दी..
इधर, ललिता कपड़े उतरवाते हुए भी मेरा लण्ड देख रही और उसने मेरी पिचकारी निकलते हुए देख ली..
मैंने फ़ौरन अपने लण्ड पर दो तीन मगे पानी डाला.. मैं इतना ज़्यादा उतेज्ज़ित हो गया था की मेरा लण्ड निकलने के बाद भी पूरी तरह खड़ा था..
ऐसा मेरे साथ, पहले कभी नहीं हुआ था।
इस पर रश्मि बोली – अरे यार, इतना आसान नहीं है… जब कोई मिलेगा, तब अपने आप बिठा लूँगी और तुमको बता दूँगी… हाँ मुमकिन हुआ तो फोटो भी खींच लूँगी, एक दो… खुश…
कुछ दिन तक, सब यूँही चलता रहा…
फिर, होशंगाबाद में मीनाक्षी चौक के पास मकान का किराया ज़्यादा होने की वजह से, रश्मि ने पिछले 1-2 महीनों से रूम बदल कर एक पार्ट्नर के साथ उसके रूम को शेयर करना शुरू किया है।
उसकी रूम पार्ट्नर का नाम ललिता है और वो भी टीचर है और एक कॉलेज में लेक्चरर है।
ललिता की उम्र भी करीब 28-30 साल की होगी और उसका पति रवींद्रा भी संयोग से सरकारी नौकरी में है और भोपाल में पोस्टेड है।
उनके अभी कोई बच्चे नहीं हैं.. हुए नहीं या किए नहीं, इस बारे में मुझे जानकारी नहीं है..
खैर, ललिता के बारे में यह सब मुझे रश्मि ने ही बताया था।
ललिता के रूम पार्ट्नर बन जाने के बाद, मैं पहली दफ़ा रश्मि से मिलने होशंगाबाद करीब 2 महीने बाद ही जा पाया था.. क्यूंकी, मुझे दफ़्तर में ज़्यादा काम होने की वजह से, छुट्टी नहीं मिल पा रही थी..
बीच में, रश्मि भी केवल एक बार ही जबलपुर आ पाई.. उन्हीं दिनों, उसने मुझे ललिता के बारे में बताया..
अगस्त में, मंगलवार और बुधवार को दो लगातार छुट्टियाँ होने के कारण मैंने सोमवार की छुट्टी ले ली और शनिवार को रश्मि के पास होशंगाबाद चला गया।

जब मैं होशंगाबाद पहुँचा, तो लगभग शाम हो चुकी थी।
मैंने रश्मि के नये कमरे को पहली बार देखा था।
रूम तो काफ़ी बड़ा था.. इसमें एक टाय्लेट बाहर बाल्कनी के किनारे में था.. लेकिन, नहाने के लिए बाथरूम नहीं था..
नहाने के लिए, रूम में ही किचन के पास एक नल दे रखा था।
होशंगबाद, कोई ज़्यादा बड़ी जगह नहीं है.. इसलिए, वहाँ कुछ इसी प्रकार के कमरे मिलते थे और यहाँ मैं उसके नये रूम का नक्शा इसलिए बता रहा हूँ क्यूंकी रूम की भी कहानी में उपयोगिता है..
ये रूम सेकेंड फ्लोर पर था।
आस पास के सभी घर, सिंगल फ्लोर के हैं।
ऊपर जाने की एंट्री सेपरेट है और रूम में पूरी प्राइवसी है।
रूम की दो चाबियाँ हैं। एक ललिता के पास रहती है और दूसरी रश्मि के पास।
कमरे में, एक डबल बेड भी था।
जब मैं पहुँचा, तो रश्मि रूम पर ही थी।
रश्मि के स्कूल टाइमिंग्स, सुबह 8 बजे से 2 बजे तक ही हैं।
मेरे पहुँचते ही, रश्मि मेरे लिए चाय बनाने लगी.. लेकिन, मुझ से इंतेज़ार नहीं हो पाया और मैंने रश्मि के कपड़े खींच कर उसको फ़ौरन नंगी कर दिया और मैं भी तुरंत नंगा हो गया..
रश्मि बोली – अरे बाबा, ऐसी भी जल्दी क्या है… चाय पी लो, फिर सारा टाइम अपना है… सारी रात, मुझे जी भर के चोद लेना…
लेकिन, मैं उसको चोदने के लिए बेताब था..
मैंने बिना कुछ कहे सुने, उसे बेड पर लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी चूचियाँ मसलते हुए, अपना लण्ड उसकी चूत के ऊपर से ही रगड़ने लगा।
अभी, मैं अपना लण्ड उसकी चूत में डालने का सोच ही रहा था की डोर बेल बज गई।
रश्मि बोली – लगता है, ललिता आ गई…
मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था क्योंकि मैं रश्मि को चोद भी नहीं पाया था और मेरा लण्ड चूत में जाने के लिए, फनफ़ना रहा था।
रश्मि ने तुरंत उठ कर, एक चादर लपेटी और एक पतला और झीना सा छोटा सा तौलिया मुझे कमर पर लपेटने के लिए दे दिया और हड़बड़ी में दरवाजा खोल दिया।
ललिता ने अंदर आ कर दरवाजा बंद कर लिया और एक सरसरी नज़र से, हम दोनों को देखा और समझ गई क्या चल रहा था।
मेरा तौलिया भी सामने से टेंट हुआ जा रहा था, जो उसने देख लिया।
मैं तो ललिता को देखता ही रह गया।
ललिता की लंबाई लगभग 5 फीट 7 इंच थी और उसका बदन बहुत ही मादक था.. ललिता, बिल्कुल गोरी थी.. उसके चुत्तड़ भी बहुत शानदार और बड़े थे..
उसकी चुचियाँ, रश्मि के मुक़ाबले बड़ी थीं..
उस वक़्त, उसने साड़ी और स्लीवलेस ब्लाउस पहन रखा था।
जब रश्मि ने, मुझे ललिता से परिचय करवाया तो ललिता ने मुझे नमस्ते की और अपनी किताबें अलमारी में रखती हुई रश्मि से मुस्कुराते हुए शरारती अंदाज़ में बोली – लगता है, मैंने रंग में भंग कर दिया… क्यों री…
रश्मि बोली – अरे नहीं, रे… ऐसी कोई बात नहीं…
ललिता ने चाय का प्याला उठाते हुए कहा – बोल तो, मैं आज रात किसी होटल में चली जाऊं…
रश्मि बोली – नहीं रे, पगली… कैसी बात करती है… होटल में, क्यूँ जाएगी…
अब ललिता, हिचकिचाते हुए बोली – लेकिन यार, यहाँ तुम दोनों… तुमको शायद प्राइवसी पसंद हो…
रश्मि तुरंत बड़ी बेशर्मी से मुझे नज़रअंदाज़ करते हुए बोली – साली, रोज तू मेरे साथ बिल्कुल नंगी हो कर, एक बेड पर साथ सोती है… नंगी हो कर, मेरे सामने बेशरम हो कर नहाती है और अपनी और मेरी चूत में घंटों उंगली करती है तो अब प्राइवसी किस बात की… रोज़, मुझसे पूछती थी ना कैसे कैसे चुदाई करते हैं, हम लोग… राज का लण्ड कैसा है… अब सब अपनी आँखों से देख लेना… सुनने से ज़्यादा मज़ा आएगा… देख, मुझे तो कोई शरम नहीं है… मैं तो तेरे सामने ही राज से चुदवा लूँगी…
ललिता बोली तो कुछ नहीं, पर मुस्कुराते हुए उसने अपनी साड़ी और ब्लाउज़ खोल कर बेड पर डाल दिया।
अब ललिता मेरे सामने, केवल पेटिकोट और काले रंग की ब्रा में थी।
थोड़ी देर इधर उधर की बातों के बाद, ललिता बोली – रश्मि यार, गर्मी बहुत है… मुझे नहाना है… तुम राज जी को बोलो, दूसरी तरफ मुँह कर लें… मुझे शरम आती है…
रश्मि ने कहा – साली नौटंकी… मुझे बहुत अच्छे से मालूम है, तू कितनी शर्मीली है… यार, वैसे सही में गर्मी तो बहुत है… नहाना तो हम दोनों को भी है… और रही, तेरी शरम… तो वो हम निकाल देते हैं और पहले हम दोनों नहाना शुरू करते हैं…
यह कह कर, रश्मि ने अब तक अपने शरीर पर लिपटी चादर उतार कर तुरंत बेड पर फेंक दी और बिल्कुल नंगी हो गई और मुझे नहाने के लिए बोलते हुए मेरा तौलिया भी खींच कर, मुझे भी बिल्कुल नंगा कर दिया।
मेरा तना हुआ लण्ड, अब ललिता की आँखों के सामने था।
अपनी बीवी के साथ में, मैं पहली बार किसी और औरत के सामने नंगा था।
ये एहसास ही, मुझे झड़ने पर मजबूर किए दे रहा था।

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इधर, मुझे नंगा करने के बाद रश्मि ने ललिता का पेटिकोट ज़बरदस्ती खींच कर उतार दिया और ललिता उसे मना करती रही.. लेकिन, उसने एक बार भी रश्मि को पेटिकोट उतरने से रोका नहीं..
ललिता के बदन पर, अब सिर्फ़ एक छोटी सी जाली की पैंटी और ब्रा ही रह गये थे।
पैंटी की जाली में से, उसकी झांट साफ़ नज़र आ रही थी।
नहाते हुए, मैंने देखा की ललिता की साँसें तेज हो रही थीं।
रश्मि ने यह देख कर ललिता से कहा – ललिता, तू भी आ जा और हमारे साथ ही नहा ले…
लेकिन, ललिता शायद अभी भी थोड़ा शरमा रही थी।
रश्मि ने ललिता की हिचकिचाहट देखी तो नंगी ही अपने नंगे चुत्तड़ हिलाते हुए, उसके पास गई और उसकी पैंटी एक झटके मैं नीचे उतार दी और ब्रा भी खोल कर बेड पर फेंक दी।
अब वो पूरी नंगी थी.. ..
अपनी बीवी के द्वारा, मेरे सामने किसी और औरत को नंगा करने से मैं अपने उपर काबू नहीं कर पाया और लण्ड ने पिचकारी निकाल दी..
इधर, ललिता कपड़े उतरवाते हुए भी मेरा लण्ड देख रही और उसने मेरी पिचकारी निकलते हुए देख ली..
मैंने फ़ौरन अपने लण्ड पर दो तीन मगे पानी डाला.. मैं इतना ज़्यादा उतेज्ज़ित हो गया था की मेरा लण्ड निकलने के बाद भी पूरी तरह खड़ा था..
ऐसा मेरे साथ, पहले कभी नहीं हुआ था।
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Jemsbond
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Re: मेरी पत्नी ने मेरा इंतज़ाम किया
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Post by Jemsbond » 12 Aug 2015 22:14

यहाँ, ललिता रश्मि को मना करती रही.. लेकिन, उसने रश्मि को कपड़े उतारने से रोका भी नहीं..
ललिता को बिल्कुल नंगा कर के, रश्मि उसका हाथ पकड़ कर मेरे पास ले आई और उसकी घनी काली झांटों वाली चूत में उंगली करते हुए मुझ से कहा – लो, ललिता को भी अच्छी तरह से नहला दो…
ललिता के दूध वाकई बहुत सुंदर थे.. एकदम गोल और इतने बड़े की दोनों हाथों में भी पूरे ना आए..
ख़ास बात, उसके निप्पल एकदम छोटे से और भूरे थे.. इतने बड़े गोल दूध पर बिल्कुल छोटे से निप्पल, बहुत ही सुंदर लग रहे थे..
मेरी नज़र उसके दूध से हट ही नहीं रही थी।
खैर, मैंने जैसे ही ललिता के नंगे बदन पर पानी डाला और उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को अपनी हथेली में पकड़ कर साबुन लगाने लगा, ललिता का बदन सिहर उठा और उसके गाल लाल हो गये और एक सिसकारी के साथ, गर्दन पीछे करके उसकी चूत ने पानी निकाल दिया..
फिर, जैसे ही मैंने अपने हाथ से उसकी चूत पर साबुन लगाया, उस से रहा नहीं गया और उसने तुरंत मेरा लण्ड बहुत कस कर पकड़ लिया।
ललिता तुरंत ही, मेरे लण्ड से खेलने लगी और मेरे लण्ड को अपने हाथ से आगे पीछे करती हुई बोली – रश्मि, तू बहुत बड़ी छीनाल है, साली… अपने नंगे मर्द के सामने, मुझे नंगी करके खड़ा कर दिया… अब अगर कुछ और हो गया तो दुनिया क्या कहेगी…
रश्मि बोली – ललिता, मेरी जान… मुझे मालूम है, तू तीन महीने से नहीं चुदी है… दुनिया दारी की चिंता छोड़ और जितनी बार चाहे, मेरे राज से चुदवा… मुझे कोई ऑब्जेक्षन नहीं है… लेकिन, जब तेरे पति यहाँ आएँगे तो मैं भी तेरे हब्बी के साथ मज़े लूँगी… तब मुझे मत भूलना… मुझे तो राज ने किसी से भी चुदवाने की पर्मिशन दे रखी है…
ललिता अब तक बहुत उत्तेजित हो चुकी थी और मेरे लण्ड को अपनी हथेली मे कस कर पकड़ की आगे पीछे खींच कर, मेरी मूठ मारते हुए बोली – यार रश्मि, ये तो बहुत मोटा है… मेरे हब्बी का इतना मोटा नहीं है पर इसके मुक़ाबले थोडा सा लंबा ज़रूर है… साली, तुझे तो इतने मोटे से बहुत मज़ा आता होगा…
रश्मि ने भी तुरंत जवाब दिया – आज तू मेरे हब्बी के इस मोटे लण्ड से मज़ा ले कर देख ले, पता चल जाएगा… और जब तेरे हब्बी यहाँ आएँगे तो मैं भी तेरे हब्बी के लंबे लण्ड का मज़ा ले कर देखूँगी…
मैंने ललिता की चूत में अपनी उंगली डाली तो पाया उसकी चूत अब तक बहुत गीली हो चुकी थी।
उंगली चूत में जाते ही, ललिता के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं और वो पहली बार सीधे सीधे मुझसे बोली – उंह… उम्ह… अब और मत तरसाओ… म्मह हह… मुझे बेड पर ले चलो… आह हह… अब मेरी चूत में अपना लण्ड पेल दो… अपनी बीवी के सामने चोदो मुझे… आह आ आ आ आ म्ह हह…
हम तीनों, बेड पर गये।

रश्मि ने बेड पर पड़े कपड़ों को एक तरफ फेंका और मैंने ललिता को बेड पर लिटा दिया और उसके फ़ौरन ऊपर चढ़ गया और उसकी तरबूज जैसी बड़ी बड़ी चूचियाँ मसलने लगा।
ना जाने कितनी देर, मैंने उसके नरम गोल दूध दबाए और उसके बेहद प्यारे छोटे छोटे निप्पल चूसे, चाटे…
जब मुझसे काबू नहीं हुआ तो मैंने ललिता से पूछा – ललिता, कंडोम लगाऊं या नंगा लण्ड ही लोगी…
ललिता बोली – मैंने ऑपरेशन करा रखा है… कंडोम की ज़रूरत नहीं है… नंगा लण्ड ही पेल दो, मेरी चूत में… जल्दी करो… अब रहा नहीं जाता…
मैंने जैसे ही, अपना लण्ड अपने हाथ में पकड़ कर उसकी चूत के मुँह पर फिट किया और एक जोरदार धक्का मारा तो पूरा लण्ड एक बार में ही उसकी चूत में जड़ तक अंदर चला गया।
ललिता के मुँह से एक ज़ोर की चीख निकली – आआ आ आआ… मा दर र र र र र चोद द द द द द… आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह… मर र र र र गई ई ई ई ई ई… फट ट ट ट ट ट गई ई ई ई ई ई… आ हह ह हह मा आ ह म म म म म ह ह ह ह ह… पूरा मू सल लण्ड है… मां चुद गई मे री री री ह ह ह ह ह… मेरी चू त का भो सड़ा बन गया… प्र तिभा भा भा भा भा भा, ब हन की लौड़ी ड़ी ड़ी ड़ी ड़ी ड़ी तेरी माँ की चू त त त त त… चूत फट वा दी, तूने मेरी छि नाल ल ल ल ल ल… तेरे मर्द का लण्ड तो घोड़े के लण्ड जैसा है… उम्ह मम म म म म म म… चोद… ब हन की चूत तेरी… माँ का भो सड़ा… चोद मुझे… चोद चोद चोद चोद चोद चोद… फाड़ डाल… मा दर चोद, तेरी माँ की चू त त त त त त त… मार धक्के… और ज़ोर से… हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ… चोद चोद चोद चोद चोद चोद… आआ आ आआ आह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह…
मैंने उसकी यह हालत देख कर, अपनी स्पीड बढ़ा दी और अपने चुत्तड़ उछाल उछाल कर धक्के मारने लगा।
हर धक्के पर, ललिता की चूत से गरम गरम पानी की पिचकारी निकल रही थी..
10-15 मिनट तक, मैं उसको ऐसे ही चोदता रहा और जब ललिता बिल्कुल निढाल हो गई, मेरे लण्ड ने उसकी चूत में अपनी सारी सफेद क्रीम निकाल दी।
मैंने अपना लण्ड, उसकी चूत से बाहर निकाला।
रश्मि भी अब तक मेरी और ललिता की चुदाई देख कर, बहुत उत्तेजित हो चुकी थी।
मेरे लण्ड बाहर निकलते ही, उसने मेरा ढीला लण्ड अपने मुँह मे ले कर, चूसना शुरू कर दिया और बिना रुके लगातार चूसती रही।
मैंने अपना लण्ड, उसकी चूत से बाहर निकाला।
रश्मि भी अब तक मेरी और ललिता की चुदाई देख कर, बहुत उत्तेजित हो चुकी थी।
मेरे लण्ड बाहर निकलते ही, उसने मेरा ढीला लण्ड अपने मुँह मे ले कर, चूसना शुरू कर दिया और बिना रुके लगातार चूसती रही।
8-10 मिनट में, मेरा लण्ड चूस चूस कर उसने फिर खड़ा कर लिया और बोली – मेरी जान, अब मेरी चूत भी मार लो… और बिस्तर पर अपनी टाँगें फैला कर लेट गई और मुझे अपने ऊपर खींच लिया।
मैंने फिर रश्मि को 5-7 मिनट तक, खूब चोदा और उसकी चूत का पानी निकाल दिया और मैं फिर उसकी चूत में ही झड़ गया।
मेरे साथ साथ, आज रश्मि भी बहुत उतेज्ज़ित हो गई थी.. इतनी ज़्यादा की दो तीन बार उसने चुदवाते हुए, मेरे लण्ड पर मूत दिया..
चुदाई के थोड़ी देर तक बिल्कुल निढाल पड़े रहने के बाद, मैंने कहा – चलो लड़कियों, आज खाना बाहर खा लेते हैं… और अपने कपड़े पहन कर, तैयार होने लगा।
ललिता और रश्मि ने भी कपड़े पहन लिए।
खाना खाने के बाद, जब हम वापस आ रहे थे तो रिक्शे में पीछे की सीट पर रश्मि और ललिता ने मुझे बीच में बिठाया।
अंधेरा हो चुका था।
सारे रास्ते, ललिता अपने हाथ से मेरी पैंट के ऊपर से ही, मेरे लण्ड को मसलती रही।
घर पहुँचते ही दरवाजा तक बंद किए बिना, ललिता अपने सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी हो गई और मेरे पास आ कर मेरी पैंट खोलने लगी।
पैंट खोल कर, उसने मेरा लण्ड चड्डी की साइड से बाहर निकल लिया और बोली – जल्दी से, अपने सारे कपड़े उतारो और बिल्कुल नंगे हो जाओ… मुझे चोदो, नहीं तो मैं मर जाउंगी…
रश्मि ललिता से बोली – साली रांड़, तूने अभी तो चुदवाया था… तू तो बहुत बड़ी रंडी है…
ललिता बोली – रंडी, छीनाल, कुतिया जो चाहे बोल ले रश्मि… मैं सोने से पहले, एक बार तेरे हब्बी के लण्ड से फिर चुदवाउंगी… मेरी चुड़क्कड़ चूत में तो लण्ड के लिए, आग लगी हुई है…
यह कह कर, ललिता मुझे बिस्तर पर खींच कर ले गई और मुझे अपने ऊपर खींच कर अपने हाथ से मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत पर फिट कर दिया और बोली – मार धक्का… फाड़ दे, मेरी चूत…
मैंने उसे फिर से खूब चोदा।
हर धक्के पर, ललिता की चूत से गरम गरम पानी की पिचकारी निकल रही थी।
अब तक रश्मि भी अपने सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी हो कर बिस्तर पर आ गई थी और ज़ोर ज़ोर से अपनी चूत में उंगली करने लगी।
वो इतनी ज़ोर से उंगली कर रही थी की पूरा बिस्तर हिल रहा था।
ललिता चुदने के बाद, बिस्तर पर निढाल हो कर पड़ी रही और मैं रश्मि को एक बार फिर चोद कर, रश्मि और ललिता के बीच सो गया।

सुबह करीब 5 बजे, नींद में मुझे लगा जैसे किसी ने मेरा लण्ड पकड़ा हुआ है।
आँख खोली तो देखा ललिता ने मेरा लण्ड अपने एक हाथ से पकड़ कर, अपने मुँह में लिया हुआ था और उसको बड़े ज़ोर ज़ोर से चूस रही थी।
यह देख कर, मेरा अध खड़ा लण्ड फिर टन गया और टन कर पूरा खड़ा हो गया।
ललिता तुरंत मेरे ऊपर चढ़ गई और अपनी चूत मेरे लण्ड पर रख कर एक धक्का मारा तो मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में समा गया।
अब ललिता मेरे ऊपर चढ़ कर, मुझे चोद रही थी।
उसकी चूत से गरम गरम पानी निकल कर, मेरी झांटों और जांघों पर बह रहा था।
बिस्तर के हिलने से, रश्मि की भी आँख खुल गई।
जब उसने ललिता को मेरे ऊपर चढ़ कर चोदते हुए देखा तो बोली – ललिता साली छीनाल, तू तो रंडी बन गयी री… सुबह सुबह, फिर शुरू हो गई…
ललिता धक्के मारते हुए बोली – हाँ यार, तेरे हब्बी के लण्ड ने तो मुझे छीनाल बना दिया है… साली चूत ऐसे फडक रही है, जैसे पहली बार लण्ड लिया हो…
फिर, रश्मि उठ कर स्कूल जाने के लिए तैयार होने लगी क्यूंकी स्कूल में 15 अगस्त का प्रोग्राम था और उसकी छुट्टी नहीं थी।
ललिता बोली – मेरा तो कॉलेज बंद है… मैं और राज यहीं रहेंगे… तब तक, तू स्कूल जा कर वापस आ जा…
रश्मि के जाने के बाद, ललिता नंगी ही अगले 4-5 घंटे तक मेरे से लिपटी रही और मेरे लण्ड से खेलती रही और चुदवाती रही।
मैंने इस दौरान, उसको करीब 3 या 4 बार चोदा होगा।
आख़िर में, मुझे बिहोशी सी आने लगी।
मैंने सुना था हर लड़की में कहीं ना कहीं एक छीनाल छुपी रहती है, जो कभी ना कभी जीवन में एक आध बार ज़रूर जागती है.. वैसे भी, औरत की चूत में आग लग जाए तो बड़े से बड़े मर्द में इतनी मर्दानगी नहीं की उसे बुझा सके…
ऐसा ही कुछ उस दिन मुझे लगा की ललिता को चोद चोद कर, मेरे प्राण पखेरू उड़ जाएँगें।
आख़िर में ललिता ने मुझे कहा – राज, तुम मानो या नहीं… भले ही, मैं बहुत चुड़क्कड़ हूँ पर मैंने पहली बार अपने पति के अलावा किसी दूसरे मर्द से अपनी चूत मरवाई है… मुझे तुम्हारा ये मोटा लण्ड बहुत पसंद आया… मेरे पति का इतना मोटा नहीं है… सच में शादी के बाद, दूसरे मर्द से चुदवाने का भी एक अलग ही मज़ा होता है… अब तुम जब चाहो, मैं बीच सड़क पर भी तुमको बिल्कुल नंगी हो कर अपनी चूत दे दूँगी और हमेशा तुम्हारे मोटे लण्ड से चुदवाने को तैयार रहूंगी… बस ऐसे ही, मुझे चोदते रहना… नहीं तो सही में मैं रंडी बन जाउंगी… जब मौका लगे तो मेरे पति के सामने भी मुझे खूब चोदना… बोलो, चोदोगे ना…

समाप्त



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