पत्नी ने चुडवाई पति से पहली बार गांद

पिछले पार्ट से आयेज बढ़ते है.

रमण: संगीता आज तो तूने कमाल कर दिया. आज क्या हो गया है? मुझे तो इतना मज़ा कभी नही दिया.

संगीता: मैं आपसे बहुत प्यार करती हू ना. कितने दीनो से आपसे डोर थी. मुझे तो आपकी याद सता रही थी. रोज़ आप मेरे सपने में आते थे. मेरी छूट आपके लंड को पाने के लिए तड़प रही है ( सच तो ये था की मुझे अब बड़ा लंड लेने की इक्चा हो रही थी).

मेरी बातों से मेरे पति का लंड अब फिरसे खड़ा होने लगा. मैने भी अपनी सारी और ब्लाउस निकाल दिए और सिर्फ़ ब्रा और पेटिकोट में आ गयी. वाइट ब्रा में बँधे मेरे टाइट बूब्स देख कर मेरे पति उत्तेजित हो गये. वो मेरे बूब्स दबा रहे थे, साथ में मेरे होंठ और काअं पर किस कर रहे थे.

मेरी नेक को चूमते हुए वो मेरी ब्रा के उपर से बूब्स पर किस करने लगे. मैने भी उनको कस्स कर पकड़ लिया, और उनकी पीठ पर हाथ घुमा रही थी. बहुत सालों बाद पति का ऐसा प्यार मिल रहा था.

अब उन्होने पेटिकोट का नाडा खोल दिया, और वो मेरे पैरों में गिर गया. मैं सिर्फ़ ब्रा पनटी में उनके सामने खड़ी थी. मेरे मर्द मुझे थोड़ी देर ताड़ते रहे. मैं भी उनको मुस्कुरा कर उनके गले में दोनो बाहें डाल कर उनके लिप्स को चूसने लगी. आज मैं उनके मूह के अंदर जीभ डाल कर किस कर रही थी. उनके दोनो हाथ मेरी गांद को सहला रहे थे.

मेरी पनटी सिल्क की थी, तो उनको उसका फील बहुत अछा लग रहा था. अब उन्होने मुझे उल्टा घुमा दिया, और मेरी पीठ पर चूमने लगे. फिर मेरी ब्रा के हुक खोल दिए, और पीछे से मेरे दोनो बूब्स दबाने लगे. मैं तो पूरी मचल गयी थी. मेरी छूट ने पानी छ्चोड़ दिया था.

अब उन्होने मुझे अपनी गोदी में बिता दिया. फिर एक हाथ से एक बूब दबाते और दूसरे बूब का निपल मूह में लेकर चूस रहे थे. साथ में वो अपनी जीभ से मेरी गर्दन को चाट रहे थे.

थोड़ी देर बाद हम दोनो फिरसे खड़े हो गये, और मैं अपनी पनटी निकाल कर पूरी नंगी हो गयी.

लाइट की हल्की रोशनी में मेरा पूरा बदन चमक रहा था. मैने उनकी लूँगी और पूरा अंडरवेर निकाल दिए. फिर घुटनो पर बैठ कर लंड चूसने लगी. वो मेरे बालों को पकड़ कर लंड चुस्वा रहे थे. मैने पूरा लंड गीला कर दिया. मैं अब खाट पर लेट गयी.

मेरे पति ने मेरी टांगे उपर की, और मेरी छूट में लंड घुसा दिया. मेरी छूट तो पहले से गीली हो गयी थी, तो लंड एक झटके में चला गया. मैं मदहोश हो कर छुड़वा रही थी. आज मेरे पति मेरी बहुत आचे से चुदाई कर रहे थे.

मेरी बातों और मेरी हरकतों से उनमे जोश भर गया था. वो मेरी ऐसी चुदाई जब नयी-नयी शादी हुई थी, तब करते थे. मैं 2-3 बार झाड़ गयी. आज उनका लंड पानी ही नही छ्चोढ़ रहा था. मैं तो चरम सुख पा कर बहुत खुश हुई. मेरी छूट में सूजन आ गयी.

संगीता: बस छूट ही लोगे या और कुछ भी करने का मॅन है? मैं तो आज आपसे अपनी गांद मरवाने का सोच रही हू. छूट को तो अपने फाड़ कर रख दिया है.

रमण: क्या बात है मेरी जान. मैं भी कितने दीनो से आ बात सोच रहा था. पर तुम माना कर डोगी इसलिए कभी पूछा ही नही. आज तुम बोल रही हो, तो मैं तो करने तैयार हू.

अब मैं खड़ी हुई, और हेर आयिल मेरी गांद के च्छेद पर लगाने को बोला. मैं अब उनके सामने घोड़ी बन गयी. मेरे पति ने आचे से मेरी गांद पर हेर आयिल लगाया. फिर वो एक उंगली गांद में घुसने लगे. मुझे तोड़ा दर्द हुआ, और मेरी आ निकल गयी. मेरी आ सुनते ही वो बोले-

रमण: अभी तो एक उंगली गयी है, तुम्हे तो पूरा लंड लेना बाकी है.

मैं भी थोड़ी दररी हुई थी, क्यूंकी मैने 16 एअर की मॅरीड लाइफ में कभी गांद नही मरवाई थी. अब उन्होने एक और उंगली डाली, और आचे से हेर आयिल लगाया. मेरी तो आहें निकल रही थी. अब वो घुटनो के बाल बैठ गये, और गांद पर उनका लंड सेट किया. 2-3 बार पुश किया, लेकिन लंड फिसल जाता.

मैने अपने हाथ में लंड पकड़ कर गांद पर सेट किया, और धक्का मारने को बोला. थोड़ी कोशिश के बाद लंड तोड़ा अंदर घुस गया. मेरी तो चीख निकल गयी. गांद में बहुत दर्द हुआ. ऐसा लगा जैसे मेरी गांद ही फटत गयी हो. मेरे पति ने मेरी धीरे-धीरे गांद मारना शुरू कर दिया.

दर्द इतना हुआ की मैं उनको बोल रही थी की बस करिए, अब नही सहा जाता. लेकिन मेरे पति को इतने सालों बाद मौका मिला था. उन्होने मुझ पर मज़बूत पकड़ बना ली थी, और मेरी गांद में लंड आगे-पीछे करने लगे. अब मुझे भी मज़ा आने लगा तो मैं भी आयेज से गांद हिला कर लंड लेती रही.

मैने कहा: मैं तो आज आपके प्यार में मॅर गयी. ऐसा सुख तो आपने मुझे कभी नही दिया. अब से मैं आपको वो सुख दूँगी जिसकी अपने कल्पना भी नही की होगी. और आचे से छोड़ो ना, बहुत मज़ा आ रहा है.

मेरे इतना कहते ही पति ने मेरी तबाद-तोड़ चुदाई शुरू की. फिर 20 मिनिट बाद मेरी गांद में सारा माल निकाल दिया. उसके बाद हम दोनो निढाल हो कर एक-दूसरे को चिपक कर सो गये.

रमण: सांगी आज तो तेरी गांद मार कर मज़ा आ गया. तेरी गांद देख कर कितनी बार लोड्‍ा खड़ा हो जाता था. मेरा तो बहुत पहले से मॅन कर रहा था. लेकिन तुम गुस्सा करोगी इसलिए बोला नही. तुम काम करके तक जाती तो चुदाई के लिए भी ज़्यादा दबाव नही देता था.

संगीता: अर्रे मैं आपकी पत्नी हू. आपको पूरा हक है मेरे उपर. आप ने बोला होता तो आपको थोड़ी मैं माना करती. मेरा भी मॅन होता है आपसे ऐसे चूड़ने का ( नॉटी अंदाज़ में). लेकिन आप तो मेरे उपर ध्यान ही नही देते थे.

रमण: अब से जब भी मौका मिला, तेरी आचे से चुदाई करूँगा. और तुझे खुश भी रखूँगा.

उस दिन के बाद मेरे पति मेरी आचे से चुदाई करने लगे थे. और हमारे बीच में प्यार भी बढ़ गया था. वो मुझे हमेशा खुश रखने लगे. मेरी हर एक बात मानते थे. मैं भी उनके सारे काम करती थी. उनको किसी भी चीज़ के लिए माना नही करती थी.

कमाल से चूड़ने के बाद मेरे अंदर जो बदलाव आया, उससे मैं भी अपने पति को खुश रखने लगी, और वो मुझे फिरसे प्यार देने लगे. उनको जहा भी मौका मिलता वो मुझसे चिपक कर रोमॅन्स करते. खेत में अकेले मिलते तो वाहा भी चुदाई करते. मेरे पति कभी-कभी मेरी गांद मारने लगे, इससे मेरी गांद का उभार और बढ़ गया था.

मेरी चुदाई के लिए सपने बढ़ गये थे. अब मुझे फ्री टाइम में चुदाई के ख़यालात आने लगे थे. बच्चो के स्कूल शुरू हो जाने के बाद मुझे कही जाने का मौका नही मिला. अब बस पति के लंड से ही काम चलना पद रहा था. लेकिन मुझे गैर मर्द से चूड़ने का मॅन करने लगा था.

भनजे से चुदाई के बाद मेरा सफ़र ख़तम नही हुआ. मेरे रिश्तेदार मेरे जिस्म के दीवाने बनते गये. फिर मैं एक-एक करके सब के लंड का पानी चख़्ती गयी. मैं मेरे माइके और ससुराल के बहुत रिश्तेदारों से चूड़ी हू. मैने कितनो को मेरी छूट से गुलाम बनाया. आपको आने वाली स्टोरी में बतौँगी कों से रिश्तेदारों से मेरी चुदाई हुई.

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