पति की सहमति से परपुरुष सहवास-2

मंगल का लंड पिस्टन की तरह आरती की गाँड मार रहा था। अपनी माँ से चूत चटवाती पूजा अब झड़ने के करीब थी। वो उत्तेजना से चिल्लाई, “माँ, मुझे राजेश और वैभव ने कई बार चोदा… दोनों ने अक्सर एक साथ भी चोदा मुझे… मगर जो मज़ा आज इन दोनों ने दिया वो कभी पहले नहीं मिला… अब जब मेरी पूरी बात खुल चुकी है तो मुझे कोई डर नहीं… मेरी प्यारी माँ… आरती।” पूजा की बात सुनके आरती पूरी जीभ पूजा की चूत में डालके उसकी चूत को चोदते हुए बोली, “हाँ मेरी छिनाल बेटी… मुझे पता है। उस दिन जबसे इन दोनों ने मुझे कॉलेज में चोदा है तब से मेरी हालत भी एक चुदास कुत्तिया जैसी हो गयी है…। इनके लंड से चुदवाके मैंने तुझे भी इनसे चुदवाने का फ़ैसला किया। अब तो यह दोनों मर्दों की हम माँ बेटी रंडियाँ बन गयी हैं तो हमें कोई तकलीफ़ नहीं होगी।”

जसवंत ने आरती की बात सुनके खुश हो के उसे किस किया। अब मंगल और जसवंत भी झड़ने वाले थे। मंगल का तो पूरा लंड आरती की गाँड में घुसा हुआ था और गोटियाँ आरती की चिकनी गाँड पे टकरा रही थीं। जसवंत भी झड़ने वाला था तो वो पूजा को एक थप्पड़ मारते हुए बोला, “मादरचोद साली… कमीनी छिनाल… ज़रा ज़ोर से मेरा लंड चूस… बहनचोद झड़ते वक्त लंड कैसे चूसना चाहिए… तुझे तेरी छिनाल माँ ने सिखाया नहीं क्या?”

पूजा अपनी माँ के मम्मों को छोड़के अब जसवंत का लंड पकड़ के पूरा लंड मुँह में लेकर ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। जसवंत का लंड पूजा के हलक से टकरा रहा था। फिर आरती ने ज़ोर-ज़ोर से अपनी बेटी के मम्मे मसलते हुए उसकी चूत चाटनी शुरू की। मंगल की अँगुलियों ने आरती की चूत को पागल कर रखा था और लंड ने आरती की गाँड का भोंसड़ा बना रखा था।

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सबसे पहले पूजा झड़ने लगी तो उसने जसवंत का लंड छोड़ा और अपनी माँ का मुँह चूत पे दबाते हुई पानी छोड़ने लगी। अपने बदन को अकड़ाते हुए पूजा ने पूरा पानी अपनी माँ के मुँह में चोड़ दिया। पूजा को आरती के मुँह में झड़ते देख मंगल से रहा नहीं गया और उसने आरती की कमर कसके पकड़ी और ८-१० धक्कों के बाद उसके लंड ने आरती की गाँड में पिचकारी छोड़ी। अपने लंड के पानी का आखिरी कतरा आरती की गाँड में डाल के मंगल ने लंड उसकी गाँड से निकाला और हाँफता हुआ नीचे लेट गया।

जब जसवंत ने देखा कि पूजा पूरी तरह झड़ गयी है तो उसने अपना लंड फिरसे पूजा के मुँह में घुसाया और जल्दी-जल्दी उसका मुँह चोदते हुए आरती की चूत में अँगुली करने लगा। अब जसवंत का लंड एक बेटी के मुँह में था और उसकी अँगुलियाँ उस लड़की की माँ की चूत में थीं। इतना समय चूत में अँगुली से चुद्वाने से आरती भी झड़ने लगी और फिर उसने अपना मुँह अपनी बेटी की चूत पे रखा और उसे चाटने लगी। देखते-देखते जसवंत ने भी अपना पानी पूजा के मुँह में छोड़ दिया और सब लोग झड़के थक के अलग-अलग हो गये।

वो पूरा दिन और पूरी रात वो दोनों मर्द आरती के घर में ही रहे और पूरा वक्त चारों मादरजात नंगे थे। किसने, किसको, कैसे, कहाँ और कितनी बार चोदा इसकी गिनती ही नहीं थी।

!!!! समाप्त !!!!

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