फिर से स्वागत है आपका मेरी चुदाई की कहानी में। मैं 45 साल का राहुल और मेरी बीवी ज्योति 42 साल की। ये कहानी मेरी चुदक्कड़ और रांड बीवी ज्योति की है। मेरी पिछली कहानी आपने पढ़ा होगा कि मेरी बीवी ज्योति का पुराना दोस्त सोसाइटी में मिला और शाम 4 बजे चुदाई की टाइमिंग फिक्स हुई मेरे ही घर पर। ज्योति तैयार हो गई चूत साफ करके, और ठीक 4 बजे घर की घंटी बजी। अब उससे आगे-
सामने संजय था। मैंने भी एक सिगरेट जलाई और बुदबुदाया कि अगले 8 से 10 घंटे देसी ब्लू फिल्म देखने के लिए तैयार हो जाओ सीसीटीवी पर, जिसकी हीरोइन कोई और नहीं बल्कि मेरी बदचलन बीवी ज्योति होगी।
ज्योति को देखते ही संजय ने दोनों हाथ फैला कर कहा, “मेरी जान, आजा मेरी बाहों में। आज सुबह जब से देखा है तुम्हें, तब से मेरा लंड खड़ा है। तू किसी फिल्म की हीरोइन से काम मस्त और सेक्सी नहीं लग रही”। ज्योति ने जोर से संजू की बाहों में आकर उसको हग कर लिया। दोनों करीब 5 मिनट तक एक-दूसरे से चिपके रहे।
संजय ने दोनों हाथों से ज्योति के चेहरे पर से गीले बाल हटा कर गालों को सहलाते हुए कहा कि, “मेरी जान कितने साल हो गए, लेकिन तुम वैसे की वैसी ही हो, एक-दम प्यारी, मस्त, सेक्सी, चुदक्कड़, मेरी पुरानी वाली ज्योति हो”। और ज्योति के होठों को अपने मुंह में लेकर जोरदार चुसम-चुसाई शुरू हो गई। दरवाजा खुला ही हुआ था और दोनों एक-दूसरे के होंठो को चूसे जा रहे थे।
संजय का दाहिना हाथ ज्योति की पीठ पर था, और दूसरा हाथ उसके चूतड़ों तक पहुंच गया। एक तरफ एक-दूसरे के होठों को चूसने में लगे थे ज्योति और संजय, तो दूसरी तरफ संजय बाए हाथ से ज्योति के चूतड़ों को सहला और दबा रहा था। करीब 10 मिनट तक दोनों एक-दूसरे के होठों को कस कर चूसने के बाद अलग हुए, और ज्योति ने कहा, “महाराज पहले अंदर तो आ जाओ। यही कॉरिडोर में ही शुरू हो जाओगे?” तो संजय ने कहा, “मन तो यही है कि कॉरिडोर और सीढ़ी में कुतिया बना कर चोदू तुम्हें”। “मन की सभी इच्छाओं को पूरा करना, लेकिन पहले अंदर आओ”। ये कहते हुए ज्योति ने संजय का हाथ खींचा और दरवाजा बंद किया।
दरवाजा बंद होते ही एक बार फिर दोनों ही एक-दूसरे की बाहों में, और एक-दूसरे के होंठ फिर से चिपक गये। दोनों एक-दूसरे के होठों को चूसने लगे लिप लॉक की तरह, और संजय ज्योति के चूतड़ सहलाने लगा, और दूसरा हाथ बनियान के ऊपर से ज्योति के चूची पर था। तो ज्योति शॉर्ट्स के ऊपर से ही संजय के लंड टटोल रही थी। एक बार फिर करीब 10 मिनट तक एक-दूसरे के होंठ चूसने के बाद दोनों अलग हुए। संजय ने फिर से कहा, “ज्योति तुम एक-दम पुरानी वाली ज्योति हो 18 साल पहले जैसे होंठ चुस्ती थी, ठीक वैसे ही, कुछ नहीं बदला”। ज्योति ने कहा कि, “तुम भी तो नहीं बदले, वैसे ही हो चोदू मास्टर”।
मैं सीसीटीवी में ज्योति और संजय के चुसम-चुसाई के साथ ही चुदाई के लिए उन दोनों की बेकरारी भी देख रहा था। यह भी देख रहा था कैसे चोदने और चुदने के लिये दोनों व्याकुल हो रहे थे। लेकिन 18 साल पहले होंठ चुसाई वाली बात सुन कर मैं थोड़ा शॉक्ड हुआ। क्योंकि 18 साल पहले ही मेरी शादी हुई थी ज्योति के साथ, यानी कि जिस साल मेरी शादी 2006 में हुई, क्या उस साल से ही संजय ज्योति को चोद रहा था?
मैं थोड़ा सोचने लगा शादी के करीब 7 साल बाद 2013 में पहली बार रात में मुझे किचन के डस्टबिन में दो कंडोम पड़े हुए दिखे। पिछले 5 दिन से मैं ज्योति को चोदा नहीं था, तो फिर घर में कंडोम कैसे आया? मैंने कंडोम कचरे से निकाला और देखा कि दोनों यूज किए हुए कंडोम थे। दोनों में लंड का पानी था। मैं परेशान हो गया। मैंने सीसीटीवी चेक करने की कोशिश की तो देखा यह तो बंद पड़ा था। उसके बाद हर तीसरे चौथे दिन किचन के डस्टबिन में कंडोम मिलने का सिलसिला जारी था।
मैंने कहानी की पहले लाइन में लिखा था ना कि ज्योति रंडी के साथ-साथ सीधी भी है, और यही है उसका सीधापन, कि चुदने के बाद कंडोम डस्टबिन में डाल देती थी, वो भी ऊपर में ही। उसके मोबाइल में मैसेज जो होते थे जिसे पढ़ने और इस कंडोम के बाद पता चला कि कैसे ज्योति मेरी बीवी एक बदचलन औरत है, और लंड-खोर औरत है। कुछ दिन बाद ज्योति 2 दिन के लिए आफिस टूर पर थी। पर अब तो लगता था किसी ना किसी से चुदने गई होगी।
तो मैंने सीसीटीवी सर्विस करवाई और एक्टिव किया। कंप्यूटर इंजीनियर होने की वजह से मैंने ज्योति के फोन को रिमोट कर लिया, और उसके सीसीटीवी एप्प में एक बग डाल कर नॉट वर्किंग वाला स्लाइड सेट कर दिया, ताकि ज्योति जब भी सीसीटीवी एप्प खोलेगी तो उसमें यही दिखेगा कि यह सीसीटीवी काम नहीं कर रहा है। और मैं अपने दूसरे मोबाइल पर सीसीटीवी का एक्सेस ले लिया और फिर ज्योति की रंगीनिया, रंडीपना, चुदक्कड़पना खुल कर मेरे सामने था।
साल दर साल वहीं कमरा, वहीं ज्योति, वहीं सीसीटीवी कैमरा, और वहीं चुदाई, बस लंड बदलता रहा। अब मैं अपनी शादी के बाद की कहानी जानने को उतावला हो रहा था और मैं समझ गया कि आज की रात सिर्फ ज्योति और संजय की चुदाई ही नहीं देखनी थी, बल्कि ज्योति के रंडीपन के कई राज खुलेंगे जो शायद मुझे कभी पता नहीं चलते। लेकिन ये कहानी भी खुद ज्योति ही बताएगी।
एक बार फिर सीसीटीवी पर नजर पड़ी। रूम के अंदर पहुंचने के बाद एक-दूसरे के होठों को चूसने के बाद, एक-दूसरे के चूतड़ों और लंड सहलाने के बाद, दोनों ने एक-दूसरे को देखा, और संजय ने ज्योति के बनियान को एक झटके में निकाल दिया, और कहा, “अरे यह वही मेरा फेवरेट ब्रा नेट वाला ब्रा?”
ज्योति: तुम्हारा फेवरेट भी है और तुम्हारा ही दिया हुआ है। याद है 2021 मुंबई, वहीं पर तुमने यह ब्रा पैंटी का सेट दिया था।
एक झटके में ही संजय ने स्कर्ट भी नीचे खींच दिया। ज्योति अब ब्लैक ब्रा पेंटी में गीले बाल मस्त माल लग रही थी।
संजय: हां यह वहीं ब्रा और पेटी है स्पेशली तेरे लिए लाया था, और याद है मैंने खुद पहनाया भी और फिर इस ब्रा पेंटी को उतारा भी था?
संजय मोबाइल निकालते हुए पीछे हटा और कहा: मस्त जबरदस्त लग रही हो। एक दो फ़ोटो लेनी है तेरी।
ज्योति: अब कितनी फ़ोटो लोगे? तेरी बीवी ने पुरानी वीडियो और फ़ोटो डिलीट करवा दिया क्या?
संजय: अरे नहीं सब है। और मन नहीं भरता वो देख कर। लेकिन आज की मुलाकात का भी तो होना चाहिए।
ज्योति (हंसते हुए): लगता है पुरानी फ़ोटो देख कर अब तेरा लंड नहीं खड़ा होता, और तुम मुठ नहीं मार पाते होंगे। सुनो चोदने के लायक है कि नहीं तेरा लंड?
लंड चूत सुन कर नाराज़ होने वाली ज्योति के मुंह से ये सुन कर मैं दंग रह गया। ज्योति रंडी की तरह मस्त होकर लंड चुदाई की बात कर रही थी। मैंने बियर का लंबा घूंट और लंबा सिगरेट का कश मारा, और बोला ‘आज ज्योति के नए रूप और खुलासे के दिन है’।
संजय: रुक जा, नंगा करके ऐसे चूत फडूंगा कि बाप-बाप करेगी।
ज्योति: तो फिर उतार दे मेरी ब्रा-पेंटी, और कर दे नंगा मुझे। मैं भी तो देखूं तेरा लौड़ा मुरझाया हुआ है या शेर की तरह खड़ा है।
ये कहते ही ज्योति ने संजय के शॉर्ट्स को नीचे खींचा, और उसकी बनियान को उतार दिया। संजय अब चड्डी में था। लंड टाइट और चड्डी तंबू बना हुआ था।
ज्योति: चड्डी फाड़ कर बाहर आने को बेचैन है तुम्हारा शेर।
संजय: ज्योति मेरे लंड को तेरे प्यार की आदत हो गई है। वह प्यार करवाना चाह रहा है तुमसे। तुम ही उसे चूमती हो पुचकारती हो दुलारती हो।
संजय का इतना कहना था कि ज्योति ने चड्डी को भी नीचे कर दिया और करीब 7 इंच का काला मोटा संजय का लंड सामने था। सीसीटीवी में संजय का लंड देखते ही मैं समझ गया कि ज्योति इस लंड की क्यों दीवानी थी। चड्डी से लंड बाहर आते ही ज्योति घुटनों पर आ गई। संजय का लंड अब ज्योति के चेहरे के सामने था, या यूं कहें कि ज्योति के होठों के ठीक सामने संजय का लंड था।
लंड को देखते ही अपने होंठों पर जीभ फेरते हुए ज्योति ने कहा, “मेरा सोना, मेरा मोना, मेरा बाबू, मेरा प्यार, कितना क्यूट सा है तेरा लंड, और मुझे इसलिए तुम्हारा लंड पसंद है क्योंकि ये हमेशा खड़ा रहता है, तैयार रहता है मेरे लिए”।
संजय ने कहा, “साली ये लंड नहीं है, यह लौड़ा है”। ज्योति ने कहा, “अच्छा जी मेरे लौड़े, आई लव यू और फिर ज्योति ने दाहिने हाथ में लंड लेकर धीरे-धीरे आगे पीछे करने लगी।
संजय: हाथ लगते ही लौंडा और सख्त हो गया है मेरी जान।
ज्योति: उसी कड़कपन को तो महसूस कर रही हूं। वैसे भी इस कड़क लौड़े को एक बार मुंह में लिया तो चॉकलेट की तरह पिघल जाएगा।
संजय: यही तो मेरी जान की खासियत है। तो लेलो अपने मुंह मे इस कड़क लौड़े को।
इतना सुनते ही ज्योति ने एक झटका लौड़े पर मारा और लौड़े के आगे के हिस्से की स्किन एक झटके में पीछे हो गई। संजय के मुंह से हल्की चीख के साथ आवाज आई, “बहनचोद लौड़े की स्किन को पीछे कर रही हो या पूरी स्किन निकाल रही हो”।
ज्योति: लौंडधा तेरा है लेकिन इस्तेमाल अपनी सुविधा से करूंगी।
स्किन पीछे होते ही संजय के लौड़े का सुपड़ा सामने था, जो गुलाबी था। उसको देखते ही ज्योति ने कहा, “हाय मेरी जान गुलाबो, पूरा गुलाब जामुन लग रहा है। मन कर रहा है इस लौड़े को एक बार में ही गप से पूरा खा जाऊं”।
संजय: खा जाओ मेरे लौड़े को। चूसने वाली तो बहुत है, लेकिन इसे भी असली शांति तुमसे ही मिलती है।
इसके आगे की कहानी अगले पार्ट में।