पति के बॉस के साथ मूह काला करने की कहानी

हेलो दोस्तों, मैं रश्मि आपकी सेवा में फिर हाज़िर हुई हू. उम्मीद करती हू पहले की तरह ये कहानी भी आपको पसंद आएगी. अब मैं स्टोरी पर आती हू.

हमारी कॉलोनी में मेरे हज़्बेंड जिनका नाम रमेश है उनकी कंपनी में नया गम आया. उसको वही हमारी कॉलोनी में फ्लॅट अलॉट हुआ.

रमेश ने मुझे बतया की वो एक नीग्रो है पर बोलता हिन्दी है.

उन्होने कहा: मैं सोच रहा हू, की उसको डिन्नर पर बुला लू. क्यूंकी कंपनी से वो लोगों को बाहर निकाल रहा है, और मुझे दर्र है कही मुझे भी ना निकाल दे.

मैं बोली: हा-हा बुला लो आप, कब बुलाओगे?

रमेश बोला: रात को बताता हू मैं तुमको.

रात को रमेश की गाड़ी की आवाज़ आई. मैने बाहर खिड़की से देखा तो रमेश और वो नीग्रो थे. उसकी उमर लगभग 55 साल होगी, पर हटता-कटता था बिल्कुल 6 फुट लंबा.

अब जैसे की आप तो जानते हो की मैं तो चुदसी रहती हू हमेशा. मेरी नज़र उसके लंड पर गयी, तो मैने ऐसे ही आइडिया लगाया की इन लोगों के तो वैसे भी लंबे होते है. क्यूँ ना इसको दाना डाला जाए.

मैं खिड़की से देखती रही. अब रमेश उसको बाइ बोल कर अंदर आने लगा.

मैने पूछा: ये कों था इतना काला सा?

उसने बोला: अर्रे पागल, यही तो गम है नया.

मैने कहा: अछा.

तब रमेश बोला: कल को इन्वाइट किया है मैने इसको. पर ये दारू भी पिएगा.

मैने कहा: कोई बात नही. आप चिकन ले आना. मैं बना दूँगी.

रमेश बोला: ठीक है.

अगली सुबा रमेश ने मुझे चिकन ला कर दिया, और ऑफीस चला गया. मैं नहाने गयी, और छूट के बाल सॉफ किए. फिर मैं घर का काम निपटा कर बैठ गयी.

शाम में रमेश का फोन आया की वो लोग 7 बजे आएँगे. मैने फ़ौरन चिकन बनने को रख दिया, और रोटी भी बना दी.

उसके बाद मैं फिरसे नहाने गयी 6:45 के आस-पास. मैने एक निघट्य पहनी. रमेश भी जानता था की मैं घर में निघट्य में ही रहती हू बस.

बाजू नही थी निघट्य में, और घुटनो तक ही थी उसकी लेंग्थ. मैने लिपस्टिक लगाई, और बाल खुले रखे. अब डोर बेल बाजी, मैं डोर पर गयी. बाहर रमेश और वो गम था.

रमेश बोला: ये हमारे सिर है.

मैने उनको नमस्ते की.

रमेश बोला: सिर, ये मेरी वाइफ है रश्मि.

अब वो लोग अंदर आए. मैं पानी लेने गयी और पानी दिया दोनो को. उस गम की नज़र मेरी क्लीवेज पर गयी, क्यूंकी निघट्य काफ़ी डीप थी. मैं समझ गयी की ये ज्लडी पट्ट जाएगा.

फिर मैं पूछा: सिर आपका नाम?

वो बोला: जॉन.

मैं कहा: अछा सिर.

अब रमेश ने दारू निकली तभी वो नीग्रो बोला-

नीग्रो: मैं अपनी लेकर आया हू. आज ये पीना तुम.

वो स्कॉच थी. मैं ग्लास और चिकन और सलाद लेकर आ गयी.

जॉन मुझे बोला: आप नही लोगे?

मैने कहा: नही-नही सिर, मैं नही पीटी.

जॉन बोला: ये शराब नही है, ये स्कॉच है. ये चढ़ती नही है.

इतने में रमेश बोला: पी लो, कोई बात नही.

फिर मैं अपने लिए ग्लास लेकर आई, और थोड़ी सी डालने को बोला. अब मैं सीप बाइ सीप पी रही थी. पर जॉन की नज़रे मुझ पर ही टिकी थी.

जॉन खुद भी कम पी रहा था, और रमेश को दिए जेया रहा था. मैं अपना पेग ख़तम करके किचन में जाने लगी. मैने पीछे मूड कर देखा तो जॉन की नज़रे मेरी गांद पर थी.

अब रमेश जो की नशे में हो चुका था, बोला: सिर मैं सलाद लता हू.

जॉन बोला: तुम बैठो, मैं लता हू. अब हम दोस्त है.

ये कह कर जॉन ने एक पेग और दिया रमेश को, और बोला-

जोश: ये हमारी दोस्ती के नाम.

रमेश एक ही साँस में पूरा पेग पी गया. मैं किचन से चुपके से ये सब देख रही थी. इतने में जॉन आया और बोला-

जॉन: सलाद काट दो और.

और मेरे पीछे खड़ा हो गया. जॉन ने अपने दोनो हाथ मेरे कंधे पर रखे, और थॅंक्स बोला मुझे.

मैने पूछा: किस बात का थॅंक्स?

जॉन बोला: मेरे कहने पर आपने एक पेग लिया.

मैने कहा: नही-नही इट’स ओक सिर.

जॉन बोला: तुम मुझे जॉन बुला सकती हो रश्मि.

मैने कहा: ठीक है जॉन.

इतने में उसने कंधो पर हाथ सहलाने शुरू किए, और मेरी कमर तक ले गया. मैने कुछ नही बोला. फिर उसने मेरे बूब्स साइड्स से पकड़े.

मैने बोला: कोई देख लेगा.

जॉन बोला: कोई नही है.

मैने मुस्कुरा कर बोला: अछा, कोई नही देखेगा?

जॉन ने मेरा सर पकड़ कर एक ज़ोरदार किस किया. मैने भी उसका पूरा साथ दिया. फिर जॉन ने प्लेट उठाई और बोला-

जोश: तुम हल्के-हल्के सलाद काटो, मैं आता हू.

मैने उसके जाते ही ब्रा निकाल दी. जॉन एक पेग और देकर आया रमेश को, और बोला-

जॉन: तुम चालू रखो, मैं आता हू.

जब की रमेश पूरा नशे में चूर हो चुका था. उसको कोई होश नही था. अब जॉन ने पीछे से आ कर मुझे फिर खीचा और फिर किस करना शुरू किया. इस बार जॉन ने बूब्स को मसलना शुरू किया.

अब थोड़ी देर बाद जॉन बोला: आयेज की साइड झुक जेया.

मैं झुक गयी. उसने मेरी निघट्य उपर की, और पनटी निकाल दी. फिर वो पीछे से मेरी छूट में जीभ डालने लगा. मैने उसका सर दबा दिया वही, और बोला-

मैं: अंदर को डाल जॉन.

जॉन बोला: सीधी हो जेया.

और मेरे दोनो पावं के बीच आ गया. अब जॉन ने छूट को चाटना और चूसना शुरू किया. मैं उसका सिर अंदर को दबाए जेया रही थी. अब जॉन ने मेरे दोनो पावं अपने कंधो पर कर लिए, और जीभ पूरी अंदर डालने लगा.

मैं सातवे आसमान के मज़े ले रही थी. करीब आधे घंटे चूसने के बाद मेरा पानी निकला, और जॉन ने सारा पी लिया.

अब वो उठा और बोला: देख तेरी चुदाई में यहा मज़ा नही आएगा. तुझे मेरे ही रूम पर आना पड़ेगा.

मैं बोली: वो कैसे होगा?

जॉन बोला: वो सब मैं देख लूँगा. पर तू एक वादा कर, की मैं यहा जब तक हू, तू रोज़ मुझसे छुड़वाने आएगी.

मैं बोली: तू भी वादा कर, की तू भी मुझे रोज़ छोड़ेगा जब तक मैं कहूँगी तुझे.

ये बोल कर जॉन ने मेरे होंठो को चूसना शुरू किया, और मैने उसका पूरा साथ दिया.

मैंस बोला: एक रौंद तो यहा भी छोड़ सकता है तू मुझे.

जॉन बोला: इतनी रसीली छूट को एक बार छोड़ कर मज़ा नही आएगा.

मैने कहा: चल ठीक है, पर कल ही छोड़ेगा फिर.

जॉन बोला: ठीक है.

आयेज की कहानी अगले भाग में. आप ये कहानी देसीकाहानी.कॉम पर पढ़ रहे हो.

बताना दोस्तों, यहा तक कैसी लगी कहानी आपको?

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