पहली चुदाई मैंने अपनी टीचर के साथ की

दूसरे दिन मैं ट्यूशन गया तो वो मुझे लेसन देकर नहाने चली गई पर टॉवल भूल गई होगी इसलिए उसने मुझसे टॉवल माँगा।तो मैंने टॉवल दिया। मैम ने जल्दी से तौलिया लेकर दरवाजा बंद किया तो मेरी उंगली बीच में आ गई और मैं चीख पड़ा।

वो- सॉरी जय, तुम बैठो, मैं ड्रेसिंग कर देती हूँ।
में चीखते हुए- यस मेम!

वो जल्द ही आधा गीला बदन लिए टॉवल पहन के बाहर आई। टॉवल थोड़ा छोटा था, नीचे उसकी आधी जांघों तक और ऊपर आधे चुची ढके हुए थे और आधे दिख रहे थे। बाल भी गीले थे तो काफी सेक्सी लग रही थी, मन कर रहा था कि वहीं पटक दूँ! पर मैं मजबूर था।
वो मेरी उंगली में ड्रेसिंग कर रही थी और मैं उसके चुची को देखे जा रहा था। शायद उसे पता चल गया पर वो कुछ नहीं बोली क्योंकि गलती उसकी थी।
पर मैंने भी मौके का फायदा उठाना सही समझा।

में- मैडम आप आज तो बहुत खूबसूरत और सेक्सी लग रही हो।
वो- थैंक्स मेरी तारीफ़ करने के लिए! पर ये मत भूलो कि मैं तुम्हारी टीचर हूँ।
मैं- नहीं मेम, आप जितनी खूबसूरत हो, उतनी ही मस्त मेरी ड्रेसिंग कर दी है, फिर खूबसूरत की तारीफ़ करने में गलत क्या है?

फिर वो कुछ नहीं बोली और वो दिन ऐसे ही बीत गया, पर मेरा तीर निशाने पे लगा था, मुझे उनकी कमज़ोरी का पता चल गया था।
उस दिन शाम को उसका कॉल आया, बोली- अब से ट्यूशन में मत आना!
मैंने कारण पूछा तो उसने बताया नहीं और फोन काट दिया।

फिर एक सप्ताह तक वो स्कूल भी नहीं आई। मैंने सोचा कि कुछ तो है, मुझे देखना पड़ेगा और मैं उनके घर गया, डोरबेल बजाई।
थोड़ी देर बाद उसने दरवाजा खोला और जब मैंने उसे देखा तो बहुत बुरा लगा उसकी हालत देख कर!
उसके गाल पर और जिस्म पे चोट के निशान दिख रहे थे।

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मैं अंदर जाकर सोफे पर बैठा और इन सब के बारे में पूछा तो वो रोने लगी।
मैं- ये क्या हुआ और कैसे हुआ मेम?
वो रोते रोते- रफीक(उनके पति) आये थे बीच में 3-4 दिन के लिए, उसने मुझे बहुत पीटा।
मैं- पर क्यों मेम?
उनकी पीठ सहलाते हुए!
वो- तुम को नहीं बता सकती, अभी तुम छोटे हो। और ये हमारा घरेलू मामला है।

मैं- बताओ रुखसाना, तुम मुझे बता सकती हो, मैं किसी को नहीं बताऊंगा।
मैं उसके सर पे हाथ फेरते बोला।
वो- मेरे शौहर मनमानी करते हैं। पहले हम खुशी से रह रहे थे। पर एक दिन मेरी कजिन नाज़िया यहाँ पर हमसे मिलने लन्दन से आई और सब कुछ बदल गया।

मैं- क्या बदल गया मेम?
वो- रफीक उनसे बहुत बातें करने लगे और वो भी रफीक पर मेहरबान होने लगी। मैं स्कूल को पढ़ाने जाती और वो दोनों घरपे मिलते

मैं- फिर?
वो- एक दिन मेरी तबीयत खराब थी और मैं स्कूल से जल्दी घर आ गई। घर आकर देखा तो नाज़िया के सेंडल बाहर थे। मैंने अंदर जाकर देखा तो वो दोनों एक दूसरे को प्यार कर रहे थे, मुझे देख कर उनकी आँखें शर्म से झुक गई। फिर मुझसे बात किये बिना वो मसूरी चले गए।

मैंने उनके सर को छाती से लगाकर कहा- ये बहुत बुरा हुआ! पर उसने आप को मारा क्यों? वो तो मसूरी गए थे।
वो- उनके जाने के बाद मैंने नाज़िया को बहुत डांटा और उसने रफीक को ये बता दिया। वो वपिस आया और मुझे धमका कर पीटा।

इतना कहकर वो और जोर से रोने लगी, मैंने बहुत कोशिश की पर वो शांत नहीं हुई। फिर मैंने उसके सर को पकड़ के एक किस किया। अचानक उसे क्या हुआ कि मुझे अलग कर दिया और कहा- शर्म नहीं आती तुम्हें? ये क्या कर रहे हो?

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मैं- आप रोना बंद ही नहीं कर रही थी इसलिए मुझे ये करना पड़ा मेम!
वो कुछ नहीं बोली अब मेरी हिम्मत और बढ़ गई, मैंने उनकी पीठ पर ब्लाउज में हाथ डाल के फेरने लगा और कहा- मैडम, सब कुछ ठीक हो जाएगा, डोन्ट वरी, आप इतनी सुन्दर और अच्छी हो तो फिर वो हाथ कैसे उठा सकता है आप पे मैडम!

वो थोड़ा मदहोश हो रही थी क्योंकि मैं अभी भी उनकी पीठ को बड़े प्यार से सहला रहा था और वो उनका मजा ले रही थी पर जाहिर नहीं कर रही थी।

फिर मैंने उनको दोबारा किस किया तो वो मेरा विरोध करने लगी पर मैंने उनको छोड़ा नहीं। मैंने उनको अपने से अलग किया तो उसने अपनी आँखें झुका दी।
मैंने फिर से किस किया और इस बार वो मेरा साथ देने लगी, मेरे जिस्म में करंट दौड़ रहा था क्योंकि यह मेरे लिए पहली बार था। थोड़ा डर भी लग रहा था।

वो मेरा अच्छा साथ दे रही थी। करीब 5 मिनट तक हम किस करते रहे, फिर हम अलग हुए और वो बोली- यह गलत है, मैं तुम्हारी टीचर हूँ।
मैं उनके पीछे जाकर उनकी गर्दन पर चूमने लगा और कान के नीचे भी किस किया और बोला- कुछ गलत नहीं है रुखसाना… जो हो रहा है, उसे होने दो।
वो- मेरा खुद पे काबू नहीं रहता जयदीप, रहने दो।
मैं- मेरा भी नहीं रहता रुखसाना, तुम बहुत ही खूबसूरत और सेक्सी हो मैं क्या करूँ। तुम भी भूल जाओ कि तुम मेडम हो… सिर्फ मजा लो।

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