पहले प्यार का पहला सच्चा अनुभव-1

टाइम ज्यादा हो गया था इसलिए मैंने हाँ में सर हिलाया, मन तो नहीं कर रहा था कि हाँ कहूँ पर कहना पड़ा।
और वो जाते जाते एक प्यारी सी स्माइल पास कर गई! आज तो कोमल की आँखों में एक अजीब सी चमक थी, आँखें लाल नजर आ रही थी।
कोमल चली गई और मैं भी सो गया।

जब मैं सुबह उठा तो सब उठ चुके थे, 7 बज चुके थे। आज आंटी और विवेक ने आगे रिश्तेदारी में जाना था और कोमल को हमारे पास रहना था जिससे मैं बहुत खुश था।
मैंने फ्रेश होकर नाश्ता किया और शॉप पर चला गया। मेरा शॉप पर मन नही लगा, बस जल्दी से शाम होने की इन्तजार करने लगा।

शाम हुई, मैं घर पहुँचा तो सब लोग बहुत खुश थे और खाने की तैयारी कर रहे थे। सबने खाना खाया, बातें की और सोने की तैयारी करने लगे।

कोमल कुछ टाइम के लिए टीवी देखने अंदर आ गई कुछ देर हमने बातें की फ़िर माँ ने कोमल को आवाज लगा ली सोने के लिए, मैंने कोमल को कहा- तू बाहर जा कर सो जा अभी, सब सो जाएँ तो उठ कर आ जाना, बातें करेंगे।
कोमल की आँखों में चमक सी आ गई उसका चेहरा जैसे खिल सा गया हो वो खुश नजर आ रही थी। उसने हाँ में सर हिलाया और ओके बोल कर चली गई।

फिर मैंने टीवी ऑफ़ किया और सो गया।

शायद एक या दो घंटे बाद कोमल दबे पांव अंदर आ गई और मेरे पास आकर लेट गई। पता तो मुझे चल ही गया था पर मैं ऐसे ही लेटा रहा, कोमल भी कुछ न बोली तो मैंने उससे पूछा- आ गई? सब सो गए?
उसने कहा- हाँ!

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फिर मैंने सबसे पहले कोमल को समझाया कि अगर सुबह आपसे कोई पूछे की अंदर क्यों चली गई तो कह देना कि मुझे नींद नहीं आ रही थी, गर्मी लग रही थी इसलिए मैं अंदर चली गई।
कोमल ने कहा- ओके, मैं कह दूंगी।

मैं कोमल के और पास आ गया बिल्कुल उसके चेहरे के नजदीक, उसकी सांसों को मैं पूरा महसूस कर रहा था।
फिर मैंने हल्के स्वर में पूछा- कोमल, क्या तुम मुझे पसंद करती हो?
कोमल ने कोई जवाब नहीं दिया, बस चुपचाप ऐसे ही लेटी रही।

मैंने कोमल से एक बार और पूछा, कोमल ने फिर कोई जवाब नहीं दिया, पता नहीं तो वो डर रही थी या फिर शरमा रही थी… पता नहीं जानबूझ कर ऐसा कर रही थी।

मैंने ऐसे ही करवट बदली और सोने का नाटक करने लगा। मुझे भी मालूम था कि इसके दिल में भी कुछ न कुछ तो जरूर है, अगर है तो यह मुझे जरूर उठायेगी।
पर ऐसा कुछ नहीं हुआ, काफी देर मैं ऐसे ही लेटा रहा, जैसे ही मैंने सोचा लास्ट बार और ट्राय कर लूं और मैं जैसे ही कोई एक्शन करता, कोमल ने मेरा हाथ हल्के से छुआ, मेरी जान में जान आई, मैं फिर भी ऐसे ही लेटा रहा।

फिर कोमल ने मेरे दोनों हाथों में हाथ डाल कर पूरी ताकत से मुझे अपने ऊपर खींच लिया, मैं बिल्कुल उसके सीने पर आ गया और उसकी चुची मेरे सीने पर दबने लगी, उसकी गर्म गर्म सांसें मेरे चेहरे पर पड़ने लगी।

मैंने कोमल से वही सवाल किया- क्या तुम मुझे पसंद करती हो? क्या तुम मुझे प्यार करती हो?
कोमल ने अपनी पलकें झपकाई और हाँ में सर हिलाया पर बोली कुछ नहीं।

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मैंने कोमल से कहा- क्या मैं किस कर लूँ?
मेरे ऐसा कहते ही कोमल शर्मा गई और आँखें बंद कर ली।

मैंने फिर यही सवाल किया, कोमल की आँखें अभी भी बंद थी और उसके होंठ कांप रहे थे, आवाज निकल नहीं रही थी, वो तो जैसे निश्चल पड़ गई हो!
वैसे तो वो तैयार थी और मैं अगर किस कर भी लेता तो वो मना नहीं करती पर फिर भी लड़की के मुख से हाँ निकलवाने का मजा कुछ और ही है। और उस लड़की का भी क्या मजा जो जाते ही सलवार खोल दे!
मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता।

मैंने कोमल से कहा- हां है या फिर मैं सो जाऊँ?
कोमल ने तुरन्त अपनी आँखें खोली और हल्की सी स्माइल पास की, अपनी पलकें झपकाई यानि वो भी सब कुछ चाहती थी!

ओये होये! क्या पल था वो… क्या सन्तुष्टि थी, जैसे मैं फ़ौज में जंग जीत कर आ रहा हूँ! क्या ख़ुशी मिली मैं बता नहीं सकता!
जिंदगी में पहले प्यार के साथ पहला अनुभव… सब कुछ पहली बार!
यह तो बस वही जान सकता है जिसके साथ पहली बार हो रहा हो!
ऐसे पल इंसान चाह कर भी नहीं भुला सकता, हमेशा याद रखता है।

मैं बहुत खुश था, मैंने अपने आप को कोमल से परे किया और साइड में लेट गया, एक गहरी सी साँस ली और भगवान का शुक्रिया अदा किया।
कोमल ने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं!
फिर कोमल बोली- तो ऐसे क्यों अलग हो गए?

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