Pahla Pyar.. Pahla Lund- Part 1

जैसा कि मैंने बताया कि राजेश की छाती काफी कठोर थी और उसमें अच्छा खासा उभार हो चुका था। लेकिन अब वह अपने शर्ट के सभी बटन लगा कर रखने लगा था.. जिससे उसका उभार बस बाहर से ही देखा जा सकता था। अन्दर उसकी छाती का तो एक बाल भी दिखाई नहीं देता था।

मेरा मन अब उसके मदमस्त कामुक मर्दाना बदन को देखने के लिए और छूने के लिए तड़पने लगा था.. लेकिन मैं कुछ नहीं कर सकता था। मैं उसे नंगा देखना चाहता था.. लेकिन स्कूल में वह अपने कपड़े भला क्यों उतारेगा।

एक दिन उसकी किसी लड़के से लड़ाई हो गई और लड़ाई में शर्ट के ऊपर के दो बटन टूट गए.. लेकिन मुझे पता नहीं था कि लड़ाई जैसा कुछ हुआ है। वो दूर से अपनी मर्दाना चाल में चलता हुआ आ रहा था.. तभी मेरी नज़र उसकी छाती पर पड़ी और मैं उसे देखकर दीवाना हो गया।

वाह.. क्या मस्त चाल.. ऊपर से शर्ट के टूटे हुई बटनों में से दिखती हुई गोरी कठोर उभरी हुई छाती.. जो कि शर्ट को फाड़ रही थी।

वह मेरे पास आया और बोला- यार कोई पिन हो तो दे.. यार बटन टूट गए हैं।
मैंने कहा- पिन तो नहीं है यार.. रहने दे ना.. क्या हुआ टूट गए तो टूट गए।

उस पूरे दिन मैंने उसकी मस्त छाती को देखकर अपनी आँखें सेंकी।

अब बस मैं उसके मदमस्त बदन का दीवाना हो चुका था और दिल में बस यही ख्वाहिश थी कि कभी राजेश के मर्दाना बदन को पूरा नंगा देखने का और छूने का मौका मिले.. तो मजा आ जाए।

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ऐसे ही बारिश के दिनों में एक दिन सबका तालाब में नहाने जाने का प्लान बना। मुझे तो तैरना आता नहीं था इसलिए मैं तो नहा नहीं सकता था.. लेकिन में राजेश को वहाँ पर पूरा नंगा देख सकता था.. इसलिए मैं भी उन सबके साथ तालाब पर चला गया।

वहाँ पर जब राजेश ने अपनी शर्ट उतारी तो उसके बदन को देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया। उसने अपने कपड़े मेरे हाथ में दे दिए और वह कुएं में कूद गया। उसके अलावा और भी गांव के जवान लौंडे नंगे होकर उस तालाब में नहा रहे थे लेकिन मेरी नजरें तो राजेश पर ही टिकी हुई थीं। मैंने मौका पाकर उसके कपड़ों से आने वाली महक का भी आनन्द लिया।

इस तरह मैं राजेश के कातिलाना मजबूत बदन को भी देख चुका था। अब तो बस उसके कठोर बदन को छूना चाहता था.. उसकी छाती के उभार को महसूस करना चाहता था। समझ रहे हैं आप.. कि मैं क्या चाहता था।

एक दिन की बात है.. स्कूल में सांस्कृतिक कार्यक्रम चल रहे थे। मैंने भी कई सारी प्रतियोगिताओं में भाग लिया था और राजेश ने भी कुछ में भाग लिया था।
जैसा कि आपको तो पता ही होगा कि ऐसे समय पर कपड़े बदलने के लिए कमरे बने होते हैं.. जहाँ पर सभी अपने कपड़े बदलते हैं। वहीं पर मैं भी खड़ा हुआ था और मेरा उस समय कोई कार्यक्रम नहीं था.. इसलिए तैयार नहीं हो रहा था।

तभी मैंने देखा कि राजेश भी वहीं पर है और कुछ तैयारी कर रहा है। मैं उसके पास जाकर खड़ा हो गया और उससे बोला- यहाँ क्या कर रहा है रे..?
उसने मुझे देखा और बोला- अच्छा हुआ यार तू आ गया.. रेडी होना है यार.. तू हेल्प करवा दे।

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