Bonus Me Chut Ke Sath Das Crore Bhi
सुबह के 4 बज रहे थे और मैं रोज़ की तरह अपनी सास के कमरे की ओर जा रहा था। दरवाज़ा खुला ही रहता है.. तो आज भी खुला ही था। नजदीक जाकर देखा तो मेरी सास राखी.. जिन्हें मैं लोगों के सामने आंटी बुलाता हूँ.. गाण्ड आसमान की तरफ किए हुए औंधी सोई थीं। …