पड़ोसी के साथ मा के अतरंगी प्यार की कहानी

हेलो दोस्तों, मैं रोहन आप सब लोगो का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हू की आपको मेरी कहानी “पड़ोसी धर्म या चुदाई धर्म” बहुत पसंद आई. मेरी ये कहानी पढ़ने के बाद ना-जाने कितने मर्दो ने अपना लंड हिला कर पानी निकाला, और ना-जाने कितनी रंडियों ने अपने भोंसडे में उंगली करके अपनी छूट का पानी निकाला.

तो दोस्तों अब तक आपने पढ़ा की ज़ोया दीदी के घर पर हम 5 दिन रुके, और इन्ही 5 दीनो में कैसे मेरा पड़ोसी रफ़ीक अंकल मेरी मम्मी को ज़बरदस्त तरीके से छोड़ कर अपने लंड की आग को शांत करता रहा.

मेरी मम्मी उर्मिला भी रफ़ीक अंकल से छुड़वा कर बहुत खुश लग रही थी. 5 दीनो के बाद हम घर वापस आ गये. घर आने पे पापा थोड़े परेशन दिखने लगे. और सच काहु तो मैं भी परेशन रहने लगा मम्मी का रंडी-पन्न देख कर.

पापा मम्मी के साथ ठीक से बात भी नही कर रहे थे. पापा का इस तरह का बदलाव देख कर मम्मी भी परेशन होने लगी. मुझे दर्र लगने लगा, की कही पापा को मम्मी और रफ़ीक अंकल के बीच नाजायज़ रिश्ते के बारे में पता तो नही चल गया.

अगर ऐसा हुआ तो बहुत प्राब्लम हो जाएगी. और लोगों को पता चल गया तो बदनामी भी होगी. एक दिन दोपहर में मोहल्ले की आंटी हमारे घर आई. मम्मी और आंटी बातें कर रही थी.

आंटी: क्या बात है उर्मिला जी, आप पड़ोसियों के साथ घूमने चले गये, और हमे बताया भी नही.

मम्मी: घूमने नही गयी थी. उनकी बेटी ज़ोया की तबीयत ज़रा खराब थी, इसलिए उसकी देख-भाल करने चली गयी.

आंटी: ऑश! या बात है. मैं तो सोच रही थी की आप रफ़ीक भाई साहब के साथ घूमने गयी हो.

आंटी मम्मी को देखती हुई स्माइल की.

आंटी(स्माइल करती हुई): बड़ा रिश्ता बन रहा है उनके साथ. बात क्या है?

मम्मी (थोड़ी संकोच करती हुई): क्या! कैसा रिश्ता.

आंटी: उर्मिला जी आप ना मुझे बेवकूफ़ नही बना सकती. कुछ ना कुछ बात तो ज़रूर है. वरना आप उनके साथ 4-5 दिन के लिए कभी नही जाती.

मम्मी: क्या बोल रही हो सुशीला तुम?

आंटी मम्मी के साथ मस्ती मज़ाक के साथ बात कर रही थी, इसलिए मम्मी को गुस्सा नही आया.

आंटी: सही बोल रही हू उर्मिला. आख़िर बात क्या है, सच बताओ?

मम्मी: जैसा तुम सोच रही हो, वैसा कुछ नही है.

आंटी: झूठ बोल रही हो आप उर्मिला. आपके चेहरे की चमक सॉफ-सॉफ बयान कर रही है.

मम्मी: क्या बोल रही हो सुशीला तुम भी.

आंटी: मुझसे आप च्छूपा नही सकती. चेहरे और गले पर दांतो के निशान सॉफ-सॉफ दिख रहे है मुझे.

आंटी की बात सुन कर मम्मी थोड़ी चौंक गयी, और अपने गले पर हाथ रख कर चेक करने लगी. मम्मी के ऐसा करने से आंटी हासणे लगी.

आंटी: अर्रे उर्मिला परेशन मत हो, मैं मज़ाक कर रही हू. ये तो सही बात है की आख़िर पड़ोसी-पड़ोसी के काम आता है.

उसके बाद आंटी चली गयी. रात को जब पापा घर आए. तब खाना खाते वक्त पापा और मम्मी के बीच झगड़ा होने लगा. पापा बहुत गुस्से में मम्मी से बात करने लगे. मम्मी पापा का गुस्सा देख कर दर्र गयी.

पापा (गुस्से में): मैं तो पागल हू ना, मेरी तो कोई फिकर ही नही.

मम्मी (गुस्से में): कहना क्या चाहते हो, सॉफ-सॉफ कहो ना?

पापा (गुस्से में): 5 दिन क्यूँ, 10 दिन घूम लेती.

मम्मी: घूमने गयी थी मैं? आपने ही कहा था मुझसे जाने के लिए.

पापा: हा कहा था. इसका मतलब ये नही की पुर 5 दिन तक वाहा रूको. पता नही क्या गुल खिलाए होंगे वाहा.

उसके बाद आंटी चली गयी. रात को जब पापा घर आए. तब खाना खाते वक्त पापा और मम्मी के बीच झगड़ा होने लगा. पापा बहुत गुस्से में मम्मी से बात करने लगे. मम्मी पापा का गुस्सा देख कर दर्र गयी.

पापा (गुस्से में): मैं तो पागल हू ना, मेरी तो कोई फिकर ही नही.

मम्मी (गुस्से में): कहना क्या चाहते हो, सॉफ-सॉफ कहो ना?

पापा (गुस्से में): 5 दिन क्यूँ, 10 दिन घूम लेती.

मम्मी: घूमने गयी थी मैं? आपने ही कहा था मुझसे जाने के लिए.

पापा: हा कहा था. इसका मतलब ये नही की पुर 5 दिन तक वाहा रूको. पता नही क्या गुल खिलाए होंगे वाहा.

मम्मी की बात सुन कर पापा गुस्सा हो गये, और मम्मी को ज़ोर से थप्पड़ मार दिए. मम्मी खाने की प्लेट को ज़ोर से गिरा कर रोटी हुई अंदर चली गयी.

मुझे कुछ समझ नही आ रहा था, की अब आयेज क्या होगा. और कैसे मम्मी पापा के बीच झगड़ा ख़तम होगा. दूसरे दिन पापा बहुत ड्रिंक करके आए, और नशे में मम्मी को गालिया देने लगे.

मैं पापा को समझने लगा, तो पापा मुझे भी गालिया देने लगे. मम्मी अंदर कमरे में रोने लगी.

मैं: मम्मी मैं भैया को फोन करके बुला लेता हू..

मम्मी: नही रहने दे.

लेकिन मैं ज़बरदस्ती भैया को फोन करके बता दिया सब.

दूसरे दिन सुबा मैं उठ कर बाहर आया, तब पापा बातरूम से नहा कर निकले.

पापा: बेटा मम्मी कहा है तुम्हारी?

मैं: पापा, मम्मी अंदर सो रही है.

मम्मी अब तक सो रही थी. क्यूंकी 2 दीनो से उनकी तबीयत खराब हो गयी थी.

पापा अंदर कमरे में गये. मुझे दर्र लगने लगा, की पापा सुबा-सुबा फिरसे झगड़ा ना करने लगे मम्मी से.

मैं चुपके से अंदर देखने लगा. अंदर पापा मम्मी का हाथ पकड़ कर मम्मी को उठा रहे थे. लेकिन मम्मी बहुत गुस्से में थी, इसीलिए मम्मी पापा के हाथ को च्छुदाने लगी.

पापा: मान भी जाओ अब. गुस्से में बोल दिया मैने.

मम्मी: बोलने से पहले ज़रा भी नही सोचा मेरे बारे में.

पापा: दरअसल कुछ दीनो से एक परेशानी खड़ी हो चुकी है मेरे लिए.

मम्मी: क्या हुआ?

पापा: तुमको पता है 1 साल पहले हम एक फ्लॅट बुक किए थे, जिसमे हमने 5 लाख रुपय जमा किए थे.

मम्मी: हा, क्या हुआ?

पापा: वो पैसे डूब गये हमारे.

मम्मी: क्या, ऐसे कैसे हुआ ये?

पापा: अब कुछ नही हो सकता. मुझे समझ नही आ रहा की मैं इतने पैसे कैसे और कहा से मॅनेज करू. चाचा जी से बात की, उनसे भी पैसे मॅनेज नही हो सके. तुम्हारे भाई को फोन किया उन्होने कहा देखता हू.

मम्मी: और कोई नही है जो मदद कर सके?

पापा: और तो कोई नही है, जो इतने सारे पैसे दे सके. पड़ोस में रफ़ीक भाई के साथ भी बात की. उन्होने भी माना कर दिया.

मम्मी: आप फिकर मत करो, कुछ ना कुछ हाल ज़रूर निकलेगा.

उसके बाद पापा अपने काम पर चले गये. मम्मी अब थोड़ी नॉर्मल हो चुकी थी. फिर दूसरे दिन भैया और भाभी भी घर पर आ गये. वो एक हफ्ते तक हमारे साथ रहे, उसके बाद चले गये.

फिर एक दिन दोपहर में डोरबेल बाजी. मैने दरवाज़ा खोला तो देखा सामने रफ़ीक अंकल खड़े थे. वो मुझे देख कर स्माइल करते हुए बोले.

अंकल: हेलो रोहन बेटा.

मैं: ही अंकल.

अंकल: क्या बात है, आज-कल सद्दाम के साथ खेलने नही आते?

तभी मम्मी बाहर आई. मम्मी को देखते ही लोदउ अंकल के चेहरे पर स्माइल आ गयी. लेकिन ये क्या, मम्मी रफ़ीक अंकल को भाव नही दी. मम्मी का चेहरा गुस्से में दिख रहा था. मम्मी किचन में चली गयी.

अंकल: रोहन कुछ हुआ है क्या.

मैं: कुछ भी तो नही अंकल.

अंकल: तो फिर तुम्हारी मम्मी इतनी गुस्से में क्यूँ लग रही है. मैं पूच कर आता हू.

उसके बाद रफ़ीक अंकल भी अंदर किचन में चला गया. और अंदर जेया कर पीछे से मम्मी की चिकनी कमर में हाथ डालते हुए मम्मी को पकड़ लिया. अंकल के ऐसा करने से मम्मी दर्र गयी.

अंकल: उम्म्मह, क्या हुआ मेरी जान, आज बहुत गुस्से में लग रही है?

मम्मी अंकल के हाथो को गुस्से में ज़ोर से झटका देकर अलग की. फिर वो अंकल को आँख दिखती हुई बोली.

मम्मी: पागल हो गये हो, क्या कर रहे हो? बाहर रोहन है.

अंकल: क्या हुआ, बताओ तो सही यार?

मम्मी ( गुस्से में): आपको सिर्फ़ अपनी कांवासना शांत करनी है. बाकी सब से आपको कोई वास्ता नही है.

अंकल: क्यूँ उर्मिला, ऐसा क्यूँ बोल रही हो? क्या बात है बताओ तो.

फिर अंकल मम्मी के हाथो को पकड़ लिया.

मम्मी: रोहन के पापा की इतनी मदद भी नही कर सकते हो आप?

अंकल: ओह, तो ये बात है.

मम्मी अंकल के हाथो को च्चूदवा कर पलट गयी. अंकल ने मम्मी की कमर में हाथ डाल कर पीछे से मम्मी को जाकड़ लिया, और मम्मी के गोरे-गोरे गाल से अपना गाल चिपका लिया.

अंकल (हेस्ट हुए): मैं सिर्फ़ रोहन की मम्मी की मदद करना चाहता हू. मैं बस तुम्हारी बात सुन सकता हू. और तुम्हारी ये बात मैने मान ली है. तुम्हारे शौहर को मैं कल ही पैसे दे दूँगा. बस अब तो खुश हो?

अंकल की बात सुन्नकर मम्मी पलट कर अंकल की तरफ अपना मूह की.

मम्मी: तो फिर उनको क्यूँ माना किए आप?

अंकल: वो इसलिए, की रोहन के बाप से मुझे कोई वास्ता नही रखना. मैं सिर्फ़ तुमसे वास्ता रखना चाहता हू उर्मिला. मैं सिर्फ़ तुम्हारी ज़िद को पूरा कर सकता हू, तुम्हारे हज़्बेंड की नही.

अब तो हस्स दो मेरी जान. अंकल की बात सुन कर मम्मी के फेस पर स्माइल आ गयी.

अंकल: हाए मेरी जान श.

रफ़ीक अंकल मम्मी के होंठो पर अपने होंठ रख कर मम्मी को ज़बरदस्ती किस करने लगा.

और मम्मी ने अंकल को किस करने से रोका.

मम्मी: क्या कर रहे हो? रोहन यही है.

फिर अंकल ने मम्मी को ज़बरदस्ती अपनी बाहों में भर लिया.

अंकल: उम्मह काफ़ी दिन हो चुके है उर्मिला तुम्हारे जिस्म की खुसबु को सूँघे हुए.

अंकल मम्मी की नंगी पीठ और कमर पर हाथ घूमने लॅग्स. मम्मी अंकल को रोकने लगी.

मम्मी: रफ़ीक… पागल मत बनो. छ्चोढो मुझे.

फिर मम्मी रफ़ीक अंकल को अलग कर दिया.

मम्मी: रोहन ने देख लिया तो मुसीबत खड़ी कर दोगे. जाओ बाहर मैं छाई लेकर आती हू.

अंकल: आपका हुकुम सर आँखों पर.

मम्मी हासणे लगी. अंकल मम्मी के गालो पर पप्पी लेकर बाहर आ गया. छाई पीने के बाद अंकल चला गया. रात को खाना खाते वक्त पापा मम्मी से कहने लगे.

पापा: रफ़ीक भाई का आया था फोन आज मुझे.

मम्मी: क्या बोले?

पापा: बोले की वो कर देंगे कल तक पैसों का इंतेज़ां.

मम्मी मॅन ही मॅन बहुत खुश हो चुकी थी.

मम्मी: ये तो अची बात है.

पापा: हा कल रात को ही बुला लेता हू. खाना भी खा लेंगे यही.

मम्मी: ठीक है बुला लीजिए.

मम्मी के चेहरे पर चमक दिखने लगी. फिर दूसरे दिन शाम को मम्मी सद्दाम को अपने साथ लेकर मार्केट गयी, और आते वक्त ब्यूटी पार्लर हो कर आई. फिर मम्मी किचन में खाना बनाने लगी. सद्दाम मेरे साथ था.

उसके बाद मम्मी ने अपनी सारी चेंज की. मम्मी ने ग्रीन कलर की सारी पहनी. और मम्मी का ब्लाउस स्लीव्ले और बॅकलेस था, जिसमे से मम्मी की सेक्सी पीठ पूरी नंगी दिखने लगी. मम्मी ने अपनी सारी कमर से नीचे बाँध रखी थी. मम्मी की झील जैसी गहरी नाभि देख कर मेरे लंड में भी हलचल होने लगी.

मैं समझ गया था की आज फिर रफ़ीक अंकल मम्मी की सवारी करने वाला था. और मम्मी भी पूरी तैयार हो रही थी उस झानतु अंकल से चूड़ने के लिए. लेकिन आज उनको मौका नही मिल सकता था, क्यूंकी आज पापा भी यही थे.

थोड़ी देर बाद ही पापा और रफ़ीक अंकल घर आ गये. रफ़ीक अंकल ने पापा को पैसे दिया. पापा मम्मी को आवाज़ दिए. तो मम्मी किचन से बाहर आई. मम्मी को देखते ही रफ़ीक अंकल की आँखें फटत गयी.

रफ़ीक अंकल मम्मी को बहुत ललचाई आँखों से देखने लगा. और मम्मी रफ़ीक अंकल को कातिल स्माइल देते हुई अपनी सारी का पल्लू अपने सिर पर रख कर उनके पास जाने लगी.

पापा मम्मी को पैसे देकर अंदर रखने को बोले. उसके बाद पापा और रफ़ीक अंकल ड्रिंक करने लगे.

फिर मम्मी ने कमरे में आ कर पैसे रख दी. उसके बाद वो किचन में चली गयी. मम्मी किचन से वापस बाहर आई, और कमरे की तरफ आने लगी.

अंकल की नज़रे बस मम्मी पर ही जेया रही थी. मम्मी ने अपने नीचे वाले होंठ को साइड से अपने दांतो के नीचे दबा लिया, और अंकल को कातिल नज़रों से देखती हुई अंदर चली आई. उसके बाद मैने भी खाना खा लिया.

काफ़ी टाइम हो चुका था दोनो को ड्रिंक करते हुए. पापा को बहुत नशा हो चुका था. पापा को वाइन चढ़ चुकी थी, इसीलिए मम्मी उठ कर बाहर गयी.

मम्मी: बस भी कीजिए, अब खाना खा लीजिए.

पापा: मुझे पहले बातरूम जाना है.

लेकिन रफ़ीक अंकल अब भी ठीक थे. हरामी मम्मी को देख कर स्माइल करता हुआ आँख मार दिया.

अंकल के ऐसा करने से मम्मी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी. और मम्मी अंकल को इशारे में डाँटने लगी.

पापा उठने की कोशिश करने लगे, लेकिन पापा से उठने भी नही हो रहा था. ये देख कर मम्मी का फेस गुस्से से लाल होने लगा.

मम्मी: क्या कर रहे हो? इतनी दारू पीने की क्या ज़रूरत है?

रफ़ीक अंकल पापा के कंधो को पकड़ कर उठने में मदद करने लगा, और मम्मी को चुप रहने का इशारा किया. पापा को बिल्कुल भी होश नही था. रफ़ीक अंकल पापा को अंदर कमरे में ले गया, और सोफे पर पटक दिया. मम्मी गुस्सा करने लगी.

मम्मी: होश बिल्कुल भी नही है, बस पिए जेया रहे है.

रफ़ीक अंकल ने मम्मी का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया. मम्मी अंकल को गुस्सा दिखती हुई बोली-

मम्मी: माना नही कर सकते थे आप?

अंकल मम्मी की आँखों में आँखें डाल कर देखने लगा.

मम्मी: क्या कर रहे हो?

मम्मी पापा की तरफ देखने लगी.

अंकल मम्मी के रसीले होंठो पर अपने होंठ रख कर मम्मी को किस करने लगा. मम्मी अंकल को माना करने लगी.

मम्मी: उंह… रफ़ीक कितनी बाज़ (स्मेल) आ रही है मूह से.

लेकिन अंकल मम्मी को किस करने में लगे हुए थे.

मम्मी: उंहा, पागल मत बनो. ये उठ गये तो मुसीबत खड़ी कर देंगे.

अंकल ने मम्मी की चिकनी कमर में हाथ डाल कर मम्मी को कस्स के पकड़ लिया. और फिर वो मम्मी को चूमने लगा.

रफ़ीक अंकल: फिकर मत करो उर्मिला, ये सुबा तक उठने वाला नही है.

मम्मी: सुबा तक क्यू?

अंकल: क्यूंकी मैने उसके पेग में नशे की गोली मिला दी थी.

मम्मी (चौंक कर): क्या?

अंकल: इतना दर्र क्यूँ रही हो?

मम्मी: क्या किए ये? कुछ हो गया तो उनको?

अंकल: कुछ नही होगा यार, क्यूँ इतना दर्र रही हो? सुबा तक बिल्कुल नॉर्मल हो जाएगा.

मम्मी: बहुत बदमाश हो आप.

फिर अंकल हासणे लगा.

अंकल: तुमको पाने के लिए ऐसी बदमाशी तो करनी ही पड़ेगी मुझे.

अंकल मम्मी को किस करने लगा. रफ़ीक अंकल इतना बड़ा मदारचोड़ होगा मैने सोचा नही था. कुत्ता मेरे बाप के घर में मेरे बाप को नशे में करके उनकी वाइफ के साथ अफेर कर रहा है.

मम्मी: उम्म्मह पहले खाना तो खा लो. मैं रोहन को देख कर आती हू.

उसके बाद मम्मी मेरे कमरे में आई. मैं झूठा सोने का नाटक करने लगा.

मम्मी: रोहन क्या बात है, आज जल्दी सो गया?

मैं: मुझे आज नींद आ रही है मम्मी.

मम्मी: ठीक है सोजा. मैं किचन में काम ख़तम करके आती हू.

उसके बाद मम्मी बाहर चली गयी. मैं च्छूप कर बाहर देखने लगा. मम्मी किचन से खाना लेकर जेया रही थी अंकल के कमरे में. और मम्मी अपनी सारी निकाल चुकी थी. मम्मी सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकोट में थी.

मम्मी अपना पेटिकोट अपनी कमर से बहुत नीचे बाँध रखी थी. इससे मम्मी की चिकनी मखमली कमर देख कर तो मेरा लोड में हलचल होने लगी. मम्मी के ब्लाउस में से उनके बूब्स दिखने लगे.

उनके ब्लाउस में से उनके बूब्स देख कर मुझे ऐसा लगने लगा, जैसे की मम्मी ने अंदर ब्रा नही पहनी थी.

रफ़ीक अंकल 2 पेग बना कर एक पेग मम्मी को देने लगा. मम्मी पापा की तरफ देखती हुई अंकल से पेग लेकर पीने लगी.

फिर दोनो साथ में खाना खाने लगे. कभी मम्मी अंकल को अपने हाथ से खाना खिलती, तो कभी अंकल भी मम्मी को अपने हाथ से खाना खिलता.

फिर मम्मी किचन में चली गयी. थोड़ी देर बाद मम्मी वापस आ गयी. रफ़ीक अंकल मम्मी का हाथ पकड़ मम्मी को अपने उपर खींच लिया. मम्मी हस्ती हुई झट से उनकी गोद में उनकी जांघों पर बैठ गयी.

अंकल: हाए मेरी जान, आजा मेरी बाहों में. रफ़ीक अंकल मम्मी को पागलों की तरह चूमने लगा.

मम्मी(हस्ती हुई): रूको, पहले मुझे मेरा गिफ्ट दो.

अंकल: बहुत ही अछा गिफ्ट लाया हू मेरी जान तुम्हारे लिए.

फिर रफ़ीक अंकल मम्मी को एक गोल्ड नेकलेस निकाल कर दिखाने लगे. मम्मी बहुत खुश हो गयी थी नेकलेस को देख कर.

मम्मी: वाउ रफ़ीक, बहुत मस्त नेकलेस है.

रफ़ीक अंकल मम्मी को नेकलेस पहनने लगे. नेकलेस बहुत अछा लग रहा था मम्मी के गले में. मम्मी बहुत खूबसूरत दिखने लगी.

अंकल: कैसा लगा?

मम्मी: मस्त.

मम्मी हस्स कर अंकल को बोली. और अंकल को ज़ोरो से अपनी बाहों में भर लिया.

मम्मी: उउम्मह, ई लोवे योउ रफ़ीक.

अंकल मम्मी की नंगी पीठ और कमर पर हाथ घूमने लगा.

अंकल: उउंह एल लोवे योउ मेरी जान उर्मिला. बहुत प्यार करता हू तुमसे उउउँह.

यह कहानी भी पड़े  पराए लंड से लक्ष्मी ने अपने प्यास बुझाई


error: Content is protected !!